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  • 2 days ago
Description

जादुई मूर्ति और गरीब लकड़हारा । Jadui murti or Gareeb lakadhara | moral story | hindi kahani | story
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जादुई मूर्ति और गरीब लकड़हारा । Jadui murti or Gareeb lakadhara | moral story | hindi kahani | story
तकदीरवाला लकडहारा |Lakadhare Ki Taqdeer| cartoon | moral story | Hindi Kahani
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Transcript
00:00मुन्ना कुलहाडी कंधे पर रखे जंगल की ओर जा रहा था
00:12तभी एक व्यक्ती रास्ते में आ गया
00:17और उसकी ओर तिरसकार भरी नजरों से देखने लगा
00:20मुन्ना कहां चले?
00:24जंगल जा रहा हूँ, लकडी काटने
00:26फिर वही बेकार की मेहनत
00:28जब भी तू लकडियाओं काट कर लाता है
00:31कुछ ना कुछ ऐसा होता है कि बेच ही नहीं पाता
00:35और आज देखना फिर कोई मुसीबत तेरे साथ जरूर होगी
00:40मुन्ना गेहरी सांस लेते हुए आगे बढ़ गया
00:44व्यक्ती हंसता हुआ चला गया
00:49कुछ देर बाद मुन्ना पास के जंगल के बीचो बीच लकडियाओं काटने में जुटा था
00:56कटाई पूरी होने के बाद वो लकडियों का गठर बांध ही रहा था
01:01कि अचानक उसे एक भेडिये की आवाज सुनाई दी
01:05भेडिये को देखते ही मुन्ना घबरा गया
01:08और लकडियाँ छोड़ कर भागने लगा
01:10मुन्ना बिना पीछे देखे भागता रहा
01:14मुन्ना गाव पहुँचते ही हापने लगा
01:16तभी कुछ गाव वाले उसे देख कर हसने लगे
01:20अरे अरे मुन्ना फिर भाग कर आया क्या भाई
01:24लगता है जंगल में कोई मुसीबत आ गई है
01:28कहीं ऐसा तो नहीं कि जंगल के जानवरों ने भी इसे मनहूस मान लिया हो
01:34मुन्ना ने कोई जवाब नहीं दिया
01:37और चुपचाप अपनी जोपड़ी में चला गया
01:40आज तो बाल बाल बच गया
01:42नहीं तो आज मेरा मरना तै था
01:46वो घर पर बैठा ही था कि तभी गाव का सेट श्याम लाल अंदर आ पहुचा
01:52और मुन्ना को क्रोधित नजरों से देखता हुआ बोला
01:56ए मुन्ना कितनी बार तुमको याद दिलाओ
02:00तुम्हारा कर्ज चुकाने का समय अब आ गया है
02:05सेट जी मैं जल्दी आपका कर्ज चुका दूँगा
02:09वो क्या है कि आज मैंने जंगल में बहुत अच्छी लकडियां काटी थी मगर
02:14अरे क्या मगर तु हमेशा कोई न कोई बहाना बना लेता है
02:19और फिर बोलता है ये था वो था ऐसा था वैसा था
02:23अरे हाँ मेरी तकदीर ही खराब है सेट जी
02:27तो मैं क्या करूँ सीधी बात है सुन
02:31अगर कुछ दिन में कर्ज नहीं दिया तो तेरी जोपड़ी पर कबजा कर लूँगा
02:36और तेरे समान के साथ तुझे घर में से फेंक दूँगा समझ में आई
02:41इतना बोलकर सेट गुस्से से बाहर चला गया
02:45और मुन्ना फिर उदास बैठ कर सोचने लगा
02:48अगली सुबह मुन्ना कुलहाडी लेकर जंगल की ओर जाही रहा था
02:58कि रास्ते में बूढी अम्मा मिल गई
03:00सुना है कल गाम के लोगों ने फिर से तेरा मजाक उड़ाया
03:05तभी एक व्यक्ति वहां आया और मुन्ना का मजाक उड़ाने लगा
03:10शरम करो किसी की मेहनत का मजाक उड़ाना आसान होता है
03:15लेकिन तकदीर का फैसला इनसान नहीं करता
03:19ये सुनकर वो व्यक्ति गुस्सा होता हुआ चला गया
03:23और मुन्ना चुप चाप जंगल की ओर बढ़ गया
03:26मुन्ना ने मेहनत से लकडियाओं काट कर
03:31और गठर बांध कर सिर पर रख लिया
03:34वो खुद से बोला
03:36आज तो किसी भी हालत में लकडियाँ बेच कर ही आऊंगा
03:41चाहे जो हो जाए
