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🔹 Description

Secrets are slipping.
Enemies are closing in.
And danger wears a crown.

Duryodhan, Shakuni, and Dushyasan arrive at King Virat’s court, pretending peace but plotting destruction.
Shakuni suspects that the Pandavas are hiding in the kingdom.

Their ally? The ambitious and ruthless Keechak, who assures Duryodhan that he will uncover the truth.

Soon after, Keechak recognises Sairandhri as Draupadi — the queen of Indraprastha.

And now… he uses his knowledge to blackmail her.

Will Draupadi stay silent?
Will the Pandavas allow this insult to go unpunished?


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🔹 Tags (with Hashtags)

#Mahabharat #MahabharatEpisode167 #Keechak #Sairandhri #Draupadi #Duryodhan #Shakuni #PandavAgyatvas #MahabharatHindi #Mahabharat2013 #IndianMythology #EpicDrama #DraupadiKiPehechan #KuruConspiracy #KeechakKaChhal #PandavasInDisguise #JusticeAwaits #Kank #ViratNagar #QueenInTrouble

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TV
Transcript
00:00Oh
00:04
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00:09
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00:25
00:27I have to go out about the point that I can get it
00:33I can't even say that I'm not going to get it
00:41I'm going to get it out of the way that I can't get it
00:46I'm going to show you a little bit
00:49I'm going to show you a little bit
00:52with the grace of my soul,
00:56I will not be able to make it.
01:04My father,
01:06why is my father's wife?
01:16I will leave my father's house
01:18and leave my father's house
01:19Oh
01:49How do you feel?
01:56What a great deal you are saying.
01:58This time we have 15 days left to the rest of the day.
02:05The king of Kuruvanshi, the king of Samarath Dhrithrahashty,
02:09the king of Yubraj Duryodhan, is the king of Yubraj Duryodhan.
02:19Thank you very much.
02:49Thank you very much.
03:19Thank you very much.
05:48You are losing money.
05:50You are losing money.
06:08Thank you so much.
06:12युवराज, पिछले साल जितने भी प्रवासी विराट नगरी में आकर ठहरे हैं,
06:40उन सभी इस्त्री और पुर्षों की प्रदर्शन यात्रा इसी राजसाभा में करवाऊंगा
06:46तब तक आज रात्री आप हमारे नगर का अथित्य सुईकार कीजे
06:55किंतु महराज विराट की मान्यता कुछ भिन है सेनापती महोदे
07:03मत्स देश में सेनापती और राजा की मान्यता भिन नहीं है राजकुमार
07:09मेरा निर्णे ही महराज का निर्णे है
07:16आप चिंता मत करिये राजकुमार
07:22कल प्राता काल ही सभी अतितियों और प्रवासियों को इस राजसभा में उपस्तित कर दोगा
07:33સેનિકો, સભી પ્રવાસ્યો કો ઇસ રાજ સભામે આને કા આદેશ દો
08:03સભીદ સભીશ સભ સભીશિડ હીલાસ્રવસ્યો સ્તેખ તેટાસ્ય૫� ,અજ સભીશ્ય સભીશ સ્તાપં હીશ્ય૫ સીઆં ,�
08:33you
09:03Shinto Pradhašan Yaatrā mein Awaşche jaan lehi.
09:05Or yadhi itnei vishvaas ke saath kichak ne vachan dhiya hai.
09:09Tawashche usnei Pancari ki Vastiviktah to jan hi li ho.
09:14Yadhi aisa hai toh usnei?
09:17Sabha mein Paanchani ki Vastiviktah kyi ho nehi prakhaat krati?
09:21Uski lalsa jantahom hai.
09:24Yadhi Pancari ki Vastiviktah jaan gaya hai,
09:26voh toauashche uska lab uthhanne ka pradhn karega vodoshtya.
10:03ड़ानता हूँ है
10:13कि तुम कौन हो, सेरेंद्री
10:17गुप्तवास बिता रही हो या
10:26और तुम्हारा रक्षन करने वाले पाज गंधर्व
10:30। वास्तों में पांच पांडव है। ये भी जानता हूँ मैं। पर शाय तुम नहीं जानती। कि हस्तिनापुर का युवराज तुम लोगों की खोज में यहां आ चुका है।
10:50यदि उसे ये तुम्हारी वास्तविक्ता पता चल गई। तो फिर से बारा वर्ष का वनवास भोगना होगा।
11:06अब केवल मैं तुम्हारा रक्षन कर सकता हूँ। द्रोपती।
11:20आज रात मेरे आवास में आ जाना।
