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00:00Kishab Nagar Raja के एक छोटे से गाउं में हरी राम नाम का एक सीधा साधा, महंती और इमानदार किसान अपनी पत्नी के साथ खेत में बैठा हुआ था
00:23देखना, हमारी फसल इस साल बहुत अच्छी होगी
00:27हा, क्योंकि मेरी महनत के साथ-साथ मेरे खेत की जमीन पर तुभारी महनत का पसीना भी शामिल है, अर्चना
00:36नहीं, सारे गाउं में केवल तुम ही महनती और इमानदार हो
00:43तुम्हारे पास जमीन तो कम है, लेकिन तुभारा दिल बहुत बड़ा है
00:47कुछ देर बाद दोनों पती-पतनी घर चले गए
00:53मैं तुम्हें एक बात बताना तो भूल ही गई
01:01घर में लकडियां खत्म हो गई है
01:03अरे चिंता मत करो
01:05मैं कल सुबह सबसे पहले
01:07जंगल में लकडियां काटने के लिए ही चला जाओंगा
01:10ठीक है ना ले आओंगा चलो अब
01:12अकली सुबह हरी राम लकडियां काटने के लिए जंगल चला गया
01:33हरी राम एक पेड़ पर कुलहाडी चलाने ही वाला था
01:37कि तभी उसने देखा जाडियों में एक घायल बंदर करा रहा था
01:42हरी राम बंदर के पास बैठा था
02:07काश तू बोल सकता तू बता सकता कि तेरी तकलीफ कहा है
02:12फिलाल तो तेरे हाथ में खून दिख रहा है लेकिन जिस तरह से तू दर्द से तड़प रहा ना भाप रे तकलीफ तो कहीं और ही है
02:19उसी समय वहां एक साथ हुआ पहुचा
02:25कौन हो तुम और बंदर से क्या बाते कर रहे हो
02:30प्रणाम सादू महराज मैं तो बस लकड़ियां काटने के लिए जंगल में आया था
02:37इस घायल बंदर को देखा तो इसके उपर तरस आ गया
02:40लगता है किसी जंगली जानवर ने हमला किया इसके उपर देखे ना इसके हाथ से खून बह रहा है
02:45लेकिन जिस तरह ये दर्द से तड़ब रहा है मुझे तो लगता है कि इसे कहीं और ही तकलीफ है
02:50बहुत कम इंसान होते हैं जिनके मन में जानवरों के प्रती इंसानियात होती है
03:00रुको रुको रुको ओम
03:03इतना बोलकर साधू मंत्र पढ़ने लगा अचानक रंग बिरंगी किर्णों से बंदर का जख्म सही हो गया
03:14हाँ अब ये बंदर तुम्हें बता सकता है कि इसकी तकलीफ कहा है
03:23इतना बोलकर साधू वहां से चला गया बंदर उठकर खड़ा हो गया
03:28मेरे कंदे में बहुत दर्द हो रहा था
03:33हाँ अब अच्छा लग रहा है एक शेर ने मुझे पर हमला किया
03:37मैं बचने के लिए दूसरे पेल में कूदा
03:39शेर का पंजा मेरे हाथ में लगा और मेरा हाथ घायल हो गया
03:43मैं पेड़ी नहीं पकड़ पाया
03:45और मैं जैसे ही नीचे गिरा बापरे बाप मेरे कंदे में बहुत चोट लग गई थी
03:50अरे तुम तो बिलकुल मनुष्री की आवाज में बात कर रहे हो ये कैसे संबह हुआ
03:57जब साधू ने मंतर पढ़ा ना तब मुझे ऐसा लगा कि मेरे अंदर बात करने के शक्ती आ गई है
04:05मैंने बोला और मेरी आवाज तुम तक पहुँच गई
04:07लगता है ये चमककार साधू बाबा ने किया है
04:11अच्छा ये बताओ तुम मेरे घर पे चलोगे
04:19अब तुमने मेरी जान बचाई है तो अब तो मैं तुम्हारे साथ ही चिपक गया हूँ
04:25मतलब मैं तुम्हारे साथ ही रहूँगा
04:28और क्योंकि मैं इनसानों की तरह बात करने लगा हूँ
04:31तो मैं बंदरों से अब तो अलग हो गया हूँ न
04:33Why are you going to divide yourself with me?
