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Shiv Chalisa With Lyrics: शिव चालीसा (Shiv Chalisa) भगवान शिव की स्तुति में लिखी गई एक प्रसिद्ध प्रार्थना है, जिसमें 40 चौपाइयां हैं। इसका नियमित पाठ करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Shiv Chalisa With Lyrics: Shri Shiv Chalisa Ka Paath Hindi Mein | Sawan Special
Shiv ChalisaThere is a famous prayer written in praise of Lord Shiva,
which consists of 40 quatrains By reciting it regularly, all the sorrows of the devotees are removed and their wishes are fulfilled .

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~HT.410~PR.111~ED.120~

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Transcript
00:00जै गनेश गिरिजा सुवन, बंगल मूल सुजान, कहत अयोध्या दासतुं, देहु अभय वर्दान, जै गिरिजा पति दीन दयाला, सदाकरत संतन प्रतिपाला, भाल चंद्रमा सोहत नीके, कानन कुंडल नाग फनीके, अंग गौर शिर गंग बहाई, मुंड माल तन जहार ल
00:30की हविदुलारी, बाम अंग सोहत छवी न्यारी, करत रिशूल सोहत छवी भारी, करत सदा सत्रुन श्यकारी, नंदी गनेश सोहे तह कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे, कार्तिक शाम और गणरायू, या छवी को कही जात नकाओ, देवन जब ही जाय पुकारा, तब ही दुख
01:00तुरत शनाहनन आप पठायू, लव निमेश मह मारी गिरायू, आप जलंधर असुर संगारा, सुयश तुम्हार विदित संगसारा, त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबही कृपाकर लीन बचाई, किया तपही भागीरत भारी, पुरब प्रतिग्यां तासू पुरा
01:30भेद नहीं पाई, प्रकट उदधी, मन्थन मेज्वाला, जरत सुरासुर भय विहाला, कीन ही दयात है, करी सहाई, नील कंठ तब नाम कहाई, पूजन राम चंदर जब कीनहा, जीत के लंक विभीशन दीनहा, सहस कमल में हो रह धारी, कीन परिक्षा तब ही पुरारी, एक कम
02:00पुछित वर, जय जय जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी, दुष्ट सकलने तो मोही सतावे, भ्रमत रहो मोही चैन नावे, तराही तराही मैं नात पुकारो, येही अवसर मोही आन उबारो, ले तरशूल शत्रुन को मारो, संकट ते मोही आन उबारो, माता
02:30को देत सदा ही, जो कोई जांचे सोफल पाही, अस्तुति के ही विदिकरै तुम्हारी, छमहु नात अब चूक हमारी, शंकर को संकट के नाशन, मंगल कारण विग्न विनाशन, योगी यतिमुनी ध्यान लगावे, शारद नारद शीष नवाबे, नमो नमो जय नमह श्रिवा�
03:00दारी पाठ करे सो पावन हारी, पुत्र होन कर इच्छा जोई, निश्च शिव प्रसाद तहीं होई, पंडत त्रयो दशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे, त्रयो दशी वरत करे हमेशा, ताके तन नहीं रहे कलेशा, धूप दीप नैवेद चणावे, शंकर सम्म�
03:30हे मुठी प्रातही, पाठ करो चालीसा, तुम मेरी मनो कामना, पूर्ण करो जगदीश, मगसिर छटी, हे मंतर तू सम्वत चौसट जान, स्तुती चालीसा सवही, पूर्ण कीन कल्यान

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