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  • 6/13/2025
Part- 03 सोवियत संघ के विघटन का कारण, परिणितियाँ (POL--समकालीन विश्व राजनीति--2--'दुसरी दुनिया' का विघटन और द्विध्रुवीयता का पतन)

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00:00Students, how are you all? Students, आज की इस क्लास में हम लोग चर्चा कर रहे हैं, दो दुरूगयता का अंत, चेप्टर, पार्ट थर्ड, यानि की अभी तक हमने सोवेत बढ़ाली किया थी, उसके बाद सोवेत संग का जो दिगटर वहा था, उसमें मिखाए अगरबाचीव की के अभूमी का थी,
00:30अज़ो चर्चा थी हमारी, आखिरकार एक सुधारवादी नेता मिखाए गॉर्बाचीव के रूप में 1885 में सोवेत संग की सत्ता पर आता है, और सुधारवादी नीतिया परादम्व करने के बवजूद भी सोवेत संग पतन की और चला जाता है, जो उनके दुआरा सुध
01:00और राजनितिक सेत्रों में सुधार करना, जहां एक और जो सामिवादी देशते उनको पुझीवादी देशों के साथ व्यापार और वानेजिय करने की चूट प्रदान करना, साथी साथ वहां की जनता को विचारों अभिवक्ति की सोतंतरता प्रदान करना, एक पार्टी �
01:30लेकिन यह प्रक्रिया प्रारंब होते होते हैं, लगभग 1901 तक आकर सब कुछ समाप्त हो जाता है, सोवित संग पतन की ओचला जाता है।
02:00लेट्विया और एस्टोरिया जो की बालिटिक प्रदेशन वहां तक पहुंच जाता है। उसके बाद पूर्वी उरोप के देश जो की सोवित संग में सामिल थे, रूस, युक्रे, जॉर्जिया, बेलारूस यहां तक पहुंच जाती है यह जवाला, और यह सभी मान करने �
02:30तो दिवार थी, जिसे हम बर्लिन की दिवार कहते हैं, वो भी नौन अबर 1990 को गिरा दी जाती है। जर्मनी की दिवार का देहना यह कहा जाता है कि यह सीथ युद्व का अंत था एक तक से, या अंत की प्रक्रिया प्रारम को गई थी आसे।
02:471990 में जर्मनी का एकिकरन कर दिया जाता है, 1991 में रूस में मिखाईल गौरबाचेव के खिलाफ तक्ता पलटने का प्रयास किया जाता है।
03:00मौरिस येलतसिन जो की कम्यूनिस्ट पाइटी में थे, वो कम्यूनिस्ट पाइटी से त्यागपत्र दे देते हैं और एक बहुत बड़ा प्रयास करते हैं कि मिखाईल गौरबाचेव के हाथ से सत्ता चली जाए, यांकि तक्ता पलटने का प्रयास किया जाता है।
03:1625 दिसंबर तक आते आते हैं, जहां मिखाईल गौरबाचेव ये गुष्णा कर देते हैं कि अब सोवेट संग नहीं रहा, अब जो भी सोवेट संग में सामिल 15 गंडराजी हैं वो स्वतंत्र हैं, अपनी अपनी वेबस्था को बनाये रखने के लिए, इसी समय रूस, उक्र
03:46साथ ही साथ इनी तीन देशों के द्वारा गोशना की गई थी, कि हम अब इंडिपेंडेंट कंट्रीज होंगे, बट हमारा एक कॉमन वेल्थ होगा, तो CIS का गठन किया गया, स्वतंत राश्टों का राश्टर कुल, कॉमन वेल्थ ओफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स जिस
04:16का प्रश्य की रूप पर सामिल किया गया था, तो यह पूरा घटना क्रम है जिसकी हमने चर्चा की थी कछली क्लास में, और साथी साथ हमने ये भी देखा था, किस प्रकार से लेनिन के बाद स्टालिन, स्टालिन के बाद खुष्चेव, खुष्चेव के बाद, ब्रेजे�
04:46इन्युइ नेतरत्वे में सोवेट संग मजबूत देश बनता है और योगिक शेत्र में और तक्नी की शेत्र में सफलता हासिल करता है
04:53पर्माणू सक्ति संपन देश बनता है। जुत्य विश्यूत के विजयता के रूप में स्टालिन को जाना जाता है।
04:59वही क्रुश्यव जो कि उनके उत्रादिकारी थे वो साम्तिपूर्श अस्तित्व का एक संदेश देते हैं।
05:06वह हंगरी में जब ग्रहयुत की स्थिति पैदा होती है तो वहां सोवेश्टन के सेना को भीज कर उसको कुचलने का प्रयास करते हैं।
05:14क्रुश्यव के समय ही क्यूबा संकट जब अस्तित्व में आता है तो प्रमाणू मिसाई तेनात करते हैं अमेरिका के खिलाफ क्यूबा में।
05:22यह सारी घटनाओं से निकेता क्रुश्यव का संबन था।
05:27फिर आते हैं उनके उत्रादिकारी ब्रेजनेव।
05:29नाइटीन इसीचिव में उस गड़िपर बैढ़ते हैं।
05:39एक बार फिर से कठोर राजनेती का सहरा लेने माने लेता हैं।
05:45यहां अमकानिस्तान में सोबेसंग की सेना को बेजा जाता है।
05:48वही चकोषनो वाक्या में जन अंदोलन होता है।
05:51उस जन अंदोलन को भी उन्ही के नेतरतों में कुचलने का प्रयास किया जरता है।
05:55ब्रेजनेव और मिखाइल गॉर्बाचेव इन दौनों के बीच में लगभग 82 से लेकर के पिच्छी ये तीन वर्सों का जो समय है।
06:03दोग और सोवित राष्टपती अपनी गद्धी से भालते हैं। लेकिन उनका चुंकि महत्वपुन रोल नहीं रहा है।
06:10इसलिए हम उनको कहीं पर भी नहीं गत्या है।
06:13फिर आती है बात मिखाइल गॉर्बाचेव की।
06:151985 मिखाइल गॉर्बाचेव सोवित संग के नैता बनते हैं, राष्टपती बनते हैं, पाल्टी के महासचिव बनते हैं और सुधारों की प्रक्रिया परागंब करते हैं।
06:25लेकिन उनकी सुधारों की प्रक्रिया कई न कई सोवित संग के विगतन का कारण बढ़ जाती है।
06:30इन ही के काल में कुछ महत्वपुन गहतना एक्डित होती है।
