00:00कभी कभी आस्ता की राहें कंक्रीट की नहीं होती वे पगडंडीशे शुरू होती है जहां मिट्टी में सद्धा होती है और हवा में किसी दैविक उपस्थिती की सुगंद
00:26मैं पहुचा हूँ राची के चूटिया महले में 32 सुनरेखा नदी के किनारे इस नदी में स्रिफ जल नहीं बहता बहती है 400 साल पुरानी आस्ता बहता है एक गुप्त इतिहास जहां चटानों पर खुद शिव विराजते हैं वो भी 21 बार
00:56कुछ आधे डूबे कुछ जल में लिप्टे लेकिन हर शिवलिंग मानों बोल रहा है
01:19मैं हूँ काल से परे कालो के स्वामी शिव शंकर श्वयम्भू
01:49कहा जाता है नागबंक्षी रानियों की संता ना हो रही थी संतों ने कहा यहां कि शिवलिंग स्थापित करो स्वन्रिखा के जल से उनका जलाविशे करो मनों कामना पूरी होगी और हुई भी अब यहां लोग काल सर्फ दोस्ते मुक्ति के लिए भी आते हैं
02:07का नाम है एकाइसो महादो मंदीर श्यूजी का जो यहां पर हम लोग का पुरुवस से यहां पर पुजापाट लोग करते आ रहा है पहले यहां पर बहुत सुंदर बालू और पानी भी बहुत सुंदर रहा करता था
02:27अभी पहले हर्मू नदी था यह वाला आज कल हर्मू नदी ने हर्मू नली बन गया नली का रूप इसको दे दिया गया है अगर नदी का रूप रहता तो बहुत सुंदर पानी आता अच्छा रहता और यह सुर्णेखा नदी जो
02:46जो बहुत दूर से चलते हुए है यहाँ पर आया है और यहाँ पर सुर्णेखा और हर्मू नदी का यह संगम अस्थल है और यह एकईसी महादो नाम से पुर्ण विख्यात है
03:02यह कोई आम पुजा स्थल नहीं यह धरती का वो बिंदु है जहाँ चट्टान भी स्वर बन गया है अब यह जगह छूटती जा रही है यह जगह कभी हर्मू नदी और स्वन्रेखा नदी का संगम स्थल था लेकिन अब हर्मू नदी नाला बन गया है शहर का गंदा पानी �
03:32छोटा नागपूर की दूसरी राजधानी के तोर पे भी जानी जाती है इसे हम चुटिया कहते हैं पहली राजधानी छोटा नागपूर की थी सुतियामबे दूसरी राजधानी हुई चुटिया और तीसरी राजधानी हुई कुखडागड तो जब यहाँ पे नागवंसी
04:02foreign
04:32This is the city of the river.
04:37There is a little water flowing.
04:40But you will come in the warm weather.
04:42The river is the river.
04:45This is the river.
04:48And the river is the river.
04:53The river is the river.
04:55We are saying this is the river.
04:58ुश्रावन मा भगवान भोले के प्रियमा है
05:27कहा जाता है स्रावन महिने के दोरान भगवान भोले पर जलर्पित करने से भगवान शंकर प्रशन होते है
05:35राजधानी राची के चूटिया में एक ऐसा ही मंदीर है जहां 21 सिवलिंग के प्रारूप की पूजा अर्चना की जाती है
05:44जलासयों के बीच घीरे इन 21 सिवलिंगों का महत्व काफी है
05:49सावन मा के दोरान सदालों यहां पहुचते हैं और भगवान भोले पर जलर्पित करते हैं
05:56इन 21 सिवलिंगों के पीछे कई पूरानिक कथाये हैं एतिहासिक महत्व है