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00:00कि अपनी आखरी अच्छा पूरी कर लूँ
00:26इस गंय के खेत को थोड़ा समभाल रही हूँ
00:29बस
00:29आप गन्ने का खेट करें या आलू का खेट, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आप आगन के सामने गन्दिकी फैला रही है, इसे कौन साफ करेगा, आप?
00:40मैं ही साफ कर दूँगी बहू, तुमें इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है
00:46हाँ, आप कितना काम करती हैं, मुझे सब पता है, आज तक कुछ करते नहीं देखा, साफ साफ बता रही हूं मा, ये सब काम बंद कर दीजे, वरना मैं इस गन्ने के खेट को रखने नहीं दूँगी
00:59क्या तुम मुझे डरा रही हो, ये हिम्मत कहां से आ गई तुम में, अगर मेरे इस गन्ने के खेट को हाथ लगाया, तो मैं तुम्हारा हाथ काट कर रखतूँगी, जो कहा उसे याद रखना
01:13वैसे भी आप इस दुनिया में अब जादा दिन नहीं है, फिर इस गन्ने के खेट का क्या होगा, बताएए, आज तक एक भी गन्ना बिक्ते नहीं देखा
01:21बिकेगा, बिकेगा, एक दिन जरूर बिकेगा, देख लेना
01:27हाँ, मेरे अगले जनम में
01:30नहीं बहू, इसी जनम में होगा, देख लेना
01:34अच्छा देखूंगी कि कितने गन्ने उगते हैं, और कितने बिक्ते हैं
01:42अरे, मैंने तुझे एक काम दिया था, वो भी तु ठीक से कर नहीं सका, तुझे तो कोई काम देना ही बेकार है
01:49अरे, तो मैं क्या करूँ, बताइए, वहाँ उसकी जमीन को लेकर जगडा चल रहा है, क्या मैं वहाँ जाकर खुद मार खाऊँ, है?
01:59अरे, तो क्या जगडा शुरू से था, मुझे जो खबर मिली है, उसके मुताबिक तेरी बातों से वो लोग भड़क गए
02:07मैंने तुझे कहा था, कि अविनाश बाबु को साथ लेकर जाकर बात समझा देना, लेकिन तू, तू तो उल्टा काम करके आ गया
02:16ये सब बक्वास खबर आपको किस ने दी? देखिए हरिपद्दा, मैं कभी अपनी बात का उल्टा नहीं करता, हाँ
02:24अरे, बसकर, बसकर, अपनी बेकार की बाते भालतू की बात, तू ठीक से बोल भी नहीं सकता, और बात का उल्टा करने की बात करता है, है?
02:34अरे, मैं सच कह रहा हूं हरिपद्दा, आप भरोसा तो करिए
02:38देख नगेन, तू कैसा लड़का है, ये गाउं का बच्चा-बच्चा जानता है, सब जानते हैं, तू अपनी ढोल खुद मत बजाना, है न?
02:48आप मुझ पर भरोसा नहीं कर रहे, तो मत करिए
02:51तू ने अभिनाज बाबू के बेटे पलाश से जाकर कहा, कि मैं उसके बिजनेश के लिए गराहक ला कर दूँगा, मेरे नाम पर इतना जूट फैलाता है तू, है?
03:02अरे हरिपद्दा, अगर आप वो काम कर दें, तो अभिनाज बाबू आप से खुश हो जाएंगे, हाँ, समझ क्यों नहीं रहे हो?
