- 7/11/2025
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00:00धारानगरी एक ऐसा राज्य जहां सुख और संब्रद्धि का सामराज्य था
00:04यहां राजा खडग सिंह राज करते थे जिनकी न्याय प्रियता और वीरता की चर्चा दूर दूर तक फैली थी
00:10उनकी पतनी राणी रूपवती नकेवल सुंदर थी बलकि वह एक पती ब्रतास्त्री भी थी जिनकी चाया में उनके दो पुत्र रूप और बसंत पल बढ़ रहे थे
00:19सब कुछ ठीक चल रहा था पर फिर एक दिन अचानक राणी रूपवती बीमार पड़ गई
00:24राणी की बीमारी से पूरे राज महल में उदासी चा गई
00:27राजा खडगसिहन ने दूर दूर के राज्यों से शाही वैद्य बुलवाए
00:31हर तरह की दवा, हर तरह का उपचार किया गया
00:34लेकिन कोई भी वैद्य राणी की बीमारी को नहीं पकड़ पाया
00:37फलस्वरूप राणी की तबियत में सुधार के बजाए गिरावट आती गई
00:41दिन बदिन वह कमजोर होती गई और उनका चहरा पीला पड़ता गया
00:45एक दिन राणी रूपवती अपने कमरे में लेटी हुई थी
00:48उनकी नजर शाही बाग के एक पेड़ पर टिकी हुई थी जहां एक चिड़िया का घोंसला था
00:53उस घोंसले में एक चिड़िया एक चिड़ा और उनके दो नन्हें बच्चे रहते थे
00:58राणी को उन्हें देख कर थोड़ी शांती मिलती वह सोचती कितना सुन्दर द्रिश्य है
01:02एक छोटा सा परिवार साथ में खुशिया बाट रहा है
01:06लेकिन कुछ दिनों बाद वह चिड़िया मर गई
01:08चिड़ा अकेला रह गया
01:09कुछ समय बाद वह एक नई चिड़िया को ले आया
01:12राणी ने यह सब देखा और मान ही मन सोचा
01:14शायद जीवन का भी यही सत्य है
01:17एक जीवन समाप्त होता है तो दूसरा शुरू हो जाता है
01:20लेकिन फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि राणी का दिल दहल गया
01:23चिड़ा दाना लेने गया हुआ था
01:25और नई चिड़िया ने उन दोनों नन्हे बच्चों को घोंसले से नीचे गिरा दिया
01:30वे मासूम बच्चे नीचे गिर कर मर गए
01:32जब राणी रूपवती ने यह सब देखा तो उनका हृदय पीड़ा से भर उठा
01:37राणी के मन में धेरों विचारों ने जन्म ले लिया
01:40क्या मेरी हालत भी उस चिड़िया जैसी है
01:42क्या मेरी मृत्य निकट है
01:43और अगर ऐसा हुआ
01:44तो क्या राजा किसी और राणी को ले आएंगे
01:47क्या वह मेरे रूप और बसंत को प्यार देगी
01:49या फिर उन्हें भी इसी तरह निर्दैता से ठुकरा दिया जाएगा
01:53ये सब आँखों के आगे आते ही
01:55राणी की आँखों से अश्रू धारा बहने लगी
01:58रूप और बसंत के भविश्य को लेकर
02:00वो अंदर ही अंदर घुटने लगी
02:02सोचने लगी
02:02अगर मैं नहीं रही तो मेरे दोनों बच्चों का क्या होगा
02:05दुखी हृदय से राणी रूप वती
02:07ने अपने दोनों बेटों को अपने पास बुलाया
02:09रूप और बसंत दोनों ही
02:11अपनी मां के पास आकर बैठ गए
02:13राणी ने उन्हें गले लगाया
02:14और उनके सिर पर हाथ फेड़ते हुए कहा
02:17मेरे बच्चों तुम दोनों मेरी जान हो
02:19मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी
02:20चाहे मैं तुम्हारे सामने हो या नहो
02:22तुम्हें एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ना है
