Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • yesterday
🐜 The Ant and the Grasshopper – Urdu Fairy Tale Cartoon

Title: Chiunti Aur Tiddha
Type: 3D Animation, Urdu Story for Kids
Language: Urdu
Duration: ~5 to 10 minutes
Audience: Children aged 3–8


---

📖 Story Summary

This classic moral story is beautifully retold in Urdu animation. It follows:

1. The Summer Fun

The grasshopper spends his summer singing, dancing, and enjoying himself.

Meanwhile, the ant works hard collecting and storing food for the upcoming winter.



2. Winter Hardships

When winter comes, the grasshopper is cold and hungry.

He visits the ant’s home asking for help.



3. The Lesson

The ant helps the grasshopper but warns him about the importance of hard work and preparation.

The grasshopper learns that time should not be wasted, and working for the future is wise.

Category

😹
Fun
Transcript
00:00चीटी और टिड़े की कहानी
00:30अपनी सर पर बड़े भारी गेहूं के दाने लेकर तवाजन कायम करती
00:35गेहूं का हर एक दाना धियान से कप में रखती और दाने लाने के लिए दुबारा वापस जाती
00:40पूरा दिन बिना थके बिना आराम करे बस आती जाती रहती और गेहूं की दाने ध्यान से कप में रखा करती
00:46वहाँ दूसरी जानिब एक आल से टिडडा बस छाओं में बैठा रहता और गाने गाता
00:52मुस्तक्बिल में क्या होगा उसकी फिक्र किये बिना वो आराम से बस छाओं में बैठा रहता
00:58उसे दिन फिर काम करने वाली बेचारी चीटियों पे रहम आती थी
01:02दिन गुजर रहे थे
01:05तभी आल से टिडडा गांस पर कूटता और आराम से लजीज खाना खाता रहता
01:12बस गाना गाते गाते आराम से जी रहा था
01:15जब चीटियां दाने लाकर घर में संभाल कर रख रही थी और मेहनत कर रही थी
01:22एक दिन रोजाना की तरह जब सारी चीटियां दाने ला रही थी
01:29तब उन में से एक चीटी भारी दानों की वज़ा से नीचे गिर गई
01:33और दर्द की वज़ा से रोने लग गई
01:36उसकी मदद करने की बजाए टिड़ा उसे देखकर हसने लगा
01:39चीटी ने कहा
01:42चीटी की बातों को अनसुना करके टिड़ा अपनी ही मौसकी में मगन हो गया
01:56चीटी ने अकेले ही अपनी महनत से वो दाना उठाया और वो चली गई
02:01तुम इतनी महनत क्यों करती हों प्यारी चीटी
02:05टिड़े ने पूछा
02:07तोड़ो आराम फर्माओ और मेरी मौसकी भी सुन लो गर्मी है और दिन भी बड़ा है
02:14किस लिए बोज उठाने में वक्त गवा रही हो
02:17चीटी ने अनसुनी करके गर्दन घुमाली और जल्दी में वो खेत की जानिब रवाना हो गई
02:25तबी टिड़ा जोर से हसा
02:29तुम बड़ी बेवकूफ चीटी हो
02:33टिड़े ने फिर से उसे पकारा
02:36आओ आओ मेरे साथ नाचोगाओ
02:38काम कबूल कर गर्मी का थोड़ा लुटफ लेते हैं
02:42मैं मौसमे बारिश के लिए खाना इकट टकरने में लगी हूँ
02:45चीटी ने कहा
02:47और तुमें भी ऐसे ही करना चाहिए
02:49बारिश की इतनी फिकर क्यों करनी है
02:52टिड़े ने जवाब दिया
02:54अभी तो हमारे पास खाने के लिए बहुत सारा खाना है
02:57और बहुत सारा वक्त भी है बरसात की तैयारी के लिए
03:00लेकिन चीटी को समझा गया था के आखिर वो क्या कर रहा है
