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00:00आदमी सुबह से लेकर रात तक बकर बकर कितना बोलत है आप बताईए
00:05लेकिन आप कभी रात को सोते समय ध्यान रखिए सूची बनाईएगा
00:10कि सवेरे जगें हैं तब से लेकर अब तक कितनी बार भगवान का नाम बोले है
00:15आईना सामने स्पष्ट हो जाएगा
00:18जगत के विवार को भी करते रहे भगवान के नाम को भी लेते रही है
00:24क्यों ये संसार में भगवत नाम ही अम्रित तुल्य है
00:28हमारे महराश्वी कहते हैं बाबू
00:31अम्रित है हरी नाम जगत में
00:40और इसे छोड़ विशय विशय पीना क्या
00:48इसलिए हरी नाम नहीं तो जेना क्या
00:56हरी नाम नहीं तो जेना क्या
01:05अमरित है हरी नाम जकत में
01:20इसे भोड़ी सेविष पीना क्या
01:26हरी नाम नहीं तो जेना क्या
01:33महराथ साट साल के बाद जपेंगे
01:49काहें जपेंगे साट साल के बाद
01:54कालिस्तदा अपने रस्त डोले
02:03ना जाने कब सिर्चर बोले
02:10कालिस्तदा अपने रस्त डोले
02:17ना जाने कब सिर्चर बोले
02:24हरी का नाम जपोनी सिवासर
02:34इस में अब बरस महें
02:41नहे ना क्या हरी नाम नहीं को देना क्या
02:51हरी का नाम नहीं को देना कर
02:58हरी का नाम जपोनी सिवासर
03:08इस में अब बरस महें
03:15नहीं को देना क्या हरी का नहीं को देना का
03:45तीरत है हरी नाम तुम्हारा फिर क्यों फिरते हो मारा मारा
03:59तीरत है हरी नाम तुम्हारा फिर क्यों फिरते हो मारा मारा
04:12एक बात जीवन भरयाद रखिएगा
04:14बाहर से यदि आप काशी आ रहे हैं गही के कि तिर्थ जा रहे है
04:20और काशी आने केबाद भी यदि भगवान का नाम मुख से नहीं निकल रहा है तो आना व्यर्थ है
04:28कही न जाइए अपने घर में बैट के भगवान का नाम जपिये
04:33इतना नाम जब लीजिये घर में
04:35कि नाम जब के प्रभाव से आपका घर ही दिर्थ बन जाए
04:39और लोग उस घर का दर्शन करने के लिए आने लगे
04:42तीरत है हरी नाम तुम्हारा
04:49विर क्यों फिरते हो मारा मारा
04:56नाती रत है हरी नाम तुम्हारा
05:03फिर क्यों फिरते हो मारा मारा
05:09अंत समय हरी नाम नयावे
05:16अंत समय हरी नाम नयावे
05:22तो काशी और उजैनी क्या हरिना नहीं तो तेना जाए
05:34हरिना नहीं तो तेना जाए
05:41अंत समय हरिना नयावे फिर काशी और उजैनी क्या हरिना नहीं तो तेना जाए
06:05हरिना नहीं तो तेना जाए
06:12अच्छा एक प्रश्ण पुछो बहुत सुन्दर आदमें
06:31खोब बनिया कर कपड़ा कोट सूट टाई लगाकर चस्मा उस्मा लगाकर आवे
06:38और आते गाली गरिया दे तो क्या उक्स के मुख से गाली सुनने के बाद भी वो सुन्दर दिखाई देगा
06:48कहिए कहिए अच्छा एदम दीन ही नवस्था में फटा पूराना कपड़ा पहिने मैला एदम आदमी आवे
06:59आख में आशु भरके अप्रेम से आप से कह भईया जैसी आराम आपको क्या ये सुनने के बाद भी वो गंदा दिखाई पड़ेगा नहीं इसका क्या मतलब हमारी असली सुन्दर्ता हमारे स्वरूप से नहीं है हमारी वाणी से है
07:19हम जीवन भर सरीर को सजाने में ब्यर्त हो जाते हैं और जिसको सजाना था उस पर ध्यान नहीं नहीं दिये कभी
07:28भूशन से सब अंग सजावे रसना पर हरिनाम नयावे
07:41देहां पड़ी रह जाए यहीं पर
08:00फिर उंडल और नगीना क्या हरिनाम नहीं हा दियना क्या हरिनाम नहीं तो दियना क्या
08:21अमरित है हरिनाम जगत में इसे छोड़ विशय विश पिना क्या हरिनाम नहीं तो दियना क्या
08:38प्रभनाम नहीं तो दियना क्या हरिनाम नहीं तो दियना क्या