- 7/16/2025
Part- 05 मानव भूगोल (प्रकृति एवं विषय क्षेत्र) (GEO--मानव भूगोल के मूल सिद्धांत--1--मानव भूगोल के मूल सिद्धांत )
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00:00सब्सक्राइब विद्यार के नमस्कार, रमराम, राजरादे, दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं मानब गोल के पार्ट चार में, अभी तक हमने मानब गोल के सिधानतों के बारे में बात कि दो सिधानत हमने देख लिये हैं, एक पनिश्चवाद और एक संभववाद, और य
00:30संभववाद यह नम निश्चवाद, तो दो विचार धरों पर बात की है, आज यह चार्चा प्रारम करते हैं, मानब गोल पार्ट चार है आज मारा, मानब गोल पार्ट चार पर हम चार्चा करने जा रहे हैं, मानब गोल पार्ट चार, तो ध्यान रखिए दोस्तों किसके �
01:00तो आज हम बात करने वाले हैं दोस्तों नव निश्चे वाद के बारे में
01:03किसके बारे में नव निश्चे वाद के बारे में बात करने वाले हैं
01:18यह नव निश्चे वाद है क्या इसके बारे में अच्छे लुक्षे देखना है
01:21तो हम कहेंगे दोस्तों मानव भुगोल में जहान एक हम कहेंगे कि दोस्तों जो मानव भुगोल है इसमें निश्चेवाद और संभवबाद जो दो विचारद है उनके मज्य मारग की जो विचारद हरा है जानि कि निश्चेवाद में तो क्या बोला गया था निश्चेवाद
01:51जो नव निश्चेवाद उसमें दोनों को मायत हो दिया गया और इसमें मध्य मारग को अपनाया गया है
02:01तो आप सभी को ध्यारकना है कि मानव भगोल में निश्चेवाद और संभववाद की विचारधारा की मध्य के मारग को नव निश्चेवाद कहा गया है
02:11और यह जो विचार धारा है दोस्तो इसके जनक कौन है ऊस्टेलिया के गुगोळ वेता हूँ है जिनका नाम है ग्रीफित टेलर उन्हें इस विचार धारा का जनक बाना जाता है
02:19तो ये देखते हैं सबसे पहले हम लिखेंगे दोस्तों मानो भूगोल में निश्चेवाद मानो भूगोल में
02:36मानो भूगोल में निश्चेवाद मानो भूगोल में निश्चेवाद मानो भूगोल में संभववद विचार दोकी
02:57मानव गोल में निश्चवाद वे संभावाद विचार दहरा कि मध्य के मारग को
03:05मध्य के मारग को
03:10मध्य के मारग को
03:13मध्य मारग की विचार दहरा को
03:18मानव गोल में निश्चवाद संभावाद विचार दहरा कि
03:20मध्य मारग की विचार दहरा कि
03:25विचार धारा को नव निश्चेवाद कहा गया है क्या कहा गया है नव निश्चेवाद कहा गया है यह बात आप सभी पर यहां पर जहां रखनें नव निश्चेवाद कहा गया है
03:49अब आपके सामनी परसन बनता है तो दोस्तों ये नव निश्चेवाद है इसके जनक कौन है तो हम कहेंगे जो नव निश्चेवाद है दोस्तों कौन है नव निश्चेवाद तो ध्यान कि नव निश्चेवाद है विचार धरा के नव निश्चेवाद विचार धरा के जनक �
04:19नव निश्चेबाद विचार धरा की जनक ऐस्टेलिया की भुगोलवेता उस्टेलिया की भुगोलवेता ग्रिफित टेलर को माना गया है
04:37तो गोर से सुने इसे जैसे कि निश्चेवाद विचारधरा में क्या था निश्चेवाद विचारधरा जैसे कि आप सभी जानते हैं उसमें प्रकर्ति पर जोड़ दिया गया था
05:07प्रियावलन पर जोड धैंगा था बी सब कुछी है मानव इसका डास है जैसे ये कहेगा मानव ऐसा ही करेगा मानव इसकी पूजा करता है मौह सारी चीजे बताएगी थी इसमें प्रकरती के कियाश दिया गाथ लेकिन जैसे संभावाद विचार धारा THERE है तो संभावाद वि
05:37जह समीघा थी दोस्तों जो मानव है और प्रकमरती दोनों एक समान है दोनों यह एक दूसरे को किरते के इस
05:46इसमें यह को ला गया है तो यानि की डोनों विचारदहराओं के मध्यमारग की जो विचारदहराें इसे नव
05:51विचार धराक आ गया है और इसको देने वाले जो गोल वेता थे इस विचार धरा के जो जनक है वो कॉन है ग्रिफिट टेलर है जो कहा के है ऊस्ट्रेलिया के है तो नोट कर लीजिएगा फिर हम आगे बढ़ते हैं हमने यहां पर इसके बारे में देखा है बिल्कुल तो आप
06:21आनके दोस्तो ये किस नवच्छेवाद की वीचारधर गारे बारे
06:42विचार धरा अगर हम बात करीं दोस्तों
06:44तो इसका विज्ञानिक दरिष् billion पर अधारित है
06:46नवनिश्यवाद विचार धरा विज्ञानिक
06:48दरिष्टी कौण पर अधारित थी
06:50इसमें ध्यान अके जिसमें प्रकर्ती
06:52के नियंत्रण की नहीं
06:54बलकि प्रकर्ति के प्रभाव की व्याख्या की गई है, सबसे पहली बात आप सभी को ध्यान रखना है, इसलिए दोस्तों ग्रीफिट टेलर ने नव निश्चेवाद को ध्यान रखना के रुको और जाओ नियतिवाद भी कहा है, इसलिए इसलिए रुको और जाओ नियतिवा
07:24दोस्तो नव निश्चेवाद विचारधारा विज्चेवाद विचारधारा विज्चेवाद विचारधारा विज्चेवाद विज्चेवाद विचारधारा विज्चेवाद विज्चेवाद विज्चेवाद विज्चेवाद विज्चेवाद विज्चेवाद विज्चे�
07:54प्रकृति के नियंत्रण की नहीं बल्कि प्रकृति के बल्कि प्रकृति के प्रभाव की व्याठ्या की गई
08:24प्रभाव की व्याख्या की गई है बलकि प्रकृती मृख्या
08:36की गई है कि न्म दिश्चेवाद भिजार निजञ boundary देश्टपोण प्र अधारित इसमें प्रकृति की नहनुटर नंगी बलगी प्रकृति की प्रवाव यहनी
08:43यह थीज कारण आप इसी कारण ग्रीफित टेयलर ने इसे कारण ग्रीफित टेलर ने
09:13जनाव निश्चेवाद को रुको और जाओ निश्चेवाद या नियतिवाद
09:21रुको और जाओ नियतिवाद तथा वेग्यानिक
09:41नियतिवाद की संग्यादी है वेग्यानिक नियतिवाद
09:47निश्चेवाद नियतिवाद एक बात होती है नियतिवाद की संग्यादी है
09:54तो यह लिजए विज्ट्राइब द्यानका था इसने प्रकृति के नियंतान की नहीं बलकि प्रकृति के
10:09प्रभाव की बैक्षा की गई, इसीं कारण năm गिर्फिक टेलर
10:11ने, नव निश्चेवाद को किसका दुरिष्टि कॉन
10:12दिया गया तूँ हो आप सभी को चिरुक से ध्यानक ना है
10:15इसमें आगर और बात करें दोस्तों आप सभी
10:17प्रकृति मानव को अनेक अवसर परदान करती है यानि मानव के सामने बहुत सारे अवसर परदान करती है
10:44और मानव उन अवसरों का चेहन करने के लिए बिल्कुल सब्तंतर है इसी करण नव निश्चेबाद को दोस्तों क्या कहा गया है
10:51तो इसी लिए नव निश्चेबाद को करनाड़ा के एक गोल वेता हुए जिनका नाम है जोर्ज तैथम उन्होंने इसे विवारिक संभवाद की संगया भी दे दी
11:01प्रकर्थी मानव के समख्ष भूस और रख रही ने वानव उनका चेहन करे निया नय करे इसके लिए मानव सब्तंतर है और इसी लिए और किराटा के दोस्तों
11:12तो जोर्ज टैथम नाम की जो विगयनिक थे उन्होंने इसे व्यवारिक संभव वाद की संग्यादी थी ये बात आप सभी को चिरूप से ध्यानकनी इसी में लिख देता हूँ ये पॉइंट दोस्तों बिल्कुल सरल सा ही ये पॉइंट तो आए ध्यान से सुनेंगी हम तो य
11:42विचार धारा के अनुसार नव निश्चेवाद विचार धारा के अनुसार प्रकरती मानव के समक्ष प्रकरती
12:12अनेक अफसर प्रदान करती है
12:17मानव इन अफसरों का चैन करने में सबतंतर है
12:42मानव इन अफसरों का चैन करने में क्या हम कहेंगे दोस्तों मानव इन अफसरों का
12:47मानव इन अफसरों के चैन के लिए सबतंतर है
12:53के चैन के लिए सबतंतर है
12:59इसी लिए
13:08कनाड़ा के भूगोल वेता
13:19जोर्ज टैथम
13:30क्या नाम था जोर्ज टैथम ने
13:35इसे विवारिक संभवाद की संग्या दिया इसे
13:42व्यवहारिक संभववाद की संग्यादी
13:51तो यह भी आप सभी को यहां पर ध्यान अखना
14:03तो यह लिजिए दोस्तों हमने जोर्ज टैथम ने नम निश्चेवाद को किस की संग्यादी है
14:09उसके बारे में भी यहां पर हमने बात की
14:11तो यह बात बड़ी सरल सी थी, आप सभी ने यहां पर नोट किया होगा इसे, उसे नोट कलीश फिर आगे बढ़ते हैं, ठीक है, अब आगे बढ़ें दोस्तों, अब नव निश्चयवाद विचारधरा में आपने क्या देखा, एक चीज दुबारा देखेगा, एक पॉइं�
14:41निश्चयवाद कहा गया, इसके जनक कोन है उस्टेलिया की भूगलवेता, दोस्तों, यहां पर लेका ग्रिफिट टेलर है, फिर हमने देखा है, नव निश्चयवाद विचारधरा विग्यानिक दिष्टिकोन प्रधारित थी, इसमें प्रकृति के नियंतरन की नहीं, बल
15:11किसके संग्यादी है, व्यवारी का संभव वाद की संग्यादी है, इसके बाद आप देख सकते हैं, यहां पर हम बात करने वाले हैं, दोस्तों, कि नव निश्चयवाद के अनुसार, मानव प्रकृति दोरा निर्धारित, ध्यान की मानव प्रकृति दोरा निर्धारित, न
15:41निश्चेवाद विचार धरा के अनुसार मानव ध्यार के मानव प्रकृति के नियमों को समझ कर
16:10ज्यान अक्येगा प्रकृति के नियमों को समझ कर अपने तक्निकी ज्यान, अपने तक्निकी ज्यान, कोशल वे शमत्ता के अनुसार
16:40उनका उप्योग कर अनुसार, उनका उप्योग कर अनुसार, अपने तक्निकी ज्यान, कोशल वे शमत्ता के अनुसार, उनका उप्योग कर, उन पर विजय प्राप्त की हैं,
17:02विजय प्राफ्ट की है है हम ध्यान आखिंगे उनका उपयोग कर दोस्तों हम कहेंगे प्रकृति पर विजय प्राफ्ट की है
17:26यह भी आप सभी को ध्यान अखना है तो नोट कर लीजेगा इसे भी हमने यहां पर देखा है कि नव निश्चेवाद विचार धरा कि उन्सार मानो प्रकृति की निमों को समझता है और फिर अपनी ज्यान कि द्वारा दोस्तों क्या करता है उनका उप्योग दे करता है और बा
17:56इसके भाए में निश्चावाद विचार धरां कि विशेस्तां कि परिमया यह देखते हैं मैं एक निश्चावाद विचार धरा कि विशेस्ता इंड no निश्चेवाद
18:10नाव निश्चेवाद विचारद हरा की विशेशता है?
