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  • 5 days ago
संपूर्ण शिव अमृतवाणी Shiv Amritwani Complete Anuradha Paudwal Shiv Bhajan

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00:00कर्पतरू पुण्य आत्मा प्रेम सुथा शिवना
00:21हितकारक संजीवनी शिवचिंतन अभिरा
00:28पती तपावन जैसे मधू शिवरसना के बूल भक्ति के हनसा ही चुगे मूती ये अनमो
00:42जैसे तनित सुहावा सोने को चमकाए शिव सुमिरन से आत्मा अदभुत निखरी जाए
00:57जैसे चंदन वेक्ष को दसत नहीं लेना शिव भक्तों के चोले को तभी लगे नादा
01:11ओ नमस्षिवार ओ नमस्षिवार
01:19दयानिधी भूतेश्वर शिव है चतुर सुझां कणकण की तर है बसे नील कंट भगवां
01:33चंद चूड त्रीनेत्रा पुमापती विश्वेश शरणागत के ये सदा आटे सकल खनेश
01:47शिव द्वारे प्रपंच का चल नहीं सकता के आगर पानी का जैसे ओ तनी है में
02:02धय भंजनानट राज है दमरू वाले नाज शिव का वंदन जो करे शिव है उनके साथ
02:16ओ नमस्षिवार ओ नमस्षिवार ओ नमस्षिवार लापो अश्वमेध हो सोगंगाश नान
02:31इनसे उत्तम है कहीं शिव चर्णों का ज्यान अलत निरंजननाद से उपजे आत्म ज्यान
02:45भटके को रस्ता मिले मुश्किल हो आसान अमर गुणों की खान है चितशुथी शिव जाप
03:00सत संगत में बैठ के करनों पर शाता लिंगिश्वर के मनन से सिथ हो जाते काज
03:14नमो शिवाय रटता जा शिव रखेंगे लाज ओ नमस्षिवा ओ नमस्षिवाद
03:28शिव चर्णों को छूने से तनमन पाहन हो शिव के रूप अनूप की समता करेन को
03:42महा बले महा देव है महा प्रभू महा खाल असुरन कंदन ख़त की पीड़ा हरे तरकाल
03:56सर्व्यापी शिव खोला धर्म रूप सुपकाल अमर अनन्ता भगवन्ता जग के पालन हाल
04:10शिव करता संसार के शिव स्रिष्टी के मूल रोम रोम शिव रमने दो शिव ना जैयो कूल
04:25ओम नमा शिवाः
04:32ओम नमा शिवाः
04:39ओम नमा शिवाः
04:46ओम नमा शिवाः
04:50ओम नमा शिवाः
04:53शिव अम्रत की पावन धारा धोदे की हर कश्ट हमारा शिव का पाठ सदा सुपताई
05:05शिव के बिन है कौन सहाई
05:21शिव की निस दिन की जो भक्ती देंगे शिव हर भैसे मुक्ती
05:28मां थे धरो शिव धाम के तूली तूट जाएगी अम की सूली
05:35शिव का साधत दुख न माने शिव को हर पल सम्मुख जाने
05:42तौपत जिसने शिव को डोर नूदे न उसको पाचो चो
05:49शिव सागर में जो जन डूबे संकट से वो हसके जूजे
05:56शिव है जिनके संगी साती उन्हे नभिपदा कभी सताती
06:03शिव भतन का पकड़ हात शिव संतन के सदा हिसात
06:10शिव ने है ब्रह्मान रचाया तीनों लोक है शिव की माया
06:16जिन पे शिव की करुणा होती वो कंकर बन जाते मोती
06:23शिव संतार प्रेम की चोड़ो शिव के चरण कभी न छोड़ो
06:30शिव में मन वामन को रहने शिव मस्तक की रेखा बदने
06:36शिव हर जन की नस नस जाने पुरा भलावे सब पहचाने
06:43अजर अमर है शिव अविनाशी शिव पूचन से खट चवरासी
06:50यहां वहां शिव सरव प्यापक शिव की दयाक बनिये याचक
06:57शिव को दी जो सची निष्ठा होने न देना शिव को रुष्टा
07:03शिव है श्रथा के ही भूखे भोग लगे चाहे रूपे सूखे
07:10भाव न शिव को बस में करती प्रीत सही तो प्रीत है बढ़ती