03:11मुझे कोई गलत काम नहीं करना, कि किसी को मुझे पर महरबानी करनी पड़े, अभिनाज बाबू जो सही समझते हैं, वही करते हैं, मैंने तुझे बस इतना कहा था, कि बात खुल कर समझा दे, लेकिन तूने मेरा काम और बढ़ा दिया, अब तू यहाँ से चला जा, मेरा �
03:41बेज कर घर नहीं चलेगा गिन्नी, क्यों क्या हुआ? अरे क्या बताओ, पहले सबजियों के दाम बढ़े थे, अब सुना है कि आज फिर से कम हो गए, लोग सस्ते में सब कुछ खरीद रहे हैं, और हमारा नुकसान हो रहा है, अरे यह तो बड़ी मुसीबत है, हाँ मुसी�
04:11बेज कर तो दिन नहीं कटेंगे, तो क्या करने की सोच रहे हो? अरे अभी समझ नहीं पा रहा, खेती की जमीन पड़ी है, उसे भी ठीक करने की ताकत अभी मुझ में नहीं है, खेती का मौसम तो अब खत्म हो गया, अगर करना है, तो सर्दियों में धान की खेती करनी पड�
04:41कि बढ़ने में बहुत वक्त लगेगा, मैं कहती हूँ, गर्मी की मौसम में ऐसा कुछ धंदा क्यों ना शुरू करें, जिससे लोगों को फायदा हो, हाँ, तो बताओ क्या सोच रही हो, गर्ने का धंदा करें तो कैसा रहेगा, वो बूढ़ी मा है न, उन्होंने गर्ने का �
05:11कुछ गन्य खरीद कर बेचेंगे, तो हमारा भी अच्छा मुनाफ़ा होगा, तुमने बिल्कुल सही कह, ठीक है, ओ, तो तुम्हारी मा ने आखिरकार गन्य का खेद बना ही लिया, हाँ, वो तो तुम देख ही रहे हो, और मत पूछो उनकी बातें, ये बूढ़ी दिन रात
05:41नहीं नहीं, फिर तो इसका कुछ इंतिजाम करना पड़ेगा ऐसा लगता है, देखो अगर कुछ कर सको तो, रास्ते तो कई हैं, लेकिन मेरे अकेले के बस की बात नहीं है, तुम्हे भी मेरी मदद करनी होगी, मैं तो तुम्हारी मदद करने को तैयार हूँ, लेकिन अगर
06:11मैं इस बूढ़ी को कमाने नहीं दूँगी
06:13हाँ, बिलकुल ठीक कहा, कोई न कोई रास्ता तो निकालना ही होगा
06:19तो क्या सोचा, बताओ
06:21देखो, दो रास्ते हैं, एक तो रात के वक्त जब बूढ़ी सो जाए, तब सारे गन्ने काट कर हम बेंज दें
06:29या फिर इसके पूरे गन्ने के खेत में आग ही लगा दी जाए, तो
06:34बहुत अच्छी बात गही, सोच कर देखना पड़ेगा
06:38हाँ, तुम कुछ दिन इस बूढ़ी पर नज़र रखो, रात को वो कब सोती है, क्या करती है, ये सब कुछ हमें पता होना चाहिए
06:47ताकि हम अपना काम ठीक से कर सकें, जरूरत पड़े तो लोग लगाऊंगा, उसकी चिंता तुम मत करो
06:54ठीक है, मैं नज़र रखती हूँ
06:57अरे, बेटे कब आया?
07:02बस, अभी थोड़ी देर पहले बाबा, तुम पहले बताओ, कैसे हो?
07:07अरे, बस, बस, बस, जैसे तैसे दिन कट रहे हैं
07:11बाबा, पिछले महिने नगेन काका के हाथ से दवाई भेजी थी, मिली थी ना?
07:19हाँ, हाँ, हाँ, बेटा मिल गई थी, तो ये बता, तेरा धन्धा कैसा चल रहा है, है?
07:27वही तो ख़बर देने आया हूँ, कल ही पता चला कि, जिस फैक्टरी में मैं काम करता हूँ, उसे बेचा जा रहा है
07:36सोचा कि मैं ही खरीद लूँ, अब बात भी पक्की हो गई है
07:40अरे, वहाँ, ये तो बड़ी अच्छी ख़बर है
07:43अच्छे, ये बता, पैसे का क्या है, कितना लगेगा?
