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  • 6/15/2025
2000ની સાલમાં શિપ્રા પાઠકે પર્યાવરણની સાથે કુદરતી પાણીના સૌથી મોટા અને પવિત્ર સંગ્રહસ્થાન એવી નદીઓ અને વૃક્ષોનું જતન થાય તે માટે ખાસ અભિયાન શરૂ કર્યું.

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Transcript
00:00I am here at FURK. I am here at FURK.
00:04And this is my first time not my first.
00:06In 2016 , my first class,
00:09which is my life is being based on PURK.
00:13I am in FURK.
00:16There was four 4 hours
00:18from Ayodhya's imagination,
00:21which I don't have a much easier than 13,000 km.
00:25There are 5,000,000 people in which we should have
00:28and there were 25,000,000,000 people who were
00:3225,000,000 people who were
00:33but there were a lot of people who were
00:35so I thought that in Gujarat
00:38there was no way to get rid of my
00:41Gujarat to understand
00:42for a car and to get rid of
00:45and to get rid of what people
00:47who want to get rid of them
00:49because if we look at the
00:50Prachin Kaal
00:51then there was a lot of
00:54people who didn't have
00:5525 km to get rid of them
00:57कि वहाँ लड़कियों की शादी भी नहीं की जाती थी उस किलत की वजह से गुजरात लगभग राजिस्थान जैसा हो गया था तो यह पहली यात्रा थी तो फिलहाल तो मैं यह समझने आई हूँ यहां की भूमी कैसी है पानी का लेविल क्या है नदियों की इस्तिती क्या है क
01:27सिर्फ हम पढ़ाएं स्टूडेंट प्रतिशत पर मार्क्स लेने के लिए एक थीम को रट लें एक्जाम में लिखाएं और उसके बाद डिग्री लेके निकल आएं परियावरन एक ऐसा विशर नहीं है जिस पर आप सिर्फ लिखा पड़ी करें तो मैंने सारे कुलपतियों
01:57हो जो संडे को या महीने में एक बार बस में भर कर हम उनको किसी नदी के किनारे ले जाएं उनसे पौधे लगवाएं कोई एक एकड की जमीन ऐसी करें जिसको विक्सित वही बच्चों दारा किया जाए भले ही सुविधा संसादन विश्विध्या ले दे इस तरह से उन ब�
02:27कि जब मैं उस समय एक एकड का विक्सित कर सकता था तो अब तो मेरी शमता पचास एकड की है तो इसको बहुत रूट कॉस पे अगर आप देखेंगे तो यह यात्रा विश्विध्यानों की यात्रा इसलिए बनी है मुझे तो हर राज एक नया नाम दे देता है कल आपके र
02:57नहीं है अगर हमें अपने आने वाले बच्चों के जीवन के भविश को परियावनण छोड़ना है तो केवल ओ केवल जीवन शैली बदलनी है वो जीवन शैली जो कॉस्मेटिक युक्त बात्रूम से शुरू होती है और कचरा प्रवंधन की समझ ना होते हुए रसोई पे �
03:27अधरनीय राजना सींग जी के साथ हमने सिंदूर का पौधा उनके आवास में लगाया वहां से यात्रा आरंब हुई है पांच जून को परियावनण दिवस के बाद और उसके बाद हम उत्तर प्रदेश के कुछ शहर टच करते हुए मद्द प्रदेश में प्रवेश करते ह
03:57ये यात्रा थोड़ी सुविधा पूर्ण हो गई क्योंकि पैदल चल कर लोगों से संबाद करना एकत्रित करना थोड़ा सा शारेरिक कस्ट परण था

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