06:33जिसमें यह कह सकते हैं का अफकरिस्तान में जैना को भेज़ने का सरे जहां ब्रेजनयों को जाता है वही उषी उस चेना को वापस बुलाने का सरे मिकाई Gurbachev को जाता है।
06:43मिकाई Gurbachev को जाना जाता है जर्मनी के एकीकरण में एक सहायत की भूमी का निभान गया।
06:49जर्मनी को वापस एकजुट करने में मिखाइल गुर्बाचेव की भूमी का बहुत ही एहम थी
06:58तो इस आज हम यही से आगे इस चर्चा को प्रारब करेंगे और आज की हमारी चर्चा होगी आखिरकार सोवेद संग का विविठ क्यों हुआ
07:06जब हम इतनी बड़िया नीतिया लेकर चल रहे हैं यानि कि दो आर्थिक सेत्र में नीतिया प्रारंद की लिए थी मिखाइल गुर्बाचेव के दुआरा मिखाइल गुर्बाचेव के नेत्रत्व में ही सोवेद जियूमा में लोगकंद्र इस्थाफित करने के लिए एक दलि
07:36कि दूसरी सबसे बड़ी महाशक्ति अच्छानक कैसे बिखर देखिए एक तरह से कहा जा सकता है कि रिसर्च का विशय है कि दुनिया की महासक्ति और उसका पतर अच्छानक हो जाता है
07:51कि उसे सार में पंदरा गड़्राजी दिए और यह उसे साथ पुंजीवादि जो एक पहली दुनिया हम जिसे कहते हैं फस्ट वर्ल्ड जिसे कहते हैं उसके बार सगेंड वर्ल्ड की रूप में जाना जाता था अर्थ विवस्था में भी पुंजीवादि देशों के लग�
08:21चला जाता है कि तो काफी सर्च किया जा सकता है क्या कारण रहें
08:31सफबसां पतन की चला जला जोटा पंथ को समझने के लिए कि विसного नाट पूछने के
08:40कैवल इसलिए हमें सबावें नहीं पूछना है व्लके सवाल इसलिए पूछना है कि
08:48सोवित संग्य पतन को समझ कर हम भविश्य में किसी भी प्रणाली जब कोई देश के द्वारा अपने ही जाती है तो पता लगा सकते हैं कि प्रणाली चीक रहेगी या गलत रहेगी इसका एक बहुत बड़ा एक्जामपल है देखें अगर हम चीन की बात करें चीन 1950 में सामयव
09:18के रूप में स्थाफित हुआ है 1949 चीन ने भी रूस को देख कर कि किसको अपनाया सामयवाद को अपनाया चीन के द्वारा की सामयवाद को अपनाया यह सामयवाद किस से प्रेविधा यह सामयवाद रूस से प्रेविधा लेकिन चीन ने इसी सामयवाद को समय के साथ परि�
09:48जन्मदाता थे क्रांटी क्या ववा थे जिनके लेतरतों में चीनी साम्यवादी करांटी वगी थी और यह जो हम सामयवाद चीन में देख रहे हैं यह इस्थापित हुआ था दूस और मौट से तुम दोनों के प्रभाव से दोनों की मिस्षत विचार भारा को यहां पर ग्रह
10:18क्या कारण यह चीन ने रिसर्च कर ली थी और यही कारण है कि चीन ने उस कठोरता पूर्वग साम्यवाद को नहीं अपनाए था जो सोवेट संध ने अपनाए था इसी कारण से चीन साम्यवाद को अपना करके भी एक सक्ते सारी देश की तर प्रेंतर आगे बढ़ता चला
10:48एकांद्वास कात्याग का मतलब है जब
11:13अमेरिका की बीच में यापार और बानेजीय का संबन शुरू हो गया था फिर उनिस्व एठकतन नाइटीन सेवन्टी एक चीनी रास्करपती थे देंग सियाओ पेंग
11:25देंग सियाओ पेंग
11:29अईख कर देंग सियाओ फैंग ने ऊपन डॉरप कॉलिसी अफसे कहा जाताई कि अपुले दवार की नीथी करेंधू कि
11:36जो
11:41जो प्राणिधा कि यो कि उसके बाद शीन में अपनी अठकिवासता को उधारवादी अर्च को परिवद्षे भीरति करना से चीनमें fact
11:52चीं सोवेत संग पतन के बवजूत एक सामनेवती देश के मुट में मजबूती से आकर पढ़ता रहा
12:21जबकि सुवेच संग का पतन हो गया, तो हम उन कारणों को इसरा ठुनने की कोशिज कर रहे हैं कि आखिरकार इतने मजबूत अर्थ व्यवस्तावाले, एक देश का पतन किस प्रकार हो सकता है, इसे क्या-क्या कारण माने जा सकते हैं।
12:35सुवेच संग के विगटन के कुछ विसेस कारण जरूर नो सकते हैं, लेकि इस मामले में हम एक सर्व सामाजी सबक सीख सकते हैं।
12:44हम दुनिया के किसी भी देश को अगर हम रिसर्च करके पता लगा लेगें कि सुवेच संग का पतन क्यों हुआ है, तो पतन से बचा सकते हैं।
12:52खुद चीन अपने आपको बचा लिए।
12:54पतन की और जा रहा है।
12:55चीन लगात था इस पर observation कर रहा था।
12:58कि सोवेच संग की आप हमारे सामे बाद मी क्या परथ है।
13:01सोवेच संग क्यों पतन की आप जा रहा है।
13:03चीन ने वो कदम नहीं बढ़ा है जो सोवेच संग बढ़ा रहा था
13:07सोवेच संग ने सुधारों की परक्रिया गरुबाचेव के काल में 1985 में सुरू की
13:11जब कि चीन ने उनी से बाहतर में ही अपने यहां पर सुधार की परक्रिया बढ़ारम कर दी
13:15जा मिखार गॉर्बाचेव के काल में 1985 में सोवेच संग में पुझिवादी देशों के साथ व्यापारी संवन्दों को बढ़ाना सुरू किया वही चीन था इसमें नहीं कि सोवेच संग की राजनितिक आर्थिक संस्ताय अंधरुमी कमजोरी के कारण
13:41लोगों के अकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकी लेकि सबसे बड़ा कारण क्या था सबसे बड़ा कारण था जो सोवेच संग की संस्ताय थी वो राजनितिक और आर्थिक अकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही थी किनकी राजनितिक और आर्थिक अकांक्षाओं को प�
14:11पूचलने का प्रेास किया जाता है हंगरी के जन आफ्री को कुछलना उसके बात चेकोचुज़वाके के जन आफ्रीक हुद करते हैं