04:36I will talk to you with me.
04:38So, you can get a similar name.
04:41Do you my name?
04:41What kind of name?
04:45I'm going to call me today.
04:48I'm going to call you the name.
04:52Why?
04:52What kind of name?
04:53It's a good name, right?
04:56It's a good name.
04:58Come on.
04:59I'm going to call it.
05:00। । । ।
05:30। । । । ।
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06:30। । ।
07:00
07:04। । । ।
07:22alayraam, aray,
07:29aaj ki mitri to behoot bhari lag rahi hai.
07:37Golu, ab to tu pakka kisahan bern gaya hai,
07:41mitri ka abhi pharak semojnye laga hai.
07:46Golu ki baat ab gauon mein pheilnne laggi thi,
07:49and this thing finally comes to Zemindar Chaudhry's home.
07:57What?
07:58There is a house of people who are humans.
08:03Yes, Zemindar Sahib, I think I'm going to see.
08:07I've heard it. I've heard it.
08:10I've heard it.
08:12अरे भाईया, तो फिर उस बंदर को लेकर तमाशा करना चाहिए, उससे तो बड़ी अच्छी कमाई होगी
08:21ये बात आपने बिल्कुल पते की कही, जमीदार सहाब
08:26जमीदार की हसी कुछ देर चली, फिर वो गंभीर हो गया
08:33इस हरी राम की जमीन पर मेरी नजर बहुत समय से है, बाकी सब तो मेरे करजदार बन चुके
08:42पर ये ससूरा हरी राम, ये कभी जुका ही नहीं
08:46उसकी जमीन बहुत उपजाओ है, जमीदार, बंजर में भी फसल उगजाती है
08:52अरे इसमें मिट्टी का कोई खेल नहीं है भीमा, उसकी किस्मत और सितारे बुलंद है
08:59पर जिस दिन वो सितारे गिरेंगे न, उसी दिन ये खेत मेरा होगा
09:04और हरी राम मेरे कदमों में होगा, देख लेना तू
09:07समय ऐसे ही बीतने लगा
09:14एक दिन हरी राम और गोलू जब खेत से घर लोटे, तो आंगन में बैठी अर्चना को देख कर दोनों के चहरे पर चिंता की रेखाएं खिच गई
09:25हरे अर्चना, क्या हुआ, ये कैसे खासी है
09:30कुछ दिनों से खासी हो रही है, अब तो दिन बदिन और भी बढ़ती जा रही है
09:41हरी राम, इसे नजर अंदाज मत करो, किसी अच्छे वैदे को तुरंद बुलाना चाहिए
09:48हरी राम ने देर न करते हुए, गाउं के एक अनुभवी वैद को बुला लिया
09:56वैद ने अर्चना को ध्यान से देखा
09:59हरी राम, देखो, इन्हें एक विचत्र बीमारी हो गई है
10:08अगर समय पर इलाज ना मिला, तो ये जानलेवा हो सकती है
10:12हाँ, नहीं, नहीं, नहीं वैद जी, आप तो इलाज शुरू कीजिए, मैं कोई कसर नहीं छोड़ूंगा
10:19उस दिन से हरी राम का सारा धन अपनी पत्नी के इलाज में लगने लगा
10:29हफ्तों बीटते गए, और एक दिन ऐसा आया, जब उसकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई
10:36उस दिन हरी राम घर पर अकेला बैठा था
10:39ऐसे उदास मत बैठिये, मैं अपने आप ठीक हो जाओंगी
10:50ऐसा, ऐसा मत कहो अर्चना, मैं तुम्हें इस हालत में नहीं देख सकता
10:56तो अब क्या करोगे, जो कुछ था, सब तो मेरे इलाज में लगा दिया
11:03अब तो बीच खरीदने तक के पैसे नहीं बचे
11:06हरी राम सिर छुकाए बैठा था, तभी गोलू तेजी से दोड़ता हुआ आया
11:16हरी राम, हिम्मत मत हारो, तुम्हारे दो भाई इस गाओं में रहते हैं
11:23और तुमसे जादा धनी भी हैं, उनसे मदद क्यों नहीं मांगते हो, हैं?
11:27हरी राम को ये बात ठीक लगी, उसी शाम वो गोलू को साथ लेकर अपने बड़े भाई केशव के घर गया
11:39ओ हरी राम, क्यों भाई, आज हमारे घर का रास्ता कैसे भूल गए, हैं?
