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  • 7/6/2025
'श्रवण कुमार' बनी बहू! सास को कंधे पर लेकर कांवड़ यात्रा के लिए निकली

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Transcript
00:00समाज में हमने सास बहु के बीच कड़वाहट की खबरे ही हमेशा सुनी होंगी
00:04श्रवन कुमार के भी किस्से आपने सुने होंगे
00:06इन तस्वीरों को आप देख रहे हैं
00:09ये भी श्रवन कुमार से कम तो नहीं है कम से कम
00:11जो बैठी हैं वो महिला जो ले जा रही हैं उनकी सास हैं और उनकी बहु और बहु की बेटी यानि जो अरत हैं उनकी पोती ये दो लोग मिल करके कामण खीच रहे हैं एक बहु अपने सास को इस कामण यात्रा में ले करके निकली है और हरिद्वार से आगे आगे हापुड की
00:41कई जान कि अपनी सास को लेके निकलना नहीं तो आप अपनी बेटी को वो बेटी उठा लेगी इतना
01:01तेश को पहुंच जाएंगे, क्या विचार मन में आया था कि अपनी सास को इस यात्रा पे लेके निकलना है, बस भूले वावा की किरपा चाहिए, मन में आया, तो अपनी मम्मी को इसनान भी करवा दिया, अगर तक भी भूले वावा इस पहुचाई देंगे,
01:19तो माता जी, हम तो सोचते हैं कि आसपास गाउं में खाली सास बहु लड़ने जगडने के लिए होती हैं, ये तो बहुत कम ऐसा दिखाई देता है कि अपने कंदे पर सास को हरी द्वार नहलाने ले गई,
01:32ये बहुत, हाँ, इसके जमन में लग रही, ये कहन लगी, मैं तुम्हें अपने हर द्वार लेका जाऊंगी, उस पर टोकरी में बैठा के लाऊंगी, मैंने कि तेरे बस की नहीं है, बोली नहीं, मैं ले आऊंगी, हिम्मत है, तो आपका आशिरवाद भी तो है बहु पे,
02:02अपनी सास को इतना मानती है, बहुत और भी हैं, ये जादा मानती है, ये जादा मानती है, गंधे पर ये आपको ले करेंगे, श्रवन कुमार बन गई है तो आपके लिए, ये भी रिष्टू के प्रगारता की वो तस्वीरे हैं, धरम और आस्था के तेवहार में जो हम दे
02:32सुख दिया, और अब उन्हें अपने ही कंदों पर उठा करके अपने परिवार के साथ, अपनी बेटी के साथ, ये माँ बेटी बस एक अपनी दादी को तेक अपनी सास को ले करके निकल चले हैं, आगे हापुर जाना है, यात्रा इनकी मंगल मैं हूँ.
02:45दर्मियों के चिट्टी होने वाली थी, मेरे पापा आने वाले थे तो, हम लोग सभी खुश थे, तो मैं एक बेट पे चड़के, डांस कर रहा था, देंकि वो पहले ही आ थे, फ्रीज, उस समय तो कंटिन्यू नहीं कर सकता था, तो फ्रीज फ्रेम टाइप का, कसम, पैदा
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