00:49लेकिन अगोशित आपातकाल का एक लंबा दौर 11 सालों तक हम लोगों देख रहे हैं
00:59आप सबको याद होगा कि 2016 का 8 नवंबर के रात का शाम का 8 बजे
01:12एक आर्थिक आपातकाल इस देश को थोपा गया
01:17लोग दरदर ठोकर खाने को मजबूर रहें बैंकों के बाहर
01:30लंबी लंबी कतारे लगी रही को अपनी जान देनी परी लोगों के
01:40रोजगार छिन ले गए और जिन उद्देश्चों को बताया गया था
01:48कि काला धन समाप्त हो जाएगा
01:52आतंगवाद समाप्त हो जाएगा ब्रस्टा चार समाप्त हो जाएगा
02:02हजार रुपे के नोट से बहुत कुछ गलत होता है उसके स्थाल पर दो हजार रुपे लादिया लिए फिर उसके
02:18तीन वर्षों के बाद एक तर्फा अतंगवाद किसानों के साथ लगा दिया अपातकाव राच्सबा में बिना भी बहस कि
02:36किसानों के उपर में नए तीन कानून फोक दिये गए किसान सडक पर उतर गए साथ सो लोगों ने अपनी शाहदत दी
02:47प्रदान मंत्री जी ने कहा कि ये मेरे लिए में रहे गया हरांकि जैसे
02:5377 अपातकाल को वापस किया या था उसी तरह उस कानून को भी वापस किया हम सब को याद है
03:03दोजाटेश जब संसन में आपातकाल लग गया एक साथ विपक्ष के सारे सरस्यों को संस्मेंट कर दिया गया पंचान में सरस्यों अभी तो हम लोग देख रहे हैं हमारा राज्ट तो सबसे जादा बुक्त भोगी है जब
03:25जब हमने केंदर सरकार का कुछ मामलों पर विरोज किया अपना हक मंगा तो एडी सीवी आई आई टी विपक्ष का कोई भी बात करता है
03:43उस पर जाचेजनसी गुसा दिया बीना विवेचना के लोगों को बंदी बना लिया जाता है
03:55हमारे राज के फादर स्टेजनस्वामी को कोई आरोक सिद्र नहीं हुआ
04:03उनको अपना शाहदत दिना पर गया जेवित के अंदर इनका मक्सद है
04:11लोगों के आवाज को बंद करके केवल और केवल इवेंट करना आज दिल्वी से मशाल निकल रहा है
04:22छे मशाल कमी नाम क्या है मादू इट टॉट्च पूरे देश में घुमेगा
04:34और सरकारी परादिकारी घुमाईए आठ नमंबर आने वाला है
04:43कि अंदर सरकार बताए आठ नमंबर को उस दिन कौन सा दिवस्मन आये जाएगा
04:52पूरे विदेश में हमारी देश की प्रतिष्ठा आज धूमिल हो रही है विश्व जंकट में हम आज कहीं अपनी बात नहीं कर पा रहे हैं
05:07और सक्तर से सिग दशकों में हम लोग विश्व को एक नया आयाम देते थे हमारी बाते सुनी जाती थी
05:19आज एक विदेश का रास्तपति कहता है कि हमने सीज़ फायर करवा दिया
05:27विदेश से हमारे लोग डिपोर्ट होते हैं हाथ में हत कड़िया और पैर में बेरी लगाकर उस पर क्यों नहीं बात होती
05:41हमको लगता है कि देश आज विशेश परिस्थिति में आपातकाल के दौर से बिज़र प्रेस की आजानी छिलने गई है
05:56पत्रकार जेल के अंदर जा रहे हैं सोचल एक्टिविस्ट का मुव्मेंट पर रोख है इतने अखबार के पन्ने हैं उनको ख़ई दिया जाता है
06:11आज से ग्यारा साल पहले अखबार पहले छपती थी तब बिक्ती थी
06:19चैनल पहले चलता था तब लोग उसको सब्सक्राइब करते हैं आज सब गर्वर्मेंट पहले ख़ईती है तब अखबार चपता है