07:17शिव कहती है मन से चागो देम करो अभिमान त्यागो
07:24दुनिया का महत्याग के शिव में रहे लीन
07:30सुखत खहानी लाब तो शिव के ही है अधीन
07:37भस्मर मैया पार्वति वरलब शिव फल दायक शिव है दुरलब
07:44महा को तुकी है शिव शंकर शूल धारी शिव अप्रयंकर
07:50शिव की रचना धरती अंबर देवों के स्वामी शिव हद गंबर
07:57काल तहन शिव रुंदन खूशित बोले न देते धर्म पदूशित
08:04दुर्गापती शिव गिर जाना देते है इस सुखों की प्रभात
08:11सुरुष्टी करता त्रिपूर खाती शिव की महिमा कही न जाती
08:18दिव तेज के रव है शंकर पूजे हम सब तभी है शंकर
08:24शिव सम और कोई न दानी शिव की भप्ती है कल्यानी
08:31कहते मुनि वर्भुणी स्थानी शिव की बाती शिव ली जानी बदियों का शिव पी हला हल
08:41नेकी कारस बातते हर पल सब के मनोरत सिद कर देते सब की चिंता शिव हर लेते
08:51गंबो लाव धूत सरूपा शिव दर्शन है अति अनूपा
08:58अनुकंपा का शिव है जर्णा हरने वाले सब की द्रिश्ना भूतों के अधिपती है शंकर
09:08निर्मल मन शुव मती है शंकर
09:12काम किशत्रू विश के नाशक शिव महयोगी भय विनाशक
09:18उक्र रूप शिव महतेच स्विः शिव के जैसा कौनत पस्विः
09:25इमगिर परवत शिव का डेरा शिव सन्मुक नाटि के अतेरा लाखो सूरज की शिव जोती
09:35शक्तों में शिव उक्मन होती शिव है जग के सिर जनहारी बंधु सका शिव इष्ट हमारी
09:45गौब्रामन के वेहितकारी पोडिन शिव सा परोपकारी शिव करुणा के स्रोत है शिव से करियों प्रीष शिव ही परमपनीत है शिव साचे मनमीत
10:05शिव सर्भों के भूशन धारी पाप के भख्षन शिव त्रिपुरारी जटा जूट शिव चंद शेकरी दिश्व के रच्षक कला कलेश्वर
10:19शिव की वंधन करने वाला धनवय भव पाजाए निराला कष्ट निवारक शिव की कूजा शिव सब यालू और न दूजा
10:32पंचम के जब रूप दिखावे तानव दल में भय चाजावे डम डम डम रो जब भी बोले चोर निशाचर का मन डोले
10:46खोट खाट जब भंग चड़ावे क्या है लीला समझ चलावे शिव है योगी शिव सन्यासी शिव ही है के लाश किवासी
10:59शिव काटा ससदा निरभीक शिव के खाम बड़े रमनेक शिव प्रकटी से भैरव जन्यू शिव की मूरत राखो मन में
11:13शिव कार चन मंगल कारि मुक्ति साधन भव पयाहारि पक्त वर्चल दीन दयारा न्यान सुधा है शिव किरपाला
11:26शिव नाम के नौका है न्यारी जिसने सब की चिंता टारी जीवन सिंदू सहज चतरना
11:36शिव का हर पलना मसमिरना तार कसुर को मारने वाले शिव है भक्तों के रखवाले शिव की लीला के गुनगाला शिव को भूलते ना बिसराना
11:52अंद का सुर से देव बचाए शिव ने अदबत खेल दिखाए शिव चर्णों से लिपटे रहे बुग से शिव शिव जैशिव कहिए
12:05भस मासुर को वर दे डाला शिव है कैसा भोला वाला शिव की दो का दर्शन की जो मन चाहे बर शिव से ली जो
12:19शिव शंकर के जाप से मिट जाते सब रोग शिव का न गह होते ही बीडा न देते सोग
12:32द्रमा विश्म शिव अनुगामी शिव है दिन हीन के स्वामी निर्बल के बल रूप है शंभू प्यासे गोजल रूप है शंभू
12:45रावन शिव का भक्त निराला शिव को दिदश शीष की माला गर्व से जब कैलाश उठाया शिव ने अमूठे सेथा दबाया