02:25समझें मा की बात सुन रूप चिंतित हो कहता है
02:28मा तुम ऐसा क्यों कह रही हो
02:30तुम ठीक हो जाओगी है ना
02:31बसंत भी मासूमियत से बोल उठा
02:33हाँ मा तुम जल्दी ठीक हो जाओ
02:35हम तुम्हारे साथ खेलना चाहते हैं
02:37बच्चों की बात सुन
02:38रानी रूप वती की आँखों में आँसू आ गए
02:40वो बोली हाँ बच्चों मैं जल्दी ही ठीक हो जाओंगी
02:43दुखी हरदय से रानी ने अपनी दासी को
02:46राजा को बुलाने के लिए भेजा
02:47दासी राजा के पास जाती है
02:49और कहती है महराज
02:50महराणी जी की तबियत बहुत खराब है
02:52वो आपसे मिलना चाहती है
02:53दासी की बात सुन
02:55राजा खडग सिंह पैदल ही
02:57तुरंत रानी वास के लिए चल पड़ता है
02:59जियों जियों वो रानी के महल के करीब जा रहा था
03:01त्यों त्यों किसी अन्होनी की आशंका के चलते
03:04राजा का हरदय भारी और उसके कदम बौजिल होते जा रहे थे
03:07जब राजा खडग सिंह रानी के कमरे में पहुँचा
03:10तो देखा रानी दीन दुनिया से बेखबर
03:12एक टक शुन्य में देख रही थी
03:14और उसकी आँखों से लगातार अश्रुधारा बह रही थी
03:17राजा रानी के पास जाकर उसका हाथ पकड़कर बैठ गया
03:21और बोला रानी क्यों दिल छोटा कर रही हो
03:24मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा
03:25दुनिया का हर कोना च्छान मारूंगा
03:27कहीं तो तुम्हारी बीमारी का इलाज मिलेगा
03:30चिंता मत करो प्रिये तुम बिलकुल ठीक हो जाओगी
03:32राजा की बात सुन रानी रूपवती बोली
03:35नहीं महाराज अब कुछ ठीक नहीं होगा
03:37मुझे साफ साफ मेरी मृत्यू नजर आ रही है
03:40हे महाराज लेकिन मरने से पहले
03:42मैं अपने आखिरी समय में आपसे एक वचन लेना चाहती हूँ
03:45राजा बोला तुम्हें कुछ नहीं होगा रानी
03:47तुम बिलकुल ठीक हो जाओगी
03:48फिर भी तुम्हारे संतोश के लिए मैं तुम्हें वचन देता हूँ
03:51राजा के वचन देने के बाद
03:53रानी रूप वती ने राजा को चिड़िया की सारी कहानी कह सुनाई
03:56और बोली
03:57महाराज आप मुझसे वादा कीजिए
03:59कि मेरी मृत्यू उपरांत आप दूसरी शादी नहीं करेंगे
04:02मुझे किसी और बात की चिंता नहीं
04:04चिंता है तो बस रूप बसंत की उन नन्ही सी जानों के साथ पता नहीं दूसरी रानी कैसा व्यवहार करेगी।
04:10रानी की बात सुन, राजा खडग सिंह रानी को विश्वास देता हुआ, दृढ़ आवाज में बोला, मैं तुम्हें वचन देता हूँ रानी, मैं कभी भी दूसरी शादी नहीं करूँगा, और हमारे रूप बसंत की अच्छे से परवरिश करूँगा।
04:40पूरे महल में रानी रूप वती की मौत का मातम पसर गया, रूप और बसंत दोनों भाई लगातार अपनी माता के लिए विलाप कर रहे थे, उन्हें पता था, अब उनकी माँ कभी नहीं आने वाली।
05:10राजा की ये हालत देख उसके वजीर, मंत्री सब बहुत दुखी थे, एक दिन ऐसे ही दुखी मन से राजा चुप चाप अपने दर्बार में बैठा था, तब उसके वजीर और मंत्रियों ने आपस में सलाह मशवरा कर, राजा से कहा,
05:22राजा से कहा, हे महाराज, कृपया आप दूसरी शादी कर लो, दूसरी राणी आ जाएगी, तो आप धीरे धीरे पहली राणी के गम को भूल जाओगे।
