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  • 6/2/2025
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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आज की मुरली मधुबन

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Transcript
00:00मुरली अमरित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती
00:26आईए सुनते हैं
00:29तीन जून दो हजार पच्चीस दिन मंगलवार की साकार मुरली
00:34शिव बाबा कहते हैं मीठे बच्चे अब तुम नए संबंध में जा रहे हो
00:39इसलिए यहां के कर्मबंधनी संबंधों को भूल
00:43कर्मातीद बनने का पुरुशार्थ करो
00:46प्रश्ण
00:48बाब किन बच्चों की वाह वाह करते हैं
00:52सबसे अधिक प्यार किनों को देते हैं
00:55उत्तर
00:56बाबा गरीब बच्चों की वाह वाह करते है
00:59वाह करीबी वाह
01:01आराम से दो रोटी खाना है
01:03हबच अर्थात लालच नहीं
01:06गरीब बच्चे बाप को प्यार से याद करते है
01:09बाबा अनपड़े बच्चों को देख खुश होते है
01:12क्योंकि उन्हें पड़ा हुआ भूलने की मेहनत नहीं करनी पड़ती है
01:15ओम शान्ती
01:17अब बाप को बच्चों के प्रती रोज रोज बोलने की दरकार नहीं रहती
01:22कि अपने को आत्मा समझो
01:24आत्म अभिमानी भव अत्वा देही अभिमानी भव
01:29अक्षर है तो वही न
01:30बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझो
01:33आत्मा में ही 84 जन्मों का पाट भरा हुआ है
01:36एक शरीर लिया पाट बजाया फिर शरीर खलास हो जाता है
01:41आत्मा तो अभिनाशी है
01:43तुम बच्चों को ये ग्यान अभी ही मिलता है
01:46और कोई को इन बातों का पता नहीं है
01:48अब बाप कहते हैं कोशिश कर
01:51जितना हो सके बाप को याद करो
01:54धंदे धोरी में लग जाने से तो इतनी याद नहीं ठेरती
01:58ग्रेहस्थ व्यवार में रहकर कमल फूल समान पवित्र बनना है
02:02फिर जितना हो सके मुझे याद करो
02:05ऐसे नहीं कि हमको नेश्ठा में बैठना है
02:07नेश्ठा अक्षर भी रॉंग है
02:10वास्तों में है ही याद
02:12कहां भी बैठे हो बाप को याद करो
02:14माया के तूफान तो बहुत आएंगे
02:17कोई को क्या याद आएगा
02:19कोई को क्या
02:32कम होंगे, पहले तो आत्मा
02:34निर्बंधन है, जब जन्म
02:36लेती तो मा बाप में बुद्धी जाती है
02:38फिर स्त्री को एडाप्ट करते
02:40हैं, जो चीज सामने नहीं थी
02:42वो सामने आ जाती, फिर
02:44बच्चे पैदा होंगे तो उनकी याद बढ़ेगी
02:46अब तुम सबको ये भूल जाना
02:48है, एक बाप को ही याद करना
02:51है, इसलिए ही बाप
02:52की महिमा है, तुम्हारा
02:55मात पिता आदी सब कुछ वही है
02:56उनको ही याद करो
02:58वह तुमको भविश्य के लिए
03:00सब कुछ नया देते हैं
03:02नए संबंध में ले आते हैं
03:04संबंध तो वहां भी होगा ना
03:06ऐसे तो नहीं कि कोई प्रलाय हो जाती है
03:09तुम एक शरीर छोड फिर
03:11दूसरा लेते हो, जो बहुत
03:13अच्छे अच्छे हैं, वह जरूर
03:14उन्च कुल में जन्म लेंगे
03:16तुम पढ़ते ही हो भविश
03:1821 जन्म के लिए
03:20पढ़ाई पूरी हुई
03:21और प्रालब्ध शुरू होगी
03:23स्कूल में पढ़कर ट्रांसफर होते हैं न
03:26तुम भी ट्रांसफर होने वाले हो
03:28शान्तिधाम फिर सुखधाम में
03:30इस छीची दुनिया से छूट जाएंगे
03:32इसका नाम ही है नर्ग
03:35सत्युक को कहा जाता है स्वर्ग
03:37यहां मनुष्य कितने घोर अंधियारे में है
03:40धन्वान जो है
03:42वह समझते हैं
03:43हमारे लिए यहां ही स्वर्ग है
