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  • 6/11/2025
सरगुजा का ऐतिहासिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल रामगढ़ के इतिहास पर आचार्य निलिम्प त्रिपाठी ने शोध पत्र लिखा है.

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00:0036 GARHKI PURATA TIK, SAHITIK OR DHAARMIK DHAROHAR RAM GARH
00:07IS RAM GARH MEH HARWARTH MOHOT SOH MANAIA JATA HAY
00:11OR IS POR GEO SODH PRAKASIT HUOE HAY
00:14IS POR GEO DHAARMIK OR SAHITIK CHERCHA HOTI HAY
00:17IS POR GEO SODH PRAKASAN HUA
00:20IS POR CHERCHA OR IS POR JANKARI DAYNAY KELIEH
00:23HEMARES SATH AACHARJI HAY
00:25AACHARJI HAYE JEO SODH HAPNES PRAKASAN KIA
00:28RAM GARH KEE VISHET RAPSARIES POR SAHITIK BAT KER LAYTAY
00:31PAHLEYE TOO WHEAANKA SAHITIK KIA कEHTA DAN
00:33BAHUATI AACHASI BAAT HAYE GUPJID
00:36AAHNAY BADY SUNDAR BAT KEE HAI
00:38YAHE JOO SRIGOJA PARIKSHETR HAYE
00:42YAH AMBIKA PUR NGARI HAYE
00:43YAH KAUSHAL PRAANT MEHE
00:46JHAAHAN BHAGWAN RAM AYE
00:48BHAGWAN RAM KI YAHA RGAG RGAG MEN ANUHBHUTHI HOTI HOTI HAYE
00:51MAHAKAWI KALILIDAS NAY
00:54when he first wrote his book,
00:58he wrote his book in this Rāmgir ki upatyekah.
01:03And he wrote,
01:04Raghupati Paday Rankitam Mekhalasu.
01:07God's name is here Mekhala Paranakit,
01:10and he is also here in this book.
01:12God's here years and years to live here.
01:18Here in the Sahitik Rupas,
01:20So when Bharti Muni has the Nattishala
01:24So if someone sees someone
01:27So here is the Nattishala
01:30That was the Nattishala
01:32So this is a great government
01:36That is the Nattishala here
01:38That is the Ecosystem
01:40That there is a voice
01:42That there is a voice
01:45That there is a voice
01:45That there is a voice
01:47That there is the Ramaniyya Sthiti
01:50That is the Vardhan
01:52Kishit Kanta, Virha Guruna, Swadhi Karat, Pramata
01:56Shapenastanga, Amitmahima, Varsha Bhoggyen Bhartu
02:00Yakshashakre, Janak Tanaya, Snanaponiyodakeshu
02:05Snikdhachaya, Tarush Vasutim, Ramagiriyashrameshu
02:10This is the Mahagabhi Kalidas has written
02:13And when we are in the past
02:20Mahagabhi Kalidas has written
02:22Our father has written
02:23This is the Mahagabhi
02:26Vishwake Dharatal
02:28Vishwake Vishwake Dharatal
02:30Vishwake Vishwake Pher
02:31This is the Mahagabhi
02:32Vahagabhi
02:33Shodhsangoshthiyan
02:35करनी चाहिए, रिसर्च वर्क करना
02:37चाहिए, परेटन केंद्र घोशित
02:39करना चाहिए, और वैश्विक
02:41इस्तर पर लोग आएं और
02:43अपने भाग्य को दिव्य से
02:45दिव्यतर बनाएं, क्योंकि जो
02:47भी कोई भगवत सन्नीधी
02:49में जाता है, उसका मंगल होता है
02:50तो ये इसका साहितिक अवदान
02:53भी है, और धार्मी
02:55अवदान भी है, कि भगवान यहां
02:57आए है, तो भगवान की वो
02:59गूझ, वो अनुभूती, व्यक्ति
03:01के हिरदय में आए, व्यक्ति
03:02निन्ना न करे, जूट न बोले,
03:05कपट न रखे, तो
03:06अम्विकापुर के कितने
03:08सरल निर्मल लोग है, इनका
03:10शुद्चित लोग है, भगवत
03:12पराण भगत लोग है, तो
03:14ये इसी कारण से है, आज
03:16भी पुरी दुनिया में, इस
03:18धान के कटोरे की महिमा है
03:20और इसकी सरलता
03:22विश्व में अग्रणी है
03:24ये जो नाट साला है
03:26वहाँ पर अचार जी, इस पर
03:28क्या प्रमार मिलते हैं सोध में, कितनी
03:30पुरानी है और इसका एजियास
03:32ये तो बहुत अनादिकाल से है
03:34इसकी कोई
03:36जो जाच की जाती है
03:39वो भी हजारों हजार
03:41साल तक की जाच की गई
03:42और ये पाया गया कि उससे भी
03:44प्राचीन है, यहाँ शर्भंग
03:46रिशी का आश्रम था
03:48वहाँ सुतनुका
03:50लास्यम, हमारे पुझी पिता जी
