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The Loyal Monkey and the Lucky Farmer | Hindi Cartoon Story | Moral Tale for Kids
This is a fun and educational Hindi cartoon story about a loyal monkey and a lucky farmer. It teaches children the value of true friendship, loyalty, and good deeds in a simple and entertaining way.
👨🌾 The story follows a poor farmer and his faithful monkey who support each other through tough times. But what happens when destiny takes a turn? Watch the full video to find out!
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FunTranscript
00:00केशब नगर राच्चे के एक छोटे से गाउं में हरी राम नाम का एक सीधा साधा, महन्ती और इमानदार किसान अपनी पत्नी के साथ खेत में बैठा हुआ था
00:23देखना, हमारी फसल इस साल बहुत अच्छी होगी
00:27हाँ, क्योंकि मेरी महनत के साथ साथ मेरे खेत की जमीन पर तुम्हारी महनत का पसीना भी शामिल है अर्चना
00:36नहीं, सारे गाउं में केवल तुम ही महनती और इमानदार हो, तुम्हारे पास जमीन तो कम है, लेकिन तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है
00:47कुछ देर बाद दोनों पती-पतनी घर चले गए
00:53मैं तुम्हें एक बात बताना तो भूल ही गई
01:01घर में लकडियां खत्म हो गई है
01:03अरे चिंता मत करो
01:05मैं कल सुबह सबसे पहले
01:07जंगल में लकडियां काटने के लिए ही चला जाओंगा
01:10ठीक है ना ले आओंगा चलो अब
01:12अकली सुबह हरी राम लकडियां काटने के लिए जंगल चला गया
01:33हरी राम एक पेड़ पर कुलहाडी चलाने ही वाला था
01:37कि तब ही उसने देखा जाडियों में एक घायल बंदर करा रहा था
01:42हे भगवान बाप रे इस बंदर को तो लगता है किसी ने बुरी तरह से घायल कर दिया है
01:55जरूर किसी जंगली जानवर ने इसके उपर हमला किया होगा
01:58बताओ भला बिचारे का हाथ खून से भरा हुआ है
02:01हरी राम बंदर के पास बैठा था
02:07काश तू बोल सकता तो बता सकता कि तेरी तकलीफ कहा है
02:12फिलाल तो तेरे हाथ में खून दिख रहा है
02:15लेकिन जिस तरह से तू दर्द से तड़प रहा है न
02:17भाप रे तकलीफ तो कहीं और ही है
02:19उसी समय वहाँ एक साधुआ पहुँचा
02:25कौन हो तुम और बंदर से क्या बातें कर रहे हो
02:31प्रणाम साधु महराज
02:34मैं तो बस लकडियां काटने के लिए जंगल में आया था
02:37इस घायल बंदर को देखा तो इसके उपर तरस आ गया
02:40लगता है किसी जंगली जानवर ने हमला किया इसके उपर
02:43देखे न इसके हाथ से खून बह रहा है
02:45लेकिन जिस तरह ये दर्द से तड़ब रहा है
02:47मुझे तो लगता है कि इसे कहीं और ही तकलीफ है
02:50बहुत कम इंसान होते हैं
02:57जिनके मन में जानवरों के प्रती इंसानियत होती है
03:00रुको रुको रुको
03:01ओम
03:03इतना बोलकर साधू मंत्र पढ़ने लगा
03:08अचानक रंग बिरंगी किर्णों से बंदर का जख्म सही हो गया
03:14हाँ, अब ये बंदर तुम्हें बता सकता है के इसकी तकलीफ कहा है
03:23इतना बोलकर साधू वहां से चला गया