12:59दुखनिवारण नाम है शिव का रत्ने हो बिन दाम शिव का शिव है सब के वाग विताता शिव का सुमिरन है फल दाता
13:12शिव गधीची के भगवन्ता शिव की दियमर अनन्ता शिव का सेवादार सुदर्शन सासे तरदी शिव के अरपन्
13:25महादेव शिव ओघरदानी बाए अंग में सजे भवानी शिव शक्ती का मेल निराला शिव का हर एक खेल निराला
13:38शंभर नामी भक को तारा चंद सैन का शोक निवारा पिंगलने जब शिव को टाया गर्क छूटा मोप्ष पाया
13:51गोकर्ण की चंचु का लारी भवसागर से पार उतारी अनसुयाने की आरातन जूटे जिन्ता के सब बंधन
14:04बेल पत्त सेतर चंडाली शिव अनकंपा हुई निराली मरकंडे की भक्ती है शिव गुरवासा की शक्ती है शिव
14:18राम प्रभु ने शिव आ रा था सेतु की हर टन गई बाथा धन शबान था पाया शिव से पलका सागर आया शिव से
14:31श्री क्रिष्नन जब खा जाया दश पुत्रों का वरता पाया हम सेवक तो स्वामी शिव है अनहद अंतर यामी शिव है दील दयालू शिव मेरे शिव के रहियो दास
14:50घट घट के शिव जानते शिव पर रख विश्वास पर शुरामनी शिव गुण गाया ये आतप और परसा पाया निर गुण भी शिव शिव नीराका
15:08शिव ही होते मूर्दी मार शिव ही करते जग कल्यार शिव में व्यापत दुनिया सारी शिव की सित्ती है भरहारी शिव है बाहर शिव ही अंदर शिव की रचना साथ समंदर
15:30शिव है हर एक मन के भीत शिव रहते कड़ कड़ के भीत तन में बैठा शिव ही बोले दिल की धड़ कन में शिव डोले अमकट पुथली शिव ही नचाता
15:46माटी के रंगदार कि नौन सावन सुंदर और सिदोन शिव ही जोडे शिव ही तोडे शिव तो किसी को खुला न छोड़े
16:03आत्म शिव परमात्मा शिव है दया भाव धरमात्मा शिव है शिव ही दीपक शिव ही बाती शिव जो डही तो सब कुछ माती
16:16सब देवों मीजेश शिव है सकल गुणों में श्रेश शिव है जब ये तांडव करने लगता जमांड सारा तरने लगता
16:29तीसर चक्षु जब जब खोले राही राही ये जग बोले
16:36शिव को तुम प्रसन नहीं रखना आस्ता और लग नहीं रखना
16:43विष्णु ने की शिव की पूजा कमल जडाओं मन को सूचा
16:49एक कमल जो कमता पाया अपना सुंदर ने न चढ़ाया
16:56साक्षात तब शिव थे आया कमल नयन विष्णु कहनाया
17:02इंद्र धनश के रंगों में शिव संतों के सत संगों में शिव
17:09महाकाल के भक्त को मार न सकता काल
17:15द्वार खड़े यम राज को शिव है दे दे टाल
17:21यग सूजन महारा उत्र शिव है आनंद मूर्पी नटवर शिव है
17:28शिव ही है शमशान निवासी शिव कादे मित लोक की पासी
17:35व्याग्र चर्म कमर में सोहे शिव भक्तन के मन को मोहे
17:41नंदी गण पर करे सवारी आदिनात शिव दंदा धारी
17:48काल के भी तो कान है शंकर विश्थारे जगपान है शंकर
17:55महासती के पती है शंकर देन सथा शुभ मती है शंकर
18:01लाखो शशी के सममुखवाने भंग धतूरे के मतवाने काल धैरव भूतों के स्वामी
18:11शिव से कापे सब खलकामी शिव है कपाली शिव भस मांगी शिव की दया हर जीवन मांगी
18:21मंगल करता मंगल हारी लेव शिरो मणी महा सुखकारी
18:27जलकथ बिल्व करे जो अरपड शत्ता भावसे करे समरपड शिव सद उनकी करते रक्षा
18:37सत्य कर्म की देते शिक्षा लिंग पिचंदन लेपजो करते उनके शिव बंडार है परते
