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  • 6/19/2025
When you try to act cool in front of your crush… and gravity has other plans. 😂 Watch till the end for the slow-motion replay of my pride leaving my body! 💥🕺
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😹
Fun
Transcript
00:00अरे देखो तो जरा तड़के सवेरे सवेरे कितनी तफ्ती दूप हो गई
00:04सारी ताजी सबजिया मुर्जा गई
00:06ऐसे तो ग्राहा खरीदेगा भी नहीं
00:08थोड़ा सा पानी मालना पड़ेगा
00:10तभी ठेले पर सबजी लगाते हुए रामप्रसाद बाल्टी के अंदर दो चार मगगा पानी रखा
00:15देख कर सबजी पर मार देता है तभी कच्चे मकान में से राकेश आता है
00:20मैंने बाल्टी में नहाने के लिए पानी रखा था किसने खर्चा कर दिया
00:24सुधा मा कहां हो बाहर आओ
00:27राकेश भाईया मा और भाबी पानी भरने गई है पानी का टैंकर आने वाला है
00:33तभी गोमती सुधा कड़ी धूप में खाली बाल्टी कैन लेकर वापस आती है
00:38अजी बस पूछो मत गर्मी के चलते पानी कितनी छीना छानी मारा मारी मची हुई है
00:49खाली आधा मटका भर पाया आईसी में गुजारा करना पड़ेगा
00:52पानी के किलत के चलते राकेश बगैर नहाई फैक्टरी में आता है जहां बसलेरी के बोतल मैनुफेक्टर की जाती थी
01:05क्यों बाई लेट लतीफ ये कोई टाइम है तेरे आने का आज पूरे दस हजार बसलेरी के बोतल का ओडर तयार करना है काम पर लग जा
01:13जी सेट
01:15तब ही सुमित के पूर्ण पर कॉल आता है
01:17सुमित कहां हूं तुम आरफ पलग कब से तुम्हारा वेट कर रहे हैं वाटर पार्क जाने के लिए
01:23डाड़ी चल्दी से घर आ जाईए हमें वाटर पार्क में चिल करना है
01:28ओके माई प्रिंसेस मैं आ रहा हूं फिर पापा तुम दोनों को वाटर पार्क ले चल कर खूप सारी मस्ती करवाएंगे
01:34राकेश ओर्डर टाइम से तयार कर देना तक 6 बजे आ जाएगा
01:38ठीक है सेट
01:40सेट अपने बाल बच्चों को कितना खुश रखते हैं हर हफते वाटर पार्क ले जाते हैं सारा काम मुझ पर थोटकर मौज मस्ती उड़ाते हैं तनका इतनी थोड़ी देते हैं कि घर का खर्च चलाने में खतम हो जाता है
01:52गरीब के जिन्दगे दल्दल के जैसे होती है जो गरीबी में धस्ती जाती है
01:57वहीं अमीर जिनकी आर्थिक जड़ मस्बूत होती है फिर चाहे सर्दी हो या गर्मी मौसम को अपने हिसाब से डाल लेते हैं जिसमें सबसे एहम अमीर गरीब के लिए पानी का महत्व है जहां राकेश का परिवार थोड़े पानी में गुजारे को महताज थे वहीं अमीर पर
02:27सच में वाटर पार्क में वीकेंड ट्रिप करके धकान मिल जाती है पैसे के बलबूते पर जहां अमीर चपाक चपाक के नहां रहे थे वहीं गरीब गर्मी से बेहालात थे
02:51मा जी बाओ जी का आना बन गया है लगा दूँ एरे बहूर ओटी पका कर तू तो पसीने में नहां गई है थोड़ी हवा खाले आंगन में आकर
02:59मा जी आंगन में भी कहा हवा चल रही है नहां कर ही चैन पड़ेगा मगर पानी नहीं है
03:04मम्मी मम्मी मुझको फिर्जे पूरे पीट में चिटी का आट रही है पूरे शरीर में गर्मी से खुजली बच रही है
03:11तबी खुजली करते करते खुण आने लगता है