11:50भाईया, अर्चना की बीमारी के बारे में तो अब गाओं में सब जानते हैं, मैंने जो कुछ कमाया, सब इलाज में लग गया, अब कुछ धन की जरूरत है भाईया
11:59तुम तो जानते हो, मेरी फसल इस बार खराब होई है, अब खुद मुझे उधारी लेना पड़ रहा है, तो मैं तुम्हें कहां से दूँ
12:07हरी राम कुछ नहीं बोला, सिर जुका कर बाहर निकल आया
12:14अरे, वो जूट बोल रहा था हरी राम, मैंने उसके चेहरे को देखा है, वो देना ही नहीं चाहता था
12:24हाँ, जानता हूँ रे गोलू, पर चलो, एक और भाई है, उनसे मिलते हैं, चलो
12:31अग दोनों बिर्जु के घर पहुँचे, बिर्जु ने दर्वाजा खोला और हरी राम को देखकर चौँक गया
12:43ओ, हरी राम, आज भाई की हाथ कैसे आ गई?
12:51भाईया, भाईया, मेरी पतनी अर्चना बहुत बीमार है, थोड़ा सा धन चाहिए इलाज के लिए
12:56क्या? अरे, बटवारे में वैसे भी तुझे ज़ादा जमीन मिल गई थी, उसे बेच नहीं देता, मेरे पास धन का पेड़ लगा है क्या? जो मांगने चला आया
13:06जूट मत बोलो भाईया, सस्तो ये है कि तुमने और केशो भाईया ने मेरे हिस्से की जमीन भी दबा ली थी, मुझे छै बीगा जमीन मिलनी थी, बस दोई बीगा मिली है दो बीगा
13:18अरे निकल जा यहां से, अगर कर्ज लेना है तो जमीदार के पास जा, मुझे उठा के चले आज भाईयां से
13:38कैसे भाई है तुमारे हरी राम, एक भी मदद को तयार ही नहीं है
13:43हाँ, इस दुनिया में इंसान ऐसे ही होते हैं, मतलबी, अपना पराया कुछ नहीं देखते है
13:50तो अब क्या करोगे, क्या जमीदार के पास जाओगे
13:54हाँ, मजबूरी है गोलू, मैं नहीं जाना चाहता था, इसलिए तुम्हारे कहने पे भाईयों के पास गया
14:03अब तुम्ही बताओ, मेरे पास और क्या रास्ता बचा है, बताओ
14:06अगले दिन हरी राम और गोलू, जमीदार की हवेली में जा पहुँचे
14:20उमीद उसे कम थी, मगर अपनी पत्नी की खातिर, उसने खुद को जुका दिया था
14:26मैं जानता था हरी राम, एक ना एक दिन तू चलकर मेरी हवेली में जरूर आएगा भाईया
14:34आपने बिल्कुल सही कहा था मालिक, जब तक इसके किसमा चमक रही थी, तब तक बहुत अकड में चलता था
14:42अब देखो, कैसा मुर्जाय मुर्जाय सब खड़ा है
14:46ए जमीदार, तुम्हें किसी की हालत का मजाक उड़ाने का हक नहीं है
14:51लोग तुम्हारा सम्मान करते हैं, तुम्हें भी दूसरों का सम्मान करना चाहिए, समझे
14:56ए बदरवा, बकवास बनकर, तुम्हें इंसानों की तरह बोलता है, इसका मतलब यह नहीं है कि तुम्हें इंसान बन गया है, समझा
15:05हाँ भाईया हरी राम, बताओ बताओ, क्यों आए हो
15:11क्या बताओ, आपको तो सब पता है, मेरी पत्नी बीमार है, सारा धन इलाज में चला गया, कुछ धन की आवशक्ता है
15:19अच्छा अच्छा अच्छा धन चाहिए, तो भाईया मेरी सरते सुन लो, ब्याज पचास प्रतीशत, और बदले में कुछ गिर्वी रखना होगा
15:29हाँ, मेरे पास कुछ बचा है क्या, जो गिर्वी रखो, जो सोने के आवशन थे, वो भी इलाज में बिक चुके है