05:30सबकी बात सुन राजा खडग सिंह बोला, नहीं मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा, मैंने मरती हुई राणी को दूसरी शादी न करने का वचन दिया था, मंत्री बोला, राजन आप अपने लिए न सही, उन छोटे छोटे बच्चों के लिए ही दूसरी शादी कर लीजिए, उ
06:00तो रूप बसंत ने पूछा, पिता जी ये कौन है, राजा बोला, बच्चों ये तुम्हारी नई माँ है, अबोध बच्चे ये सुनकर खुश हो गए, सोचा नई माँ भी हमें कहानिया सुनाया करेगी, हमारे साथ खेला करेगी, हमारा लाड़ प्यार करेगी, इसी सोच क
06:30खीच लोंगी, मासूम बच्चे रोते रोते चुपचाप वहां से चले गए, जब राजा ने उन्हें रोते हुए राणी के कक्ष से निकलते देखा, तो वो राणी के पास गया, और कहा, क्या बात हुई राणी, बच्चे तुम्हारे कमरे से रोते हुए निकले, राणी �
07:00बात मान ली, और बच्चों के रहने के लिए अलग से जगह बनवा दी, रूप और बसंत वहां अलग से रहने लगे, ऐसे ही समय बीत्ता चला गया, राजा बूढ़ा हो गया, रूप और बसंत अब जवान हो गये, अब चूंकि राजा बूढ़ा हो चुगा था, तो राण
07:30नौजवान को देख, उसकी अंतरवासना जागरित हो गई, रूप ने जब राणी चंद्रिका को देखा, तो वो उसे प्रणाम करता है, राणी बोली, तुम कौन हो नव्युवक, और यहां किसलिए आये हो, रूप बोला, मौसी जी, मैं आपका बड़ा बेटा रूप हू
08:00राणी चंद्रिका की ये बात सुन, शर्म से पानी पानी हो जाता है, और कहता है, मौसी आप कैसी बाते कर रही हो, मैं आपका बेटा हूँ, आप मेरे पिता जी की दूसरी पत्नी हो, आपको ऐसी बाते करते हुए शर्मानी चाहिए, ये बात सुन, राणी चंद्रिका गु
08:30सौतेला ही सही, पर हुआ तो आपका बेटा न, हे मौसी, आप क्यों एक मां बेटे के रिष्टे को तार-तार करने में लगी हुई हो,
08:37रूप की बात सुनकर रानी को गुसा तो बहुत आया, पर कुछ सोचते हुए, वो अपने गुसे को पी गई,
08:42रानी बोली, रूप तू क्यों फालतू की जिद्ध पे अड़ा है, भूल जा सब बातों को, और आजा मेरे पास, इतना कहरानी रूप का हाथ पकड़ लेती है, और उसे अपनी ओर खींचती है, रूप तुरंत हाथ छुडवाता हुआ कहता है, मौसी, लगता है आपने अपन
09:12हुए चल पड़ा, ठीक है मौसी, जो तुम्हे करना हो कर लेना, मैं जा रहा हूँ, रानी चंद्री का गुस्से में बोली, तुम मेरी इच्छाओं को दबा कर जा रहे हो, इसका परिणाम भुगतने के लिए तयार रहना, जब राजा के आने का समय होता है, तो रानी अपन
09:42है, राजा बोला, रानी, जो भी बात है वो मुझे बताओ, तब रानी चंद्री का कहती है, महराज, आपका बड़ा बेटा रूप, मेरे महल में घुस गया, और मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की, मैं बहुत रोई गिढ़ाई पर, उसके उपर तो जैसे जवानी का
10:12ही ना होता, मैं शकल भी नहीं देखना चाहता उस पापी की, इसी सोच के साथ, राजा खडग सिह तुरंत अपने सिपाहियों से कह, महल के मुख्य द्वार पर अपने बेटे रूप के लिए, देश निकाला लिख कर टंगवा देता है, शाम को जब रूप और बसंत दोनों