03:15मा जी देखिये ना इसको खुण आ रहा है
03:19बहु रोमत गर्मी की घमोरी ने चाप लिया है लाला जी के हां से नवरतन पाउडर ला देती हूं लगा देना
03:27ठीक हो जाएगा बाकी कर वो सोसाइटी वाले प्याव से थोड़ा सवेरे चलकर पानी भर ले आएंगे
03:32सुभा के चार बचते साज बहु डिबबा लेके सोसाइटी के प्याव से पानी भरने आती तबी कुत्ते बहुपने लगते हैं
03:39बहु गर में चुलू भर पानी नहीं है खाना पीना कैसे बनेगा दोबारा पानी का टैंकर आने में भी टाइम है भर लेते हैं
03:51दोनों प्याव से बोतल भर के जाने लगती है तबी कुत्ता गोमती को काट लेता है विचारी दर्द से मचल जाती है
03:56जहां बहंकर गर्मी और पानी के अभाव में सीमित पानी खर्च करके सुधा घरेलू काम निप्टाती है वहीं रियाईश्टी सुसाइटी के
04:18सबके बंगलों के बाहर पानी का फवारा व्यर्थ बह रहा था सबके यहां स्विमिंग पूल पर्सनल बात्रूम कई हजार लीटर की टंकी भी लगी थी
04:26पत्र लेखा बहू आज मैं पल वाले से मीठे माल दे आम खरीद कर लाई हूँ तो आम रस बना ले ना
04:33पर मैं सबके लिए ठंडे पानी में रुआपजा बना रही थी फाइन मैं इसे फेग देती हूँ पत्र लेखा बहू उस पानी में क्या खराबी थी एक जक्का पानी तुने सिंक में फेग दिया
04:43ममी जी प्लीज आप थोड़े से पानी के लिए बाल की खाल मत निकालिए वैसे भी वो वेस्ट था मैंने फ्रिज में और भी बर्फ जमा रखी है
04:50बहू हमारे घर में पानी की सुक्सविदा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि तुम पानी की बरबाद ही करो
04:55पता है गर्मी के मौसम में चौल जुग्गी में चार दिनों पर एक बार पानी आता है
05:01ममी जी ऐसी गंदी बस्तियों में थर्ड क्लास चीप लोग रहते हैं
05:20कभी किसी के खाते टाइम हलस में रूटी अटक जाती तो वहीं नहाने धोने की समस्या भी थी
05:26मा जी पिछले एक हफते से टैंकर वाला नहीं आया हमारे पडोसी तो पानी की बोतल बाहर सक खरीद कर ला रहे हैं
05:33एक है मैं सोच रही हूँ कहीं काम पकड़ लूँ क्योंकि बिना खाना खाए रह लेंगे लेकिन बिना पानी के असंभव है
05:41सच में बहू अब तो बिना नहाय धोय रहना दूबहर हो गया है
05:45चलचलादी धूप में मजबूर होकर सुधा पिंगी के साथ काम मांगने पत्र लेखा की कोठी में आती है
05:51मैदम जी काम मिलेगा मैं जाडू पोचा बरतन सब कर दूँगी
05:56पत्र लेखा करती हुई नाक्ट रहा कर कहती है
05:58तुम दोनों कितनी गंदी स्मेल कर रहे हो
06:15महीं पिंकी अंदर स्विमिंग पूल फवारा देखकर खुश होती है
06:18मा देखो कितना धंदा पानी आ रहा है प्यास लग गिया पीलू
06:22अच्छा ठीक है पीले मगर कोई देखे ना
06:24पिंकी गटगट पानी पीने लगती है फिर दोनों काम खत्म करती है
06:28मा जी मैंने काम खत्म कर दिया जाओ
06:31हाँ जाओ ये दो बोतल पानी लेते जाओ पी लेना
06:34मैंने देखा तुम्हारी बच्ची बड़ी प्यासी थी जब फवारे से पानी पी रही थी
06:38मा जी इस पानी का पैसा तनक्वा से काट लीजेगा
06:41सुधा के खुदारी देखकर सुमित्रा खुश होती है
06:44अब अपने परिवार के लिए सुधा कोठी से ठंडा पानी भर कर ले जाती है फिर एक दिन