14:24कि जंता उस सथ्टा के खिलाफ आफ्रार नहीं कर सकते हैं
14:30को जंता मैं धीरधीर विरोध की भावना घेर्गतर वढ़ती जा रहे थी
14:41वो लगातार अपना कंपेर कर रहे थे जो पश्चिमी उरूप के देश थे उनके साथ जो पुंजीवादी खेमे के देश थे उनके साथ और कंपेरिजन में को लग रहा था कि हम उनके बराबर थे एक समय उन्निस पिस कह सकते हैं हम दिन बदिन क्यों आर्टी गूप से कमजो
15:11पुंजीवादी देशों के साथ पुंजीवादी देशों के लोग जिनका आनद उता रहे थे बस यह जो तुलना थी इस कारण से हम कह सकते हैं कि सोवेट संग के जो नागरिक थे उनमें लगाता अपने यहां की इस राजनितिक व्यवस्ता की खिलाफ भावना प्रबल होत
15:41यह अर्थ व्यवस्ता गतिरुद रही थी वो सप्तर के दशक से कह सकते हैं जो सप्तर का दशक था सेवन तीज इसको कहते हैं सप्तर के दशक में आर्थ व्यवस्ता लड़कड़ाने लगी थी
16:07ड़हत ज्तास है इसकैंत çा सिंपल सा रीजन है कि सो्वेट नियुका इस टालम के कालुक मैं पिर्णोक है
16:17उडियू प्रतर में मजबूत। बंठानों तेक्नलोजी हंभ्डूर कि एक कि अपने खरता नगता
16:24दूसरा विश्वयुद लड़ता है और विजयता रास्टर बदता है।
16:29उस समय सोवेद संग ने कोजिवादी खेमे के बरबर अपने आपको खड़ा करते रहा है।
16:34जहां एक और दूसरे विश्वयुद के बाद पूर्वी यूरोप पश्शीमी यूरोप आर्थिक बंदी के दौर में आ गये थे।
16:42उनकी अर्थ्वेवस्ताय लड़ खड़ा गई थी।
16:44इसके बवजूद की सोवेद संग भी कृत्य विश्वयुद लड़ रहा था।
16:48सेकेंड वल्ड वर के बाद सोवेद संग की अर्थ्वेवस्ता नहीं लड़ खड़ाई।
16:52आप अर्थ होड़ ने अपने उत्देश मख्यान को स्भी मिरंतर रखा है।
16:57जिसके नंतलगर्भ वह साम्यवार का अप्रशार्र कर रहा था।
17:02और ज्यादा चाह। बंदीन को सवेवार में परिवर्तित करने की कोशिस कर रहा था।
17:06कि लेके गल्टियां भी कुछ कर्रहा हैं वह क्या
17:10ती जादे से यहदा देशों तक सामयवाद को फैलाने उन देशों के अपने उपर ले रहा थ heated
17:18की जा रहada है सामयवाद सप्ऽारी सथाफित की जा रहा है
17:22चैन्य सक्ति वहां पर खर्च की जा रही थी, याद कीजिए, बर्लिन की घहराबंदी सोवेच संग के त्वारा की थी, 1948-1949, कितना पैसा खर्च करना पड़ा होगा एक साल तक जब आप घहराबंदी करोगे किसी तेश्टी, आपने उत्तर कोरिया और दक्षन कोरिया के बी�
17:52सब कामों में, आपने काफी पैसा खर्च कर दिया, इतना ही नहीं, फिर आपने 1979 में अपनी सेना अफगानिस्तान में भीज दी, दस साल तक सेना अफगानिस्तान में रही, क्या आपके ओपर अत्रित बोज नहीं आया होगा खर्च का, तो ये सारी कारण बन गए, अर्थ व
18:22प्रवक्ता वस्तुएं थी, इनके बड़ी भारी कम्या होगी थी, अब प्रवक्ता वस्तुएं में, हमें धैनिक जीवन में बहुत सारी वस्तुओं की आवशक्ता होती है, और पता चलता है कि साब, आपके पास वह वस्तुएं भी समय पर नहीं पहुँच पा रही है, जो
18:52यही तो हमारी डेली आवशक्ता की वस्तुएं है, सोना नहीं मिलेगा, सोना में गोल्ड, नहीं मिलेगा, चल जाएगा, कोई दिक्तत पहिए, हम सोना बिना पहने वे भी करम चला लेएगे, लेकिन भोजन तो समय पचाहिए रही है, हमें और सुक शुरिधा की आवशक्ता
19:22सोवित संग्य आबादी का एक बड़ा हिस्ता अपनी राजग्यवस्ता को सख के द्रस्टी कौन से लेखने लगाता है उन्हें लग गया था कि अभी राजग्यवस्ता हमारे अच्छे दिन लग चुके है अब हमें ये राजग्यवस्ता लबने समय तक कुछ खुशें परदा
19:52कि अभी राजग्यवस्ता अपने संग्यवस्ता अपने संसात्नों का अधिकांस पर्मानों पत्यार वस सेन्य साध्यू समान पर खंच कि आपका पैसा मालीजिए सो रुपए आप मेने के कमा रहें हैं आप उसमें सिर्फ पचास रुपए
20:20साथ रुपए के आसपास पर्मानों हत्यार और सेन्य संसाधन पर खर्च कर देवें तो चालीस रुपए बचेंगे आपके पास अब चालीस रुपए में आप अपने घर्च को कैसे चला कि समख भी नहीं तो बड़ा सिस्ता तो आप किस पर खर्च कर रहे थे अपनी आयका
20:50पर खर्च करने थे इस चाकर ने बहुत बड़ी रहे सी जो थी वह सोवज संग में परमाणों हत्यारों के निर्मान पर पर और तेनाथजी पर और साथ ही साथ जातन का मतलब होता है जुप है लड़ने के लिए बहुत सारी चीज़ों के आवश्यक्ता पड़ती है उन सब �
21:20एक पट पिछलगु देश थे तो एक पहले बीजी बता ही और आज पर एक बार उसी नक्षे के मांधिन से आपको बता देता हूं यह हो गए यूरोप के दो हिस्सा आप काता है जिसको हम
21:43जिसमें कितने देश हैं पंद्रा गड़राज्जी हैं अब यह हिस्सा लेजिए यह जो हिस्सा है यह हिस्सा आजाता है आपका यूरोप का ही उन देशों का भी मैंने यूरोप को दो हिस्सों में ही तोड़ा दी तो यूरोप को ही मैंने दो भागों में जो सामिवादी देश
22:13लेकिन सामयवांदि देश होते हुए भी ये USSR का हिस्सा नहीं है
22:33इसलिए अब जो सोविस्थ संग है वो अपनी आर्तिक मदद किसको कर रहा है इफ इन देशों को
22:38जहां पार Hungary, Poland, Czechoslovakia, Romania यह वो देश आते हैं जो पीवे से सामिल नहीं थे, लेकि यह सब क्या थे?
