02:18बता दे यह दमपत्ती, जन्न शहर के मानता तहसील के छोटी सी गाउं के निवासी है,
02:45खेती में नुक्सान के बाद, वे शहर में आकर भीक मांग कर अपनी रोजी रोटी चलाते हैं, उनके पास बहुत कुछ नहीं था, लेकिन दिल में एक दूसरे के लिए अपार प्रेम और उम्मीद थी
02:58यह जो है न, एक बुजूर्ग आये थे, हम मराठी में आजी आजोबा गोलते हैं, तो उनको कुछ ज्वेलरी, वो बुले कि मुझे पोत लेना है, और वो पोत लेने के इसाब से अंदर आहे, उनको यहाँ पे स्टापने पोत दिखाया, उनको एक माला अच्छा लगा, एक
03:28आफिस में था उपर, तो एक मेरे एंप्लॉई ने मुझे बुलाया, मैं निच्चे आया, तो उनसे जो बाच्चित हमने की, वो सब वीडियो में है, और प्रामानिक भूत थे, उनको पैसे देके ही लेना था, तो उन्होंने मुझे पहले 1120 देने की कोशिश की, फिर कुछ
03:58हमने वो मना किया, और वहाँ पे जो हमारा वन ग्राम गोल्ड ज्वेलरी का जो बिजनेस है, उसमें से जो माला थी, वो हमने उनको सुपूर्प की, वो वाटी जो पिंडंट है, वो सुपूर्प किया, और तो भी वो बुले कि हमसे कुछ ना कुछ तो लो, तो उनके अश्
04:28का अशिर्वाद और उनका अशिर्वाद मुझे मिल गया।
04:58की रिस्क है, लुटोरों की रिस्क है, फिर भी इतनी उम्रों में अपनी बीवी के लिए एक एक रुपया मांग के उन्होंने जमा किया है, और दूसरी बात, ये दो साल से मेरे पास आते हैं, थीन चार दिन में एक बार आते हैं, उनके जो छुट्टे पैसे होते हैं, एक �
05:28करके वो सेप्टी उसको रखते हैं, पर फिर भी उनको रिस्क है पैसे की ये तीन चार दिन में एक बार आते हैं, चिलर के नोट बना के लेके जाते हैं, अपने गाहों को जाते हैं, इनका एक बेटा भी है, मजूरी करता है, वो मंठा साइड गाहों है, इनका उदर खेती �
05:58इसलिए अवरंगबाद आये काम करने के लिए, पर बाबा को काम ने कर सकते हुँमर जादा है, तो इनके दिमाग में आया कि चलो मंदिर के बहार दक्षिना के रूप में पैसे इतले हैं, और वो ऐसे ही मंदिर के बहार पैसे मांगने लगे लोगों से, दिन बर पैसे मां�
06:28अधिया बटे जोगा पासा नहीं संब्सक्राइए शुलेटे।
06:32जा अधियो लीए है आधिक भीट वाट लीटर माला साझाएं