00:00जिस ठिरी ने इस पर प्रहार किया था वो है दासी पल्लवी
00:13अत्यंत कुरूर लगती है इसके पिता अरविन पर छूरी से प्रहार किया है
00:19और पिचारा अब अपने पेरों पर खड़ा भी नहीं हो सकता
00:22और इसकी माँ बिलग बिलग के रो नहीं थी
00:26अच्छे के पिछड़ने के विलाप में
00:29बीती रात्री फिर से इसके अपरण का प्रयास किया गया
00:33है और उसके पहले रात्री भी उसी दासी ने इसके अपरण का प्रयास किया होगा
00:40उसकी दिश्टी निरंतर इस पर बनी हुई है
00:43पिर तो वो घात लगा कर बैठी होगी
00:49दुबारा आएगी, देख ले न
00:51फिर तो मेरी समझ में दिया रहा वो ऐसा कर क्यो रही
00:54संभवता धन के लिए
00:55उसके माताफिता का भी यह कहना था
00:57लेकिन उसकी और से कोई मांग वांग तो हुई नहीं है
01:00बच्चा अभी उसके हाथ नहीं लगा न तो मांग कैसे करेगी
01:03और इसी कारण वो और भी उग्र हो गई है
01:06क्योंकि वो किसी भी परस्थिती में बच्चे तक पहुँचना चाहती है
01:08यह तो भागवान की कृपा है कि बच्चा तुमारे ही दौर पर आया
01:11संसार में भाती-भाती के मनुश्य होते हैं लक्षमन
01:15दुर्बल असाय की साहता के लिए इश्वर किसी ना किसी को भेजी देता है
01:19और समवता ये बच्चा स्वय में उस दासी के पंजे से छूट का मेरे दौर तक पहुँच गया हो
01:24घटनाओ का करम जैसा भी रह
01:25इस पात में तो कोई उलजन नहीं है कि बोलो कि इसके माता-पिता है
01:30माता-पिता को सूचित कर दे कि बच्चा मिल किया है
01:35हाँ अवश्य शुब कारे में विलम कैसा ऐसे भी जब से ये जीवन में आया है सब को चुलट-पलट हो गया है
01:40और हाँ इस वीज कोटवाल महुदे से कहना कि उस दासी को ढूंडे वो अवश्य आसपासी होगी और इस पर द्रिष्टी बनाए रखे होगी तेखो कैसे खाना है
01:53कि एंग लाल टमाटर एक खुशकरी से जाओ आओ बहुत ही श्यखर तो मारे पाथ तुम्हारे तुम्हारे साथ हो गया कि अग फटरी अण परेव उजे क्यों बार्रा है
02:07हुआ है है अजीब बात है वह यह मार रहा है इस हरे तुम से खितनी बार कहा है ना इस चील से दूर रहो है यह तुम पर भी वार कर सकता है
02:27कि अच्छा को तुम्हे क्या हुआ है मैंने ना उप्सकोरा थे ना ने टामाटर को उस चेल को भोजन के लाटने देखर यह दूरों मित्रों हो सकते हैं
02:40किए बात कर रहे हो लक्षवन्ट?
02:43वह निए अप्ञाइखे हैं
02:46तो तो देखो किसे मुष्कुराए है
02:49तो मेरी बातों पर इश्वास नहीं होता है और एक झाल ठावानितर कर देखे
02:53अपने मित्र को खिलाूगे?
02:54खिला?
02:57हाँ
03:00है?
03:01वाँ
03:02अधुद
03:03आप दूब स्कार्थ ये है कि चील ने तुम पर आक्रमन इस ले किया क्योंकि ये तुम पर प्रोधित हो रहा था और उस दिन भी जो वेट इसका पहरन करने आया था ये चील उस पर आक्रमन कर रहा था मुझ पर नहीं
03:19क्या मुचिबत है? हट! हट!
03:23वो इसे उस राक्षा से बचाने का प्रयास कर रहा था
03:27वे जिन तो इसके प्रती पूर्णता समर्पित है
03:30यह होती है, दोस्ती
03:33क्या बाग?
03:35लालतामाटर
03:37यह तुम्हारा मित्र है, है ना?
03:40कैसे हुई यह अदूत मित्रता?
03:42मैंने एक दिन दिखा
03:44वीचारा बहुत प्यासा लग रहा है
04:03तब से ही मेरा सबसे अच्छा मित्र बन गया
04:07अच्छा, अभी तो दरबार जाने का समय हो गया है
04:10अपने मित्र से कहो हम फिर मिलेंगे
04:12अभी महाराज से मिल्ला है, हाँ?
