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मराठी भाषेमध्ये वेगवेगळ्या अर्थ लावले जातात,छगन भुजबळ काय बोले पहाच...

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00:00बार्डर बन के लेला है कि बांगला तेशा मधे सत्ता पालण धालेला है और पुर्वी चा अद्रिक्ष्य होते हैं त्याब महारता मदसद्या आहे त्यांचे विरुद्ध तिते सब वाता हो रहना है
00:24त्यामने थोड़े भार्ताचा विरुद्ध तो बार्तावर नसले सरक वडता है तेमने जाय द्रक्षा आहे त्यामने लिए गांदा आहे इस वन अपला मंगला तेश्य लिए भोडरर रूंपन धालेला है और मी ए याव संधरभा मदे अमे मुख्य मंत्र इसी चाच्या करू
00:54शिए निए रहा सेव मुख्ड़ु श्रामना के वांटे काल्चे ची राश्ठाग्रियानी वुषेच ची भेड जाली हो थी त्या अदर खीक है काय संतो अप्रतत कुण था ऐ तो अपुते लख हूं काय कोलना है
01:11माराटी वाष्वर मदे विभुय प्रकार्टी जेत विशेष न लावता तरका उत्तरत रहते दाथा भुषेद पते लिए
01:19महाराटी शालम वादे पते लिए अलगाद निगनार होते हैं आतला सकाई संजरावते हैं तेजभुः कोश्ट के लिए कि दोनी मोरचे है गद्र निगनार हैं अगारे काला थे दोनी बंद्रू जुबले नेचि नानीवाट अर्षाए की राजकार्ण में आज काये ते आहे
01:49जाहे विश्फूल थिंकिंग जाला पंगन तो अनेक अंच्छा है मागेस में साहिए दोन पावार दोन टागरे एक तरी जाग और तो राज करना में तस घड़ता अस नहीं है
02:01तो ठीक है एक तरी मराथी साथे लड़ा दिना कर दोनी शिवसेन प्रक्ष निर्मान जाला तो था मराथी जाप्रश्णावर मॉंबई मधे विशेश था मराथी मांशाला नोक्री धन्दा इतर सग्राश गोश्टि मधे प्राधन्य मिलाल पाई जे तरी शिवसेनी प्रश्�
02:31ति महारशडनी मंधाने मुंबई आ है परंदू मुंबई महाराशना ना है ना था कबार अढार sabes wipeslave छोड़ा रिंदा और मोंपोवें बांशति था मुंबई जानीमी यदना अधाक है प्रोफा प्रक्षीदा धाया म्मधिशे सक्षवसे प्रशमारावर नहां कि मावषर
03:01कि अप्जिक्षिन गेने तो कारण माला किसत नहीं, पन एक लक्षा घितलब आएगे, मुख्य मुंत्र नी परष्ट सांगित लेला है, कि अमी सगाइशी चर्चा करूं, मक आयतो नी गेना रहोगी, मुख्य मुंत्र नी सांगित लेला है,
03:26मुख्य मंत्र नी सांगित लेला है, अमसा प्रयत्न शक्यतो महायूती एकत्र लडन्याचा आहे, पर उन्तु काही ठीका नी है,
03:56काही आमके कारे करते हैं, तैंचे कारे करते हैं, अगर अधरताग नीवन्नुक लडन्याचा अमते संधी मुळत नाराज अताग,
04:08काही ठीका नी, काही विग्रेंगिर ने खूल शक्त अस्तानिक पात्र नीवर है।
04:14काही राच्किया नाई है, मराठी भाषे साथ आहे, असे तैंचे नहीं मतलाए कि मराठी कलाकार या और बोलत नहीं है।
04:22काही ठीक है, तैंचे दे बोलतील, करनो बोलतील, आपट अचाव तरकाय में काही बोलना से खूल नाई है।
04:32सर, एते आधिवेश्ण मदे जन सुरक्षय विदेग मनना असलेची माइती, चदुष्यकर पावन पुर्यागी जायर के लोगर, अत्रही विदेग वाट्रस तासलेचा भुरोदक सांगे है।
04:42ठीक है ना, जावेला विदेग मनना जहीन।
04:48जहीन। तरह लेचर्चा करती है। सरुष अंदर अन्ना विदेग मनने पूर्ण अभ्यासन बोलने जी परवान गिया है।
05:02और त्यातुम का निश्वन होता है। त्यावर में सरकार्थर विदेग कारे ते है।
05:10यूू।

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