07:48मेरे पास जो जमा था, उससे कुछ हिस्सा चुकता हो गया है
07:52बाकी पैसा एक-दो महीने में दे दूँगा
07:56अरे, वाँ, वाँ, वाँ, वाँ, तूने तो मुझे बहुत अच्छी ख़बर सुनाई है
08:01तो धंधे को बढ़ाने के लिए बहुत सारी योजना बनानी होगी
08:06हाँ, बाबा, आजकल अच्छा गन्ना खरीदना पड़ेगा
08:10गन्ने के रस से चीनी बनाने का तरीका है
08:13हाँ, वो तो है ही
08:16उसके अलावा और भी बहुत सी चीजों की जरूरत पड़ती है
08:20उसका इंतजाम भी करना होगा
08:22हाँ, बाबा, अब दीरे दीरे सभी का इंतजाम हो जाएगा
08:27तुम उसकी चिंता ना करो
08:29यहाँ गाव में तुम्हारा काम कैसा चल रहा है, बाबा
08:32हाँ, यहाँ तो कई समस्याएं सुलच गई है
08:36फिर भी पानी की समस्या अभी तक ठीक नहीं हो पाई है
08:40शायद शहर जाकर इसके बारे में बात करनी पड़े
08:44हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, इसका इंतजाम करो
08:48वरना इस गर्मी में लोग जी नहीं पाएंगे बाबा
08:51हम, ठीक है, तो तु अभी यहाँ रुक
08:54मुझे पंचायत ओफिस जाना है
08:57ठीक है बाबा, ठीक है
08:58सुभा सुभा फिर करने के खेत में लग गई
09:03क्या इस खेत से तुम स्वर्ख जाओगी
09:06मेरे काम से तुझे इतनी तकलीफ क्यों होती है
09:10बता, क्या मैं तेरे काम में दखल देती हूँ
09:13मैं तो तुम्हारे भले के लिए ही कह रही हूँ
09:17इस बुढ़ापे में ये सब करने की बजाए
09:19घर का खाना पीना तो संभाल सकती हो
09:22बुढ़ी होकर मरने की उम्र में भी अभी तक शौक पूरे नहीं हुए
09:26ये तुम बुढ़ी मा से ऐसे कैसे बात कर रही हो?
09:32तुम हमारे घर के मामले में दखल मत दो गोपालता
09:35यहाँ बुढ़ी मा को ताने सुनाते वक्त तो पूरा मुहला सुन रहा है
09:41तब घर की बात याद नहीं रहती
09:43देखना कोपाल
09:46मैं इस करने के खेत की देख भाल कर रही हूँ
09:50बस इसी से जलन हो रही है इसे
09:52सब समझ गया हूँ बुढ़ी मा
09:55तुम्हें कोई तकलीफ नहीं है
09:57कोई कुछ कहने आये तो मैं हूँ न
09:59मैं उनसे बात करूँगा
10:00तो गोपालता
10:02यह सब करने के लिए ये बुढ़ी तुम्हें कितना पैसा दे रही है
10:06मूस समझाल कर बात करो
10:09बुढ़ी माने हमें बचपन से पाला पोसा है
10:11और आज उनके लिए कुछ करने के लिए
10:13क्या मैं पैसे लूँगा
10:14देखो बुढ़ी
10:17कहीं तुम्हारा गन्ने का खेट
10:19चोरी न हो जाए
10:20इसकी बातों को दिल पर मत लो बेटा
10:24दिन बदिन
10:25इसके मूँ की बातें सुनना मुश्किल हो रहा है
10:27अरे नहीं नहीं नहीं बुढ़ी मा
10:30मैं इसकी बात में सोचूंगा
10:32इतना समय नहीं है मेरे पास
10:33वैसे यहां देख रहा हूँ
10:36तुमने गन्ने का खेट बहुत अच्छे से तयार किया है
10:38कोई तो समझा
10:42बाबा एक बात कहनी थी
10:53फिर से क्या बात है बताओ
10:56मुझे एक कौपी खरीदनी थी
10:59परीक्षा आने वाली है पढ़ाई के लिए
11:03अरे अभी कुछ दिन पहले ही तो एक कौपी दी थी
11:07वो खतम हो गई क्या
11:09हाँ इसलिए एक नई चाहिए
11:12देख मैं तेरे लिए अब कौपी पेंसिल पैन कुछ नहीं खरीद सकता
11:18मेरे पास इतने पैसे नहीं है
11:20जरूरत पढ़े तो पढ़ाई छोड़ दे
11:22कुछ साल बाद तेरी शादी कर दूँगा बस
11:25बाबा मैं पढ़ाई करना चाहती हूँ
11:29इन बेकार किताबों को पढ़कर क्या फाइदा होता है
11:32बता बस पैसा खर्चा होता है और कोई काम का नहीं है
11:36पढ़ाई नहीं करूँगी तो नौकरी कैसे मिलेगी
11:41तो नौकरी करके कौन सा बड़ा काम हो जाएगा