03:43जैसे ही वो जंगल से बाहर आया
03:46अचानक एक भयंकर आंधी आई
03:49तेज हवाओं से उसकी लकडियाँ
03:52चारों और बिखर गई
03:53मुन्ना बेबस होकर देखता रहा
03:57अरे ये क्या हो क्या रहा है मेरे साथ
04:00मेरी महनत हमेशा बेकार चली जाती है
04:03क्या करूँ
04:05निराश होकर मुन्ना गाव लौट आता है
04:08और गाव वाले फिर से उसका मजाक उड़ाने लगे
04:12अरे देखो देखो
04:15मुन्ना बेचारा चुप चाप घर चला गया
04:29उसके घर खाने को कुछ भी नहीं था
04:32बो भूंखा ही सो जाता है
04:34अगले दिन मुन्ना फिर से जंगल गया
04:40और लकडिया काट कर गाउं की सीमा तक ले आया
04:44मुन्ना फिर खुद से कहता है
04:47आज कुछ भी हो जाए
04:49आज तो मैं अपनी लकडिया बेच कर ही रहूँगा
04:52चाहे जो हो जाए
04:54और लकडि बेच कर सेट के पैसे भी दे दूँगा
04:57तभी अचानक बादल गरजने लगे
05:01और तेज बारिश हो गई
05:03एक व्यक्ती हसते हुए बोला
05:05जैसे ही तू लकडियां घर लाया
05:08बारिश आ गई
05:10लगता है तेरी बुरी किस्मत
05:12पूरे गाउपर भारी पढ़ने वाली है
05:15मुन्ना अपमान से भर उठा
05:18लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया
05:21अगले दिन मुन्ना फिर जंगल जाने के लिए तैयार खड़ा था
05:30तभी एक गाउप वाला हसते हुए उसके पास आ पहुचा
05:34मुन्ना एक काम कर भाई
05:37इस बार तू जंगल में भटक जाना
05:39और कभी वापस मताना
05:41क्योंकि तू अगर गाउप में रहा तो
05:44मुन्ना ने उसकी बात अनसुनी कर दी
05:50और जंगल की ओर चल पड़ा
05:53जंगल पहुचकर मुन्ना एक बड़े व्रिक्ष के नीचे बैटकर
05:57उदास होकर आसू बहाने लगा
06:00गाम वाले सच कहते है
06:02मेरी किस्मत ही फूटी हुई है
06:05जब भी लकडियां काट कर बेचने जाता हूँ
06:10कोई न कोई मुसीबत आ जाती है
06:12श्याम सेट का कर्ज भी सिर पर चड़ा है
06:16अरे अब करूं तो क्या करूं?
06:20तभी एक बूढ़ा वहाँ आ पहुचा
06:22और मुन्ना को रोते देख ठहर गया
06:24बेटा? ओ बेटा! ये तुम्हारी आँखों में आशू क्यों है?
06:31बाबा, जिसकी तकदीर फूटी हो
06:33उसकी किस्मत में आशू ही होते है
06:36मैं लकड़ा रहा हूँ
06:38लेकिन बस नाम का
06:40जब भी लकडियां बेचने जाता हूँ
06:43कोई न कोई बाधा आ जाती है
06:45सेट का कर्ज बढ़ता जा रहा है
06:48और गाव में सब मेरा मजाग उड़ाते है
06:52बस बस अपनी तकदीर पर मत रो बेटा
06:56शायद तुम्हारी तकदीर में बड़ा आदमी बनना लिखा हो
07:01मुन्ना चौक गया और गुस्से में खड़ा हो गया
07:04अरे जाये बाबाजी पहले से ही परेशान हूँ
07:09और आप और मजाग बना रहे है
07:12अरे जिसकी किस्मत में एक ढंका काम नहीं लिखा
07:17वो बड़ा आदमी कहां से बनेगा
07:19अच्छा हुआ कि गाव वाले यहां नहीं है
07:23नहीं तो वो और मजाग बना देते
07:26बूढा मुस्कुराते हुए वहां से चला गया
07:30मुन्ना अपने आप से बोलने लगा
07:33अब मैं गाव वापस नहीं जाऊंगा
07:36जंगल में ही अपना घर बना कर रहूंगा
07:39नहीं जाना मुझे गाव
07:41मुन्ना कुलहाडी उठा कर जंगल में आगे बढ़ गया
07:45मुन्ना चलते-चलते एक खंडर के पास पहुच गया
07:50खंडर को देख कर वो हैरान रह गया
07:54अरे ये तो बड़ा विजित्र खंडर है
07:57अंदर क्या है? अंदर चल कर देखता हू
08:01मुन्ना धीरे-धीरे अंदर चला गया
08:04उसने देखा कि वहाँ सुन्दर घने व्रिक्ष थे, कुछ व्रिक्ष चंदन के भी थे, उसकी नजर एक विशाल पत्थर की मूर्ती पर पड़ी, जो एक सुन्दर लड़की की थी.
