04:08ुदुश्मन के हवाले किया अब ये दुश्मन तलाग दिलवाएगा हमें बेज़त करेगा और अस्मा जो हमेशा शत्रंग की चालों में जीती है कहती है के ये कबीर ने घर चाला की से खरीदा और रिया ही वो दर्वाजा है जिसे हम ये घर वापस लेंगे और कबीर शिकस्
04:38मार कर चली गई थी आज न बापरा न घर और न वो गुरूर जिस पर वो नास करती थी मगर अस्मा चुप नहीं बैठती अब वो मुबीन से शादी करने जा रही है इंतकाम की आग दिल में लिए क्या ये शादी मोहबत की है या एक और साजिस का हिसा उधर रिया कबीर की म
05:08बादारा जाती है और कहती है ये घर कबीर नि मुझे दिया मैं किसी के कहने पर उसे वापस नहीं दूँगी क्यूंके इस घर में सिर्फ दीवारे नहीं मेरी महबत है मेरा यकीन है खामोशी शादाती है कबीर की आगों में नमी है और अस्मा सिकंदर श्रमदगी में डू