18:47चौसट योगिन शिव के बस्वें शिव है नहाते भक्ती रस में
18:54वासु की नाग कंक की शोवा आशुतोष है शिव महदेवा विश्व मूर्त करुणा निता
19:03महमित्युन जै शिव भगवाल शिव धारे रुत्राक्ष की माला नीलेश्वर शिव डमरुवाला पाप कशोदग मुक्ती साधन
19:16शिव करते दिरदई का मर्दन शिव सुमिरन के नीर से धुल जाते है पाप
19:25पवन चले शिव नाम की उडेर दुख संदात। पंचाक्षर का मंत्र शिव है साक्षाच सरवेश्वर शिव है शिव को नमन करे जग सारा
19:42शिव का है ये सकल पसारा शिर सागर को मतने वाले रिद्ध सित सुक देने वाले अहमकार के शिव है विनाशक नर्मदीप जोती प्रकाशक
19:58शिव बिछुयन के कुंडल थारी शिव की माया स्रिष्टी सारी पानन्दाने की अशिव चिंतन। राक्ष माला की निधारन
20:11घव सिंधु से शिव ने तारा शिव अनुकंपा अपरंपारा त्री जगत के शह शिव जी जिल्गतेज दोरी शह शिव जी
20:24महाभार को सहने वाले वैर रहित दया करने वाले गुण स्वरूप है शिव अनुका
20:34अमभानात है शिव तपरूपा शिव चंडिश परम सुख जोती शिव करुणा के उच्छवल मोती पुण्यात्मा शिव योगेश्वर है
20:47महादयालू शिव चरणेश्वर शिव चरणन पे मस्तक धरिये श्रद्धा भाव से अर्चन करिये मन को शिवाला रूप बनालो रोम रोम में शिव को रमालो
21:03माते जो पगधूली धरेंगे धन और धान से कोश भरेंगे शिव का वाकव पन ना चावे शिव का दास परम पद पावे
21:16दशो दिशाओ में शिव त्रेष्टी सब पर शिव की क्रिपा प्रेष्टी शिव पसदा ही संब पचानों कण कण बीच वसे ही मानों
21:29शिव को सापो जीवन नईया शिव है संकट टाल के वैया अंजली बांद करे जो वंधन वै दन जाल के तूटे वंधन
21:42जिनकी रक्षा शिव करे मार न उसको पोई आग की नदिया से बचे बाल न बापा होई
21:54शिव दाता बोला भंदारी शिव कैना शीकला बिहारी सगुन प्रह्म कल्यान करता विद्न विनाशक बादा हरता
22:08शिव स्वरूपिन स्रिष्टी सारी शिव से प्रतवी है उजियारी गगन दीप भीमाया शिव की आम देनु पे चाया शिव की
22:21गंगा में शिव शिव में गंगा शिव के तारे तरत कुसंगा शिव के कर में सजेत्र शूला शिव के बिनाये जग निरमूला
22:33स्वर्णमई शिव जटा निराली शिव शंभू की छटा निराली जो जन शिव की मन माँ पाये
22:43शिव से भल मन आंचित पाये शिव पग पंपज स्वर्ग समाना शिव पाये जो तजे अभिमाना शिव का भक्त न दुख में डोले शिव का जादू सिर चड़ बोले
22:59परमानंद अनंत सुरूपा शिव की शर्ण पड़े सब दूपा शिव की जपियो हर पल माला शिव की नजर में तीनों काला
23:12अंतर खट में इसे बसालो दिव्य जोत से जोत मिदालो नमस्षिवाय जबे जो स्वासा पूरे हो हर मन की आशा
23:25परम पिता परमातमा पूर्ण सचीद आनंद शिव के दर्शन से मिले सुख दायक आनंद
23:37शिव से बेमुक कभी न हो ना शिव सुमिरन के मोति पिरो ना जिसने भजन हो शिव के सीखे उसको शिव हर जगा भी दीखे
23:51प्रीक में शिव है शिव में प्रेती शिव सम्मुक ना चले अनेती शिव नाम के मदर सुखंदी जिसने भस्त की ओने नंदी
24:04शिव निर्मल निर्दोश निराले शिव ही अपना विर्द समाले परमपुरश शिव ज्यान पुनीता