08:17अरे वा, ये तो किसी राजकुमारी की मूर्ती लगती है, लेकिन इस खंडर में क्या कर रही है?
08:26मुन्ना मूर्ती के पास बैठ गया, और मूर्ती को देख कर मुस्कुराते हुए बोला,
08:32क्या वक्त है, क्या समय है, तुम भी अकेली हो, मैं भी, तुम पत्थर की हो, मैं पत्थर का नहीं,
08:42मुन्ना काफी देड तक मूर्ती से बाते करता रहा, फिर पेड़ों को देख कर बोला
09:02हाँ, ये लकडी बहुत महंगी बिगेगी, इसे काटता हूँ
09:07इतना बोलके वो कुलहाडी उठा कर लकडियाओं काटने लगा, और गठरी बना कर गाव की ओर लोट गया
09:15और बाजार में लकडी बेचने लगा, तभी एक व्यापारी वहां आ पहुँचा
09:21ओ भाईया, ये लकडी तो बड़ी सुन्दर है, ये तो चंदन की लग रही है
09:37मुन्ना ने खुश होकर धन रख लिया, और व्यापारी लकडिया लेकर चला गया, तभी वहां एक व्यक्ति आ पहुँचा
09:48अरे मुन्ना, ये तो चमतकार हो गया, वाह भाई वाह, जंगल से लकडी भी ले आया, और अच्छे दामों में बेच भी दी, अब लगता है कि तेरी किस्मत बदल रही है
10:02ये कहकर व्यक्ति हसता हुआ चला गया, मुन्ना पैसे लेकर सेट के घर चला गया, और सेट का कर्ज देते हुए बोला
10:12सेट जी, तुम्हारा कर्ज चुका दिया है, ठीक है
10:17सेट चौकते हुए बोला
10:19मुन्ना बिना कुछ कहे वहां से चला गया, लेकिन उसके कानों में व्यक्ति और सेट की बाते गूंज रही थी
10:40अगले दिन मुन्ना फिर से उसी एक सुनसान खंधर में पहुँच गया, मुन्ना कुलहारी लेकर अंदर पहुँच गया
10:52जैसे ही उसकी नजर सामने खड़े चंदन के पेड़ पर पड़ी
10:56अरे ये कैसे हो सकता है, मैंने तो कल ही इस पेड़ को काटा था, फिर से वही पेड़ खड़ा है
11:04ओ रे बाबा रे बाबा, कुछ तो गड़बड है
11:08यहां तभी मुन्ना की नजर पत्थर की मूर्ती पर चली गई, वो उसके पास चला गया
11:16और उसे ध्यान से देखने लगा
11:19तुम्हें पता है, अरे कल पहली बार ऐसा हुआ कि मैंने लकड़िया काटी
11:25और बाजार में अच्छे दामों में बिग भी गई, शायद तुम मेरे लिए भागेशाली हो
11:30काश, काश कि तुम मेरी बीबी होती
11:33माफ करना, मुझे तो ये कहने का कोई अधिकारी नहीं है
11:38लेकिन हाँ, सच कहूँ, तो जब पहली बार तुमें देखा
11:42तब ही मुझे तुमसे प्रेम हो गया था
11:44अब क्या कर सकते है
11:46कुछ देर बाद वो फिर से चंदन का पेड़ काट कर
11:51लकडियों को बाजार में बेचने चला गया
11:53अब मुझे सच में लगता है
11:56मेरी किस्मत मेरा साथ दे रही है
11:59मुन्ना अगले दिन फिर से खंधर में आ पहुँचा
12:03उसने देखा कि पेड़ फिर से उग चुका था
12:07औरे बाबा रे, फिर से वही पेड़
12:09औरे बाब रे बाब, ये तो जरूर कोई जादू लग रहा है
12:14मुझे लगता है ये हवेली जादू हवेली है
12:18इतना बोलकर वो मुस्कुराते हुए मूर्ती के पास उसके सामने बैठ गया
12:24तुम बहुत ही रहस्य मैं हो
12:27लेकिन न जाने क्यों, तुम्हें देखकर मेरा मन हलका हो जाता है
12:32शायद इस खंडर की वीरानी तुम्हारी वजह से कम हो गई है
12:38बहुत दिन बीत जाते हैं
12:45मुन्ना हर रोज खंडर में जाकर मूर्ती से बाते करने लगा
12:49और चंदन की लकडियों को बाजार में बेचने लगा
12:52उसकी किस्मत चमकने लगी
12:54जो लोग मुन्ना का मजाक उड़ाते थे
12:57अब वही मुन्ना का सम्मान करने लगे
13:00एक दिन मुन्ना मूर्ती के पास बैठ कर
13:03गहरी सांस लेते हुए उससे बोला
13:06मुन्ना ने इतना कहा ही था
13:20कि तभी पत्थर की मूर्ती से