03:26बंदर उठकर खड़ा हो गया
03:28मेरे कंदे में बहुत दर्द हो रहा था
03:33हाँ, अब अच्छा लग रहा है
03:35एक शेर ने मुझे पर हमला किया
03:37मैं बचने के लिए दूसरे पेल में कूदा
03:39शेर का पंजा मेरे हाथ में लगा
03:41और मेरा हाथ घायल हो गया
03:43मैं पेल ही नहीं पकड़ पाया
03:45और मैं जैसे ही नीचे गिरा
03:47बापरे बाप मेरे कंदे में बहुत चोट लग गई थी
03:50हरे, तुम तो बिलकुल मनुष्री की आवाज में बात कर रहे हो
03:56ये कैसे संबह हुआ
03:57जब साधू ने मंत्र पढ़ा ना
04:01तब मुझे ऐसा लगा
04:02कि मेरे अंदर बात करने के शक्ती आ गई है
04:05मैंने बोला और मेरी आवाज तुम तक पहुँच गई
04:07लगता है ये चमतकार साधू बाबा ने किया है
04:11हाँ
04:12अच्छे ये बताओ, तुम मेरे घर पे चलोगे
04:19ओहो, अब तुमने मेरी जान बचाई है
04:23तो अब तो मैं तुम्हारे साथ ही चिपक गया हूँ
04:25मतलब, मैं तुम्हारे साथ ही रहूँगा
04:28और क्योंकि मैं इनसानों की तरह बात करने लगा हूँ
04:31तो मैं बंदरों से अब तो अलग हो गया हूँ न
04:33क्या करूँगा उन बंदरों के साथ रहकर
04:36अब तुमसे बाते करूँगे जी भर के, चलो, तुम मेरा कोई अलग नाम भी रख सकते हो, बताओ बताओ, मेरा क्या नाम रखोगे?
04:42बड़े मज़े की बाते करते हो तुम, चलो ठीक है, मैं तुभे आज से गोलू कहके पुकारूंगा, क्यों, कैसा नाम है, अच्छा नाम है न, हाँ, अच्छा नाम है, चलो, चलो, चलो, घर चलते हैं
05:00अरे, ये जंगल से तुम बंदर को क्यों पकड़ लाए?
05:17हरी राम पूरी खटना अर्चना को बताने लगा
05:21क्या, क्या वास्तव में बंदर बात कर सकता है?
05:28अरे, तुम स्वयम पूछ लो
05:29क्या नाम है तुम्हारा?
05:34मेरा नाम गोलू है, हरी राम ने मेरी जान बचाई है
05:38और अब मैं उसका साथी हूँ, साथी क्या, अब तो मैं तुम्हारे परिवार का हिस्सा हूँ, हाँ
05:44अर्चना आश्चरे में पड़ गई
05:48समय बीतने लगा, गोलू की मौजूदगी घर में नई जान ले आई थी, धीरे धीरे गोलू अर्चना के काम में हाथ बचाने लगा, गोलू अब हरी राम का सच्चा साथी बन चुका था, एक दिन गोलू हरी राम से बोला,
06:05हरी राम, अब मैं भी तुम्हारे साथ खेत में चलूँगा, क्या करूँगा घर में बैठे बैठे, मुझे भी चलना है
06:12अरे गोलू, खेत का काम आसान नहीं होता, बहुत मेहनत लगती है, क्या करोगे तुम वहाँ पे?
06:19अरे क्या करूंगा क्या मैं भी तुम्हारे साथ मेहनत करूंगा और क्या क्या मुझे कम मेहनती समझा है क्या
06:26बस डर ये है कि गाउवालों ने तुम्हें बोलते हुए देख लिया न तो वो नजाने क्या समझेंगे
06:34अरे पर जब मैंने तुमसे पहली बार बात की थी
06:38तो क्या तुम डरे थे क्या? बताओ
06:40देखो गुलू, मैं दुनिया को जानता हूँ
06:44हर कोई मेरे जैसा नहीं होता है जो तुम्हें समझ सके
06:47ओहो, मुझे दुनिया से क्या है लेना देना
06:50मुझे तो तुम्हारे संग है रहना
06:52मेरा मतलब ये है कि मुझे बस तुम से मतलब है
06:57क्योंकि मैं तुम्हारा साथी हूँ
06:59हरी राम मुस्कुराया
07:05और अगले दिन गोलू को साथ लेकर खेत चला गया