24:14मत्तों ने शिव देम से जीता
24:17आख पहर आरा दिये जो तिर निंग शिव रूप
24:45ने नन बीच बसाईए शिव का रूप अनूप
24:52लिंग मैं सारा जगत है लिंग धर्ति आकार
24:59लिंग चिंतन से होत है सब पापो का ना
25:06लिंग पवन का वेग है लिंग अगनी की जोद
25:14लिंग से ही पाताल है लिंग वरुण कास्रों
25:21लिंग से है ये वनस्पति लिंग ही है पलपूर
25:28लिंग ही रत्नसरूप है लिंग माट लिंग धूर
25:35लिंग ही जीवन रूप है लिंग मृति लिंग का लिंग में हागन भोर है लिंग ही है मुझा
25:42लिंग ही जीवन रूप है लिंग मृति लिंग का लिंग में हागन भोर है लिंग ही है मुझा
25:56जो तिर लिंग की साधना करते है तिनों लो लिंग ही मंत चाप है लिंग का रूप श्डोप
26:11लिंग से बने पुरान है लिंग वेदों का साथ रधिया सिधिया लिंग है लिंग करता करता
26:25रातक का लिंग पूजे पूरण हो सब काज लिंग पे करो विश्वास तो लिंग रखेंगे लाज
26:40ओं नमस्षिवाद ओं नमस्षिवाद
26:47सकल मनोरत सेत हो दुखो कहो अंद जो तिर निंग के नाम से सुमिरत जो भववंद
27:02मानव दानवर शीमनी जो तिर निंग के दास सर्व व्यापक लिंग है पूरी करे हर आस
27:16शिवरूपी इस लिंग को पूजे सब अबतार जो तिर निंगों की दया सपन करे साकार
27:30लिंग पिचड़ने वेध्यका जो जनने परसार उन किर दय में बजे शिव करुणा का नाल
27:44ओ नमस्षिवार ओ नमस्षिवार
27:52महिमा जो तिर निंग की गाएंगे जो लो भय से मुक्ती पाएंगे रोग रहे नासो
28:06शिव के चरण सरोज तू जो तिर निंग में दे सर्व व्यापी शिव बदले भाग्य तिरे की रेंग
28:20दारी जो तिर निंग पे गंगा जन की धार करेंग गंगा थर्क छे भव सिंदू से पार
28:34चित शुक्ति हो जाए रे लिंगो का धर्थान लिंग ही अमरित कलेश है लिंग ही दयानिधान
28:48ओना मशिवाई
29:08ओना मशिवाई
29:14ओना मशिवाई
29:18जो तिर निंग है शिव की जोती जो तिर निंग है दया का मोती जो तिर निंग रतनों की का
29:42जो तिर निंग में रमा जहाँ
29:46जो तिर निंग का तेज निराला धन संपत का देने वाला
29:52जो तिर निंग में है नटनागर
29:56जो तिर निंग की की जो सेवा यान चान का पाओग मेवा
30:06जो तिर निंग है पिता समार
30:10जो तिर निंग है इश्ट प्यार
30:16जो तिर निंग है सका हमार
30:19जो तिर निंग है नारीश्वर
30:22जो तिर निंग है सिध्विमलेश्वर
30:26जो तिर निंग गोपेश्वर दाता
30:29जो तिर निंग है विधीविदाता
30:32जो तिर निंग शरनेश्वर स्वामी
30:36जो तिरलिंग है अंदर यामी सत युग में रत नोसे शोबित देवजनों के मन को मोहित
30:46जो तिरलिंग अत्यंत है सुन्दर चटा की जिसकी ब्रह्मान दर अंदर
30:53त्रेता युग में स्वर्ण सजाता सुख सूरज ये ग्यान ध्वजाता सकल स्रिष्टि नमन्ती करती
31:03इस दिन पूजा भजन थि करती द्वापर युग में पारस निर्मित गुणी यानी सुरनर सेवित
31:13जो तिरलिंग सब के मन हाता महपातक को मार भगाता
31:20कल युग में पार्थिव की मूरत जो तिरलिंग नंदिकेश्वर सूरत खपी शक्ति का वर दाता
31:30जो कागा को हंस बनाता
31:34जो तिरलिंग पे पुष्प चड़ाओ के सर चंदन तिलक लगाओ
31:40जो जन दूद करेंगे अरपन पुझले हो उनके मन दरपन