06:48अरे ओ गरीब जल्दी से मेरा बातरूम साफ कर
06:52जी मालकिना भी करती हूँ
06:53सुधा जैसे बातरूम में जाती है तो सारे नलका शावर खुला छूटा था
06:57हम गरीब पानी के लिए तिल-तिल मरते हैं और अमीरों को कदर नहीं है
07:02थोड़ी देर में बातरूम साफ करके सुधा तूटी बंद कर देती है फिर एक दिन
07:05ममी जी कल आरफ का बर्थडे है इसलिए मैंने हलवाई से लेकर कैट्स सब को बुक कर दिया है
07:11खाना बनाने के लिए बड़ी दावत होगी
07:13सुधा तो भी अपने परिवार को कल लेके आना खाना यहीं खा लेना
07:17यह ममी जी भी मुझे जान बूचकर मिर्ची लगाने वाली चीज करती है
07:47अरे मैडम जी पानी मंगवाई यह बना काम ऐसे ही रुका पड़ा रहेगा
07:52ममी जी मैंने घर के सारे नल चेक कर लिये पानी नहीं आ रहा है
07:56बहु पानी वालों ने एकदम से हमारे घर से पानी का कनेक्शन काट दिया और फोन नहीं लग रहा है
08:01तबी आरफ जोर से खासने लगता है
08:03ममा ममा मुझको पानी तो प्यास लगी है
08:09ये भगवान मेरे बच्ची के हालत कितनी जादा बिगड़ी है किसी के पास पानी है मदद करो
08:13बेटा ये पानी तुम पीलो
08:15पानी पीकर आरफ को सास आती है तभी सास ताना कसते हुए
08:18देख ले पत्र लेखा बहो
08:22आज एक गरीब के घर के पानी ने तेरे बच्चे की जान बचा ली
08:25तू हमेशा गरीब अमीर के पानी में भेद भाव करती है
08:28आजी मुझे अपनी गलती का पच्चतावा है
08:31सुधा मुझे माप कर दो
08:32माजी के तुम्हें पानी देने के चलते मैं हमेशा तुमसे जलती और चिड़ती रही
08:36आज के बाद मैं पानी की बरबादी नहीं करूँगी
08:39आखिर में पत्र लेखा की अकल खुल जाती है
08:41और अप पानी को व्यर्थ करने के बजाए गरीबों को पानी देकर मदद करती है
08:45आप लोग जल्दी आने की कोशिश करियेगा
08:49माजी और हम यहां अकेले हैं
08:50आप लोग जानते हैं ना आसपास कोई और नहीं रहता
08:53तुम सब तो जानते हो क्या हमारा काम कैसा है
08:56महीनों तक बाहर रहना पड़ता है
08:58हमने मा को घर खर्च के लिए पैसे दे दिये हैं
09:01तुम पाचो अपना और मा का ध्यान रखना
09:03हम जल्द से जल्द काम खतम करके लौटने की कोशिश करेंगे
09:06पाचो भाई शहर में ट्रक से सामान को
09:09एक शहर से दूसरे शहर ले जाने का काम करते थे
09:12अपने पतियों के जाने के बाद अब पाचो भाई और उनकी सास सोम बती अखेली रह जाती है
09:18ये लोग तो चले गए लेकिन दूने के लिए इतने सारी कपड़े चूड़ गए
09:21और आज तो धेर सारे बरतन भी पड़े हैं
09:24हम लोग बरतन लेकर नदी किनारे जा रहे हैं
09:26तुम लोग भी कपड़े लेकर आजाओ
09:27आज काफी सारा काम करना है
09:29इन पाचो बहु की जोपड़ी बिलकुल नदी के पास ही बनी थी
09:33जहां एक तरफ उनकी जोपड़ी के पास नदी थी
09:36तो वहीं दूसरी तरफ बड़ी बड़ी पहाड़ियां
09:38और नदी के बीच में ये पाचों बहुए
09:40और उनकी सास रहा करती थी
09:42पहले जोब मुझे पता चला कि मेरा ससुराल ऐसी जगापर है
09:46तो मुझे तो काफी टेंशन होने लगी कि मैं वहाँ पर कैसे रहूंगी