03:52डाक्टर भासकराचारी तरपाठी जी
03:54ने एक सुन्दर नृत्य
03:56नाटी का लिखी है, कि सुतनुका
03:58यहाँ रहती थी, और यहाँ पर
04:00देवदासी प्रथा में
04:02वो नृत्य इत्यादी भी होते रहे हैं
04:05इसका मतलब है कि
04:06यह स्थल बहुत जागरित
04:09चैतन्य और प्राचीन काल
04:11से अत्यंत महनी रहा है
04:12तभी तो वहाँ देवस अंस्कृती थी
04:15कलाओं का मान कहां होगा
04:17कला पार्खी जहां होगे
04:19वही तो कला होगी
04:20तो सुतनुका यहाँ थी
04:22यहाँ भरत में नाट्य शास्त्र का
04:25दिखदर्शन किया है
04:27यहाँ भगवान रहे हैं
04:29और यहाँ वो सांस्कृतिक
04:31चेतना चैतन्य है
04:32जो
04:34रामगढ में अलग-अलग इस्थल है
04:37उनकी क्या जानकारी है
04:39क्यों कुछ प्रमुख इस्थल है
04:40वो लोगों तरक है
04:41बहुत सुन्दर बात है
04:43जो यह साथ परकोटों में
04:46बनी हुई बहुत व्यापक
04:48परवत शिंखला है
04:49वह दूर से ऐसे लगती है
04:51जैसे हाथी ढूह को ढहा रहा है
04:55यह वरणन महाकवी कालिदास ने किया
04:58पूरे विश्रों में जितने परवत है
05:00उनको देखकर यह अनुहूती नहीं आती
05:02लेकिन इस परवत के
05:04का ऐसा वरणन किया गया है
05:06और यह हाथियों से बहुल परिक्षेत्र है
05:09प्राचीन काल से आज तक भी
05:11अगर हाथी कही सरवाधिक मिलते है
05:13तो रामगण परिक्षेत्र में मिलते है
05:16तो यह इसके सांस्कृतिक महत्ता है
05:18उपर सुन्दर सरोवर है
05:20भगवान के शिलालेक है
05:23पत्र है
05:24नीचे जो सीता बेंगरा है
05:27कितना सुन्दर वो स्थल है
05:29माभगवती सीता कभी वहां रहती होगी
05:32सीता रसोई है
05:33आज भी वहां कोई जाता है
05:36और अगर भक्ति भाव से जाएगा
05:38तो उसे वो अनुभूती
05:39वो सम्वेदनाय अनुभाव में आएगी
05:41मैं संपूर भारत वासियों
05:44से अनुरोद करता हूँ
05:45कि आशाड हस्यप प्रथम दिव से
05:48मेघ माशलिष्ट सानुम
05:50महागवी कालिदास ने लिखा
05:51कि आशाड के पहले दिन
05:53यहां मेघ आते हैं
05:55और अपनी गरजना से
05:56इस संपूर्ण प्रकृती को
05:58उनमत बना देते हैं
06:00जैसे हाथी करव
06:01वो ढूब ढहाने लगता है
06:04तो यहां मेघ आते हैं
06:06वर्षा की बूंदे आती हैं
06:09अर्थात हम सब यहां आएं
06:11और यह काल है
06:12कि प्रकृती का उत्सव मनाएं
06:14अशाड के पहले दिन
06:16धन्यभाग है कि
06:17इसे जन भागीदारी से जोड़ना होगा
06:26जन जन तक पहुचाना होगा
06:28यहां कालिदास संस्कृत अकादमी बनानी होगी
06:31यहां शोध के केंदर स्थापित करने होगे
06:34तब वैश्वित इस तर पर
06:36रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा
06:38और सर्वुजा का विकास होगा
06:40जब यहां बहुत धिक लोग आएंगे
06:42तब निश्चे ही स्थान जागरित होगा
06:45इस कारिकरम के लिए
06:46काशी हिंदु विश्विद्याले के प्रोफेसर आ रहे है
06:48दिल्ली बागपत से प्रोफेसर आ रहे है
06:51देवगर से प्रोफेसर आ रहे है
06:54मैं स्वयम भोपाल से
06:56यहां महारशी वैदिक विश्विद्याले से आया हुआ हूँ
06:58तो हम सब लोग अपना अपना घर छोड़कर
07:00भगवान राम के चरण को नमन करने
07:03यहां पिर शोध कारिय करने आये हुए है
07:05और मैं बहुत शुब कामनाय देता हूँ
07:08कि यह कार निरंतर प्रगती पे बढ़े
07:11और मेरी बहुत-बहुत पंगल कामनाय है
07:13बहुत-बहुत धन्यवाद हमसे बादशीत करने के लिए
07:16आप सुन रहे हैं कि
07:18रामगर की महिमा क्या है
07:20और रामगर का साहितिक और धार्मिक इतिहास क्या है
07:23जरूरत है अब इस छेत्र में
07:27सरगुजा में रामगर
07:28और यहां पर साहित का उटसाह वर्दन करने की
07:32सरकार और जन्भागिदारी
07:35दोनों के सहयोग से
07:37इस छेत्र में एक साहितिक वातावरण मनाना पड़ेगा
07:40अचार जी ने कहा कि यहाँ पर एक एकडमी की जरुवत है
07:45संस्कित एकडमी की जरुवत है
07:46अगर इस तरह के प्रयास होते हैं
07:49तो निश्चित ही सरगुजा और 36 गड़ की धरोहर विश्व पटल पर जानी और पहचानी जाएगी
07:55देश दीपत गुपता, ईटी भारत, सरगुजा

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