31:47जो तिरलिंग के जाप से तनमन निर्मन होय इसके बगतों का मनवा करें नभी जलित कोय
32:01सुमनात सुप करने वाला सुम के संकट हरने वाला रक्ष शाप से सुम छुडाया
32:11सुम है शिव की अधबुत माया चंद्रदेव ने किया जो बंदन सुमन काटे दुख के बंदन
32:21जो तिरलिंग है ये सुकदाई भी नहीन का सदा सहाए भक्ति भाव से इसे दियाए मनवानी शीतल कर जाए शिव की आत्मा रूप सुम है
32:38रभु परमात्मा रूप सुम है यहाँ उपासन चंद्रने कि शिव ने उसकी चिंता हर ली इस दीरत की शोबा न्यारी
32:52अमरित सागर भव भलहारी चंद्रपुंड में जो भी नहाए पापस वे जन मुक्ती पाए शय कुष्ट सब रोग मिटावे
33:05काया गुंदन पल में बनावे मलिकार जुन है नाम न्यारा शिव का पावन धाम प्यारा कार्ति के जब शिव से ते रूठे
33:19मात पिता के चरणन छूटे श्री शेल परवत जा पहुटे कष्ट भया पारवत के मन में पह गुमार से चली जो मिलने
33:32संग चलना माना शंकर ने श्री शेल परवत के ऊपर गए जो दोनों पुमा महेश्वर उन्हें देख कार्तिक उठ भागे
33:45और उमार परवत पे विराजे जहां सित हुए पारवती शंकर थाम बना वे शिव का सुन्दर शिव का आरजुन नाम सुहाता
33:58मलता है मेरी पारवती माता लिंग रूप वो जहां बे रहते मली कार्जुन है उसको कहते मन वांचित फल देने वाला
34:11निर्मल को बल देने वाला जो तिर लिंग के नाम की रेमन माला पे मनों का मना पूरण होगी लगे नचिन भीदे
34:28उच्चन कीक्षि प्रनदी की नारे ब्रामन थे शिव भक न्यारे दूशन दैत सताता निस दिन दर्मद्वेश दिखलाता निस दिन
34:42दुखि हो राक्षस से अतिभारे परमसित ब्रामन से बोले जैत के भैसे हर कोई डोले
34:56दुष्ट निशाचर से छुटकारा पाने को करो यत प्यारा ब्रामन तपने रंग दिखाए
35:06प्रित्थी पाड महकाल आए राक्षस को हुंकार से मारा भय से भक्तन को वारा
35:16आग्रह भक्तों ने जो पीना महकाल ने वर्था दीना जो तिर निंग हो रहूं यहाँ पर
35:26इच्छा पूर्ण करूं यहाँ पर जो कोई मन से मुझे पुकारे उसको दूंगा वै भवसारे
35:36उच्चनी के राजा के पास मनी की अद्वत बड़ी ही कास जिसे चीनने का शड़ यंत्र किया था कईयों ने ही मिलकर
35:49मनी बचाने की आशा में शत्र विजय की अभिलाशा में शिव मंदिर में डेरा जमा कर वोगर शिव का ध्यान लगा कर
36:03एक बालक ने हद ही कर दि उस राजा की देखा देखे एक साधारन पत्तर लेकर
36:13अभुचा अपनी कुतिया भी कर शिव लिंग मान के वे पाशाल पूजन लागा शिव भगवाल
36:23उसकी भक्ती की चुंबक से खिजे ही आये शंभू जट से ओंकर ओंकर की रट सुनकर
36:33वे प्रतेश्टित ओंकर बनकर ओंकार श्वर वही है का
36:39बन जाए विगडे जहां पेका नर नारायन दो अवतार भोले नात से जिने ता प्यार
36:49पत्तर का शिव लिंग बनाकर शिव शंकर ओंकार का रट ले मन वाला जीवन के हर गाह में शिव जी लेंगे ताम
37:08नर नारायन दो अवतार भोले नात से जिने ता प्यार
37:16पत्तर का शिव लिंग बनाकर नमस्ष वाय की घुन दाकर
37:22कई वर्ष तप किया शिव का पुजार जप किया शंकर का शिव दर्शन को किया प्यासी
37:32आगर एक दिन शिम कैलाशी नर नारायन सेवे बोले दया के मैंने द्वारे कोले जो हो इच्छा लो वर्दान