11:45ससुराल जाकर बरतन तो माजने पढ़ेंगे
11:47फिर क्या काम आएगी नौकरी
11:49मतलब तुम मुझे कौपी नहीं दोगे यही न
11:55नहीं मैंने कहा न नहीं नहीं नहीं
11:59मेरे पास नहीं है इन सब चीजों के लिए पैसे
12:01पैसा रहेगा भी कैसे तुम तो शराप पी कर सब उड़ा देते हो
12:07अब तुझ पर हाथ उड़ जाएगा सावधान रह
12:11मुझ सम्हाल कर बात कर
12:13बाबा एक कौपी खरीद दो न
12:19अरे कहा न नहीं कर सकता बाद मैं देखूंगा ठीक जा
12:23अभी कोई दूसरी कौपी हो तो उसमें काम कर
12:25नहीं तो पढ़ाई बंद कर दे बस
12:27मेरे दोस्त सब पढ़ाई करेंगे
12:31और मैं पढ़ाई बंद कर दूँ
12:33स्कूल ना जाओ
12:35अरे तो अपने दोस्तों से कह दे न
12:38तेरे लिए कौपी खरीद दे
12:39बात करती है
12:40उनके पास पैसा होता
12:44तो उनसे ही कहती
12:45अरे बुढिया मा कैसी हो
12:56कौन है रे बेटा तू
12:58अरे मैं पलाश ओ बुढिया मा
13:01अविनाश बाबु का बेटा
13:03अरे ओ पलाश बेटा
13:07तू शेहर से कब आया
13:09दरसल उम्र हो गई है
13:11अब तो किसी को ठीक से
13:13पहचान भी नहीं पाती
13:14मैं आज सुबह ही आया हूँ
13:17लेकिन तू भी यहां क्या कर रही हो
13:19बुढिया मा
13:20बुढ़ापे में सनक आ गई है
13:22वही कर रही है
13:24इसकी बातों पर द्यान मत दो बेटा
13:27असल में मेरा मन हुआ
13:29गन्ये की खेती करने का
13:31तो बस वही कर रही हूँ
13:33बहुत हो गया
13:35मेरी पुराई करना जरूरी है क्या?
13:38रहने दो बुड़ी मा, रहने दो.
13:41तुम्हारे गन्ने तो बहुत अच्छे लग रहे हैं.
13:44सच में बेटा.
13:46हाँ.
13:48नौटंकी देखकर तो हद हो गई.
13:51बुड़ी मा, मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे सारे गन्ने खरीद लो.
13:56मुझे अपनी फैक्टरी के लिए चाहिए.
13:59क्या? तुम मेरे सारे गन्ने खरीदोगे बेटा?
14:05हाँ. हाँ, बुड़ी मा, हाँ.
14:08इस पुड़िया का सर्वनाश करना ही होगा.
14:11नहीं तो ये अमीर बन जाएगी.
14:13नोगेन से बात करनी होगी.
14:16तो बुड़ी मा, क्या तुम गन्ना बेशने के लिए तयार हो?
14:20हाँ, बेटा, तयार हूँ. तुम कब लोगे?
14:25अरे, कल ले लूँगा, और क्या?
14:28ठीक है, बेटा. मैं कल ही तुम्हें सारा गन्ना बेश दूँगी.
14:32सुना तुमने, पलाश आ गया है, और बुड़ीया के सारे गन्ने खरीदने वाला है.
14:40ओ, इसका मतलब, वो अपनी शुगर फैक्टरी के लिए गन्ना इकठा कर रहा है.
14:48कौन क्या एकठा कर रहा है, इससे मुझे कोई मतलब नहीं.
14:52मुझे तो बस ये सोचना है, कि बुड़ीया को बर्बाद कैसे किया जाए?
14:57उसकी चिंता मत करो, मैंने पूरा प्लान बना लिया है.
15:00आज रात मैं उसके सारे गन्ने काट कर चुरा लूँगा.
15:04हाँ, बुड़ीया रात को जल्दी सोचाती है, तो हमें काम करने में आसानी होगी.
15:11हे भगवान, पापा बुड़ी मा के खेट से गन्ना चुराने वाले हैं.
15:16मुझे ये गोपाल काका को बताना ही होगा.
15:21लेकिन हमें बहुत समल कर काम करना होगा.
15:24पकड़े गए तो मुसीबत हो जाएगी.
15:27मैं एक काम कर सकती हूँ.
15:28बुड़ीया के खाने में नींद की दवाई मिला दोंगी.
15:32हाँ, ये तो और बढ़िया रहेगा.
15:36फिर कल में उसे घर से भी भगा दोंगी.
15:40और जब पलाश को गन्ना ही नहीं मिलेगा,
15:42तो अविनाज बाबू भी बुड़ीया की परवा नहीं करेंगे.
15:46बस, तुम्हें गाउं में ये अफवा फैला देनी होगी,
15:50कि बुड़ीया ने जान बूज कर गन्ने को छुपा कर बेज दिया.
15:55बस, फिर देखो मजा.
15:57हाँ, और इससे हमें फायता होगा.