07:10कुछी दिनों में गोलू ने खेती की हर बात सीख ली
07:15अपो हरी राम का सच्चा मददगार बन गया था
07:19हरी राम अरे आज की मिट्टी तो बहुत भारी लग रही है
07:32गोलू अब तो तु पक्का किसान बन गया है
07:40मिट्टी का भी फरक समझने लगा है
07:45गोलू की बात अब गाउं में फ्हलने लगी थी
07:49और ये बात आखिरकार पहुँची जमीदार चौधरी के कानों तक
07:54क्या? हरी राम के घर एक बंदर है जो इनसानों की तरह बोलता है
08:02हाँ जमीदार सहाब मैं खुद देख चुका हूँ
08:07अरे मैंने तो उसे बोलते हुए सुना भी है पहली बार तो मैं डर गया था
08:12अरे भाईया तो फिर उस बंदर को लेकर तमाशा करना चाहिए
08:19उससे तो बड़ी अच्छी कमाई होगी
08:21यह बात आपने बिलकुल पते की कही जमीदार सहाब
08:26जमीदार की हसी कुछ देर चली फिर वो गंभीर हो गया
08:32इस हरी राम की जमीन पर मेरी नजर बहुत समय से है
08:39बाकी सब तो मेरे कर्जदार बन चुके
08:42पर यह ससुरा हरी राम यह कभी जुका ही नहीं
08:46उसकी जमीन बहुत उपजाओ है जमीदार, बंजर में भी फसल उग जाती है
08:52अरे इसमें मिट्टी का कोई खेल नहीं है भीमा, उसकी किस्मत और सितारे बुलंद है
08:59पर जिस दिन वो सितारे गिरेंगे ना, उसी दिन ये खेत मेरा होगा
09:04और हरी राम मेरे कदमों में होगा, देख लेना तू
09:07समय ऐसे ही बीतने लगा, एक दिन हरी राम और गोलू जब खेत से घर लोटे
09:18तो आंगन में बैठी अरचना को देख कर दोनों के चहरे पर चिंता की रेखाएं खिच गई
09:25हरे अरचना, क्या हुआ, ये कैसे खासी है?
09:35कुछ दिनों से खासी हो रही है, अब तो दिन बदिन और भी बढ़ती जा रही है
09:41हरी राम, इसे नजर अंदाज मत करो, किसी अच्छे वैदे को तुरंद बुलाना चाहिए
09:48हरी राम ने देर न करते हुए गाउं के एक अनुभवी वैद को बुला लिया
09:56वैद ने अरचना को ध्यान से देखा
09:59हरी राम, देखो, इन्हें एक विचित्र बीमारी हो गई है
10:08अगर समय पर इलाज ना मिला, तो ये जानलेवा हो सकती है
10:12हाँ, नहीं, नहीं, नहीं वैद जी, आप तो इलाज शुरू कीजिए, मैं कोई कसर नहीं छोड़ूंगा
10:19उस दिन से हरी राम का सारा धन अपनी पत्नी के इलाज में लगने लगा
10:29हफ्तों बीटते गए, और एक दिन ऐसा आया, जब उसकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई
10:36उस दिन हरी राम घर पर अकेला बैठा था
10:39ऐसे उदास मत बैठिये, मैं अपने आप ठीक हो जाओंगी
10:50ऐसा, ऐसा मत कहो अरचना, मैं तुम्हें इस हालत में नहीं देख सकता
10:56तो अब क्या करोगे, जो कुछ था, सब तो मेरे इलाज में लगा दिया
11:03अब तो बीच खरीदने तक के पैसे नहीं बचे
11:06हरी राम सिर छुकाए पैठा था, तभी गोलू तेजी से दोड़ता हुआ आया
11:16हरी राम, हिम्मत मत हारो, तुम्हारे दो भाई इस गाओं में रहते हैं
11:23और तुमसे जादा धनी भी हैं, उनसे मदद क्यों नहीं मांगते हो, हैं?
11:27हरी राम को ये बात ठीक लगी, उसी शाम वो गोलू को साथ लेकर अपने बड़े भाई केशव के घर गया
11:39ओ हरी राम, क्यों भाई, आज हमारे घर का रास्ता कैसे भूल गए, हैं?