15:36अरे है ना, क्यों नहीं है, तेरे पास दो भी घाज जमीन है, भाईया उसे गिर्वी रखो, वक्त पर करच चुकाएगा, तो जमीन तेरी, वरना मेरी सीधा हिसाब, बोलो भाईया
15:49हरी राम सोच में पढ़ गया, उसे अपनी पत्नी का जीवन बचाना था, मगर खीमत बहुत बड़ी थी
16:01अरे ये तो सरासर अन्याए है, तुम किसी की मजबूरी का फाइदा उठा रहे हो, ऐसे तो हरी राम कभी करज ही नहीं चुका पाएगा
16:09ए हरी राम, पहले तो तु इस अपने पालतु बोलने वाले बंदर को ले जा यहां से, नहीं तो मेरा मन बदल गया, तो हो गया तेरा काम, जब से आया है पटार-पटार-पटार-पटार
16:20जुब कर
16:20हरी राम, चलो मेरे साथ, ये करज मतलो, चलो
16:25गोलू, मेरे पास अब और कोई चारा नहीं है
16:30अरे तुम बस चलो तो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा ना, हाँ, चलो मेरे साथ
16:36हरी राम गोलू के साथ चला गया
16:41हवेली के भीतर, जमीदार और भीमा घुसे जे खौल रहे थे
16:48ए मालेग, हरी राम तो हाथ से निकल गया
16:53अरे चिंता मत कर बेटा, मजबूरी उसे फिर लोटाएगी, कितना दूर जाएगा वो
17:00हरी राम गोलू के साथ घर पर आप पहुँचा और गोलू तुरंद वहां से चला गया
17:12शाम तक गोलू लोट कर नहीं आया, हरी राम और अर्चना की चिंता बढ़ने लगी
17:20गोलू अब तक क्यों नहीं आया, कहीं जमीदार ने उसे कुछ कर तो नहीं दिया
17:27हरे पता नहीं कहा गया, मेरा मन भी बड़ा बेचैन है
17:31सुभा सूरज की किर्णों के साथ ही गोलू वहां पहुचा, हाथ में एक चमकती जड़ी बूटी के साथ
17:47हरे गोलू, तु कहा था, हमें लगा कहीं तुझे कुछ हो तो नहीं गया
17:54अरे मैं जंगल गया था, उन साथू महराज को ढूरने, जिनसे मुझे बोलने की शक्ती मिली थी
18:01उन्हें मैंने सारी बात बताई, और उन्होंने दया करके ये जड़ी बूटी दी है
18:06उन्होंने कहा है कि इससे बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक हो सकती है, हाँ
18:11गोलू ने वो जड़ी बूटी अर्चना को दे दी, कुछ देर बाद अर्चना की आँखों में चमक लोटाई
18:20मुझे बिल्कुल स्वस्थ महसूस हो रहा है, जैसे मैं कभी बीमार ही नहीं थी
18:26अर्चना, तुम्हारी खासी भी ठीक हो गई, और गोलू, तू तो हमारे लिए देवता बन गया
18:39अगर तू नहीं होता, तो मैं जमीदार से कर्ज लेकर अपनी खेती भी खो बैठता
18:44हाँ, अब मेरी पत्नी तो ठीक है, लेकिन खेत में बीज डालने के पैसे तक नहीं बचे
18:55हाँ, मैं जानता था कि अर्चना के ठीक होने के बाद तुम्हें बीज की जरूरत पड़ेगी
19:03इसलिए मैं सादु माराज से बीज भी लेकर आया हूँ, हाँ, हाँ, हाँ, ये देखो
19:08क्या, बीज?
19:13हाँ, उन्होंने ये चमतकारी बीज दिये हैं, अब देखो, अगर तुम इने अपने खेत में बोध होगे
19:19तो ऐसी फसल उगेगी, जो पूरे राज्ज में किसी ने नहीं उगाई होगी
19:24और सबसे पहले तुम्हारी फसल ही तयार होगी, हाँ, हाँ, हाँ, मज़ा आ गया ना?
19:30हाँ, हाँ, हाँ, इतनी जल्दी?
