03:51कबीर की आखों में सच है रिया की लब पर खामोश मगर दिल शोर करता है वही कबीर को चाहती है
04:01कहती है कहती है कि यह कबीर ने घर चाला की से खरीदा और रिया ही वो दर्वाजा है
04:21ुपिन की मा अपने बेटे पर फखर करती है तुम दुश्मन की आगे दीवार हो वही असमा जो इस घर को लात मार कर चली गई थी आच न बापरा न घर और न वो गुरूर जिस पर वो नास करती थी
04:43मगर असमा चुप नहीं बेटती अब वो मुबीन से शादी करने जा रही है इंतकाम की आग दिल में लिए क्या ये शादी महबत की है या एक और साजिस का हिसा
04:53उधर रिया कबीर की महबत और बेहन की सादिसों में उल्च गई है वो सोचती है क्या महबत के लिए भाई से बगवत की जा सकती है कबीर जानता है और खामोशी से सचाई का बोच उठा रहा है आखिर में रिया सब के सामने खड़ी हो जाती है और कहती है ये घर कबीर ने म
05:23कहानी महबत की है ऐसे इश्क की जो न सोदा देता है न सिला मांगता है ये सचाई की जीते सादिसों की मकाम है और मन मस्तमन का ये एपिसोड सिर्फ एक किस्त नहीं बलके दिलों में बसने वाला एक नजम है सक्सराइब