18:36की विशेशता है?
18:38अई ये देखते हैं क्या-क्या विशेशता है?
18:40तो सबसे पहली विशेशता क्या है?
18:43तो सबसे पहली विशेशता में हम बात करेंगी
18:45कि जो ये विचार दहरा है
18:47इसमें मानव और प्रकृति दोनों को समान महत्व दिया गया है
18:50सबसे पहली विशेशता ये है
18:51सबसे पहली विशेशता ये है
18:53इसमें ये कहा गया है
18:55कि जो मानव है और प्रकृती है
18:57इसने दोनों को समान महत्व जिया गया है
18:58समान दोस्तों दोनों को भ retailer मेर्थ पैसर ऐखना किया गया है
19:01तब यह बात आप सभी को चरुब से भिशान अथना पहली बात दें
19:05दूसरा हम कहेंगे दोस्तों जो नब निश्चेवाद है इसके उन सार प्रकृती मानौं को क्या करती है।
19:09दोस्तों बहुत सारे अलब्स परदान करती हैं।
19:11और मानौ प्रकृती को नुकसान पहुंचाहिए बीना इन अलब ले सकता है।
19:16ये बात बोलेगें।
19:17और मान लिजे यदि मानव प्रकृति को नुक्सान पहुंचाता है तो उसे विभिन प्रकार की आपदाउं का सामना करना पड़ेगा जैसे कि जिलवाई उपरिवर्दन का जैसे ओजोन शरन का जैसे अमली अवर्षया का आधी का सामना करना पड़ेगा तो आइए बात करते ह
19:47मानव वय प्रकृति को इस विचार द्हन में मानव वय प्रकृति को समान महत्व दिया गया है
20:10समान महत्व दिया गया, दो नमबर विचार धरा की बात करें तो हम कहेंगे, इस विचार धरा के अनुसार, इस विचार धरा के अनुसार, प्रकर्ती,
20:32इस विचार धरा के अनुसार, प्रकर्ती, इस विचार धरा के अनुसार, प्रकर्ती मानव को, इस विचार धरा के अनुसार, प्रकर्ती मानव को, अनेक अवसर परदान करती है,
20:54अनेक अवसर प्रदान करती है
21:04अनेक अवसर प्रदान करती है
21:08मानव प्रकृती को
21:16मानव प्रकृती को नुक्सान पहुंचाए बिना
21:21इन अवसरों का लाब उठा सकता है
21:39इन अवसरों का लाब उठा सकता है
21:46यह दो विशेष्था होगी
21:52यह कितने विशेष्था होगी
21:55दो विशेष्था होगी
21:55अभी हम तीसरे विशेष्था देखने वाले हैं
21:58वो जैसा कि मैंने बताए था
21:59यदि मानव प्रकृती को
22:15यदि मानो प्रकृति को नुक्सान पहुंचाता है, तो उसे विभिन प्रकार की प्रकृति कापदाओं का
22:45जैसे जलाईयो प्रिवर्तन प्रकृति कापदाओं का, जैसे जलाईयो प्रिवर्तन, और जोन शरन,
23:15मानो प्रकृति को नुक्सान पहुंचाता है, तो उसे विभिन प्रकार की प्रकृति कापदाओं का, सामना करना पड़ता है,
23:31करना पड़ता है, यह इसके विचेस था, इस विचार धर हमें इस पर्श रूप से बता देगा, और यह सत्य भी है आप जैसे की देख पा रहे हैं,
23:43वर्तमान में दोस्तों मानवन इसी बात रहे हैं, मानवन प्रकृति को नुक्सान तो पहुचाया है, यह बात आप जानते हैं, पेड़ पोदों की बहुत जादा कटाई की हज से ज्यादा जुखनीच है, प्रकृति किस दूसादनों का दोहन किया, और दोस्तों इसने बह�
24:13जैसा के भी चल रहा है, तो एक तरीके से देखा जाए, तो पेड़ों को काटा, ताप मन बढ़ा, तो मानवन इसे दोस्तों कंट्रोल करने के लिए, तकनिकी के अग्यान का सायोग लिए और इसे बगएरा मना दिये, अब इसे CFC निगल रही है, CFC और जोन को पतला कर रही
24:43जोन परतफा चरण होना, इसके रावाद दोस्तों, अमली अरशया, हमने क्या किया कर बहुत जदा जदा ज़्योगों की स्तापना की है, जिसके वज़े से वाई मुनने, बहुत सारे परदूशन के कारण गूम रही है, जब वर्शा होती है, दोस्तों, वह सारे परदूश
25:13ताज में ताज मिल कारण पहले से फिका पड़ता जा रहे कारण क्योंकि अमल यह वर्षा है तो यह आपको ध्यानक ना है तो यह हमने दोस्तों तीन विश्यस्ताइं देखिए एक बार इने नोट के लिए फिर दोस्तों आगे की विश्यस्ताइं पर चर्चा करते हैं
25:24अब अगला है दोस्तों अगले में तीन विश्यस्ताइं हमने देखिए अभी तक जो विश्यस्ताइं देखिए इन में देखिए सबसे पहले हमने आपर क्या बात की है कि दोनों को समान महत्त हो दिया गया सबसे पहले विश्यस्ता यह है दूसरे विश्यस्ता देखिए इसम
25:54कि अब अगली विशेस्ता आती है दोस्तों कि जो ये नव श्वाद ये निष्चेवाद और संभबाद डॉनों विचार धारों के मथ्य मारक की विचार धार हैं अगली विशेस्ता ये