19:32हाँ, लेकिन एक शर्ट भी दी है साधू महाराज ने, जब तुम्हारा समय अच्छा हो जाए, तब तुम उन लोगों की मदद करना, जो जमीदार के कर्जु में दबे हुए हैं
19:44हरे मित्र गोलू, गोलू, गोलू, तु मेरा सच्चा साधी निकला, हम दोनों मिलकर अच्छे से खेत में फसल बोईंगे, चल मेरे भाई
20:02अगले ही दिन हरी राम, गोलू और अर्चना ने मिलकर खेत जोता, बीजपोया और आकाश की योर देखकर मेहनत का वादा किया
20:12कुछी दिनों में हरी राम के खेत में ऐसी फसल लहरा आई, जैसे किसी ने पहले कभी नहीं देखी थी, गाउवाले चकित रह गए
20:26अरे देखो रे देखो, हरी राम के खेत में तो जैसे सोने जैसी फसल लहरा रही है, हाँ हाँ हाँ
20:35हाँ हमारी फसल तो अभी जामी भी नहीं है और इसकी तो फसल भी तयार हो गई
20:42और उसकी बीवी अर्चना जो कि महीनों भी मार रही हम रोज खेत में काम करती है
20:48भाईया ये तो कोई चमतकार ही लगता है
20:56कुछ दिनों बाद हरीराब की किस्मत बदल गई
20:59चमतकारी फसल ने उसे गाओं का सबसे सफल किसान बना दिया
21:04बाजार में उसके नाम की चर्चा पहल गई
21:10हरी राम जपो राम नाम बन गिया तु धनवान जो सोचा था है वो हो गया सच
21:22हाँ, वाकई में सच तो हो गया
21:24लेकिन अब बारी है गोलू वादा निभाने की, उन सब की मदद करने की जो जमीदार के कर्ज में डूबे है
21:32हाँ, बिल्कुल, चलो, आज से ही शुरुबात करते हैं, अपने गाओं का बिंदे सर का खेट सबसे पहले छुडाते हैं, चलो
21:40हरी राम और गोलू ने अपना मुनाफा एकठा किया, और एक एक कर गाओं वालों का कर्ज चुकाने लगे
21:57बिंदे सर, भोलू, रज्जो, सभी ने अपनी जमीन वापस पाली
22:02हरी राम भाईया, आज आपने हमें नया जीवन दे दिया, सही बताओ, बिल्कुल, बहुत-बहुत दन्यवाद
22:11गाओं में खुशी लोटने लगी, लेकिन जमीदार के चहरे पर उदासी चा गई
22:19ये सब देखकर जमीदार खुसे से अपने साथी भीमा से बोला
22:24हाँ, ए भीमा, तु देख रहा है न कि क्या हो रहा है
22:31हाँ मालिक, हरी राम ने सब के करजे चुकाने शुरू कर दिये हैं
22:37अगर यही चलता रहा, तो एक दिन तो मेरी जमीदारी ही खतम हो जाएगी
22:42और मेरा दबदबा भी खतम हो जाएगा
22:45आप तो आदेश दीजे मालिक की करना क्या है
22:48अब बहुत हो गया भीमा, अगर यह हरी राम ऐसे ही सब की जमीन छुडवाता रहा
22:55तो मेरा क्या बचेगा, मेरा दबदबा, मेरी हवेली हैं
23:00अरे मालिक आप तो बस आदेश कीजे, कल ही उसका काम तमाम कर दूँगा
23:05सब खेट में काम करते हैं, वहीं खत्म कर दूँगा, कहिए
23:10खून जमीन पर गिरे ऐसा मारना साले को, ताकि सब के दिल में डर उतर जाए
23:16जा, हरी राम को मिटा दे, जा
23:19सुभा का सूर जुगा, लेकिन किसी तूफान से पहले की शान्ती जैसा लग रहा था
23:32हरी राम, खेट में बीजों को देख रहा था, जो अब सोने जैसे चमकते दिखते थे
23:39अरे गोलू, देख तो, ये फसल तो जैसे गाना गा रही हो, तो आए हाथ की छुवन में जादू है
23:49हाँ, बिल्कुल सही कह रहे हो मित्र, इस बार की फसल सोने की फसल जैसी उकती हुई दिख रही है
23:57वाँ वाँ वाँ वाँ वाँ
23:59इतना बोलकर अचानक गोलू एक ओर हट गया
24:05सच तो ये था कि गोलू को किसी की आहट की भनक लग चुकी थी
24:11तभी वहाँ जमीदार और भीमा आप पहुँचे
24:14भीमा के हाथ में लंबा बर्चा था, हरी राम जुका हुआ था
24:20अब भूग तो किसान
24:25जैसे ही भीमा ने हरी राम की ओर बर्चा भीका
24:30एक छलांग, एक चीख, एक वार
24:33लेकिन हरी राम पर नहीं, गोलू पर
24:37गोलू! नहीं नहीं, यह क्या किया तुने?