04:14हम भी मित्र है
04:16तुम कोत्वाल मोदै से मिलो
04:19तब तक मैं जाकर महाराज से मिलता हूँ
04:21हाँ, आउटमाटर
04:25एक इस्त्री और एक हत्यारन में
04:28भेद करना नी आता तुम्हे
04:30अरे मूर्खो, उस इस्त्री ने धर्मशाला में किसी व्यक्ति की हत्या की थी
04:35और यही इस्त्री वारा सेक बालक का अपरन करके विजयनगर आई थी
04:40और वही बालक, पंडित्रामाकृष्णा के ग्रह में है
04:44छोटा वाला
04:45एए बधि
04:49अब कैसे सामना करेंगे पंडित्रामाकृष्णा का
04:52हमने सूचा था उसकी दुर्गती के देंगे
04:56उटा हो गया
04:58हमारी दुर्गती होरी है, हमारा उपहास उडाया जाएगा
05:00लोग हमें मुर्ख कहेंगे, अब लोगों को क्या पता कि हमारे पास ऐसे, प्रतिवाशाली, महान, उज्वल शिष्षे, जो है, मुर्ख, प्रणाम गुरूर, प्रणाम, प्रणाम, कितना सुंदर बालक, क्या बात है, आप तो मुस्कुरा रहे हैं, और आपकी इस मदूर मु
05:30प्रणाम के पीछे हमेशा कोई ना कोई कारण अवश्य होता है, अब मैं बढ़ा आतूर हो रहा हूं उस कारण को जानने के लिए, तो क्रिपया मेरी जिग्यासा शांत करें, नहीं, क्या बात कर रहे हैं, पंधी द्रामा, हमने तो सदैव आपके प्रति, कुमल भामला रख
06:00अनुभवी है, इस राज्ये के राजगुरु है, मैं सदैव आपका सम्मान करता हूँ, इसलिए जूट बोलना आपको शोभा नहीं देता, खृपया करके तज बताई दीजिए, हमने सुना है, मात्र सुना है, सुना ही है, कि किसी इस्त्री ने इस बालक को चुराने का प्र
06:30जा रहा है, बात मट्टाली गुरुवर, निसंकोच होकर बताईए, हम क्रमा प्रार्थी हैं, पंडित रामा, किसलिए, लजजित तो हम हैं, हम हैं, पंडित रामा, पत्यां थी लजजित है, अन्भिग्यता में किसी हत्यारेन को अपने घर में शरन देती हमने, वो हत्यारे
07:00कल रात्री हमारे निवास परती, क्या, किंतु कैसे, ये संभाव कैसे हुआ, इनकी मुरख्ता के खारे, उसे अबला समझ कर हमारे पास लिया आए, और रात्यो जानती ही हमारा हिल्दे कितना कोमल है, पिगल गया, और रमने उस इस्त्री को आश्रे दे दिया, अच्छा, त
07:30किने ही क्या, यही सत्य है, है ना, आपने ये सब मुझे फसाने के लिए ही किया, क्यों?
07:37आप अनुभवी हैं, गुरुवर, किन्तो फिर भी आपको एक ज्यान देना चाहूंगा, जो दूसरों के लिए गड़्धा खोड़ता है न, वो एक दिन स्वैम उसमें गिरता है, हाँ, गिरता है, गिरता है उसी खड़े में गिरता है
07:55प्रते दिन इस बालक को सभा में लाएंगे?
