00:00ुत्राखन के मंदिर अपनी अद्भुद विशेस्तार लिये हुए हैं
00:12ऐसा ही एक मंदिर पौडी गड़वाल जिले में कंडोलिया देउता का है
00:16समुद्र तल से 1814 मीटर की उचाई पर इस्तितिस मंदिर के चारों और घने देउदार और माज के विक्षे हैं
00:25कंडोलिया देउता मंदिर में इन दिनों यग्य चल रहा है
00:29देश के कोने कोने में रह रहे हैं स्थानी लोग यहां अपनी प्रार्थना लेकर आए हैं
00:34मंदिर की महत्ता के बारे में बता रहे हैं मंदिर समिती के अध्यक्ष
00:39श्री कंडोलिया देवता के अभिंदारा जो आज यहां पर आयुजित हो रहा है यह प्रतेकवर्स यहां पर मनाया जाता है
00:46हमारा कंडोला देव एक भूम्याल देवता के रूप में इसकी मानता है और सदियों पूर यह मानता है कि जब यह नगर बसा होगा सबसे पहले प्रत्रम यहां पर पौड़ी गाओं यहां पर बसा था उन गाओं के साथ ही जैसे सबी छेत्रों में आप लेख रहोंगे
01:08राजस्तान में या इदर दुमाओं में यहां पर भी लोग बसे हैं उनको भूम्याल देवता देवता के रूप में और वैसे इस देवता को धवडिया देवता के रूप में भी इसकी पूजा की जाती थी
01:33पूर वर्तमार में तो नहीं लेकिन पूर समय काफी सा फोरूम में जबके इतनी ज़्यादा जागरूपता नहीं थी तो आपने पड़ा भी होगा के पहले समय में खेतों के फश्रों की चोरियां तेरिक हुआ करते थी इस देवता की माननेता था ही कि इसी को भी मदद करनी
02:03कंडोलिया देवता का इतिहास कुमाओ के गोल्जू महराज से जुड़ता है इस बारे में बड़ी दिर्चस्प कहानी सुनाई जाती है
02:19परतिवर्ष तीन दिन का जुँन के माह में ही कंडोलिया देवता का यग्य है वो किया जाता है और इसके पीछे महता यह है कि जो कंडोलिया देव की विशेस्ता है चंपावत में जो गोल्जू देव है ये उनी के भाई है और ये गोर भैरो के रूप में यहां पे है इसल
02:49This is the name of Kandoliya, and this is the name of Kandoliya, and this is the name of Kandoliya.
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