10:42दे दिया, उनकी आग्या सिर माथे पर, अब मेरा यहां कोई काम नहीं, रूप की बात सुन, बसंत बोला, नहीं भाईया, जरूर कुछ गलत फहमी हुई है, हमें पिताजी के पास चल कर उनसे बात करनी चाहिए, तब रूप अपने भाई को सुबह हुई घटना का सारा किस
11:12रोता हुआ कहता है, भाईया, मैं भी आपके साथ चलूँगा, बसंत की बात सुन, रूप बोला, नहीं बसंत, देश निकाला तो मुझे मिला है, तुम मेरे साथ कहां दरदर की ठोकर खाते फिरोगे, बसंत बोला, नहीं भाईया, आपके शिवाय मेरा इस दुनिया में को�
11:42जाते हैं, और आपस में बातें करते हैं, अगर आज हमारी माँ जिन्दा होती, तो क्यों हमें ऐसे दरदर की ठोकरें खानी पड़ती, चलते चलते दोनों भाई ठक जाते हैं, तो एक पेड के नीचे विश्राम करने के लिए बैठ जाते हैं, ठंडी हवा के जोंको और ठका
12:12लिया है, रूप दहाडे मार मार कर रोता है, और कहता है, हे भगवान, तू मुझसे किस जन्म का बदला ले रहा है, मेरे भाई की जगए, मैं क्यों नहीं मर गया, आपने मेरी किसमत बड़ी ही खोटी लिखी, बच्पन में हमारी माँ हमें छोड़ कर चली गई, और अब मे
12:42उस नगरी का ये नियम था, जो भी राजा के अंतिम संसकार के लिए ले जाते वक्त, उसकी अर्थी के सामने आ जाता, उसे उस नगर का राजा बना दिया जाता, संयोग वश, जब नगर के लोग राजा के पार्थिव शरीर को लेकर, उसकी अंतिम यात्रा के लिए जा रह
13:12देखो ना कितना सुंदर युवक है, और भरी जवानी में इसकी मृत्यू हो गई, आप इसे जिन्दा कर दो, तब महादेव जी पार्वती माता को मना करते हैं, और कहते हैं, हे प्रिय, ये मृत्यू लोक है, यहां सब के अपने कर्म और दुख है, हम किन किन का दुख दूर क
13:42तो उसे अपना भाई रूप कहीं भी दिखाई नहीं देता।
13:45वो घबराकर अपने भाई रूप को ढूंडने के लिए चल पड़ता है
13:48और चलते चलते वो उसी नगर में पहुँच जाता है
13:51जहां कुछ समय पहले ही रूप को राजा बनाया गया था।
13:54रूप राजा बनने के बाद अपने मंत्री और राजसभा के सदस्यों को अत्यंत दुखी और रुदनस्वर में कहता है
14:00तुम लोगोंने मुझे जोड जबरदस्ती से यहां का राजा बना दिया।
14:03अरे लेकिन मैं तो बहुत दुखी आदमी हूँ।
14:06अपने भाई के क्रिया कर्म के लिए कफन लेने आया था ना की राजा बनने।
14:10इतना कह राजा अपने सैनिकों सहित उसी जगह पर जाता है जहां उसके भाई बसंत का मृत शरीर था।
14:16पर जब रूप वहां जाता है, तो अपने भाई को वहां ना पाकर, वो और भी दुखी हो जाता है।
14:21कहता है, हे भगवान, ये आपकी क्या माया है, एक तरफ तो आपने मुझे राजा बना दिया, दूसरी तरफ मुझे मेरे भाई का क्रिया कर्म तक करने का मौका नहीं दिया, कैसा अभागा भाई हूँ मैं, जो अपने भाई को लकड़ी तक न दे सका, अब मैं उसे कहां ढूं
14:51तब ही उस नगर का एक बहुत बड़ा सौदागर दरबार में आता है, और राजा रूप के आगे विनती करता है, हे महाराज, मैं एक सौदागर हूँ, मेरा समुंदरी जहाज फंस गया है, पूछने पर मुझे एक जयोतिश ने बताया, कि जहाज एक मनुष्य की भेंट य
15:21अब राजा ने प्रथा अनुसार सैनिकों को आदेश दे दिया, कि किसी बूढ़े व्यक्ति को जुमृत्यू के निकट हो, उसे सौदागर को सौप दिया जाए, और बूढ़े के परिवार वालों की धंदौलत से सहायता की जाए, राजा का हुक्म मान, तुरंत सैनिक ऐसे