11:50भाईया, अर्चना की बीमारी के बारे में तो अब गाओं में सब जानते हैं, मैंने जो कुछ कमाया, सब इलाज में लग गया, अब कुछ धन की जरूरत है भाईया
11:59तुम तो जानते हो, मेरी फसल इस बार खराब हुई है, अब खुद मुझे उधारी लेना पड़ रहा है, तो मैं तुम्हें कहां से दूँ
12:07हरी राम कुछ नहीं बोला, सिर जुका कर बाहर निकल आया
12:14अरे, वो जूट बोल रहा था हरी राम, मैंने उसके चेहरे को देखा है, वो देना ही नहीं चाहता था
12:24हाँ, जानता हूँ रे गोलू, पर चलो, एक और भाई है, उनसे मिलते हैं, चलो
12:31अग दोनों बिर्जु के घर पहुँचे, बिर्जु ने दर्वाजा खुला और हरी राम को देखकर चौँक गया
12:46ओ, हरी राम, आज भाई की हाथ कैसे आ गई?
12:51भाईया, भाईया, मेरी पतनी अर्चना बहुत बीमार है, थोड़ा सा धन चाहिए इलाज के लिए
12:56क्या? अरे, बटवारे में वैसे भी तुझे ज़ादा जमीन मिल गई थी, उसे बेच नहीं देता, मेरे पास धन का पेड़ लगा है क्या? जो मांगने चला आया
13:06जूट मत बोलो भाईया, सस्तो ये है कि तुमने और केशो भाईया ने मेरे हिस्से की जमीन भी दवा ली थी, मुझे छै बीगा जमीन मिलनी थी, बस दोई बीगा मिली है दो बीगा
13:18अरे निकल जा यहां से, अगर कर्ज लेना है तो जमीदार के पास जा, मुझे उठा के चले अध़ा यहां से
13:38कैसे भाई है तुमारे हरी राम, एक भी मदद को तयार ही नहीं है
13:43हाँ, इस दुनिया में इंसान ऐसे ही होते हैं, मतलबी, अपना पराया कुछ नहीं देखते है
13:50तो अब क्या करोगे, क्या जमीदार के पास जाओगे
13:54हाँ, मजबूरी है गोलू, मैं नहीं जाना चाहता था, इसलिए तुम्हारे कहने पे भाईयों के पास गया
14:03अब तुम्ही बताओ, मेरे पास और क्या रास्ता बचा है, बताओ
14:06अगले दिन हरी राम और गोलू, जमीदार की हवेली में जा पहुँचे
14:20उमीद उसे कम थी, मगर अपनी पत्नी की खातिर उसने खुद को जुका दिया था
14:26मैं जानता था हरी राम, एक ना एक दिन तू चलकर मेरी हवेली में जरूर आएगा भाईया
14:34आपने बिलकुल सही कहा था मालिक, जब तक इसके किसमा चमक रही थी, तब तक बहुत अकड में चलता था
14:42अब देखो, कैसा मुर्जाय मुर्जाय सब खड़ा है
14:46ए जमीदार, तुम्हें किसी की हालत का मजाक उड़ाने का हक नहीं है
14:51लोग तुम्हारा सम्मान करते हैं, तुम्हें भी दूसरों का सम्मान करना चाहिए, समझे
14:56ए बदरवा, बकवास बनकर, तुम्हें इंसानों की तरह बोलता है, इसका मतलब यह नहीं है कि तुम्हें इंसान बन गया है, समझा
15:05हाँ भाईया हरी राम, बताओ बताओ, क्यों आए हो
15:11क्या बताओ, आपको तो सब पता है, मेरी पत्नी बीमार है, सारा धन इलाज में चला गया, कुछ धन की आवशकता है
15:19अच्छा अच्छा अच्छा धन चाहिए, तो भाईया मेरी सरते सुन लो, ब्याज पचास प्रतीशत, और बदले में कुछ गिरवी रखना होगा
15:29हाँ, मेरे पास कुछ बचा है क्या, जो गिरवी रखो, जो सोने के या भूशन थे, वो भी इलाज में बिक चुके है