37:46कुन के बस में है भगमान करबान दे की भक्तों ने बिनती कर दो पावन प्रबु ये धरती तरस रहा के दार का हंड ये
37:59बन जाये उत्तम अमुरित कुंड ये शिव ने उनकी मानी बात बन गया वेही के दरनात
38:09मंगल दायक धाम शिव का कुझ रहा जानाम शिव का कुंब कर्ण का बेटा दी ब्रह्म वर्पा हुआ बली यसी इंद्र देव को उसने हराया
38:26काम रूप में गरजता आया कैद गिया था राजा सुदाक्षन करागार में कर शिव पूजन किसी न भीम को जाबत लाया
38:39पार्थिवलिंग पर मार ही थोड़ा जब था पावन शिवलिंग तोड़ा प्रगट हुए शिव तांडव करते जगा भागने धीम खडरते
38:55डमरू धर ने देकर छटका धरा पे पापी दानव पटका ऐसा रूप विक्राल बनाया
39:05बन गए भोले जी प्रल यंकर भीम मार कि हुए भीम शंकर शिव की कैसी अलो कि कमाया
39:18आज तलक कोई जाद न पाया हर हर हर महादेव का मंत्र पढ़े दिन रहे
39:27दुख से पीड़ तो मंदरा पा जाएगा चैन परमेश्वर ने इक दिन वक्तो जानना चाहा एक में दो को
39:41नारी पुर्ष हो प्रकटे शिव जी परमेश्वर के नूम न शिव जी
39:47नाम पुर्ष का हो गया शिव ही नारी बनी थी अंबाशक थी परमेश्वर की आग्या पाकर
39:57तपी बने दोनों समाधी लगाकर शिव ने अदबुत तेज दिखाया पाँच पोस का नगर बनाया जो तिरमय हो गया
40:10नगरी जित हुई पुरुष के पास शिव ने की तब सृष्टि की रचना पड़ा उस नगर को काशी बनना पाच कोस के कारण तब ही इसको कहते हैं पंच कोसी
40:27विश्वेश्वर ने इसे बसाया विश्वनात ये तभी कहाया यहान मन जो मन से करते सिद्ध मनोरत उनके होते
40:40ब्रमगिर पर तप गौतम ने कर पाए सितियों के कितने वर इरशाने कुछ रशिवट काए गौतम के वेरी बन आए
40:53द्वेश का सबने जाल बिछाया गौहत्या का दोश लगाया और कहां तुम प्राशित करना स्वर्ग लोक से गंगा लाना
41:07एक करोड शिव लिंग सजाकर गौतम की तप जोत उजाकर प्रगटि शिव और शिवा वहां पर
41:17गंगा रिशिने गंगा कावर शिव से गंगा ने विनै की ऐसे यहां प्रभु मैं न रहोंगी जो तिर लिंग प्रभु आपन चाहे
41:30तिर मेरी निर्मल धार बहाए शिव ने मानी गंगा की बिनती गंगा छटपट बनी गौतमी त्रंब के श्वर हो शिव जीव राजे
41:47अधर की अर्चना करे जो मन चितलाई शिव करुणा से उन पर आच कभी नाई
41:59राक्षस राज महाबली रावन ने जब तप सिकिया शिव बंदर थए प्रसनत शंभू प्रगटे
42:09जो तिरलिंग लंका ले जाओ सदा ही शिव शिव जै शिव गाओ प्रभू ने उसकी अर्चन मानी और कहा ये रहे साह धानी
42:25रस्त में इसको धराप न धरना यदी धरेगा तो फिर न उठना जो तिरलिंग रावन ने उठाया वरुण देव ने रंग दिखाया
42:38उसे प्रगीत हुई रगुशंका धीरज खोया उसने मन का विष्णो ब्रामन रूप में आए जो तिरलिंग दिया उसे थमाये
42:51रावन निम्रत हो जब आया जो तिरलिंग प्रितवी पर पाया जीवर उसने जोर लगाया गयान पर वे फिर से उठाया
43:04लिंग गयो पातान में खसकर आठ अंगुल रह भूमी उपर ओ निराश लंकिश पच्छताया चंद कूप फिर कूप बनाया
43:17उसमें तिर्थों का जल डाला नमो शिवाई की पेरी माला जलस किया था लिंग भिशेका वे जू भीलन दिश्म देखा प्रत्म पुजन था उसी निकीना नटवर ने उसे वर ये दिना
