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  • 3 days ago

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Transcript
00:00ओ-스� essay करें लिघ्वार्यâte
00:23जब ही मैं ये पलके
00:26बंद करता हूं, एक गहरे समंदर में उतरता हूं
00:44ना कोई आर छेहरा, ना कोई आर मंजर
00:53बस तो जिल सी आखे, मेरे दिल के अंदर
01:07वो एक तक मुझे देखती हैं और मुस्कुराती हैं पिर जाने कितने किसे मुझे याद बलाती हैं
01:22वो आखे खुदाया, वो आखे तुम्हारी दिन में ही तो दुनिया हमारी
01:40मैं आज भी खोया हूनी दो नजरों में जैसे कोई मुसाफिर खो जाए शहरों में
01:52मैंने उन नाखों में अपना घर देखा थां
02:10माने वाले के का हर पहर देखा थां मैंने उन में देखी थी हसी की खनक की और आखरी बारों में जुदाई की कसम भी
02:28तर जजबाती मेरा उन्ही में तो रहता थां वो जो भी कहती थी दिल सच मारूंता था
02:42वो आखे अफदाया वो आखे तुम्हारी थी इन में ही तो दुनिया हमारी
02:54मैं आज भी खोया होनी दो नजरों में जैसे कोई मुसाब तिर खो जाए शहरों में
03:06अब ये आँखे मुझे सूने नहीं देती है जालों की आँखों से
03:15होने नहीं देती है एक नशा है

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