26:04आप सभी को जहां धिया है। नव निश्य ओ्भाद विचारदहरा है। इस विचार
26:10धारदहरा के अंदर दोस्तों ध्हान ञखेगा। नोगव कर इस कि आ gli प्रकर्थ कि यह नाई ces
26:12समान रूप से शेक्षा की गई है यानि भीकाई बोले दोस्तों कि इसनें यह न लिखागी दोस्तों चिसमें यह खाह गया हमों कि
26:32इसमें तो आप गया है चाला गर्यरिक कि नहीं इसमें करते कि नियंटरन की इसमें कि
26:41नियंत्रन के नहीं बलकि प्रकृति के प्रभाव की व्याच्छा की गई है यानि प्रकृति नहीं करती जो इस प्रकृति को दोस्तों चेड़ चार करेगा उस पर क्या प्रभाव होगा उसकी व्याच्छा की गई है यानि प्रकृति के प्रकृति के प्रभाव की व्याच्छ
27:11यानिके समस्त मानविय करिया है, प्रकृति तथा मानव दोनों से प्रभावित है, समस्त मानविय करिया है, इन से कौन को प्रभावित है, प्रकृति भी प्रभावित है और मानव भी प्रभावित है, दोनों प्रभावित है, यह भी आप यहां पर इस विचार धरम देखें�
27:41तो ये दोस्तों, कॉन कोर किजेंगे इस Гर्फि टेलर में जाते हैं,
27:58जैसे आप जानते हैं हरबर्ट सन हैं, कोन है हरबर्ट सन हैं, जैसे कि दोस्तों कोन हैं, हम कहेंगे कारल सावर है, तो ये सारे आप सभी को चिरुप से ध्यानतने हैं, आइए बात करते हैं, हमने यहां परतीन विचार दहाएं देखी हैं, चार नमबर विचार दहा क्यों बा
28:28कि मिंश्चयवाद वे संभवाद वचार्थारा कि मत्ये मारक की विचारद हरा है
28:50हम ओलेंगे नो निश्चयवाद विचार्थारा।
28:51निश्चयवाद वे संभवाद कि
28:54कि मध्य मारग की विचार धरा है कि मध्य मारग की विचार धरा है यह आप सभी को ध्यारक ना है
29:13पांच नबर नव निश्च्यवाद में प्रकृती के नियंत्रण की नहीं बल्कि
29:37प्रकृती के नियंत्रण की नहीं बल्कि प्रकृती के प्रभाव की व्याख्या की गई है
29:49बल्कि प्रकृती के प्रभाव की व्याख्या की गई है
29:55प्रकृती के प्रभाव की व्याख्या की गई है
30:06तो ये भी आप सभी को ध्यान अखना है
30:10च्छे नंबर की हम बात करें दोस्तो
30:12तो हम कहेंगे दोस्तो इस विचार धरा में क्या क्या गया है
30:17इसमें कहा गया है दोस्तो कि नव निश्चेवाद में क्या का गया है
30:22तों आंगे, नव निश्चे वाद विचार्द हरा के नुसारे नव निश्चे वाद विचार्द हरा के नुसारे
30:36समस्त मानविय क्रियाओं से
30:47मानविये क्रियाओं से समस्त मानविये क्रियाओं से
30:58समस्त मानविये क्रियाओं से मानव वय प्रकर्ति दोनों प्रभावित होते हैं
31:11कि दोनों प्रभावी दर होते हैं तो यह लिजिए दोस्तों हमने यहां पर अच्छी रूप से इसके बारें बात की है अगला परसन बनता है इसके समर्थक कौन-कौन है इस विचार धारा किया यह बात करते हैं हम साथ हमर पर लिखेंगे
31:25नव निश्च्यवाद विचार धारा के नव निश्च्यवाद विचार धारा के
31:42समर्थक
31:47ग्रीफिद टेलर ग्रीफिद टेलर है जोर्जा टेथम है कौन है दोस्तों जोर्जा टेथम है
32:08हर्बर्ट सन है जैसे कि आप जानते हैं कौन है हर्बर्ट सन है हर्बर्ट सन है कार्ल सावर है कोन है दोस्तों कार्ल सावर आदित टेख और तो're थे � echoes
32:30वर्तमां में तो यह रहे नहीं है तो आप सब्सक्रागा कोई करे में हिद्यार ठा�bor यहांपर समर्थक रहे हैं by आ
32:38तो आप सभी ने इनको नोट कर लिया होगा अच्छे रूप से
32:49तो एक बार दोस्तों दुबारा देख लेते हैं अभी तक हमने नव निश्चेवाद के अंदर क्या पड़ा है
32:59अब देख सकते हैं दोस्तों नव निश्चेवाद में हमने मानो भुगोल में
33:03शौन है निश्चेवाद ऋ संभाववाद की जो मद्यमंद थराथ उसे नव कि नव निश्चेवाद के जनक उस्तेलिय की सिधा सिधा आसकता है
33:30इसलिए इसे रुपो और जाओ निती वाद या वगनिक नितीबाद की संगय दी एए यह संगयादी किसे ने विज़ प्रकृति मानव के समक्ष अनेक अवसर परदान करती है
33:44और मानमी नमस्तरों के चैन के लिए बिल्कुल सल्तंतर भी है इसलिए कनाड़ा की बहुल विता जोर जो टेथम ने इसे व्यवारिक संभबाद की संगया दी तो आप से पूछा जा सकता है व्यवारिक संभबाद की जो संगया किस ने दिया और वो कहां के रहने वाले थी