24:44तुमारे लिए मितरता का मतलब सिर्फ साथ नहीं होता
24:49कभी कभी बलीदान भी होता है
24:52तुने मेरी जान बचाने के लिए अपनी जान दाओं पर लगा दी
24:58क्योंकि तुम मेरे साथी हो और मैं तुमारा
25:07जमीदार और भीमा अविश्वास भरी नजरों से गायल गोलू को देखने लगे भीमा जमीदार की ओर देखकर बोला
25:22अरे ये क्या जमीदार इस मूर्ख बंदर ने तो हरी राम के उपर लगने वाला वार अपने उपर ले लिया
25:31हाँ तुमने सही का लेकिन मैं फिर भी हरी राम को जीवित नहीं छोड़ूँगा
25:36इतना बोलकर जमीदार गोलू की ओर देखकर क्रोधित अवस्था में बोला
25:43अरे तु मूर्ख का मूर्ख बंदर ही रहा
25:47हरे तु इंसानों की तरह बोल सकता था और इंसानों की तरह रहने लगा था
25:51लेकिन तु इंसानों की तरह चतुराई नहीं सीख सका
25:55तुझे क्या जरूरत थी अपने उपर वार लेने की
25:58क्या आवेशक्ता थी बलिदान देने की
26:01मूरख बंदर कही का
26:02
26:24
26:54
26:56जिसने निर्दोश की जान ली, उसका पाप अब उससे बदला मागेगा।
27:01जमीदार और भीमा, तुम दोनों ने बहुत बड़ा पाप किया है।
27:05तुम्हें इस संसार में खुले आम रहने का कोई अधिकार नहीं है।
27:09तुम दोनों समाज के लिए खत्रा हो, रुप जाओ।
27:14इतना बोलकर साधू की क्रोधित आँखों से रंग बिरंगी किर्णे निकल कर भीमा और जमीदार के शरीर पर पढ़ने लगी।
27:24और अगले ही पल उनके शरीर में आग लग गई।
27:27कुछी देर में वो दोनों जलकर राख हो गए। गाओं वाले इकठा हो गए।
27:33साधू हरी राम की ओर देख कर बोला।
27:37हाँ, तुम्हारा और गोलू का साथ यहीं तक लिखा था हरी राम।
27:43लेकिन साधू महाराज,
27:46जमीदार के साथ ही भीमा ने मेरे उपर हमला किया था,
27:49लेकिन गोलू ने उसे अपने शरीर पर ले लिया।
27:53हाँ, क्योंकि वो तुम्हारा सच्चा साथ ही था।
27:56जाते जाते गोलू ने अपनी मितरता का कर्ज चुका दिया।
27:59अपने साथी को कभी नहीं भूलना हरी राम।
28:04इतना कहकर साधू, रंग बिरंगी किर्णों में वहां से गायब हो गया।
28:11गाउपाले नम आखों से गोलू के बलिदान की सराहना करने लगे।
28:18अरे ये कोई साधारण बंदर नहीं था भाईया।
28:21देवता था देवता, हरी राम का सच्चा साथी।
28:27हाँ भाईया, इसमें अपने जान दे दे और हम सब को बचा लिया।
28:31बहुत अच्छा बंदर था।
28:35कुछ दिनों बात हरी राम ने नम आखों से गोलू की याद में उसी खेत में एक पोधा लगाया।
28:43जो आगे जाकर बना साथी व्रेक्ष।
28:47गोलू, तेरे बिना सब अधूरा लगेगा, लेकिन तु मिटा नहीं, तु हर उस फसल में है, जो इस धरती से उगेगी।
28:57कभी-कभी सच्चा साथी इंसान नहीं होता, वो एक जानवर हो सकता है, जो बिना शर्थ प्रेम करे, रक्षा करे, और अगर जरूरत पड़े, तो जीवन भी दे दे।
29:12झाल

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