15:36अरे है ना, क्यों नहीं है, तेरे पास दो भी घाज जमीन है, भाईया उसे गिरवी रखो, वक्त पर करच चुकाएगा, तो जमीन तेरी, वरना मेरी सीधा हिसाब, बोलो भाईया
15:49हरी राम सोच में पढ़ गया, उसे अपनी पत्नी का जीवन बचाना था, मगर खीमत बहुत बड़ी थी
16:01अरे ये तो सरासर अन्याए है, तुम किसी की मजबूरी का फाइदा उठा रहे हो, ऐसे तो हरी राम कभी करज ही नहीं चुका पाएगा
16:09ए हरी राम, पहले तो तु इस अपने पालतू बोलने वाले बंदर को ले जा यहां से, नहीं तो मेरा मन बदल गया, तो हो गया तेरा काम, जब से आया है पटार पटार पटार पटार, चुपकर
16:20हरी राम, चलो मेरे साथ, ये करज मतलो, चलो
16:25हाँ, गोलू, मेरे पास अब और कोई चारा नहीं है
16:30अरे तुम बस चलो तो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा न, हाँ, चलो मेरे साथ
16:36हरी राम गोलू के साथ चला गया
16:41हवेली के भीतर, जमीदार और भीमा घुसे से खौल रहे थे
16:48ए मालेग, हरी राम तो हाथ से निकल गया
16:53अरे चिंता मत कर बेटा, मजबूरी उसे फिर लोटाएगी, कितना दूर जाएगा वो
17:00हरी राम गोलू के साथ खर पर आप पहुँचा और गोलू तुरंद वहाँ से चला गया
17:12शाम तक गोलू लोट कर नहीं आया, हरी राम और अर्चना की चिंता बढ़ने लगी
17:20गोलू अब तक क्यों नहीं आया, कहीं जमीदार ने उसे कुछ कर तो नहीं दिया
17:27हरे पता नहीं कहा गया, मेरा मन भी बड़ा बेचैन है
17:31सुभा सूरज की किर्णों के साथ ही गोलू वहाँ पहुचा, हाथ में एक चमकती जड़ी बूटी के साथ
17:47हरे गोलू तू कहा था, हमें लगा कहीं तुझे कुछ हो तो नहीं गया
17:54अरे मैं जंगल गया था, उन साथू महराज को ढूरने जिनसे मुझे बोलने की शक्ती मिली थी
18:01उन्हें मैंने सारी बात बताई और उन्होंने दया करके ये जड़ी बूटी दी है, उन्होंने कहा है कि इससे बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक हो सकती है, हाँ
18:11गोलू ने वो जड़ी बूटी अर्चना को दे दी, कुछ देर बाद अर्चना की आँखों में चमक लोटाई
18:20मुझे बिल्कुल स्वस्थ महसूस हो रहा है, जैसे मैं कभी बीमार ही नहीं थी
18:26हाँ, हाँ, हाँ, अर्चना, तुम्हारी खासी भी ठीक हो गई, और गोलू, तू तो, हाँ, हाँ, तू तो हमारे लिए देवता बन गया, अगर तू नहीं होता, तो मैं जमीदार से कर्ज लेकर अपनी खेती भी खो बैठता
18:44हाँ, अब मेरी पत्नी तो ठीक है, लेकिन खेत में बीज डालने के पैसे तक नहीं बचे
18:55हाँ, मैं जानता था कि अर्चना के ठीक होने के बाद तुम्हें बीज की जरूरत पड़ेगी, इसलिए मैं सादु महाराज से बीज भी लेकर आया हूँ, हाँ, हाँ, हाँ, ये देखो
19:08क्या, बीज?
19:12हाँ, उन्होंने ये चमतकारी बीज दिये हैं, अब देखो, अगर तुम इने अपने खेत में बोध होगे, तो ऐसी फसल उगेगी, जो पूरे राज्य में किसी ने नहीं उगाई होगी, और सबसे पहले तुम्हारी फसल ही तयार होगी, हाँ, हाँ, हाँ, मजा आ गया ना?
19:42कर्ज में दबे हुए हैं, हरे मित्र गोलू, गोलू, गोलू, तु मेरा सच्चा साथी निकला, हम दोनों मिलकर अच्छे से खेत में भसल बोएंगे, चल मेरे भाई!