33:55नम निच्चे बाद विचार धार के अनुसार मानौ प्रकृति की नेमों को समझ कर अपने तक्निकी ज्यान कोशल वश्मता के अनुसार उनका उप्योग कर प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है अब इस विचार धार की विश्यस्ता देख सकते हैं दोनों को समान महत्त
34:25प्रकृति को नुक्सान बिना पहुंचा है इनका लाब ले सकता है अगर मानव ने इनको नुक्सान पहुंचा दिया तो दोस्तों बिलकुल मानव को बहुत सारी प्राकृति कापदाओं का सामना करना पड़ेगा जलवायू परिवर्तन ओ जों सरन और अमल ये वर्चा जैसी
34:55कोई भी मानव ये किरिया होगी किसी भी प्रकार की मानव ये किरिया वो अकेला प्रकृति को प्रभावित नहीं करेगी वो मानव को भी प्रभावित करेगी कारण अगर मानव ये किरिया के समस्त मानव ये जो भी किरिया है अगर उससे प्रकृति प्रकृति होगी प्रकृ
35:25कुलिक � parfait मेडिया है चिरुख से बात किया है इसके उपर कहा अब हम बात करने वाले है यह
35:31यह तो थी दोस्तो नव निश्च्यवाद विचार दरा तो तीनों विचार दराओं के बारे में हमने बात कि एक तो थी निश्च्यवाद
35:36आप जानते हैं ना चिरुक से निश्च्यवाद फिर हमने किस के बारे में बात की आप सब यह चिरुक से जानते हैं
35:43हमने उसके बाद बात जो की है फुर संभव बात की बारें बात और अब हमने बात की है नमनिस्चे बात दोस्तों अगर आपसे पूछा जाए तिनों के सुमेलित करके तीन वो गोलवेता दे दी जाए हो सकता आपके सामने इस परकार के परसंद आजाए जो तिनों विचार द
36:13निश्चेबाद विचारदारा की समर्था कौन-कौन थे आपको ध्यान हो तो ध्यान है आपको
36:17Frederick Redger, Humboldt, Karl Ritter, और आप जानते हैं LNC Center
36:23जैसे हम संभवबाद में आए तो संभवबाद विचारदारा की समर्था कौन-कौन रहे हैं
36:27Lucian Fembre, आपको याद आ रहे, Lucian Fembre
36:30इसके अलावा जैसे आपने जिन्स, प्रूंस के बारे में बात की
36:33बिल्कुल आप सभी जानते हैं
36:36और पॉल, विडालडी, लाबलाश, उनके बारे में भी आप जानते हैं
36:39ये संभवबाद विचारदारा की समर्था थे
36:40और नव निश्चे बाद विचारदारा की बात कर दो आप आप सकते हैं
36:44ग्रीफित टेलर हैं, जोर्ज टैथम भी है
36:47यहाँ पर आप देख पा रहे हैं दोस्तों और कौन-कौन है
36:49तो देख सकते हैं कार्ल सावर है
36:51और हरवर्ड सन है
36:52तो आप देख सकते हैं मैंने प्रते एक विचार धरा कि बारे में यहां पर आपके सामने समर्थक लिखें कौन किस किसने किसका समर्थन किया तो यह सारी बाते हैं अब दोस्तों मेरे हिसाब से आगे बढ़ें तो कोई दिक्त नहीं होगी
37:05तो यह तो हमने देखी जब हमने बात की थी सबसे पहले बुगोल के बारे में बात की अब तक हमने देखी क्या क्या पड़ा मानो बुगोल में सबसे पहले बुगोल की बात की मैंने का बुगोल जो बुगोल है उसका जनक कौन कहलाता है बुगोल के लिए हम जोगरोफी शब
37:35दोस्तों फ्रेटरिक रेटजेल ने कौन सी दिया से करकर कि हमने और देखा इसके रावा दोस्तों मानुब गोल जब पढ़ना प्रारम किया तो मैंने आप सभी को बताई कि मानुब गोल है इसके तीन प्रकार की विचारदा रहे हैं सबसे प्राचेंतम विचारदारा इसके �
38:05मैं भॉल के इतिहास के बारे में हम बात करेंगगा मानुब गोल का इतिहास
38:35मानव और जो justement किसके अध्यन करती है तो उसलिक ऐग्यारं इशक हो आप सब्सक्राइब्स्वी अध्याइब
38:53इनके पारस्परिक अंतर समंदों का अधिन किया जाता है आप जैसे कि सभी जानते हैं तो हम कहेंगे दोस्तों मानव भूल में किसका अधिन किया जाता हम कहेंगे इसमें ये बात तो आप जानते हैं चिरुप से इसमें किसका अधिन किया जाता हम कहेंगे इसमें प्रकर्ति �
39:23पारसपरिक अंतर समंदों का अधिन किया जाता है
39:35अब एक चीज देखे यहां तो हमने अच्छे रूप से ये बात तो बहुत बार लिखे कि अधिन किया जाता है
39:42मानव गुल में किसका अधिन किया जाता आप सभी जानते हैं
39:46चलो हमने ये बात लिख ली अब एक चीज़ देखिए जब से दोस्तों इसमें हम किसका अधिन कर रही है ये बात हमने देखी है चलो ठीक है दोस्तों अब एक चीज़ बताएए दोस्तों हमने जब इसका अध्यन परारम किया था मानव भूगल का तो मैंने का था कि दोस्तों