16:00तो बस, आज रात खेल देखना, इस बुड़ीया का घमंड तोड़ कर ही दम लूँगा.
16:08लेकिन ध्यान रखना हमें कोई देखना ले.
16:14कोपाल काका, लता काकी, घर पर हो क्या?
16:19कौन? अरे पूजा आई है.
16:22हाँ काकी, कोपाल काका घर पर है.
16:26हाँ बेटा, बोल, क्या बात है?
16:29काका, एक बड़ी समस्या हो गई है, इसलिए आपको बताने आई हूँ.
16:36क्या हुआ बेटा, बता?
16:38वो बूढ़ी मा के गन्ने के खेट से, आज रात पापा सारे गन्ने काटने वाले हैं.
16:45क्या? क्या तु सच कह रही है?
16:48हाँ काका, मैंने खुद पापा और नीलिमा काकी को ये बात करते सुना.
16:54देखो जरा, बोड़ी मा ने कितनी मेहनत से ये खेट बनाया, और ये लोग उसे बरबात करने जा रहे हैं.
17:01अब तो कुछ करना ही पड़ेगा, नगेन को सबक सिखाना जरूरी हो गया है.
17:07काका, अब आप क्या करोगे?
17:11देखना बेटा, आज रात तेरे पापा को मज़ा चखाऊंगा, उसकी हिम्मत कितनी बढ़ गई है, ये आज दिख जाएगा.
17:18लेकिन पापा अकेले नहीं होंगे, उनके साथ और भी लोग हो सकते हैं, आप जरा समल कर काम करना.
17:28अरे, इसकी चिंता मत कर बेटा, आज रात बुढ़ी मा के खेच से एक भी गन्ना चोरी नहीं होने दूँगा, हाँ.
17:35हाँ, काका, आप ही बचा सकते हो, इसलिए मैं सीधा आपके पास आई.
17:43ठीक है बेटा, तू अब घर जा, बागी का हम देख लेंगे, कोई और ख़बर मिले, तो बता देना बेटा, ठीक है ना, जा.
17:51गिन्नी, आज रात हमें तयार रहना है, तुम्हारी भी जरूरत पढ़ सकती है.
17:59ठीक है, लेकिन मुझे क्या करना होगा?
18:03वक्त आने पे सब बता दूँगा, चिंता मत करो.
18:07ठीक है.
18:15आज रात इस बूढ़ी औरत के सारे गन्ने काट कर ले जाऊंगा.
18:20घर में रोशनी जल रही है, इसका मतलब है कि सब सोच चुके हैं, धीरे से मुझे बाड़ा पार करके अंदर जाना होगा.
18:31देखो, नगेन आ गया.
18:33अरे, रुको, रुको, रुको, आज इसे सबक सिखाने का बढ़िया मौका मिला है. पहले इसे अंदर आने दो, आने दो, आने दो, आने दो.
18:42सच में, ये लोग बुड़ी मा को इतना क्यों परिशान करते हैं, पता नहीं.
18:49उपर भगवान है गिन्नी, जो दूसरों का बुरा करना चाहते हैं, उनका कभी भला नहीं होता, देख ले न?
18:56हाँ, वो तो सही कहा. देखो, नगेन गन्ने के खेत में पहुँच गया.
19:02तुम यहीं रुको, मैं देखता हूँ.
19:07कोई देख तो नहीं रहा, चलो, चाको निकाल कर गन्ना काटना शुरू करता हूँ.
19:26अब तो तेरी खेर नहीं, आज तेरा खेल खत्म कर दूँगा.
19:30अब ही के अभी यहां से भाग जा, कह रहा हूँ, भाग जा, भाग जा, भाग जा, जो भी हो, आज उसे अच्छा सबक मिल गया.
20:01हाँ, इसकी असली सजा तो अभी बाकी है, कल सुबह मैं इसे सबक सिखाऊंगा.
20:08ठीक है, अब रात हो गए, चलो घर चलते हैं.
20:12हाँ, हाँ, यही सही रहेगा, चलो.
20:14अरे, मेरे गन्ने के खेट का क्या हाल हो गया?
20:24हरे, सच में, यह सब कैसे हो गया?
20:28मैं बताता हूँ, कल रात नगेन ने यह सब कुछ किया है.
20:32क्या? नगेन ने? क्या तुम सच कह रहे हो, गोपाल दादा?
20:36हाँ, पलाश. जब उसे पता चला कि तुम बूढ़ी मा से गन्ना खरीदने वाले हो, तो जलन में आकर उसने यह सब कर दिया.