09:48लेकिन अब तो यहाँ फाइदा ही फाइदा है
09:50चार कदम पढ़ना दी है आराम से घर के सारे काम हो जाते हैं
09:53और पहाडों की वज़े से या आसपास काफी थंड़क भी रहती है
09:56इसलिए इस गर्मी के मौसम में भी हमें ज़्यादा परिशान नहीं होना पड़ता
09:59वही तो मैं सोच रही हूं क्यों ना आज खाने में कड़ी चावल बना ले
10:03काफी दिन हो गया है कड़ी चावल खाय हुए
10:06जल्दी से काम खत्म कर कड़ी चावल बनाते हैं
10:09पांचो बहुएं गरीबी और जोपडी में ही सही लेकिन हंसी खुशी अपने दिन काट रही थी
10:13ऐसे ही एक दो हफ़ते गुजर जाते हैं
10:16आज आस्मान में काले बादल चाई हुए थे और मौसम भी काफी ज़ादा खराब था
10:20जोर-जोर से तेज हवाई चल रही थी
10:22मुझे लगता है आज बहुत जोरू का तूपान आने वाला है
10:26मुझे तो बहुत डर लग रहा है
10:27हाँ बहुँ चलो घर के अंदर चलते हैं
10:30ऐसे मौसम में बाहर रहना ठीक नहीं है
10:32सोमबती अपनी पांचो बहु को घर के अंदर ले जाती
10:35लेकिन तबी हवा का ऐसा जोंगा आता है
10:37कि जिसे उनकी जोपरी ही तूटकर विखर जाती
10:40और अब पांचो बहुएं और सोमबती देखते ही देखते बेखर हो जाते
10:44ये भगवान ये क्या हो गया
10:47अबी कुछ देर पहले तो हमारे सरपर छट थी
10:50और अब तू ने उसे चीन लिया
10:51अब हम लोग कहा जाएंगे
10:53मा जी हमें किसी सुरक्षित जगा पर जाना होगा
10:56ऐसी खुली जगा हम लोगों के लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है
10:59पांचो बहुएं अपनी सास को लेकर एक बड़े से पेड़ के नीचे जाकर खड़ी हो जाती है
11:03कई गंटे के बाद जब तूफान रुकता है तो पांचो बहुएं अपनी सास के साथ वापस अपनी जोपड़ी के पास आती है
11:10और देखती हैं कि जोपडी पूरी तरह से तहस नहस हो चुकी है
11:13और अब उसे दुबारा भी नहीं बनाया जा सकता है
11:16यह सब इस घास पूस की जोपडी की वज़े से हुआ है
11:19अगर एक पक्का घर होता तो आज हम ऐसे बेगर नहीं होते
11:23बहूँ मेरी बात मानो तो हम गाओं की तरफ चलते हैं
11:26पहाडी इलाका होने की वज़े से यहां पर अक्सर ऐसे तूफानाते रहते हैं
11:31यहां हमारा रहना सही नहीं है
11:33लेकिन माजी अगर हम गाओं में चले गए तो वहां रहेंगे कैसे
11:37यह आसपास के गाउं में पानी की काफी दिक्कत है, साथी गर्मी भी बड़ी है, यहां तो हमें जादा गर्मी भी नहीं लगती और नदी तो बिलकुल हमारे सामने ही है
11:45मा जी हमी कुछ न कुछ जुगाड करके यहीं पर घर बनाना पड़ीगा, लेकिन इस बार हम घास का घर नहीं बनाएंगे, लेकिन बनाई कैसे, इड़ पत्थर, सीमेंट के लिए तो हमारे पास पैसी भी नहीं है
11:55कुछ दिन पहले जब मैं गाओ गई थी तो मैंने वहाँ देखा था कि सारे घर मिट्टी के बने हुएं, आज भी गाओ में कई सारे लोग मिट्टी के घरों में ही रह रहे हैं, और ये काफी मजबूत भी होते हैं, तो क्यों नहीं हम मिट्टी का ही घर बना ले
12:07सवीता बिलकुल ठीक कह रही है, लेकिन मिट्टी का घर बनाने के लिए हमें धेड़ सारी गीली चिकनी मिट्टी के जरूरत है, और यहां आसपास तो ये चिकनी मिट्टी है नहीं तो हम क्या करें?
