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00:00आज गिलाफी काबा को तब्दील किया जा रहा है
00:02ये वो मनजर है जिसका इंतिजार साल भर किया जाता है
00:05जिस लम्हे को देखना हर मुसल्मान की खुआहिश होती है
00:07और आज अलहमदल्ला वो लम्हा आ गया है
00:09ये कोई आम कपड़ा नहीं
00:11ये अलह के घर का लिबास है
00:13महबत अदब और अकीदत से भरा हुआ
00:15आज इसलामी साल का पहला दिन है
00:17पहला महरम उसी दिन हर साल गिलाफी काबा को बदला जाता है
00:20ताकि नया साल एक नई रोहनी और एक ताजा महबत के साथ शुरू हो
00:24इस नए गिलाफ की तैयारी में लगे हैं
00:26670 कलो खालिस रेशम और 120 कलो सोना और चांदी
00:30कुरानी आयात को सोने के धागे से हाथ से कड़ा गया है
00:34ये सब कुछ 11 महीने में तैयार होता है
00:36सौदी आरब के माहर कारिगरों के हाथों से
00:38आज जब पराना गिलाफ अतारा जाता है
00:40तो कोई शोर, हजूम या हिंगामा नहीं होता
00:43बस एक अजीब सी खामुशी, एक अजीब सी केफियत होती है
00:45फिर नया गिलाफ नहायत आदब से चड़ाया जाता है
00:48और पराने गिलाफ को एहतराम के साथ काट कर
00:50छोटे हसूं में तकसीम कर दिया जाता है
00:52जो बाद में इसलामी मलकों, महमानों
00:55और अहम शक्सियात को तहफे में दिये जाते हैं
00:57ये लमहात सिर्फ आँखों से नहीं, दिल से महसूस किये जाते हैं