13:22एक सुरीली आवाज मुन्ना के कानों में टकराई
13:27मैं कब से तुम्हारी बातें सुन रही थी मुन्ना
13:30तुम्हारी सचाई ने मेरे अंदर की आत्मा को जगा दिया है
13:34अब मैं तुमसे बात कर सकती हूँ
13:37पत्थर की मूर्ती को बात करते हुए देखकर
13:40मुन्ना घबरा कर इधर उधर देखने लगा
13:43तुम चौको मत मुन्ना ये सच है
13:47ऐसा लगता है जैसे मैं फिर से जीवित हूँ
13:50तुम विश्वास नहीं करोगे
13:52लेकिन जब तुम चले जाते हो
13:54तो मुझे बहुत बुरा लगता है
13:56मैं हर रोज तुमारे आने का इंतजार करती हूँ
14:00मेरा बिलकुल भी मन नहीं लगता है
14:02अच्छा और तुमारे श्राप का अंध कैसे हो सकता है
14:07मेरा श्राप केवल वही व्यक्ति तोड सकता है
14:11जो पहाणों पर रहने वाली बकरी को बहा रहने वाले
14:15दानव से छुड़ा कर लाएगा
14:18इस श्राप का उस बकरी से क्या लेना देना है
14:22बहुत समय पहले मेरी वजह से बो बकरी उस दानव ने पकड़ ली
14:27और आने वाली अमावस की रात को बो दानव उस बकरी को मार डालेगा
14:33जिससे उस दानव की शक्ति और बढ़ जाएगी
14:37लेकिन तुम पत्थर किसे बनी?
14:41ये सब होता देख एक बुढ़े ने मुझे बद्धुआ दी थी
14:44कि जब तक ये बकरी आजाद नहीं होगी तुम पत्थर की रहोगी
14:49उसकी बद्धुआ से रब ने मुझे ऐसा कर दिया
14:52ठीक है मैं तुमारे लिए
14:54बो उस सब करूंगा जिससे तुम ठीक हो जाओ
14:59पर मुन्ना बो दानव बहुत खतरनाक है
15:02तुम्हें छुप कर उस बकरी को यहां लाना होगा
15:06ठीक है मैं उस बकरी को यहां जरूर लाऊंगा
15:09मुन्ना बहा से चला जाता है
15:12पहाड पर एक बहुत ही खतरनाक दानव रहता था
15:16मुन्ना पहाडों की तरफ पहुँच जाता है
15:18कुछ देर तक चलने पर मुन्ना उस गुफा के पास पहुँच जाता है
15:24पहले मुझे देखना होगा कही दानव जगा हुआ तो नहीं है
15:29मुन्ना चुपके से गुफा के अंदर देखता है
15:32बो देखता है
15:34दानव सो रहा होता है
15:36मुन्ना यह देखकर अंदर जाता है
15:48फिर मुन्ना उस पत्थर की मूर्ती के पास पहुँच जाता है।
15:53देखो, मैं इस बकरी को ले आया हूँ।
15:56तभी वो मूर्ती एक सुन्दर लड़की के रूप में आ जाती है।
16:01वहा, तुम तो ठीक हो गई हो।
16:03हाँ मुन्ना, तुम्हारी वजह से मैं बिलकुल ठीक हो गई।
16:07मेरी एक गलती ने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया, अब मेरा तुम्हारे अलावा कोई नहीं।
16:14क्या तुम मुझसे शादी करना चाहते हो।
16:16हाँ, जरूर, पर मैं बहुत करीब हूँ और मेरी किस्मत भी बहुत खराब है।
16:24तुम मेरे साथ नहीं रह पाओगी।
16:27तभी वो पास खड़ी बकरी बोल पड़ती है।
16:31तुमने मुझे उस दानव की कैद से छुड़ाया, मैं बोलने वाली बकरी हूँ
16:35और मैं एक समय में एक महीने की बराबर दूध देती हूँ।
16:40ये सब सुनकर मुन्ना और मुन्नी चौके रह जाते हैं।
16:45वा, तुम तो बोलने वाली बकरी हो।
16:48ठीक है, हम तुमें हमेशा अपने साथ ही पालेंगे।
16:52उसके बाद इमानदार मुन्ना का जीवन बहुत अच्छा हो जाता है।
16:56और वो अपनी पतनी और अपनी बकरी के साथ खुशी-खुशी रहने लग जाता है।
17:01प्यारे दोस्तों, हमारे टाइम कितना भी बुरा हो लेकिन हमें कभी हिम्मत नहीं आरनी चाहिए।
17:07और अपना काम हमेशा मेहनत से करना चाहिए।
17:11त्यारे दोस्तों, इस कहानी को लाइक कमेंट और चैनल को सब्सक्राइब करना बिल्कुल न भूले।
17:17थैंक यूू।