08:05अब क्या बताओ महाराज, मेरे जीवन में कैसा भूचाल चल रहा है, घर में इतना तनाव है मानो, मानो सर पे किसी ने सौमन बोज रग दिया हूँ, अब तो शार्दा को भी यह लगता है, कि यह मेरा पुत्र है
08:16फुपरसेव, इस बालक को संभालना इतना कठिन है, पूछे गुरुवर से, इन्होंने तो इसकी यातनाए भी जेली है
08:29गुरुवर, आप भी
08:33जी महाराज
08:42तनिक विस्तार से बताइए गुरुवर
08:45हाँ गुरुवर, ठुपया करके विस्तार से बताईए
08:49महाराज, ये जो बालक है, ये प्रड़े है, प्रड़े
08:54अच्चर्य है, आप सब मिलकर एक छोटे से बालक को समालने पाए
09:02महाराज, आप संकट को नियोता दे रहे हैं
09:12गुरुवर, आप भूल रहे हैं कि हम इस नगर के समराथ हैं, हमें इस अंकट में डाल सके ऐसा तत्वा भी तक शुष्टी में नहीं पनाव
09:22विनाश काले विपरीत बुद्धी
09:30अब आगे आगे देखी होता है क्या
09:34यह मैं इच्छी छू सकते हूँ
09:36बड़ा श्रिष्टाचारी इभालक है
09:41चू सकते हूँ, मगर ध्यान पूरुवक
09:46कुछ खाना है, गन्ना हाऊँगे
09:56बच्चे के लिए गन्ना मंगवाया जाए
09:59जाओ, चुनलो
10:04यह वाला खाऊंगा
10:12बच्चे को यह गन्ना काटके तो
10:13लक्षमाची, पूरा बाजार चाहन मारा
10:19किसी को अस्त्री के बारे में कुछ नहीं पता हूँ
10:21कुछ जान पड़ती है
10:24वो तो जमीन बार के ग्रेटी की हालत देख पर ही पता चल रहा था
10:27बुरी तर से गायल किया था उस्त्री के एक और प्रैस करें
10:32प्रणाम सरकार
10:37मद है या क्या आपने पूरे बाजार में कोई असी स्त्री देखी हो जो
10:42विजयनेगर की नहीं लगती है
10:43कोई नया चेरा
10:45जी हाँ पिछले दो दिनों से एक स्त्री आती तो है
10:48चुपचाप भोजन करती है और फिर बिना कुछ कहे चली जाती है
10:51लगबक कित समय आती होगी
10:53इसी समय आती है बस आने ही वाली होगी
10:56क्या हुआ बालक
11:10यह काटके नहीं चाहिए गना
11:12बालक तो यह तब बताना चाहिए था जब हमने काटने का अदेश दिया था
11:17कोई बात नहीं यह पूरा ले लो
11:20अब क्या कठने आई है
11:26झाली मुझे वही वहला जोड के चाहिए
11:30पर यह संभव नहीं है
11:36इतने सारे तो है कोई और चुन लो
11:40करे बात सुनो हम विजयनगर के सम्राथ है तुम्हें हमारे आदेश का पालन करना होगा
11:52चलो दूसरा कोई गंऩा कुआ चुन लो
11:56अम्हाराच है हम अपना ना अपना सर लाल करवाच
12:03सरलाल करवाज केमाराइज जब हम नहीं समल सके तो आप
12:12कि पंडित रामकृष्णा इसे अविलम यहां से ले जाईए और सभा में आने की भी कोई आवशक्ता नहीं है जितने दिन का आउकास चाहिए ले लीजिए पर तो इस संकट को यहां से लिखर जाहिए
12:27चिंता की कोई बात नहीं है महाराज शीग्र ही सभी संकटों का निवारण हो जाएगा हमने इसके माता-पिता को ढूंड कर उन्हें सूछना भिजवा दी है प्रभू की कृपा है कि यह बालक शीग्र अपनी माता-पिता के पास लौड जाएगा पढ़ित रामकृष्णा इस
12:57पंडित रामकृष्णा यह हमारे पडोसी राज्य का विशय है कभी-कभी एक छोटी सी बाद भी एक आदर्श राजनीती का रूप ले लेगती है हमें सतर करहने की आवशक्ता है तो जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता और वो हत्यार अंस्त्री जिसने इस बालक का आप
13:27विव्यक्ति को भी कड़े से कड़ा तंड मिलेका
13:30हुआ हुआ है हुआ है है हुआ है है है है है है ने देश अनुसार कपड़ा गिरा दिया गया है अर्थात यहीं वस्त्री है
14:00दोसे
14:30इस आई शॉकाष भी जैसे हमें देखा निकल दिया उचिए इसर जा जा रहा चाहिए चल चली
14:52कि यह का आई भोकी इस काम करते हैं अलग अलग दिशाहां में जाता है आप इस से रफ जाए जाए नहीं जाता हूँ
15:00कब से तुझे ढूंड रहा था अब तू मिल गई है वच्चा भी मिल ही चाएगा
15:30है अब पोत्र कहा है मेरी मृत्यू के पस्चाद भी वो तुमें नहीं मिलेगा है है है है है है तो लोग हमें बच्चा देने के लिए तैयार हो चुके हैं पर तुम्हें क्या लगता था
15:59कि तुम हमसे बच्चे को छीन लोगी
16:02नहीं, बिलकुल नहीं
16:05अब तुम इस बच्चे की रक्षा नहीं कर पाओगी
16:08कैसे पिता हो
16:14एक पिता अपने पुत्र का वद कैसे कर सकता है
16:19कोई राक्षिस भी ऐसा नहीं करता
16:21क्या खा तुम्हें?