40:16यह बात हम कह सकते हैं क्योंकि दोस्तों जब से हम बात कर रहे हैं कि मानव ऐसा हुआ करता था मानव ऐसा हुआ करता था तो इस पसी बात है दोस्तों जब मानव के पास तकनिकी ज्यान नहीं था हम बात करें दोस्तों किसके बारे में प्रारंब जो प्रारंब के वस्ता थी आ
40:46यह बात तो बोल सकते हैं, कोई दिकत नहीं, क्योंकि मानव भूल के बात करें, मानव भूल के इतियास की बात करो, यानि इसका अधियन कब अप्रारब हुआ, इसके अधियन को सबसे ज़्यादा दोस्तो, अत्यदिक विकास कब गवा, यह सारी चीज हमें देखने हैं, अधि
41:16नहीं था, तो दोस्तो हम सबस्टोप से कहेंगे, उसके अभाव में, मानव भूल के अधियन को, दोस्तो मानव भूल के इतियास का विकास नहीं हुआ, लेकिन मानव भूल उसमें प्रारब्दो हो गया था, थो लिया
41:42तो दें कर रहे हैं आगे पढ़ते हैं और आगे इसमें और बातें देखते हैं इसका इत्यास बहुत लंबा यानि की कुछ छोटा इत्यास नहीं है बहुत लंबे समय से रहे लेकिन धुक्रिक्निक जान के अभाव में
42:05इसके अधिन का विकास नहीं उपाए
42:07इसका इत्यास बहुत लंबा है
42:09दो नमर पॉइंट हम ये भी ले सकते हैं दोस्तों
42:12आरंबी कवस्ता में
42:13आरंबी कवस्ता में
42:20मानव को
42:27तकनी की जान नहीं था
42:31तकनी की जान नहीं था
42:36इसके अभाव में
42:42इसके अभाव में
42:49इसके अभाव में
42:52मानो भुगोल के अधियन का विकास नहीं उपाए
42:57मानो भुगोल के
43:00अधियन का
43:04विकास नहीं हो पाया
43:08विकास नहीं हो पाया
43:16तो ये बात आप सभी को ध्यान रखनी है
43:19अरंबी कवस्ता में मानो भुगोल के अधियन का विकास नहीं पाए
43:24यानि कि मानो भुगोल को याज करनी है मानो भुगोल का इतियास पहुत लंबा है
43:28अब जब हम इतनी बातें कर रहे हैं कि मानो ऐसा हुआ करता था मानो प्रकृति की मानता था यह सारी बाते हम कर रहे हैं
43:37अगर उस समय तकनी की जान नहीं था अगर उस समय तकनी की जान होता मानव को तो मानव दोस्तों प्रकृति के साथ उसी समय चेरचाड प्रारम करते था लेकिन उस समय तकनी की जान नहीं था
43:49लेकिन मानव कही ने कही एक चीज देखा जाए तो प्रकृति जैसा कह रही थी, वैसा मानव कर तो रहा था, मानव क्रियाशील तो था ना भी, मानव ऐसा तो नहीं था कि मानव क्रियाशील ही नहीं था, मानव क्रियाशील था, प्रकृति जैसा जाने कि वनों में तो वो शिक
44:19मानव भुगोल के अध्यन का विकास नहीं हो पाया
44:21लेकिन अध्यन तो प्रारम हो गया था
44:24तो ये बात आप सभी को यहां पर ध्यानक नहीं है
44:26अब सबसे बड़ी बात आती है दोस्तों
44:28कि जो मानव भुगोल है
44:31इसके अध्यन का दोस्तों विकास कैसे हुआ
44:34दोस्तों जो बात कर रहे हैं हम जो मानौ बगोल विकास का इसके बारे में
44:49इसके बारे में अधीक से धृक्त जानकरी कैसे प्राब्त होई Knowledge करें तो ये तो है उस्समें विकास नहीं हुआ, आप बात आती है दोस्तों स्पिर मानौ बगोल का विकास कैसे हुआ
45:00यहां पर तो लिखने कि उत समय तकनिकी जान नहीं था और मानव गोल के अध्यन का विकास नहीं हो पाया तो फिर विकास कैसे हुआ तो हम यह कहेंगे दोस्तो आपने नाम सुना होगा कि चाउदासु बानमे के अंदर कोलंबस का नाम सुना होगा चाउदासु अठाणमे में
45:30जो भी रहा है आप सुनते आएं अच्छे रूप से तो यह जो भी रहा है तो यह स्टाप्धी कुंसी पंदर्वी स्टाप्धिकांत है और बाद में दोस्तों जैसी वासकोडिगामन यहां की खोज कर ली भारत की खोज नहीं किया उसने भारत के लिए समुध्री मार्ग की
46:00पहली बार आया फिर यहां प्रूसें देखा भी कुछ नहीं है खोज कर दिया इसा नहीं है यहां पर लोग रहती ते यह तो पजाई हुआ था लेकिन सबसे बड़ी बात या थी कि उसे भारत के लिए यूरोपिया लोगों के लिए समुद्री मारत की खोज कर पिर वो दुब
46:30यह तो घंगा भऔर को जाए तो यहां इस दोस्टों वाद का प्रव कुपनैवेश आफ जानते से क्या हुटा है क्या था है उपनेवेश वाद कामतर अंग्रेष भारत है उन्हों
46:39तो इनकी जो बस्ति थी वही उपने वेश बात किया थ कि रहा है फिसका थि última आधियों की बहसां कि इनकी थी उर इंप अदि़्चों के षाह चाहिताँ ने थी?