19:54अगले ही दिन हरी राम, गोलू, और अर्चना ने मिलकर खेत जोता, बीजपोया और आकाश की ओर देखकर मेहनत का वादा किया
20:12कुछी दिनों में हरी राम के खेत में ऐसी फसल लहरा आई, जैसे किसी ने पहले कभी नहीं देखी थी, गाउवाले चकित रह गए
20:26अरे देखो रे देखो, हरी राम के खेत में तो जैसे सोने जैसी फसल लहरा रही है, हाँ हाँ हाँ
20:35हाँ हमारी फसल तो अभी जामी भी नहीं है और इसकी तो फसल भी तयार हो गई
20:42और उसकी बीवी अर्चना जो कि महीनों भी मार रही अब रोज खेत में काम करती है
20:48भाईया ये तो कोई चमतकार ही लगता है
20:56कुछ दिनों बाद हरी राम की किस्मत बदल गई
20:59चमतकारी फसल ने उसे गाउं का सबसे सफल किसान बना दिया
21:04बाजार में उसके नाम की चर्चा पहल गई
21:08हरी राम जपो राम नाम बन गया तु धनवान
21:16जो सोचा था है वो हो गया सच
21:19हाँ वाकई में सच तो हो गया
21:24लेकिन अब बारी है गोलू वादा निभाने की, उन सब की मदद करने की जो जमीदार के कर्ज में डूबे है
21:31हाँ, बिलकुल, चलो, आज से ही शुरुबात करते हैं, अपने गाओं का बिंदे सर का खेट सबसे पहले छुडाते हैं, चलो
21:40हरी राम और गोलू ने अपना मुनाफ़ा एकठा किया, और एक एक कर गाओं वालों का कर्ज चुकाने लगे
21:57बिंदे सर, भोलू, रज्जो सभी ने अपनी जमीन वापस पाली
22:02हरी राम भाईया, आज आपने हमें नया जीवन दे दिया, सही बताओ, बिल्कुल, बहुत-बहुत दन्यवाद
22:13गाओं में खुशी लोटने लगी, लेकिन जमीदार के चहरे पर उदासी चा गई, ये सब देखकर जमीदार घुसे से अपने साथी भीमा से बोला
22:24हाँ, ए भीमा, तु देख रहा है न कि क्या हो रहा है
22:32हाँ मालिक, हरी राम ने सब के करजे चुकाने शुरू कर दिये हैं
22:37अगर यही चलता रहा, तो एक दिन तो मेरी जमीदारी ही खतम हो जाएगी, और मेरा दबदबा भी खतम हो जाएगा
22:45आप तो आदेश दीजे मालिक की करना क्या है
22:48अब बहुत हो के अभीमा, अगर यह हरी राम ऐसे ही सब की जमीन छुडवाता रहा, तो मेरा क्या बचेगा, मेरा दबदबा, मेरी हवेली, हैं
23:00अरे मालिक आप तो बस आदेश कीजे, कल ही उसका काम तमाम कर दूँगा, सब खेत में काम करते हैं, वहीं खत्म कर दूँगा, कहिए
23:10खून जमीन पर गिरे ऐसा मारना साले को, ताकि सब के दिल में डर उतर जाए, जा, हरी राम को मिटा दे, जा
23:19सुभा का सूरज जुगा, लेकिन किसी तूफान से पहले की शान्ती जैसा लग रहा था, हरी राम खेत में बीजों को देख रहा था, जो अब सोने जैसे चमकते दिखते थे
23:39अरे गोलू, देख तो, ये फसल तो जैसे गाना गा रही हो, तुह आए हाथ की चुवन में जादू है
23:49हाँ, बिल्कुल सही कह रहे हो मित्र, इस बार की फसल सोने की फसल जैसी उकती हुई दिख रही है, वा वा वा वा वा
23:59इतना बोलकर अचानक गोलू एक और हट गया, सच तो ये था कि गोलू को किसी की आहट की भनक लग चुकी थी
24:11तभी वहाँ जमीदार और भीमा आप पहुँचे, भीमा के हाथ में लंबा बर्चा था, हरी राम जुका हुआ था
24:24अब भूग तो किसान
24:25जैसे ही भीमा ने हरी राम की ओर बर्चा भिका, एक छलांग, एक चीख, एक वार