16:24बहुत जुबान चल रही है तुम्हारी
16:25भालत के दालाजी के मरनो प्रांथ
16:30तुमने जट से अपनी प्रियसी से दूसरी शाधी कर ली
16:33एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा
16:36किंतु यदि मेरे पुत्र को तुम दोनों ने हाथ भी लगाया
16:42तुम्हें तुम दोनों को नहीं छोड़ोगी शान्थ एक शब दोर नहीं जाओ कमरे में बंद कर दो
16:50इसकी आग्या का पालंद कर रहे हो असली माल की मैं हूँ ले जाओ इसे
16:57इसमें लिखा है कि इजो बालक है वो विजयवाडा के एक दंपति का है
17:08जिसके दासी बल्लवी ने उसे अगवा करने की कोशिश की
17:13मैं सिर्फ इतनी सूचना देने आया था आपको
17:17आज उसे उसके माबाब से मिलाने ले जा रहे हैं
17:20पंडित रामा का उस बच्चे के साथ कोई रिष्टा नहीं
17:25रामा कहा है
17:31रामा हमसे बहुत बढ़ी भूल हो गए शमा कर दो
17:39आप हमसे क्रोधित है ना होना ही चाहिए
17:44हमने आपको घर से बाहर निकाल दिया इसके लिए आपको हमें दंद देना चाहिए
17:48बताएए हमें क्या दंद देंगे ताकि हम अपने पाप का प्राइश्चित कर सके
17:51शार्दा शार्दा शार्दा शार्दा शार्दा मैं तुमसे कभी क्रोधित नहीं हो सकता कभी नहीं कभी नहीं कभी नहीं
18:00कभी नहीं
18:03है फ्रामा कर दीचे तुम्हें मुझसे ख्रामा मनगने के रवशकता नहीं है तो हां
18:10इससे मागने जाए अपने क्रोध में तुम नहीं भी घर से निकाल दिया
18:18है हम एक्षामा कर दो हम हम तुम्हारे लिए अच्छे-च्छे स्वाधिश्क पक्वान बनाघर फिलाएं
18:27किन तू मैं तो रामा के साथ अपनी माँ के पास मिलने जा रहा हूं
18:33इसका सामान बांदो हमें निकलना है
18:40मुझे नहीं जाना
18:48आप मिलने आओगी ना
18:57मेरी अम्मा भी मुझसे भी जड़ते वक्ते इस तरा ही रोठी
19:19हम एक शमा कर दीजे आप पर आरोप लगाने में हम इतने व्यस्त हो गए
19:24कि हमने देखा ही नहीं कि बच्चा कितनी संकट में था और उस रात्री वो दोश्त्री घर में आई उसे चुराने के लिए
19:33पर हमारे कारण आप उसे पकड़ भी नहीं पाए हम पराम उल्लू है तुम उल्लू होती न तो अंदकार में इस पश्चरूप से देख पाती तुम उल्लू भी नहीं हो
19:45जो हुआ उसे बूंजाए हम हम बच्चे के बिना घर सुना लगेगा बच्चा तो पराया यह हमा एक नाएक दिन तो उसे अपने घर जाना था ना महकाली इसे हर अमंगल दृष्टी से बचाए
20:15यह तो अप्शा कुन है निनी शार्दा यह इसका परम मित्र है मित्र है हाँ अध्भुत मित्रता है इनकी इस बालक पर कोई कुंगली तो उठा दे यह तकाल इसकी रक्षा के लिए प्रकट हो जाता है सब माकाली की माया है आज तक हमने चील की अमंगल दृष्टी के बार
20:45इतने दिनों से हमारे साथ रह रहा है ना स्वाभाविक है लगाओ तो हुई जाता है यह जाता है यह जो जल्दी जल्दी चलेंगे
20:57लजाने मन क्यों विचलित हो रहा है कहीं तो कुछ अस्तामान्या है कहीं कुछ अमंगल तो नहीं होने वाला
21:27अजो बिटा अजो बिटा अजो बिटा लुकिए छोडिये इसे देखिए मैं इसे अपने साथ लेकर जा रहा हूं कुछ दिन मेरे साथ ही रहेगा यह माराज हाज एक मा की ममता की परिक्षा है जह एक आसाय माता-पिता को अपनी ही ओलाद से वंचित कर दिया गया है मारा�
21:57जनली हूँ पड़ितरामकृष्णा वालों की वास्तविक मा कॉन है इस बात को कैसे परमानित करेंगा