03:04इसलिए वो अपने रास्ते निकल गई
03:06यहां टिड़ा पूरे मौसम में अपने ही नाजगानों में मसरूफ रहा
03:11सारा दिन काम करके बारिश की तैयारियां करनी की बजाए
03:16उसने खेलना, नाचना, गाना इन सब को एहमियत दी
03:20यह खूबसूरत मौसम गर्मा के दिन हमेशा रहने वाले नहीं है
03:25और जल्द ही बारिश फिर सर्दी आने वाली है यह तो वो भूली गया
03:30जल्द ही गर्मी का मौसम बारिश में तबदील हो गया
03:36और बारिश के बाद मौसमें सर्मा आ गया
03:38सूरज अब बहुत ही कम दिखता था
03:41दिन छोटा था और जबके रात लंबी और अंधेरी थी
03:46हर जाने बयानक सर्दी और बर्फ बारी शुरू हो चुकी थी
03:51टिड़ा सर्दी से कांपने लगा
03:54खुद को सूखे पतों से बचाने की कोशिश में ठकने लगा
03:58लेकिन जूरों की हवा चलने पर उसे ठंड लगती थी
04:02उसे बेहत भूक लगा करती लेकिन खाने के लिए कुछ न मिलता
04:06उसे पता लग गया कि अगर खाने के लिए जल्दी कुछ न मिला तो वो मर जाएगा
04:12वो कमजूर हो गया था
04:14जल्दी उसे समझा गया कि चीटियां सही थी
04:18उसे भी तैयारी कर लेनी चाहिए थी
04:20टिड़े को अब नाचना गाना पसंद ही नहीं आ रहा था
04:24मारे सर्दी के वो भूका था
04:27उसे बर्फ से बचने के लिए न तो घर था और न खाने के लिए खाना था
04:32तमाम हर्याली और खेत बर्फ से लिप्टी हुई थी और खाने के लिए कुछ न था
04:38अब मैं कहा जाऊं अब मैं खाने के लिए क्या खाऊं
04:44foreign
04:46today
04:48was
04:50not
04:52it
04:54was
04:56it
04:58was
05:00it
05:02was
05:04it
05:06was
05:12मैं चीटी के पास जाता हूँ, मुझे वहाँ खाना मिलेगा और पना भी
05:18टिड़ा बेहद शर्मिंदा हो गया, वो ठक कर चीटियों के घर तक गया और उसने दर्वाजा खट-कटाया
05:25आधाब चीटियों
05:31वो मुस्कराते हुए बोला
05:33मैं हाजिर हूँ, तुम लोगों के लिए गाने, लेकिन उसके लिए मुझे थोड़ी सी गर्मी चाहिए
05:42और कुछ खाना भी चाहिए, ताकि मैं गा सकूँ
05:47नहीं नहीं जनाब टिड़े, हमें आपका गाना सुनने की कुई ख्वाहिश नहीं
05:54टिड़े ने उन्हें घर में दाखिल होने की दर्ख्वास्त की और जिन्दा रहने के लिए खाना देने की भीक मांगी
06:01क्या?
06:03चीटी ने हैरत से कहा
06:04मौसम सर्मा के लिए अपने कोई इंतिजाम न किया, तो मौसम गर्मा में आप आखिर कर क्या रहे थे?
06:11वो, वो, मुझे खाना जमा करने के लिए वक्त ही नहीं मिला
06:17टिड़े ने अपनी वज़ा बताई
06:18मैं मौसकी में इतना मुप्तिला था कि पता ही चला, कि गर्मियों का वक्त कब निकल गया?
06:25चीटियों ने उसकी तरफ नफरस से देखा और उसकी जानिब पेट करके अपने अपने काम पर रवाना हो गई
06:33एक चीटी जिस पर टिड़ा हस पड़ा था, वो उसकी जानिब मुढ कर बोली
06:38तमाम मौसमे गर्मा मैं काम करती रही और तुम गाना बचाते रहे और मेरा मजाग उड़ाते रहे
06:45अब तुम्हारे लिए मेरे पास न तो खाना है और नहीं आसरा है
06:50मौसमे सर्मा के लिए तुम्हें अपने बारे में सोचना चाहिए था
06:54Chintiyo ne Tidda ke moho per darwaza bandh kiya
06:58Aur Tidda rohne laga
07:01Khatm
07:08If you enjoyed this story, please like and subscribe our channel
07:14And press the bell icon to get future updates
07:18And don't forget to comment

Recommended