24:33लेकिन हरी राम पर नहीं, गोलू पर
24:37गोलू, नहीं, नहीं, ये क्या किया तुने
24:42तुमारे लिए मित्रिता का मतलब सिर्फ साथ नहीं होता, कभी कभी बलीदान भी होता है
24:52तुने मेरी जान बचाने के लिए अपनी जान दाओ पर लगा दी
24:58क्योंकि तुम मेरे साथी हो और मैं तुमारा
25:07जमीदार और भीमा अविश्वास भरी नजरों से गायल गोलू को देखने लगे
25:19भीमा जमीदार की ओर देखकर बोला
25:22अरे ये क्या जमीदार इस मूर्ख बंदर ने तो हरी राम के उपर लगने वाला वार अपने उपर ले लिया
25:31हाँ तुमने सही का लेकिन मैं फिर भी हरी राम को जीवित नहीं छोड़ूँगा
25:36इतना बोलकर जमीदार गोलू की ओर देखकर क्रोधित अवस्था में बोला
25:43अरे तुम मूर्ख का मूर्ख बंदर ही रहा
25:47अरे तुम इंसानों की तरह बोल सकता था और इंसानों की तरह रहने लगा था
25:51लेकिन तुम इंसानों की तरह चतुराई नहीं सीख सका
25:55तुझे क्या जरूरत थी अपने उपर वार लेने की, क्या आवेशकता थी बलिदान देने की, मूरख बंदर कहीं का, तुने मेरे सारे किये कराये पर पानी फेर दिया, लेकिन तुझे क्या लगता है, कि मैं हरी राम को जीवित छोड़ दूँगा, नहीं, मैं हरी राम को जी�
26:25पर एक हलकी मुस्कान अब भी जिंदा थी, गोलू ने अपने मित्र हरी राम को मुस्कुराते हुए देखते हुए ही दम तोड़ दिया, तभी वहां वही साधु प्रकट हो गया, जिसने गोलू को बोलने की शक्ती दी थी, और जिसने गोलू को हरी राम की पत्नी को बीमार
26:55जिसने निर्दोश की जान ली उसका पाप अब उससे बदला मागेगा
27:01जमीदार और भीमा तुम दोनों ने बहुत बड़ा पाप किया है
27:05तुमें इस संसार में खुले आम रहने का कोई अधिकार नहीं है
27:09तुम दोनों समाज के लिए खत्रा हो रुख जाओ
27:12इतना बोलकर साधू की क्रोधित आखों से रंग बिरंगी किर्णे निकल कर भीमा और जमीदार के शरीर पर पढ़ने लगी
27:24और अगले ही पल उनके शरीर में आग लग गई
27:28कुछी देर में वो दोनों जल कर राख हो गए
27:31गाउं वाले इकठा हो गए
27:34साधू हरी राम की ओर देख कर बोला
27:37हाँ, तुम्हारा और गोलू का साथ यहीं तक लिखा था हरी राम
27:43लेकिन साधू महराज, जमीदार के साथी भीमा ने मेरे उपर हमला किया था
27:49लेकिन गोलू ने उसे अपने शरीर पर ले लिया
27:52हाँ क्योंकि वो तुम्हारा सच्चा साथी था जाते जाते गोलू ने अपनी मित्रता का कर्ज चुका दिया अपने साथी को कभी नहीं भूलना हरी राम
28:02इतना कहकर साधू रंग बिरंगी किर्णों में वहां से गायब हो गया गाउपाले नम आखों से गोलू के बलिदान की सराहना करने लगे
28:18अरे ये कोई साधारन बंदर नहीं था भाईया देवता था देवता हरी राम का सच्चा साथी
28:25हाँ भाईया इसमें अपने जान दे दे और हम सब को बचा लिया बहुत अच्छा बंदर था
28:35कुछ दिनों बाद हरी राम ने नम आखों से गोलू की याद में उसी खेत में एक पोधा लगाया जो आगे जाकर बना साथी वरिक्ष
28:46कभी कभी सच्चा साथी इंसान नहीं होता वो एक जानवर हो सकता है जो बिना शर्थ प्रेम करे रक्षा करे और अगर जरूरत पड़े तो जीवन भी दे दे
29:16करें।