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  • 6/5/2025
अशोक उपाध्याय की 20 साल की हरित तपस्या से संवर रहा यमुना का आंचल, दूषित हवा को मिल रही संजीवनी

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00:00बिश्व परियावरन दिवस केवल जागरुकतर का दिन नहीं, बलकि उन लोगों को सलाम करने का भी अफसर है, जो पूरे समर्पन भाव से प्रित्पी को सबारने में जुटे हैं।
00:30पॉलेथिन और कुड़ा उठा कर सफाई अव्यान की शुरुवात की थी। धीरे धीरे अशोक के प्रियासों ने आकार लिया और फ्रिंट्स ऑफ यमना नाम से परियावरन प्रेमियू का समू तयार हुआ, जिसमें आज करीब 1200 लोग शामिल हैं।
01:00इन पेड़ों ने मा यमना के आचल को हरा भरा बना दिया है, जहां पक्षियों को आश्र मिल रहा है, साथ ही दिली की दमघोटू हवा को ऑक्सिजन भी दे रहे हैं।
01:10यमना नदी की सफाई और परियावरन सर्रक्षन के लिए कब से काम करना सुरू किया और एक आपने संस्था बनाई फ्रेंड साफ यमना, यमना के दोस्त यानि की, तो ये कब से बनाई आपने और कितने लोग आपके साथ लगभग इस सेवा के काम में जुड़े हुआ हैं�
01:40यमना की सफाई के लिए आप लोग क्या कर रहे हैं क्योंकि देखा जाये तो यमना पूरी काली दिख रही हैं, मैं चाहूंगा कि एक बार जो है कैमरा गुमा की इधर दिखाएं कि किस तरीके से यमना का पानी बिलकुल काला है, यहां जो है लोग आते हैं पूजा की सामा�
02:10जो जिनका उनका मट्टी का भस्म अगरा है, वो हम उठा करके इस तरह से यह ग्राउंड तैयार किया यह आपको दिख रहा है, यह घास तैयार किया लोग आएं यमना किनारे बैठें, बाते करें और यमना का आनंदर, यमना चार महीने बिसेस गंदी रहती है, उसके बाद
02:40अर्था का लोग लाब उठाएं, लोगों को जानकारी नहीं है, अगर आप दिल्ली से प्यार करते हैं, तो यमना से जरूर प्यार करें, नहीं तो दिल्ली अस्पतालों का सहर हो जाएगा, उमीद है कि यमना साफ हो पाए भी उसकी धारा अभिरल होगी, और यहां का पानी
03:10फिलहाल में दिल्ली सरकार ने इसकूल के बच्चों को यमना से जोड़ा है, निवंध के सारा चितकला के सारा इसकूलों को उन्होंने सारा मैसिज दिया है कि आप नदी के किनारे हो आप स्वच्छता, तो जब जन जन जागेगा, जन जन के से जागरिती पैदा होगी तो �
03:40स्वस्त होगी, निर्मल होगी, अविर्यल होगी.
04:10इस लिहाँ से उन्होंने विविन फलदार पौधे भी लगाए हैं, जिससे हमेशा किसी न किसी तरह के पेर पौधों में फल आता रहता है और पक्षियों को भोजन मिलता रहता है.
04:19यह जो यम्न नदी के किनारे जिस रास्ते पे हैं, हम दोनों तरफ जंगल देख रहे हैं, यहाँ पर तमाम परजाती के ऐसे से पोधे हैं, जो यहाँ के नहीं पाया जाते हैं, लगबग दिल्ली में बिलुप्त माने जाते हैं, उनको भी ले आके यहाँ पर आपने संरक्�
04:49देखा, उसके किनारे हैं, हमने जंगल देखा, वही जंगल में अपने बचपन से मेरे खून में है, वही कब यह सुरू हो गया, इसके बारे में खुछ ने, हाँ यहाँ जुग्गियां थी, दो हजार में दिल्ली के राजपाल जगमहन साम ने उन जुग्गियों को हटाया
05:19पौधे हुए, उन पौधों को मैंने कृष्णे पौधों की यसोदा बनकर मैंने उसकी की सेवा करी है, तो लगभग अभी यहाँ कितने जंगल है, लगभग कितने पेर तरह की के पेर पौधे होंगे, क्या यहाँ पर कुछ पक्षियां भी नेचुरली गोचले बना के रह
05:49दिखाई देती हैं, उसकी बाद गोरियां नहीं दिखाई देती, बाकी यहाँ तोता, मौर, मैं कहता हूँ, ब्रिंदा बनके जंगलों में जितने मौर हों उतने साधियां अधिक मौर हों, और हमने यहाँ सीता, सोग, बहुत सारे हमने प्रजातियों के पौधे, लोगों स
06:19ndasakar naam ni lila na jaini dologu iskho bhoht bori tarah se ukhaatathe
06:22hain or uskan naas kar djethe hain marieye ki yaha par kariib is
06:29jagha pe ek 1000 aadmin daily morning walk kanye aata office ke
06:34logeye here world bank ke aapko it office income tax ke or dda ke sachwari
06:41ke logea aatee yamuna ji tera mazab codasso kilomiter hain
06:46If 1400 people are going to be able to save them
06:54then the people will be able to save them
06:58and will be able to save them
07:01Ashok Upadhyay tells us that if they leave them
07:04then the rest of the time they look like the water
07:07when they look like the water
07:09when they look like the water
07:10they have never seen them
07:13although they believe that they will see them
07:16their own and their own
07:20Ashok Upadhyay and their people
07:22are not aware of it
07:24they will be able to save them
07:26and they will be able to save them
07:29The ITO is the same time
07:31the 5.00 pm is the same time
07:34this is the end of the day
07:36they will be able to save them
07:38they will be able to save them
07:40that came to the same realizing
07:42how the population would charge them
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