00:00Today I am the professor of Mahathapurna Karyakram,
00:06Maharashtra Sassan Kaya Sanmanya Mughamantri,
00:14Shrimaan Devendra Padanwish Ji,
00:19Maharashtra Sassan Kaya Uppamukhya Muntri,
00:22Shrimaan Eknaach Sindhye Ji,
00:24Uppamukhya Muntri Maharashtra Shrimaan Ajit Pawar Ji,
00:31Mere Sathih Muntri,
00:35Punekehi Jan Pratindhi,
00:38Shrimaulidar Mahol Ji,
00:41Punekehi Jan Pratindhi,
00:43Maharashtra Sarkarmane Muntri,
00:46Shrimaan Chandakandada Patil Ji,
00:49Behen Megha Kulkarni Ji,
00:51Lieutenant General Dheeraj Sheth Ji,
00:58Air Mysal Shri Bhushan Gokle Ji,
01:02Anirudh Deshpande Ji,
01:05Kundan Saathay Ji,
01:07Vinay Sahastra Budde Ji,
01:10Shri Puskar Peshwa Ji,
01:13Vice Admiral Guru Charan Singh Ji,
01:16Maharashtra Bharatia Janta Party के ध्यक्स,
01:21Shrimaan Ravindra Chavahan Ji,
01:23और आज,
01:24Bajirao Peswaa की वीर मूर्ती को प्रस्तापीत करते हुए देखने के लिए आये हुए सभी भाईयों बैनों को मेरा नमस्कार,
01:38मैं पूने की धर्ती पर खड़ा हूँ,
01:46सबसे पहले,
01:48जिन्नोंने घुलामी की काल रात्री में एक आसा का किरन जगाया और हिंदवी स्वराज की स्थापना करी,
02:00वो महान छत्रपती सिवाजी महराज को प्रणाम करकर मैं मेरी बात की सुरुवाज करता हूँ,
02:10पूने की भूमी एक प्रकार से स्वराज के संसकार का उद्गम स्थान है,
02:21सत्रवी सताब्डी में भी यहीं से स्वराज की आहलेक तानजावूर से अटक अटक से कटक तक पहुँची,
02:39और जब अंग्रेजों के सामने फिर से एक बार स्वराज के लिए जनता को लड़ने का समय आया,
02:48तब सबसे पहला सी गर्जना तिलक महाराजने की स्वराज मेरा जन्मसिद अधिकार है।
02:58और वीर सावर करने यही महाराज्ट की भूमी से एक ऐसे उदारन प्रस्तूत किया,
03:11कि एक भ्यक्ति अपने जिवन में अपने देश के लिए कितना कर सकता है,
03:21यह उदारन प्रस्तूत करने का काम भीर सावर करने की है।
03:25और मालूम नहीं, NDA का मुल स्थापना हुआ होगा, तब क्या सोच कर यहां बनाया होगा।
03:40कहते हैं कि यहां टेंपरेचर और वातावन बहुत अच्छा था, इसलिए बनाया होगा।
03:45मगर अंग्रेजो को मालूम नहीं था, कि कैसी जगे पे वो निव डालने जा रहे हैं, जो आने वाले एक सदी तक भारत की सुरक्षा का संस्थान बनेगा, वो आज हमरा NDA है।
04:00पेश्वा बाजी राव जी के कई पूतले देज भर में कई जगे लगे हैं, मेरे गाउं में भी लगा है।
04:16परंटु मैं मानता हूँ कि पेश्वा बाजी राव का एक स्मारक बनाने की सबसे उचित जगे, अगर कोई है, तो NDA पूने की एकडेमी।
04:30क्यूंकि जहां से आने वाले समय के देश की तीनों सैनाओ के सुत्रधार जहां प्रसिक्सित होकर निकलते हैं,
04:50वहां पाजी राव पेश्वा की मूर्ती लगना और स्रिमन्त पाजी राव के मूर्ती से प्रेणा लेकर उनके जीवन कवन को अभ्यास करकर अगर अमारे भविश्य के सैनानी जाते हैं,
05:12तो मुझे विश्वास है कि कई सालों तक भारत की सिमाओं को कोई छूने का साहस नहीं कर सकते।
05:20मैं यहां आने वाला था, कारेकरम घोशित हो चुका था,
05:29कल कुछ पत्रकार मित्रों के साथ व्यसे ही बेठना हुआ,
05:33तो उन्होंने कहा कि अमित भाई, आप फूने स्पेस्यल एक कारेकरम के लिए जा रहे हैं और स्रिमंत बाजीराव के पूतले के अनावरन के लिए जा रहे हैं,
05:49मगर मुझे एक बात बताईए, कि आज की युद्ध की पद्धती जहां NDA में हमारे सैनानी तयार हो रहे हैं और बाजीराव पेस्वा के समय की युद्ध की पद्धती एक दोनों के बीच में क्या रिलेशन बचा होगा?
06:08मैंने बहुत सरलता से उनको जवाब दिया, युद्ध की कला के कुछ नियम जो होते हैं, वो कालबायर नहीं होते हैं, वो एटर्नल होते हैं.