43:37खूजा तिरी मेरे मन को भावे मेर्जनात ये सदा कहावे मन वाचित फल मिलते रहेंगे सूखे उपवन किलते रहेंगे टूंगा जल जो कावर लावे मत्व मेरा परमपद पावे
43:57ऐसा अनुकम था महशिव का मुक्ती दाता ना महशिव का भक्तन की अहरे बलाएं बोलबं बोलबं क्यों ना गएंगे वैजनात भगवान की पूज़ करो धर्थान
44:16सफल तमारे को आज हो मुश्किन आसा सुप्रिय वैश थर्म अनुरागी शिव संग चिसकी लगन तिनागी तारुक दानव अत्याचारी लेता उसको द्रास थमारे
44:36सुप्रिय को निज पुर ले जाकर बंद किया उसे बंदी बनाकर लेकिन भक्ती चुक नहीं पाई जेल में बूजा रुक नहीं पाई
44:49दारुक इक दिन फिर वहा आया सुप्रिय भक्त को बड़ा दम काया फिर भी शत्म होई ना विचनित लगा रहा बंदन में ही चित
45:02भक्त निजव शिव जी को पुकारा महसिम आसन प्रगटा न्यारा जिस पर जो तिर लिंग सजाता पाशुपत अस्त्र पास पड़ा था
45:15अस्त्र निसुप्य जब ललकारा दारुक को एक वार में मारा जैसा शिव आदेश ताया देशिव लिंग नादेश कहाया
45:28रगुवर के लंका पे चड़ाई नलका नील निकला दिखाई सोयो चनका से तू बांदा जामने उस पर शिव आराधा
45:40रावन मार के लोट जब आये परामर्ष को रशी बुलाये पहमुनियों ने ध्यान दिजो प्रम हत्या का प्राइशित की जो
45:53बालू का लिंग सी ये बनाया पिदी से रगुवर ने ठ्याया राम कियो जब शिव काचा रम दलन का धुल गया पाप
46:06हर हर महा देव जयकार भू मंडल में गुणजे न्यार जहाचर ने शिव नाम के पहते उसको सभी रामेश्वर कहते
46:19गंगा जल से यहां जो नाये जीवन का भी हर सुख पाये शिव के भक तो कभी ना डोलो
46:29जै रामेश्वर जै शिव बोलो
46:32पार्वति वल्लब शंकरा कहे जो इकमन होई शिव करुणा से उसका करे अनिशन कोई
46:44देव गिरे निकचु धर्म रहता शिव अर्चन था विदी से करता उसकी सुदेह पत्नी प्यारी
46:55कुछ कुछ फिर भी रहते चिंति योंकी थे संतान से वंचित
47:04खुश्मा उसकी बहना चोटी प्यम सुदेहा से बड़ा करती
47:11उसे सुदेहा ने जो मनाया लगन सुधर्मा से करवाया
47:17बालक खुश्मा को कसे जन्मा चांद से जिसकी होती उपमा
47:24पहले सुदेहा अतिहर शाई इर्शा फिर की मन में समाई
47:30कर दी उसने घात निराली उसी सरोवर में शव डाला
47:40बुश्मा जब जहां शिव की माला शत्मा से जब धान नगाया
47:46बालक जीवित हो चल आया साखशात शिव दर्शन दिले
47:52सिद्ध मनोरत सारे के ले वास्त होकर परमेश्वर
47:59जो चुन ते शिव लगन के मोती सुक की वर्शा उनकर होती
48:08शिव है दयालू डमरू वाले शिव है संतन के रखवाले
48:15शिव की भक्ती है फल दायक शिव भक्तों के सदा सहायक
48:21मन की शिवाले में शिव देखो शिव चरणन में मस्तक देखो
48:28गणपत के शिव पिता है प्यारी तीन लोक से शिव है न्यारी शिव चर्णन का होए जोदार उसके घ्रह में शिव का निवास
48:41शिव ही है निर्दोश निरंजन मंगल दायक भय के बंजन श्रथा की मांगे विलपतिया जाने सब के मन की बतिया
48:54शिव अम्रित का प्यार से करे जुनिस दिन पार चंद जोण शिव सदा करे उनका तो कल्यार

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