11:33तुम्हारे रक्षन की योजनाओं पर विचार करेंगे।
11:41समझ रही हो ना तुरोपती।
11:45तुमने पांच पतियों से विवा किया।
11:47एक और पति से तुम्हे कोई आपति नहीं होनी चाहिए।
11:54कल प्रदर्शन यात्रा में यदि तुम्हे और तुम्हारे पांच पतियों को उपस्तित होने का आदेश ना दूतो।
12:12अवश्य दुर्योधन तुमारी वास्तविक्ता नहीं जान पाएगा।
12:19तुम समझ रही हो ना?
12:24द्रोपदी
12:26और हाँ
12:53रात्री को मदिरा पात्र अवश्य साथ लाना?
12:58DROP A D
13:01DROP A D
13:05DROP A D
13:06DROP A D
13:08DROP A D
13:12DROP A D
13:17DROP A D
13:22DROP A D
13:31DROP A D
13:35असंभव स्थिति है आरे पुत्रों
13:38यदि मैं उस कीचक के दुष्प्रस्ताव को मानने करूंगी
13:43तो मुझे मृत्यू की शरन में जाना होगा
13:47और यदि मानने नहीं करती तो हम सब फुप फिर से बारा वर्षों का वनवास और एक वर्ष का अज्यात वास धारन करना होगा
13:57तो हम कीचक को मार कर नगर से भाग जाएंगे
14:04हां मात्र पंद्रा दिनों की बात है अज्यात वास भी पूर्ण होने वाला है
14:11इतने दिनों तक हम वन में नहीं छिप सकते जेश्ट हम भाग नहीं सकते सेदेव
14:18कल यदी हम राज सभा में उपस्तित ना हुए तो सभी हमारी वास्तविक्ता वश्य जान लेंगे
14:30दुर्योधन महाराज विराट पर आक्रमन करेगा और महाराज विराट ने हमें आश्रे दिया है सेदेव
14:42एक वश्य तक हमने इस नगर कान खाया इनका रक्षन करना हमारा उत्तर दाइत्व है
14:50हम अग्यादवास को विफल नहीं कर सकते जैस्ट अब योदिका समय आ गया है मैं दुर्योधन और उसके भाईयों के मस्तक को तोड़ने के लिए धीर हो रहा हूँ
14:59और तेरा वर्शो का विलम सह नहीं पाऊंगा मैं हमें को यह और मार्ग ढूंडा होगा
15:06मार्ग मिल सकता है प्राता भीम यदि हम स्वेम से उचित प्रशन पूछें तो
15:18क्या कीचे को केवल पांचाली की लालसा है यह वो दुर्योधन की सहायता करके कोई और लाब पाना चाहता है
15:32तो आप मत्स देश के सिंगहासन पर बैठना चाहते हैं की चक मोहत है अवश
15:57विराट तो निर्बल है
16:03वास्तविक राजा तो मैं हो
16:08किन्तो सिहासन पर मैं तभी बैठ सकता हूँ
16:18जब राजा विराट और उनका पुत्र उत्तर
16:26किसी युद में मारे जाए मैं स्वयम उनकी हत्या करूंगा तो मत्स देश की प्रजा मुझे सुईकार नहीं करेगी
16:43अर्था
16:48आप मस्य पर आक्रमन कीजिए
16:56विराट और उसके पुत्र का वद्द कीजिए
17:01और मुझे राजा वनाईए
17:05यदि ये वचन आप मुझे देते हो
17:13तो मैं आपके अपरादियों को
17:19आपके सामने उपस्तित कर दूँगा
17:35हमें मान्य है कीचक महदे
17:49हम आपको राजा बनाने का वचन देते हैं
18:00अब आप निश्चिन्थ होकर विश्राम कीजिए
18:06और प्राताकाल की प्रतिक्ष्या कीजिए
18:10मुझे प्राताकाल से पहले
18:19एक और महत्व कांशा
18:24पूरी करनी है
18:28इचक अवश्ची महाराज विराट के साथ विश्वास खात करने की योजना बना रहा है
18:55अब मुझे विश्वास है इस बात का संदे महाराज विराट को भी अवश्य है
19:02विश्वास है
19:05यदिये सकते है
19:08तो उससे हमारी स्थिती नहीं वदलती ब्राता अर्जन
19:12हमारा वनवास तो विफल होकर रहेगा
19:16उचत कह रहे हैं सेदे
19:21परन तु पांचाली की और बुरी दृष्टी से देखने के लिए
19:26इचक को दंड तो देना ही होगा
19:29योजना है मिर्पांच
19:43मामाश्री
19:45क्या वास्तब में हम
19:47विराट पर आक्रमन करेंगे
19:51नहीं मेरे बच्चे
19:55वो बूरा भैरव कभी आक्रमन नहीं करेगा
20:00तो आपने कीचक को वचन क्यूं दिया मामश्री
20:05मनुष्य की महत्व कांक्षाओं के मार्ग में
20:14सबसे बड़ा अवरोद कौन होता है जानते हो
20:19कौन
20:21उसके मन की लालसा
20:31स्त्री और मदिरा की लालसा
20:36कीचक के मन में
20:40द्रौपदी की लालसा है
20:44अन्यता वो प्राता काल तक का समय नहीं मांगता
20:50मूर्ख है वो
20:52जानता नहीं
20:54पांडूओं के रिदय में धर्म बसता है
21:02पांडव
21:04वन्वास के भैसे
21:06द्रौपदी के रक्षन का उत्तरदाई तु नहीं ट्याग सकते
21:13अर्थात
21:19आज रात्री को पांडव कीचक का वद कर देंगे
21:27और मैं प्रतीक्षा कर रहा कि कब भीम और कीचक के त्वंद की त्वनी मेरे कानों में सुनाई दे
21:41और हम तुरंत जाकर पांडवों का अज्यातवास विफल कर देंगे

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