46:45आधीयों लुदम कि अदिक स्थागी कि वही उपनिवेश्क न 마음에 नहीं थे नहीं बढ़ारें
46:53थे वह वह ने भार्त के आधे से ज्यादा शेय्टर पर इनन क्या कर लिया अपने नेंतरन में ले लिया तो यह शेत्र ओक्रण बुपनिवेश्टर।
47:09तो समंदरी यात्राओं किरसे उपनिवेश वाद का प्रह गपे उपनिवेश ने इन दो
47:25अधिका-अधिकerson कर राप हो इस अधिन में अधिक जानकर फोस्त की है हाप फूसी महने निआ
47:35किस प्रकार का दोस्तों मानव यहां पर गाहरा है जो जैसे मान लिजे यह यहां का कलचर कैसा है यहां के लोग कैसे रहते हैं यहां के लोग क्या खाते हैं यहां के लोग क्या करे करते हैं यहां पर दोस्तों किस चीज का उत्वादब बहुत जादा हो रहा है किस चीज के यह
48:05तो कहीं न कहीं दोस्तों हम कहेंगे मानव भुगोल के अधिन में अधिका अधिक जानकरी प्राफ्ट हुई पता चल गया कि वहां पर इस चीज की कमी है तभी यह लेने आए हैं उनको पता चल गया है यहां पर मसाले बहुत जाता हुद है यहां से वह मसाले लिखकर चलेगी
48:35जिसके वज़े से दोस्तों उपनिवेश वाद प्रारम हो गया क्या हो गया उपनिवेश वाद का प्रारम हुआ और हम कहेंगे दोस्तों इसी उपनिवेश वाद के प्रारम से मानव भुगोल के अधियन में अधिका अधिक जानकरी प्राप्त हुई को यह बात करते हम यहा
49:05अंतमी वे 16 स्थापदी के प्रारम में
49:2215 स्थापदी के अंतमी वे 16 स्थापदी के प्रारम में
49:27बगोलिक खोजो क्या है दोस्तों बगोलिक खोजो और
49:48बगोलिक खोजी बगोलिक खोजी और
49:55स्मक्रा मुए आगे मुए लोह ता समुक्डियादवन मुए prone
49:58कि आप आप उकलिएवम कि दुकरराइद समुक्ड़ाद्बनीजात
50:02समुक्रेद मुए इस सट जिस वालब हूए
50:07इस से उपनिमेश् वादका इस साट प्रारम हुएems
50:12प्रावारम हुदी नहीं सकार्ण को इसे उपनिवेषवाद का प्राराम हुद दिनेशण फ्रावड़ का प्रा दीनेशी प्राराम हुदू
50:27कुत्व मत्रंसी तर्द के difित कि आँ वह इस प्रावड़ कर ठीर अपनिवीं वह व् दू कर दो
50:38इस उपनिवेश वाद के प्रारंब से प्रारंब होने से इस उपनिवेश वाद के प्रारंब होने से
51:04बाहे में अदिकाधिक जानकरी प्राप्थ हुई
51:13दिकाधिक जानकरी प्राप्थ Speech
51:30तो यह बात आप सभी को चुरुरुप से द्याम एकनी है
51:33बिल्कुल तो आप सभी ने यहां पर ध्यान दिया होगा अधिकाधिक जानकारी प्राप्त करें
51:39ठीक है अब दोस्तों ये तो बात आगी कि अधिकाधिक जानकारी बिरे धिरे जानकारियां बढ़ने लगें
51:48लेकिन सबसे बड़ी बात है दोस्तों जो मानम भुगोल है वो लोग प्रिया कब हो और लोग इसे कब महत्व देने लगे ये लोग प्रिया कब हुआ और इसे महत्व कब देने लगे ये चीज़ हमें ध्यान देने है तो ये तो अधिकादिक जान करें प्राप्त होने लगी ह
52:18तो यह बात आपको ध्यानर्टी है पहले मानव के पास तक्निकी ज्यान नहीं था इसलिए मानव मानव गोल के अधिन का अधिक विकास नहीं हुगा अब दोस्तों समुंदरी यात्राइं प्रारम गोचुकि यह बहुत सारे गोलिक ने ने द्वीपों की खोज हो गई क्योंकि
52:48करवायू के बारे में यहां के लोग क्या खाते हैं यहां पर किस चीज का उतपादन ज्यादा होता है जिर यहां से वह ठाकरों चीजों वहां ले गए तो बहुत सारी मानव गोल के बारे में अधिकादिक जानकरी प्राप्त हूँ इस चीस से यानि उपनवेश्वार्श्�
53:18कि बेखिए लेकिन बात किरी दोस्तों ये परसीद को और ये � llopred को सब्हान को
53:24तो दिजान रहां के गहां office में इस यहां पर गें दोफ
53:28झाल हम यहां पर लिखेंगे दोस्तों में जान रिकेज कि लूच निए
53:38चा�ब। डारमिन कि किसके ज्वांस गारकünüz की मुंट
53:44कि औरिजन ओफ स्पाइसिज बोलते हैं वैसे तो औरिजन ओफ स्पाइसिज उस तक क्या हुआ था दोस्तों प्रकाशन हुआ आप जानते हैं 1859 में चार्ल्स डार्विन की