22:47सोवेत कंट्रीज थे, इनको पुंजीवाद से बचाना था, पुंजीवादी खत्रे से बचाना था, इसलिए इन देशों को आर्थिक वदब कमुचाना एक तरह से सोवेत संग की मजबूरी थी, तो काफी पैसा सोवेत संग के द्वारा अपने बिच्रभू देशों पर खर्
23:17उत्तर ज्यादा विवादित हो जाते हैं, इस इस्थिति को हमें आगे के दिहासकार सायद ज्यादा बहत्तर कंट से समझा पाएं, क्यों सोवेत संग का पतन हो गया? अर्थविवस्ता इतनी अवरुत हो गई थी, कि अब या अर्थविवस्ता इतना बड़ा बोज धूने क
23:47आवशक्ता हैं, रोजमर्णा के आवशक्ता हैं भी, अब सोवेत संग पूरी नहीं कर पा रहा था, वो लोगों को नहीं मिल रही थी, बंद दरवाजे की निति का अनुसरन सोवेत संग ने किया था, पुझीवादी देशों के साथ व्यापार माने चे नहीं चल रहा था, �
24:17कि आकांक्षाओं, अपेक्षाओं का ऐसा अजवार उड़ा जिसका अनुमान सायग कोई नहीं लगा सकता, इसको आप कुछ इस प्रकार से समझ सकते हैं, कि माल लीजिए आपको कहीं दिनों से भूख लगी हैं, आप बहुत भूगे हैं, कहीं दिनों से खाना मिला नहीं, �
24:47बिला नहीं है, अचानक जब बोजन आएगा, तो आप सब भी ज्यादा से ज्यादा खाने के चक्कर मुल बोजन पर टूट पड़ेंगे, उस समय ये भी बहुत जाएंगे, कि मेरे साथ में जो लोग पे वो भी तो नहीं खाये पीए थे, बट मुझे जादा चाहिए, मैं क
25:17कर दो इभस्ता में परी बर्तन कम सामय में हो सकता है, व भी इतने बड़े भागोलिक शेटर में हो सकता है, इतनी बड़ी जन संख्या ऀससैशन देख में, तुरंट की आ जा सकता है, इस नहीं कि उसके फोढ़ाब की लोग सबातने को तयार लोग नहीं किते, अब लोग च
25:47ठीक थी उसमें कोई बुराई नहीं थी बट प्रक्रिया जिस गती से चल रही थी लोग उस गती को धीमा मान रहे पे उन्हें बहुत जल्द सुधार चाहिए और यही कारण था कि सोवेट संग की जनता दो हिस्सों में बढ़ गए एक जनता यह मान रही थी कि मिखाइल गॉर
26:17सुधार चाहिए तो तो यह हमारे ठीक अब हम अपनी जन्दगी को खुद जीएंगे हम इसुधार खुद करें हमें सोवेट संग के सुधार नहीं चाहिए तो यह कारण बहुत इंपोर्टेंट बन करके उगरा कि जो सुधार की रहे कि उनकी गती घीमी थी किसी नहीं सु�
26:47जन्ता के तब के की सोच अथी कि गॉर्बाचियों को जाना के तेज ग्से चाहिए सी चाहिए जिन्ता यानि कि सुधार टेज होनी जन्ता यह मानें ठीक पार्यपदधि से तेरह बाठीत रहतें तैब को लगड़ रहाते हैं तो घुझाबाश सी खुरी þार्वार जन्दी स
27:17और जब आपका system पूरा collapse हो रखा हो पूरी व्यवस्ता बिगड़ चुकी हो और उसको सुधार ना हो उसमें आपको समय चाहिए होता है इसलिए जनता सायद यह मान बैठी थी कि अभी सुधार नहीं हो पाए इन लोगों ने जैसा सोचा था वैसा फाइदा उन्हें नहीं हु
27:47वस्ता के फाइदे में थे के विचार थीक इनके विखो हो थैरे अगर हम यहां बाटना चाहें तो दो भागों में उस यूससे साथ को भाट सकते हैं यह माल लेते हैं पूरा उससा यह वह 15 गंड़्यर इन उस वे ना
28:01इन पंद्रा गणराजियों में पहले हम जनता जो है वो उसका बट्वारा कर देते हैं यह है जनता हम जनता के दो हिस्से जो देख रहे हैं वो रेखे किस परकार से हैं यह है एक भाग जो सुधारों की गती को धीमा मान रहा है
28:18और दूसरा भाग जो है वो सुधारों से खुष जरूर रसन जरूर रसन जरूर लेकिन उसको भी अभी सख है कि क्या सब कुछ चीप होगा अब यहां देखिए इनके साथ कौन जूड़ जाते हैं इनके साथ जूड़ जाती है कमिनिस्ट पार्ट कि
28:47कमिनिस्ट पार्टी सी पिप यूज जूड़ जाती है अब आप यह जोड़ती है तो आप यह सोचीं कौन जूड़ेंगे कमिनिस्ट पार्टी कि कौन जूड़ेंगे
