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उतर प्रदेश में इस समय आस्था और धर्म इस कदर हावी है की उसके आगे कुछ भी नहीं दिख रहा है...अगर आपको यकीन न आए तो कांवर यात्रा को देख लीजिए...जिन्हें कानून व्यवस्था, और पुलिस प्रशासन का बिल्कुल डर नहीं है...वो कुछ भी कर दे, किसी को मार दे, सब माफ है...लेकिन अगर कोई इस कांवर यात्रा पर कविता तक कह दे तो उसकी खैर नहीं...अगर आपको हमारी बातों पर यकीन न आए तो उत्तर प्रदेश के बरेली में कांवड़ यात्रा पर कविता पढ़ने वाले टीचर रजनीश गंगवार को ही देख लीजिए...जिन्होंने बच्चों को समझाने के लिए एक कविता पढी जो शोसल मीडिया में वायरल हो गई...और अब यही कविता मुशीबत की वजह हो गई...क्योंकि इसकी वजह से शिक्षक महोदय पर एफआईआर जो हो गई है...हलांकी एफआईआर दर्ज होने के बाद टीचर रजनीश गंगवार की सफाई भी आ गई है...जिसमें उन्हों ने इस बात का खुलासा किया है की उन्हों ने ये कविता क्यों कही...लेकिन इससे पहले की हम आपको रजनीश जी की सफाई सुनाए...जरा वो कविता सुन लेते हैं जिसे सुनकर कुछ लोगों को इस कदर बुरा लगा की उन्हों ने इस टीचर के उपरा एफआई आर तक करा डाली

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00:00उत्रप्रदेश में इस समय आस्था और धर्म इसकदर हावी हैं कि उसकी आगे कुछ भी नहीं दिख रहा है।
00:05अगर आपको यकीन ना आए तो कामवर यात्रा को ही देख लीजिए।
00:09जिनें कानून ब्यवस्था और पुलिस प्रसासन का बिलकुल डर नहीं है।
00:13वो कुछ भी कर दें, किसी को मार दें, सब माफ है।
00:16लेकिन अगर कोई इस कामवर यात्रा पर कविता तक कह दे तो उसकी खैर नहीं।
00:20अगर आपको हमारी बातों पर यकीन ना आए, तो उत्रप्रदेश के बरेली में कामवर यात्रा पर कविता पढ़ने वाले टीचर रजनीस गंगवार को ही देख लीजिए।
00:28जिन्होंने बच्चों को समझाने के लिए एक कविता पढ़ी जो सोचल मीडिया पर वाइरल हो गई।
00:33और अब यही कविता उनके लिए मुसीबत की वज़ा बन गई है।
00:36क्योंकि इस कविता की वज़ा से सिख्षक मोहदे पर F.I.R. दर्ज हो गई है।
00:40हलाकि F.I.R. दर्ज होने के बाद टीचर रजनीश गंगवार की सफाई भी आ गई है।
00:44जिसमें उन्होंने इस बात का खुलासा किया है कि उन्होंने कविता क्यों कही और किसके लिए कही।
00:49लेकिन इससे पहले कि हम आपको रजनीश जी की सफाई सुनाएं।
00:53जरा वो कविता सुन लेते हैं जिसे सुनकर कुछनों को इस कदर बुरा लगा कि उन्होंने टीचर पर F.I.R. तक करा डाली।
01:23उसका धूद पियो तुम।
01:25शिच्छा है जग जग की जननी उसका धूद पियो तुम।
01:30सत कर्मों का रैस वड़ा है उसका रूप गुलो तुम।
01:35सत याचरन प्रेम परोपकार हैं सब जीवन के साथी।
01:40ज्यान बिवेक का दीप जलाओ है यही तुम्हारी थाती।
01:45दूरत बहुत है कपट पिरपंची उनका जाल समझना।
01:50मन का मेल ज्यान से दोकर सुई का महत समझना।
01:55मानवता की सेवा करिके सच्चे मानव बन जाना।
02:00कावल लेने मत जाना तुम ज्यान का दीप जलाना।
02:10राज नीतियव दर्म नीतियव पुझी बादियों गहे
02:16जंता की है धर्म अपी में से बोराया जगहे
02:21अंधी आस्ता मित्या डंबर है इसको मर भगाना।
02:27ज्यान बोद की चोत जगह कर खुद दीपक बन जाना।
02:31फाई आर दर्ज होने के बाद टीचर ने तिखी प्रस्तिया दी है।
02:34उन्हें कहा कि ये कविता छोटे बच्चों के लिए थी।
02:37साथ उन्हें अभी कहा कि इस पूरी कविता में उन्हें बड़ों के लिए कुछ भी नहीं कहा है।
02:55कहीं जो है आपस मार पीठ हो जा रही है। कहीं जो है कावडिया नसे में हैं तो कहीं और भी दूर्गर्ण।
03:00उनसे बचाना था और मेरा उद्यस कोई दूसरा नहीं था बल्कि पूरी कविता को आप सुनें उसमें विचाज में सिष्चा को महत्त को बताया गया है।
03:07अध्यापक हूँ और जो हिंदू संगठन की भाबनाय मुझसे आहत हुई है।
03:21तो मैं उनसे यह भी बात पूछना चाहूँगा कि आप अपने मंतरी जो राजभर जी हैं उन पे कब मुकदमा दज कराएंगे।
03:27उन्हों ने तो कावण के लिए काहा है कि जो है इसे को इंजीनियर और दज नहीं बन सकता है।
03:32उन्हों भी तो जो कावण के बारे खुला मंच से कहा है।
03:36उन पे भी तो दज कराएंगे।
03:37मैं शिच्चों को मेरे उपर मुकदमा दज करा दिया गया है।
03:40लड़ना है तो डूर बराबर का आदमी रस्ता रोके खड़ा है क्यों फकीर का?
03:44फिल आगले बस इतना ही बाकी अप्रेटली बने रहे हैं बने इडिया हंदी के साथ

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