15:51वाले किधर जा रहा है, तब बसंत ने कहा, मैं एक दुखियारा परदेसी हूँ, जो अपने भाई को ढूंडता फिर रहा हूँ, उसे देख, सैनिकों ने विचार किया, ये आदमी हमारे नगर का भी नहीं है, क्यो ना इसे पकड़ कर सौदागर के हवाले कर दिया जाए, ह
16:21चल पड़ता है, ये देख, सेठ अचंबित हो जाता है, और सोचता है, ये तो बड़ा भाग्यशाली व्यक्ति है, जिसके पैर मेरे जहाज में पड़ते ही, ये बिना किसी की बली दिये चल पड़ा, इसी सोच के साथ, सौदागर बसंत को अपने पास नौकर रख लेता है,
16:51जाकी लड़की का स्वयमवर देखने चल पड़ता है, उसके स्वयमवर में भाग लेने के लिए दूर दूर से बड़े बड़े राजा महाराजा आये हुए थे, क्योंकि राजकुमारी चंद्रा अपनी खूबसूरती के लिए देश-प्रदेश में विख्यात थी, सौदा
17:21और एक और खड़े सुन्दर नव युवक के उपर अटक जाती है, जिसका चेहरा मुर्जाया होने के बाद भी उसमें एक अलग ही नूर दिखाई दे रहा था, वो नौजवान था बसंत, जो कर्मों का मारा सौदागर के साथ यहां आतो गया था, पर उस बेचारे को इन स�
17:51पुझता हैं ये क्या हो गया, इस कंगले को अपने साथ यहां लेकर ही नहीं आना था, ये सब देखकर बसंत भी चौंक जाता है, उसे समझ नहीं आता, ये एक दम से क्या हो गया, वो राजकुमारी चंदरा से कहता है, हे राजकुमारी, तुम राजा की लड़की हो, मैं त
18:21मैं एक पतिवरतास्त्री हूँ और मैंने आपको देखते ही अपना पति मान लिया था। पतिवरतास्त्री एक बार जिसे अपना पति मान लेती है। फिर उसके शिवाय किसी दूसरे के बारे में सोचना भी पाप समझती है। अब आप ही मेरे पती परमेश्वर हो। तब बसं
18:51मेरे पती हो। जिस हाल में आप रहोगे मैं भी रहलूँगी। जो आप खाओगे वो मैं भी खालूँगी। अंततह राजकुमारी चंद्रा के हट के आगे आखिरकार मजबूर हो बसंत को भी जुकना ही पड़ता है। राजकुमारी जब माला डाल अपने चलने की तैयारी
19:21चंगले के गले में वर्माला डाल उसे अपना पती चुन लिया। अपने पिता की बात सुन राजकुमारी कहती हैं पिता जी अब वो जैसे भी है मेरे पती हैं आप उनकी तोहीन मत कीजिए। राजा कहता है। ठीक है अगर तुम्हारा यही फैसला है तो मैं तुम्हें अ�
19:51पतनी राजकुमारी चंद्रा को लेकर
19:53सौधागर के जहाज पर आ जाता है
19:55उनके पहुँचते ही सौधागर अपने जहाज
19:57को राज्य की तरफ रवाना कर देता है
19:59सौधागर के मन में अब भी वही बात घूम रही थी
20:01कि वो क्यों बसंद को अपने साथ
20:03सौधागर में लेके गया
20:04राजकुमारी चंद्रा ने उसे माला क्यों पहनाई
20:07क्या मैं बदसूरत हूँ
20:08जो राजकुमारी ने मुझे माला नहीं पहनाई
20:10मेरे पास इतना धन है
20:11इतना बड़ा साहुकार हूँ
20:13फिर भी उसने मुझे पसंद ना करके
20:15मेरे नौकर को माला पहना दी
20:16इससे बड़ी बेजजती मेरे लिए और क्या होगी
20:19मैं अपनी बेजजती का बदला तो लेकर रहूंगा
20:21इससे आगे की कहानी भी
20:22चैनल के उपर डाल दी गई है
20:24आप चैनल पर जाकर उसका लुद्फ उठा सकते हैं
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