29:12कि कम्युनिस्ट पार्टी गेलोग जो कि इन सुधारों के पक्स में नहीं थे जो कि मिखाइल गॉर्बाचेव को एक ऐसे वेक्षित्वों के रूप में आगे बढ़तावा नहीं देखना चाहते थे कि अकेला अपने दम पर सुभार कैसे करते हैं
29:29मिखाइल गॉर्बाचेव इसी कम्युनिस्ट पार्टी से थे इसी कम्युनिस्ट पार्टी के महसचीव इसी मुनिस्ट पार्टी से सोवेच्टसर्ण के राश्ट्रपती बने थे
29:37लेकिन अंदर ही अंदर एक बहुत बड़ा बढ़ बर्ग Musaily
29:46देगर पर बहुदलिये व्यवस्ता ला रहे थे वह विचार और प्रिक्ति की चूट आजादी दे रहे थे वह जंता को अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जीने की आजादी दे रहे थे
29:54और कम्मिनिस पालिटी ये मानती थी कि आज तक हमने जो सासन किया है वो एक तानसा ही कुण सासन था और अगर हमने इतनी चूट दे दी तो हमें कोई नहीं पूछने वाला है कम्मिनिस पालिटी का दिरे दिरे सफाया हो जाएगा और खासकर वे लीडर्स जो अभी तक इस प�
30:24जन्ता में भ्रम फैलाने की कारण एक बहुत बड़ा भाग जन्ता का जो था वो सुर्विट्सन की इन सुधारों के विप्रीट से लगया था इनको अनुचित मांगे था इनका मानना था कि हमारी सत्ता और विशेसादिकार अब कम हो रहे हैं किनका मानना था मैं अभी इनक
30:54और गुर्वाचियोग का समर्था अब हर तरब से जाता रहा और जन्मानस या जन्मत आपस में बढ़ गया जो लोग उनके साथ थे उनका भी महुँ भंग हुआ ऐसे लोगों ने सोचा कि गौर्वाचियोग खुद अपनी ही मीतियों का ठीक तरह से बचाव नहीं कर पा र
31:24वापस यहां वैका जाहिए यह था वो रिजन ये यूए से सार की जनता दो भागों में बढ़ती है एक सुधार की धीमिय मान रहे हैं उनको सपोर्ट कम्मिनिस पार्टी कर रही हैं को लोग कर रहे हैं जो कि मिखाई गौरबाचेव को सुधार करते हैं देखना नहीं चाहते
31:54के लिए प्रयाप नहीं है और इससे आपको कुछ भी लाब नहीं होने वाला है तो लगबग 100% ओपीडियन पोल कह लीजिए 100% जनमत कह लीजिए मिखाई गौरबाचेव से जाता रहा उनको लगा कि मिखाई गौरबाचेव को अपनी ही सुधार नेतियों को ठीक से उनका �
32:24जी घंटना थी राश्च्वाधी भावन किया थी राश्च्वाधी भावना और संप्लमूता की इच्छा के खूफार कि अब राश्च्वाधी भावना क्या होती है Sann प्रवुता क्या होता है दो सब्दента पहल्न अब रास्च्वादी भावना समझनेति � która थी बादी दॉ
32:54कि किसी के साथ या किसी के अधील नहीं रहता इसको कहते है राष्टवादी भावना मतलब स्वतंत्र रहें कि अब खुद अनुमान लगा लिजिए कि यह देश किसे स्वतंत्र होना चाहते यह पंद्रा गणराज्य थे
33:11कि इतने थे पंद्रा गणराज्य जब एक हुए थे और सब स्वतंत्र देश भवा करते थे पर एक समय यह कब एक साथ माया थे 1922 निज जो पास चलिए तो अब यह अपनी संपर्भुता को घोब एटें अब
33:40आप इन देशों के अंदर एक और दूसरी भावना दूद ले रही थी वो संप्रभुता की भावना दूद ले रही संप्रभुता, जैने कि स्वतंत्र विदेशनीति, lesser विदेशनीति काच्र, आप किसी के दवाओ में नहीं हो,
34:02आप किसी के अधीम नहीं हो, आप अपनी अंतरिक और विदेशनिती दौनों को स्वतनत रूप से लागू कर सके हैं, उसे कहते हैं संप्रपुतास, तो ये दौनों ही भावना हैं, अब USSR के पूर्वी उरोपना उखने लेगा है, रूस और बाल्तिक गंडरजी, एस्टोनिया
34:32इस प्रकार की भावनाओं में सामय थे, अगर आप से पूछ ले, कि राश्टोनिया लाट्यों और इथुआनिया हैं, इसके अलावे, उक्रेन हैं और जोर्जी इसमें बेलारूस भी सामय थे, राश्टोनिया और संप्रमुता के भावनाओं, तो आप याद रुखिये, र
