कई बार ज़िंदगी में कुछ बातें बहुत देर से समझ आती हैं… ये कविता मेरे पापा और मेरे रिश्ते पर लिखी गई है – एक ऐसा रिश्ता जिसमें बहुत लड़ाई रही, बहुत दूरी रही… लेकिन अब, वक़्त के साथ, दोस्ती है।
इस बार जब एक क़रीबी दोस्त ने अपने पिता को खोया, और अचानक वो टूट गया… तो एक बात कह गया जो दिल में अटक गई – “मैं जिन वजहों से अपने पापा से लड़ता रहा… आज वही चीज़ें मैं खुद करता हूँ।”
यही से ये कविता निकली – ‘बाप और बेटे’ पर ये कविता सिर्फ बेटों की नहीं है। ये उन सबकी है जिनके मां-बाप अब उम्रदराज़ हो रहे हैं। जिन्होंने देर से समझा कि वो भी कभी बच्चे थे। जिन्हें अब समझ आ रहा है कि प्यार जताने में देर नहीं करनी चाहिए। #AsianetNewsExclusive #NewsसेBreak #AsianetNewswithVineetPanchhi #NewsSeBreak #VineetPanchhi #AsiaNetNewsHindi #Nazm #PoetryInNews #BaapAurBete #JaiHindProject #fathersday #father #fathersandsons #happyfathersday
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00:00मेरे फादर की और मेरी बच्पन में कभी नहीं बनी, in fact, I was 16, 17 when I left home and for many years we did not communicate at all, my father and I.
00:19Luckily, we are great friends today and I'm blessed to have parents who I can completely relate to.
00:23But, it took a long time for me to realize that they are getting old and how important they are for me.
00:32अब एक बड़े अजीज दोस के फादर साब का भी इंतकाल हुआ, this friend of mine, he also did not communicate with his father much and I met him recently, he was having a drink and this otherwise very strong chap just broke down.
00:47कहता है कि यार पंची, मैं जिस वज़ा से सारी उम्र अपने फादर से लड़ता रहा, वो सब चीजें मैं आज खुद करता हूँ.
00:58इस अब बाप और बेटे, बाप और बेटे, लड़ने के बाद, जरूरत से ज्यादा अकड़ने के बाद,
01:08सारी जिन्दगी लड़ने के बाद, जरूरत से ज्यादा अकड़ने के बाद, घर को छोड़के जाने के बाद, घर में लोटके आने के बाद,
01:17आख मिला के जताने के बाद, आख को थोड़ा जुकाने के बाद, पहले जवान होने के बाद, फिर जवानी खोने के बाद, आपने जो तब कहा था डैड, आज सुनाई देता है, मुझे खुद में अपना बाप दिखाई देता है, आपने जो तब कहा था डैड, आज सुनाई
01:47माता था धीरे धीरे गौर किया तो सब को खुद में पाता था
01:51सूपर मैन से मैन हुए जब आप तो मैं गुराया था
01:56सूपर मैन से मैन हुए जब आप तो मैं गुराया था
02:00सच कहता हूँ सूपर मैन मैं भी ना बन पाया था
02:03मेरी कितनी उमीदे थी
02:06मेरी कितनी उम्मीदे थी आपसे जो ना हो पाई
02:11कसम मुझे अपने बच्चों की उसे भी ना हो पाई
02:14कभी-कभी आईने में जब टाई को कसने आता हूं
02:20कभी-कभी आईने में जब टाई को कसने आता हूं
02:24डबल नौट को सेट करते ही खड़ा आपको पाता हूं
02:29कभी कभी आईने में जब ताई को कसने आता हूँ
02:32डबल नौट को सेट करते ही खड़ा आपको पाता हूँ
02:36काश ये सब जब आप यहीं थे आप से सीधा कह पाता
02:42काश लगा कर गले निभाता बाप और बेटों का नाता
02:47सच कहते हैं लोग भी देखो वक्त सिखा ही देता है
02:52सच कहते हैं लोग भी देखो वक्त सिखा ही देता है
02:56आपने जो तब कहा था डाद आज सुनाई देता है
03:00सच मानिये डाद मुझे हुद मैं आज अपना बाप दिखा ही देता है
03:04यह कविता मैंने बाप और बेटों के कॉंटेक्स में लिखी है
03:08बट अप्लाइस टो अप्लाइस आल था, मदर्द दॉत्टर्स, सुन्स, अवर्यों
03:12दोट विए उप्लाइस आप की लगी रहने लिए रहरे हैं
03:15वेजर्ट भी लाइस आप का जो लिए लिए रहे हैं
03:20आपनाई देता है, सच्मानिय दैड, मुझे खुद में आज अपना बाप दिखाई देता है.
03:26Much sunshine and laughter to you. All the best.