00:00Jantap A.T.M.C.B. Jila के द्वारा, पूरे छेत्र के ऐसे विभिन छेत्रों में काम करने वाले और सिख्षा के छेत्र में विशेश उरूप से काम करने वाले गुरुजनों का समान समारों का कारिक्नम था
00:15और बड़ी संख्या में बरिष्ट जन और सिख्षक ब्रिंद और विभिन कई ऐसे गुरुद्वारा के ऐसे मंदिरों के ऐसे संत भी आये जो समाज में गुरु का काम करते हैं उपदेश देने का भी काम करते हैं
00:34तो एक ये कारिक्नम के माध्यम से हमारे जो हजारों साल पहले की जो संस्कृती है उसके नसार हम लोग काम किये और निश्चित रूप से इस से देश और समाज को आने वाले सवय में संस्कृतिक बिरासत के रूप में जो हमको मिला था वो प्रगाड़ हो