35:02का अंतिम और सरवादी ततकालिन कारण शिद्ध हुआ, इस मसले पर भी अलग-लग राइड मिलती है, एक और प्रश्ट बनता है, आप से तरी यह पूछ लिया जाए, कि सोवेशंग के विलेटन का सबसे ततकालिन, सबसे ज्वलंद कारण क्या था, तो आप क्या बताएंग
35:32जारी थी, और चाहे सुधार होते या ना होते, सोवेशंग के अंदरूनी संगर्स होना ही था, यह तो इतिहास के अनिवारियता के बारे मनुमान लगाना हुआ, लेकिन सोवेशंग के आकार, विवित्ता और इसकी बढ़ती हुई, आंतरिक समस्यां को देखते हुए, ऐसा
36:02इन बाते महत्वपून कारण सिदूई थी, सोवेशंग के पतन के लिए, पहला अंदर ये भावनाय तो थी, राष्क्रवाद और संप्रभुता की, इनको हावा किसने दी, जब मिखाल गुर्वा चोवने सुधारवादी मीतिया प्रानंब करने के बाद, ये भावना और त
36:32कि सोवेशंग के मत्य ऐसे गंदराजियों में राष्क्रवादी अकांग्शाओं का उभार सबसे दंदार हुगा, क्योंकि गंदराजी रूप से धार्मिक और नसली लेहाद से अलग और आर्थिक गूप से पिछले हुए थे, देखे, अगर आम ये उसे सार को दो हिस्सों
37:02पूल भी उरोप के देश एक ही जैसे संस्कृति के थे, एक ही जैसे धर्म से थे, एक ही जैसे नस्कत से थे, इन सभी में लगबग अगर रंगरूप से भी देखा जाये और इनका जीवन भी देखा जा थे एक जैसा ही था, बट इनके जीवन से बिल्कुल डिफरेंट जी�
37:32प्रमुग दर्म, इसाई धर्म था, इनका प्रमुग धर्म इसाई धर्म था, इसट्रॉंग अर्थ्वेवस्ता, वतलत इनके अप्रेक्षाण के अर्थ्वेवस्ता मस्बूत थी, तो अलग-अलग संस्कृत्वी के वाल रूज कि पहले मांग यहां उठेगी, बट मांघ �
38:02यहां पर सबसे पहले नजर आया यह रास्त्रवाधी भावनों का उमीद थी कि पहले कहां से रास्त्रवाधी भावनाएं पनपेगी
38:16मध्या इस यह असे बत ऐसा नहीं हुआ
38:19इनका आफस में भी अलगा हूँ था इन गड्राजियों के लोगों में यह भाव
38:21गर कर गया था कि ज्यादा पिछले इलाखों को सोवेज संग में सामे लखनें से उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी यानि कि एक तरफ तो आप ये देख रहे हैं कि आपके साथ जो है वो कुछ आर्थिगूप से संपन देश है और कुछ आपके साथ जो है वो आर्थिगू
38:51कि एक परसे बोज थे यह मध्य अशेय देश को यूए से साथ क्योंकि आर्थिगूप से कमजोर थे तो यह कहीं न कहीं यूएससर को इन बैलेंस कर रहा था ये असंतुलित कर रहा था और इस असंतुलित की भावना ने जो है वो सोवेज संग के अंदर ही दरा ढाल दी थी
39:21दूनिया और पूरी यूरोप की समाजवाधी व्यवस्ता के पतन के परिणाम सुरूप विश्व राजमिति के लेहाज से गंबीर रहे इसमें मोटे तौर पर तीम प्रकार के दुर्गामी परिवर्तना आए परिणाम देखे तो तीम परिणाम सामने आते हैं पहला दूसर
39:51सामयवाधी खेमा इस सामयवाधी खेमे का क्या हो गया पतन हो गया अब जब सामयवाधी खेमे का पतन हो गया तो जो प्रणाली बची सामने वो कौन सी बची उंजीवाधी प्रणाली अस्तित्व में जो रही वो कौन सी रही उंजीवाधी प्रणाली उंजीवाधी प्र�
40:21समाजवादी प्रणाली का अंत हुआ, उसके अगेंस्ट में जो प्रणाली चल रही थी, जिसे हम पुंजीवादी प्रणाली कहते हैं, बस ये पुंजीवादी प्रणाली ही अस्तित्व में पची थी,
40:47समाजवादी प्रणाली, पुंजीवादी प्रणाली को पचाड पाएगी या नहीं, यह विचार धारात्मत विवाद अब कोई मुद्दा नहीं रहता, लंबे समय से विचार धारा चल रही थी, एक डिबेट चल रहा था, कि क्या समाजवादी प्रणाली और पुंजीवाद
41:17विछल लए खतम हो गया जितियुद के इस विवाद ने दौनों घूटों की शेनाओं को उलजया था हतियारों की तेज और शुरूकी थी परमाणु हतियारों के संचे को बढ़ा दिया था तथा विष्व को सभिज्व में पाट दिया था
41:31शीत्यूत की समाप्ती के पस्चाद, जो हत्यारों की होड थी, उसका भी क्या हो गया?