53:57ओरिजन ओफ
54:02स्पाइसिज जिसे बोलते हैं जीवों की उतपती जीवों की उतपती पुस्तक का प्रकाशन हुआ पुस्तक का
54:30प्रकाशन हुआ इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद अब देखे कब हुआ प्रकाशन प्रकाशन में हुआ यानि हम बोल सकते हैं 1859 है यानि 19 स्थाब्दी है तो ध्यान रखिए दोस्तों इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद
54:56यानि हम कह सकते हैं, प्रेक्ट में लिख सकते हैं, उनने स्वेस्ट आपदी लिखनी कि आप सकता निया जानते हैं इस पुस्त के परकाशन के बाद
55:05मानोग गोल
55:08अधिक लोग प्रिया हुआ
55:13मानोग गोल
55:16अधिक लोग प्रिया हुआ
55:19और
55:24इसे अधिक महत्व दिया जाने लगा
55:27और इसे ही
55:29अधिक
55:33महत्व
55:35दिया जाने लगा
55:38यह लिज़े
55:43तो यह दोस्तों हमने अच्छी रूप से यहां पर बात की है
55:47सभी पॉइंटों के उपर
55:54तो यह सारे बाते हैं आप सभी को ध्यान लखने है
55:57तो यहां पर जोना ने अंतिम पॉइंट लेका इसमें ध्यान लखेगा
56:00यहां पर हमने देखा है किसके बारे मानव गोल के इत्यास के बारे में बात करें
56:04तो हमने काई कि मानव गोल में हम किसका अधियन कर रहे है
56:06प्रकर्टी और मानव के बीच के जो सबंद आपस में पारस पर एक समना उन चीजों का जिन किया लगता है
56:11अब मानव के पास अगर बात करें दोस्तों इसका इध्यास है जो मानव गोल का इध्यास है
56:16मानव भूल का बहुत लंबा है
56:17आप देखेंगी मानव के पास आरम के अंदर
56:20तक्निकी ज्यान था ही ने
56:21यानि मानव दो तो प्रकर्ति निर्बर होता था
56:23प्रकर्ति प्रकर्ति से डरता था
56:25प्रकर्ति की पुजा करता था ऐसा होता था
56:27कर्दमुल इकटे कि खा लिए जो मैदानी शेतर था उसमें भी चड़क लिए जो हुआ वह भी खा लिए बस इस परकार से रहता था था था नहीं तो जो मानव गुल है इसके अधिन का विकास नहीं हो पाया लेकिन मानव गुल का अधिन प्रारंब हो चुका था विकास नहीं
56:57तो पंदरवी स्थाब्दी के अन्त में और वे शोलवी स्थाब्दी के प्रारंब में दोस्तों बहुत सारी क्याप गोलिक खोजये हुई बहुत सारी सुमुद्री यात्राओं का पृण जाने कि उरोपया लूब को निकल भारत की निकल और पहुंच गया उतरी मिरिका वह
57:27होते हैं यहां से मसाले लेकर चला घ्. तो यह के लोगों बता चल गया कि यह कंदरी
57:42द्वीप कोज लिए समुद्रों में ऑ List यह कंदर बना चुका था उप्योग कौनśli tha sources
57:51अब थक्निक की आ� org कर डूल्य के �원 कर पाइदे का हुए जान करी प्रणों प्र ट्रभी तो चींट करे कि आ दिलिवेस्यों हनी शी ρां करकारी मिलेती,
58:01कि वहां के मानव कैसे होंगे, वहां के लोग क्या पहनते होंगे, जो हमारे लिए फाइदे मनताई अधिका दिक जानकर यह प्रारम हुई, लेकिन अभी भी भी लोग इसे पढ़ना पसंद नहीं करते थे लेकिन 1859 में चार्श नार्विन के पुस्तक आई थी जैसे ओरीजन �
58:31मानव के मानव के अधियन करने लगे, इससे मानव के भूल का अधियन बहुत ज़दा प्रारम हो गया, और बहुत ज़दा प्रारम हो गया,
59:01बहुत ज़दा इसने क्या कर दिया, लोग प्रिय कर दिया था, अब दोस्तों मानव के अधियन है, इसको अगर देखा जाए, तो मानव का अधियन उनिश्वी स्ताबदी से लेकर दोस्तों अगर अब तक पड़े इसके इत्यास में तो इससे बहुत सारे चरणों में बाट
59:31करने वाले हैं, जितने भी बात होगी, नेश्वी पार्ट में होगी, आज हमने सिरफ मानव गोल के अधियन के त्यास प्राण के, अगले पार्ट में हम मानव गोल के अधियन के चरण देखेंगी, तो अब इसको आप करता हूँ, आप सभी ने, प्रेंस नेवर आरका, उप