12:16हमारी आंकों के सामने ही नदी है और तुम कहरी हो यहां गीली मिट्टी नहीं है, तुम्हें याद है ना, जब भी हम नदी किनारे कपड़े दोते हैं, तो कैसे मिट्टी की वज़ज़ से हमारे सारे कपड़े जादो तक गंदे हो जाते हैं, हम नदी से ही मिट्टी निकाल
12:46पांचों बहुएं नदी से गीली मिट्टी भरती हैं तो भाई सोमबती भी उनकी मदद करती हैं जिसके बाद अब पांचों बहुएं गीली मिट्टी से धीरी धीरे करके अपने घर बनाने की शुरुआत करती हैं
12:57मुझे तो लगा था कि मिट्टी का घर बनाना ز्यादा मुश् Elliot नहीं होगा
13:01लेकिन हाँ तो एक दीवार बनाने में मुझे मेरी नानी याद आ गयी
13:05मिट्टी के घर को बनाने में तक्रीबन हमें 3-4 दिन का समय तो लगेगा ही
13:09महनत करेंगे तब ही हमें फल मिलेगा
13:11पांचों बहुँ अपनी सास के साथ दिन रात मेहनत करती है
13:14और आकरकार तीन से चार दिन के अंदर ही
13:17उन लोगों का एक मिट्टी का घर बन कर तयार हो जाता है
13:21और सूखने के बाद अब वो घर काफी ज़्यादा मजबूत होता है
13:25देखा माजी हमारा मिट्टी का घर कितना ज्यादा सुन्दर है और मजबूत भी है
13:29उसके अंदर कितनी ज्यादा ठंडग भी है
13:31अब चाहे कितनी भी तेज हवाएं के उना चले लिकिन हमारा घर टस से मस नहीं होगा
13:35तम पांचों ने तो कमाल कर दिया
13:37अब तो हम यहां राम से रह सकते हैं
13:40ऐसे ही कुछ दिन गुजर जाते हैं
13:42सभी बहुएं जहां घर के कामों में लगी होती है
13:44तो भही सविता आचल के साथ मिलकर उसे गेली मिट्टी से थोड़े से बरतन बना रही थी
13:50जिसे देख
13:50अरे ये तुम दोनों मिट्टी से बरतन क्यों बना रही हो घर में तो बरतन है ना
13:55हम लोगों ने सोचा मिट्टी के भी थोड़े बहुत बरतन बना ले
13:59वो क्या है ना मिट्टी के बरतन में बना हुआ खाना काफी जादा अच्छा लगता है
14:02सभी को माया का आईडिया काफी ज़्यादा अच्छा लगता है
14:22जिसके बाद अब सभीता और आचल मिलकर और भी धेर सारे मिट्टी के बरतन बनाते हैं
14:27और उन्हें बाजार ले जाकर बेचते हैं
14:29जहां पर लोग उनकी मिट्टी के बरतन खरीदे भी हैं और उनके बरतन भी काफी अच्छे होते हैं
14:34देखा मैंने कहा था ना कि लोग मिट्टी के बरतन जरूर खरीदेंगे
14:38लोगों ने मिट्टी के बरतन खरीदे भी और हमारी कमाई भी कितनी अच्छी हो गए
14:42और तुम लोगों को याद है ना उस ओरत ने क्या कहा था कि उसे एक बड़ी हांडी भी चाहिए
14:46बाजार में कई सारे लोग मिट्टी के खेल खिलोने भी बना कर बेच रहे थे
14:51तो मैं सोच रही हूँ कि हम खेल खिलोने के साथ साथ और भी छोटी मोटी चीज बना कर बेच सकते हैं जैसे घर के सजावत के सामान
14:58पहाडियों और नदियों के बीच में अपना मिट्टी का घर बनाने के बाद आप पांचो बहुएं मिट्टी के बरतन सजावत का सामान और खेल खिलोने बना कर बेचती हैं
15:08जिससे वो दो चार पैसे कमा कर अपनी जरूरत के लिए जोड रही थी
15:11ऐसे ही कुछ दिन गुजर जाते हैं