20:44क्या कह रहे हो, गोपाल दादा?
20:47अरे हाँ, और क्या? उसकी बेटी पूजा ने हमें बताया, नहीं तो हमें कुछ पता ही नहीं चलता.
20:53फिर मैंने और मेरी पत्नी ने कल रात खेत की रखवाली की, नगेन के घर जाओगे तो देखोगे कैसी मार खाकर बैठा है.
21:01मैं जानता था कि नगेन थोड़ा चालाकी है, और लालची भी है, लेकिन इतना गिरेगा, ये मैंने सोचा नहीं था. वाकई में ये मामला गंभीर है. अगर ये सच है, तो मैं आज ही पिता जी के पास जाकर बात करूँगा. इसका न्याय तो करना ही चाहिए.
21:17बेटा, लेकिन तुम मेरा गंणा खरीदोगे ना. हाँ, बुढ़ी मा, मैं तुमें इसका पूरा सही दाम दूँगा, तुम निश्चिंत रहो, इसकी चिंता मत करो. तुम गंणे की ही खेती करते रहो, मैं हमेशा तुम से ही खरीदूँगा. चलो अच्छा हुआ, कि तुम
21:47भी मेरे साथ चलो, चलो. हाँ, ठीक है, चलो, चलो पलाश.
21:58अरे नगेन, आखिर तु चोरी करने लग गया, है?
22:03बाबु, अब फिर से दुबारा गलती नहीं होगी, कल रात की मार से समझ में आ गया, अब कभी ऐसा नहीं करूंगा.
22:11अरे बेहया, बदमाश, तु मेरे गन्ने चोरी करने आया था, तेरी इतनी हिम्मत, शुक्र है कि गोपाल था, वरना मैं तो बरबाद हो जाती.
22:24छी, छी, छी, छी, छी, नगेन काका, आखिर कार तुमने चोरी करना शुरू कर दिया, मेरे पिता जी की इज़त मिट्टी में मिला दी गाओं में, है?
22:33नई, नई, नई, बस, बहुत हो गया, अब मैं इसे अपने काम पर बिल्कुल नहीं रखूंगा, यही मेरा आखरी फैसला है.
22:42नई, ने, ने, ने, ने, ने, ने, बाबु ऐसा मत करो, अगर मैं नौकरी खो दूंगा तो भूका मर जाओंगा, मेरी बेटी भी अनात हो जाएगी बाबु, ऐसा मत करो बाबु, ऐसा मत करो.
23:00Dekh, Pooja की चिंता तुझे करने की जरूरत नहीं है
23:06उसकी पढ़ाई लिखाई और खाने पीने की जिम्मदारी अपसे मेरी होगी
23:11लेकिन तुझे मैं अपसे अपने काम पर नहीं रखूंगा
23:16जिस दिन तुझे खुद मेहनत करके कमाने लगेगा उस दिन देखेंगे
23:20एक बार इमानदारी से मेहनत करके देख तब समझेगा कि असलिक कमाई क्या होती है
23:25लेकिन पहले बुड़ी मा के पैर पकड़ कर माफी मांग, चल
23:29मुझे, मुझे माफ कर दो बुड़ी मा, अब मैं ऐसा फिर कभी नहीं करूंगा, मुझे, मुझे माफ कर दो
23:37चलो, कब से कम अपनी गलती समझ में तो आई, अब अपना खुद का खेट संभाल और मेहनत से कमाई कर, दूसरों के खेट में जाकने की जरूरत नहीं
23:50हाँ, कल से, कल से यही करूंगे बुड़ी मा, हाँ, ठीक है
23:55अगर तुझे पैसों की जरूरत होगी, तो मैं दे सकता हूँ, उस पर कोई ब्याज नहीं लगेगा, लेकिन तुझे इमानदारी से वो पैसे लोटाने होंगे, समझ गया?
24:07हाँ, बाबु, आपकी बात नहीं चलूंगे
24:11हाँ, हाँ, बस ठीक है, ठीक है, अब रोना धोना बंद करो, इमानदारी से जीओ, तभी तेरी बेटी खुश होगी, और तुझसे कुछ सीखेगी
24:26समझ गया, समझ गया गुपाल दादा, आपसे गलत काम छोड़ दूंगा, और खेती का काम शुरू करूंगा
24:35हाँ, हाँ, ठीक है, ठीक है, चलो, अब हम चलते हैं
24:56झाल
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