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  • 6/30/2025
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Transcript
00:00सीता को उठा ले गया है रावन और राम रो रहे हैं और जानवरों से, पक्षियों से, व्रिक्षों से सबसे पूछ रहे हैं
00:08तुम देखी सीताम रिगनैनी जटायू के पास पहुचते हैं वो गिरा पड़ा है, आखरी सांसे ले रहा है
00:16और राम उसको छाती से लगा लेते हैं
00:18वो वही पर शान्त हो करके अपनी आखरी सांस लेता है
00:22फिर अपने हाथों से उसका संस्कार करते हैं
00:24भाव प्रवण है राम
00:26एक नन्नी सी गिलहरी है
00:27जब पुल बन रहा है लंका को पहुचने के लिए
00:30फिर तो वो मुंए रेत के दो ज़ोचार ज़ाने बरके समुद्र की और भाग रही है
00:34तो कहरी है मैं भी पुल बनाने में योगधान दूँगी
00:37राम जाते हैं गिलहरी को देखते हैं मुस्कूराते हैं हथेली में उठा लेते हैं
00:41और उसकी पीट पर स्वेह से हाथ पिरते ऐसे हैं राम कोई बहुत जिद्मगा हट नहीं चका चौंध कर देने वाला कुछ नहीं उनके चरित्र में
00:51राम तुम्हारा वृत्त स्वयम ही काव्वे है कभी कोई बन जाए सहज संभाव्वे

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