41:37तो हम यहां पर जत परिनाम की चर्चा कर रहे हैं कि जब सी ट्यूद का अंत हुँ यह रखे कि सब्संग का अंत हुआ
41:50तो परिनाम क्या सामना आये तो हम सबसे पहला परिनाम क्या बता सकते हैं नहकी air the
41:56कि शीद्व सेमावолод का अन्त हो गया यह सबसे बड़ा परिणाम सामने आया दूसरा परिणाम �ki सामने आया
42:07पुच्णा के समाजवाधी प्रणाली का न्त हो गया कैसे समाज वादी प्रणाली का अन्त हो गया
42:15कि पर लोग लंबे समय से चठ्चा कर रहे थे कि कौन्सी प्रणाली बैठा है उल्जिवाद्य या समाजवादी प्रणाली वो खतम हो गई तो मुद्दा यह laquelle ठेयर जाता है अब आवशकता ही है
42:24तीसरा हम कहेंगे हत्यारों की होड खतम हो गई हत्यारों की होड का अंत हो गया क्योंकि हत्यारों की होड तो इसलिए मची भी थी कि दोना ही खेमे के देश अपने आपको एक दूसरे से सुरक्षित रखना चाहते थे इसलिए अधिक सधिक हत्यार बनाने के जुगाड में थे
42:54और इस कारण विचारों और संस्ताओं के अपिक्सित प्रभाव से भी बदलाव आया।
42:59जब समाप भुआ था दो सम्हावना थी या तो बचीवी महासक्ती का दबदबा रहेगा या फिर एक धूपिय विश्व बना इन नौन में से को एक संभावना पूनी थी
43:14क्या अनुमाल लगया जा रहा था कि जो बचीवी महासक्ती यानि कि सोवेट संद के बाद उसका उत्रादीकारी कौन बना रूस बना वो बचीवी महासक्ती था या अनुमाल लगया था या तो उसका दबदबा कायम रहेगा और या फिर एक धूपियो विश्व बन जाएगा
43:44एक दुरूविय विश्व का ज़ती है तो यह चौथा परिणाम है एक दुरूविय विश्व
43:50एक दुरूविय विश्व और जो एक दुरूविय विश्व था इसे हम
43:57अमेरिकी वर्चश्व वाला विश्व कहते हैं
44:00के अमेरीक की वर्चस्व लेड़ा विश्म कहके पुकार � pagan यो क्योंकि अब एक ही महासक्ति पची थी और वह था अमेरीका दूसर्मी महासक्ति
44:11बिखली समाप्र हो गया गोगे वहा यहां कि अमेरिका अक्यली महासक्ति बन बैठा अमेरिका की ताकत और प्रतिस्टा की सब आने में
44:23ककुझीवादी अठ्यवस्ता अंतरास्ते इस्तर बर्भुत्वचाली अठ्यवस्ता विश्वब्यक और नत्राश्य मुद्रकोष यह दौनों ही दुनिया की अर्फ्यवस्ता को चलाने वा़ने दो
44:33बड़े निकाय हैं एक है विश्वमेंग जिसे वर्ड बैंक कहा जाता है एक है अंतराज के मुद्राकोष जिसे इम्फ कहा जाता है इंट्रनेस्टर मोनेटरी फट कहते हैं यह दौनों ही संस्ताय जो है विबिन देशों की ताकत्वर सलाहकार बन देखें आज कोई भी देश
45:03इन्टरनेस्टर मोनेटरी फट्र पर इंटरनेस्टर मोनेटरी फट्र यह दो संस्ताय हैं जो कि काफी महत्वपूर बन गई है दुनिया के किसी भी देश को आर्थिक सित्रन उपर उपनेक्रें के मदद लेनी हुथी है राज़तिक रूप से उदार्वादी लोगतंत्र र
45:33सामयवाद और उदार्वाद इन दौनों में तुलना की जाती थी लेकिन रिजर्ट क्या निकला कि सामयवाद या समाजवार नहीं चला हुए टिकाव नहीं है तो उदार्वादी लोगतंत्र है इसलिए दुनिया के सभी देश दिर दिर उदार्वादी लोगतंत्र की तर�
46:03और पूर्वी यूरोप के देश, यूरोपिय संग से जुड़ना और उत्रण अटानतिक संतिसंग अठन नाटों का हिस्सा बनना चाहते हैं।
46:13देखे, अगर हम यूससर के देशों को पाते हैं।
46:17एक बार फिर मों बटवारा कर रहा हूं।
46:19यह है यूससर ऑफें। 15 गंजर आजियू को तीन हिस्टों में बाट दिया जाए।
46:29तो सबसे पहला हम कहेंगे पूरवी यूरोप, पूरवी यूरोप,
46:35प्लस बाल्टिक डेश, बाल्टिक डेश, प्लस मध्या अशया के देश,
46:43के दैस कि मैं ओ यह ये इस उन मिलते हैं और चान अजय का है ऑो
46:53कि बाल्पिक जिस कौन से हैं आपाथे हैं और फरृतु
47:06एस्टोनिया निट्वानीय एस्टोनिया और लेट्वीया लेट्वीया ने लताविय भी कहते हैं यह तीन देश हैं जो बाल्टिक देश कहलाते हैं जबकि पूर्भी युरोप के देशु मगल रहे हैं तो मुझकरुस युकरें बेलारूस
47:28इन पर हम जो देख रहे हैं कि ये जो देश थे वह या तो ईयोप्य संग में सांविल होना चाहते थे और फिर वो नाटो के सदश से बनना चाहते थे नाटो कॉण जो कुणी वादी कीमे का एक सेणिक संग ने इन बुकाते हैं
47:51इन देशों ने रूस के साथ अपने मजबूत स्रिष्टे को जारी रखा और पश्चिमी देशों अमेरिका, चीन तथा अन्य देशों के साथ संबंद बनाई इस तरह तराश्वी फलक पर कई नए खिलाडी सामने आगे।
48:21अगर हम बाल्टिक देशों की बात करें। बाल्टिक देश लिट्वानिया, लेट्विया, एस्टोनिया यह सब चले गए आगे जाकर किसमें यूरोपिय सामने यूरोपियन जिसको गहते हैं और उसके आगे चलकर के यह चले गए किसमें नाटों के सदद से बढ़ गए।
48:51और हम बात करें। जो पूरवी यूरोप के देश थे। पूरवी यूरोप के देश. पूर्टी यूरोप में रूस सबसे बढ़ा था. रूस को छोड़ दीजिए, बाकि कौन से बस्ते हैं? जैसे की उक्रयव, बलारूस, ये वो प्रमुक देश हैं, उक्रयव बलाशूस,
49:21लेकिन बच्चे वे जितने भी थे जैसे की हंगरी, पॉलेंग, चेकोस्लोवाक्या, बुल्गारिया, बुल्गारिया, इटीजी, एट्सेक्ट लाँ, यह देखे यह वो देशें जो की सामयमादी देश तो थे, बट यह युएससर का हिस्सा नहीं थे।