15:13पांचो बहुएं नदि किनारे बने अपने मिट्टी के घर में काम कर रही होती हैं
15:17कि तब ही वहां आसपास घूमने के लिए कुछ लोग आते हैं
15:20जिसे देख सभी पती अपने पांचो बहु को बाहर बलाती है
15:23इन पहाड़ियों और नदि के बीच में कितना सुन्दर मिट्टी का घर है
15:28इन लोगों का क्या आप लोग यहां अभी अभी आए है
15:31नहीं हम तो यहां काफी समय से रह रहे हैं
15:34लेकिन हाँ यह मिट्टी का घर हमने कुछ समय पहले ही बनाया है
15:38इस जगा पर काफी लोग घूमने के लिए आए हैं
15:47घूमने आए सभी लोगों का पांच बहुए काफी अच्छे से स्वागत करती है
15:52और आब उन्हें अपने बनाय हुए मिट्टी के खिलॉने बरतन बगेरा भी दिखाती है
15:56ये मिट्टी के बरतन तो काफी ज़ादा सुंदर है
15:58मैं तो सोच रही हूँ तीन-चार लेलू
16:00घर जाकर इनमें खाना बढ़ाऊंगी
16:01और ये एक खिलाने भी काफी ज़ादा अच्छे है
16:04मेरी भावी के बच्चों के लिए ले लेती हूँ
16:06इन्हें देखकर काफी खुश हो जाएंगे
16:07तंगडी गर्मी पढ़ते ही उन पहाड़ियों और नदी के आसपास
16:11काफी सारे लोग घूमने के लिए आते हैं
16:13जिससे अब उन पाँचों बहु को अपना सामान बेचने के लिए
16:16शहर जाने की जरूरती नहीं पड़ती
16:18और ये इन्हीं लोगों को अपना सामान बेच कर काफी पैसे कमाते हैं
16:23थोड़े बहुत पैसे जोड़ते ही
16:24अब पाँचों बहुएं उन्हीं मिट्टी के बरतनों में
16:27मैगी, चाए और कुछ खाने पीने की चीज़े बना कर भी
16:30लोगों को बेचना शुरू कर देती है
16:32पूरे दिन घर में ही क्यो ना
16:36चार-पाँच बार मैगी बना कर खा लो
16:38लेकिन पहाड़ी में ये मैगी और चाई की बात ही अलग होती है
16:42जैसे जैसे दिन गुजरते हैं
16:51वैसे वैसे इन पाँच बहु को मुनाफ़ा भी अब काफी जादा बढ़ने लगा था
16:55एक समय ऐसा आता है कि अभी सभी बहुएं इसी नदी किनारे एक मिट्टी का छोटा सा धाबा
17:00बनाती हैं और खाने पीने के कई तरह की चीज़ें बना कर बेजती हैं
17:04और अब तो सिर्फ टोरिस्टी नहीं बलके आसपास के शेहर के लोग भी इस गर्मी के मौसम में इन जगों पर आने लगे थी
17:09जैसे अब पांचों बहुएं दिन का काफी अच्छा पैसा कमाती हैं
17:13तुम पांचों ने तो कमाल कर दिया पहले तो यहां साल साल भर किसी इंसान को देखे हुए
17:19जमाना हो जाता था लेकिन अब देखो
17:21पलक जपकते ही कितने सारे लोग यहां गूमने के लिए आ रहे हैं
17:25और हमें कितना फाइदा भी हो रहा है
17:27अगर माजी उस तूफान में हमारी घास की जोपड़ी नहीं तूटती
17:31तो हम इन पहाड़ियों और नदी के बीच यह मिट्टी का घर नहीं बनाते
17:34तो आज ये सब नहीं हो पाता
17:36सही कहा किसी ने की भगवान जो करता है अमारे भले के लिए ही करता है
17:40कुछ देर की तकलीफ देकर हमीं जिन्दगी भर का सुख दे देता है भगवान
17:44इसी तरह पांचों बहुएं काम करती हैं और हसी खुशी अपने परिवार के साथ अपना जीवन गुजारती है

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