49:49युएससर का हिस्सा नहीं थे, युएससर का अंग नहीं थे, बट यह सामयमादी थे, कम्मिनिस्ट थे, तो यह सारे भी कहां चले गए, आगे चलकर यह भी युरोपिय संग और नाटो में सामिल हो गए, लेकिन अभी भी यह देश देखें, आपको तीन जोड़ा जो दिखा
50:19आया और इसी कारण से युक्रेयन, रूस, युद चीड़ा, युक्रेयन, रूस, युद जो भी वर्तमान समय माँ आप देख रहे हैं, यह किसकी वज़े से चीड़ा, कि युक्रेयन भी नाटो का सदस्य बनना चाहता था, थे, अब हम पालितिक देश को देख रहे हैं, य
50:49यह देश करी न कहीं स्वतंत्र रहे, उन्होंने भारत, चीड, रूस, के साथ संबंद बनाएं, इनके संबंद इन देशों के साथ में बनें, और उन्होंने यही से अपने विकास की गद्दी को तारण बुखिया,
51:08चलिए, अब हम यहां से अपने प्रश्ण उत्तर की चर्चा करते हैं, पहला प्रश्ण हमारे सामने है, सोवेट संब के विगेटन के 35 देश को सोवेट संब का उत्रादिकारी बनाया गया, तो आपके सामने विकल्प है एक, यानि कि A, रूस, B, बेलारूस, C, यूक्रें�
51:38से अपने रूस क्यंकि इन डेशों में सबसे सकति साली डेश कौन था, रूस था, और यही कारण है कि सोवेट संब का इसको उत्रादिकारी बनाया गया, यानि कि UNO की जो सीट थी, वो सीट किसको भी, रूस को मिल गई, और रूस जो था, वो UNSC का, UNSC का मतलब होता है, सई�
52:08इस्ताहिस अधाया गया नूरू उर्त को एक मातर परमाणू शक्ति संपन देशर्या अन但 अapple
52:18माना गया अर्थात बाकी जो वंद्रा गनराजिय है उमें से किसी को हक नहीं है को पर्मारो सक्ति संपन देश के रूप में अस्तित्व में रहेगा यहीं उत्रादिकारी देश था जिसे हम रूस कहकर उकारते हैं
52:36और स्वाजसंग के पतन यानि कि विटलन के कार्म से सम्वद्रित नहीं है यानि कि बाके सब को कारण होंगे ऑट कौंसा ऑसा बिंदू है जो कारण नहीं है युलिटल के कार्मा में सामेल नहीं
52:51ए लोगों की राजमिति को आर्थिक आकांक्षाय पूरी नहीं हो पाई बी कई वर्सों से अर्थ्यवस्ता अंगतिरुद्र थी
53:01सी उपभोकतावस्त्मों की कमी हो गई थी दी सोवेट संग की आबादी ने बड़ा भाग तो सोवेट प्रनाली में विश्वास था
53:10तो आपने जैसे जैसे मैंने उप्शन्स पड़े हैं आपने उत्तर डूड लिया होगा जिश्चिक रूप से यह जो डी है वो इससे संब्धित नहीं है क्योंकि लोगों की राजमिति को आर्थिक आकांक्षाय पूरी नहीं हो पाई थी बिल्कुल नहीं हो पाई थी इसलिए
53:40रोज मर्रा की जो खानपान की वस्तों हों हमारे जीवन के आवशक वस्तों होती है भूबी नहीं मिल पा रही थी प्रोडक्शन बहुत गिर गया था लेकिन सोवेट संग की आबादी का बड़ा भाग सोवेट प्रणाली में विश्वास था तो यहीं गलत है यानि कि सही उ
54:10नहीं है एक और सवाल वैसा ही कि विगेटन के कार्णों में सामिल नहीं है समंदित नहीं है अपने संसाधनों का अधिकांस भाग सेंहीं समान वगपड़माणों हत्यारों पर खर्च की अपने संसाधन पूर्ण यूरोप पिछलबू देशों पर खर्च की सी गहरे आर्थ
54:40अर्था समंदित नहीं है कि अपने संसाधनों का अधिकांस भाग सेंहीं समान वगपड़माणों हत्यारों पर खर्च किया विल्कुल तोटल जोड़ी को आई होती तो उसका बड़ा हिस्सा सुरक्षा पर खर्च होता था अपने संसाधन पूर्वी उरोप पिछलबू दे
55:10पर उन देश पर खर्च किया लिए अब जो आपका हिस्सा नहीं है विकिन उस पर भी खर्च कर रहे हो तो पुद की अप्वस्ता पर तो बुरा सक्षि पढ़ना ही जिनमें आप कैसकते हैं अब पॉलेंड है है हंग्री है ज्कोस्लोवाट क्या है जे कि उस्की लोगा किया
55:40यहिं यह वह देशें जो कि पूर्भ यव्रोप में तें जो कि सामयवादी देश थे लेकिन वो नहीं थैंड बड़ू बिकाशी काफी पैसा खर्च रहा था गैर आरतिक दबाऊ को सोवेत-प्रणाली जेल पाई थी विल्कुल नहीं जेल पाई थी पतन का
55:56अगर नहीं होता तो यह भी आपका सही होता लेकिन अपनाया है इसलिए आपका उत्तर हुआ
56:15प्रेश्न है सोवेट संग के विगटन के कारणों में मेल नहीं है फिर एक बार मेल नहीं खाता है वह दूर्णा है
56:21कि दर और मेल राजव्ंद कि ढांग क्को सामियो जी ने सप्रवर्सों तक शाशन किया तो संथर्ड़ वर्सों तक Şasan किया था सब्सक्रवाग्रंतर बैंश्य क्षि,
56:46इसमें तो कोई दोराई नहीं है, क्योंकि अगर हम 1922 की बात करें, सोवेत संग का जन्म कब हुआ था, दिसम्बर 1922, और वो भी 31 दिसम्बर 1922, यानि कि 1923 से ही इसकी शुरुवात हुई है, तो अगर हम 1923 से माने, और खतम कब होता है ये 1901 में, 1901 में मिद्नी कब? दिसम्ब
57:1620 राजव्यवस्ता, पॉफ्चिमी राजव्यवस्ता से बहतर थी, तो जो मेल नहीं खाता है, वो से
57:33सोवेत राजव्यवस्ता पस्चिमी राजव्यवस्ता से रहतर नहीं थी बलके क्या थी कमजोर थी
57:39सोवित राज विवस्ता से कमजोर हो गई थी यही कारण है कि लोगों की जो दैनिक आवशक्ता की बस्तुवे थी वो भी उनको नहीं दी जाँ पा रही थी वो भी पूर्ती नहीं को पा रही थी
57:52तो स्टुडेंट्स हम आज की इस क्लास को यहीं पर समाप्त करेंगे बट हमारी नेक्स क्लास में चर्चा जारी रहेगी जो शीत युद्ध का दौर चलाता उस दौरान और सोवित संका जो विगटन हुआ था उस दौरान जो विगटन का घटना करम था वो किस प्रकार से आ�

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