03:45स्वर्ग होता ही है नई दुनिया में
03:48यह पुरानी दुनिया तो विनाश हो जानी है
03:51जो करमातीत अवस्था वाले होंगे
03:54वह कोई धर्मराज पुरी में सजाये थोड़े ही भोगेंगे
03:57स्वर्ग में तो सजा होगी ही नहीं
04:01वहाँ गर्भी महल रहता है
04:02कोई दुक्की बात नहीं
04:05यहाँ तो गर्भ जेल है
04:06जो सजायें खाते रहते है
04:08तुम कितना बार स्वर्गवासी बनते हो
04:11यह याद करो तो भी सारा चक्र याद रहे
04:14एक ही बात लाखों रुपए की है
04:17यह भूल जाने से देह अभिमान में आने से माया नुकसान करती है
04:23यही मेहनत है
04:24मेहनत बिगर उंच पद नहीं पा सकते
04:27बाबा को कहते हैं
04:29बाबा हम अनपढ़े हैं कुछ नहीं जानते
04:31बाबा तो खुश होते हैं क्योंकि यहां तो पड़ा हुआ सब भूलना है
04:36यह तो थोड़े टाइम के लिए शरीर निर्वाहादी के लिए पढ़ना है
04:39जानते हो ना यह सब खलास होने का है
04:42जितना हो सके बाब को याद करना है
04:45और रोटी टुकड़ा खुशी से खाना है
04:47वाँ
04:49करीबी इस समय की
04:50आराम से रोटी टुकड़ खाना है
04:53हबच अर्थात लालच नहीं
04:55आजकल अनाज मिलता कहां है
04:58चीनी आदी भी धीरे धीरे करके मिलेगी ही नहीं
05:02ऐसे नहीं, तुम इश्वरिय सर्विस करते हो तो तुमको गवर्मेंट देदेगी, वो तो कुछ भी जानते नहीं
05:09हाँ, बच्चों को कहा जाता है गवर्मेंट को समझाओ, कि हम सब मिलकर माबाप के पास जाते हैं, उन्हों को बच्चों के लिए टोली भेजनी होती है
05:20यहाँ तो साफ कह देते कि है ही नहीं, लाचारी थोड़ी दे देते हैं, जैसे फकीर लोगों को कोई साहुकार होगा तो मुठी भर कर दे देगा, गरीब होगा तो थोड़ा बहुत दे देगा
05:32चीनी आदि आ सकती है, परन्तु बच्चों का योग कम हो जाता है
05:37याद न रहने कारण, देह अभिमान में आने के कारण कोई काम हो नहीं सकता
05:42यह काम पढ़ाई से इतना नहीं होगा, जितना योग से होगा, वह बहुत कम है
05:48माया याद को उड़ा देती है, रूस्तम को और ही अच्छी रीती पकड़ती है
05:53अच्छे अच्छे फस क्लास बच्चों पर भी ग्रहचारी बैठती है
05:58ग्रहचारी बैठने का मुख्य कारण योग की कमी है
06:01ग्रहचारी के कारण ही नाम रूप में फस मरते है
06:05यह बड़ी मन्जिल है
06:06अगर सच्ची मन्जिल पानी है
06:09तो याद में रहना पड़े
06:10बाप कहते हैं ध्यान से भी ग्यान अच्छा
06:14ग्यान से याद अच्छी
06:16ध्यान में जास्ती जाने से
06:18माया के भूतों की प्रवेश्टा हो जाती है
06:20ऐसे बहुत है जो फाल्तू ध्यान में जाते है
06:23क्या-क्या बूलते हैं उन पर विश्वास नहीं करना
06:27ग्यान तो बाबा की मुर्ली में मिलता रहता है
06:30बाप खबरदार करते रहते है
06:32ध्यान कोई काम का नहीं है
06:34बहुत माया की प्रवेश्टा हो जाती है
06:37अहंकार आ जाता है
06:38ग्यान तो सबको मिलता रहता है
06:41ग्यान देने वाला शिव बाबा है
06:43मम्मा को भी यहां से ग्यान मिलता था ना
06:45उनको भी कहेंगे मन मनाभव
06:48बाप को याद करो
06:50दैवीगुन धारण करो
06:51अपने को देखना है
06:53हम दैवी गुन धारन करते हैं
06:55यहां ही दैवी गुन धारन करने है
06:58कोई को देखो अभी
06:59फर्स क्ला सवस्था है
07:01खुशी से काम करते
07:02घंटे के बाद क्रोद का भूत आया
07:04खत्म, फिर स्मृती आती है
07:07ये तो हमने भूल की
07:09फिर सुदर जाते हैं
07:11घड़ी घड़ी के घड़ियाल
07:12बाबा पास बहुत है
07:14अभी देखो बड़े मीठे
07:17बाबा कहेंगे ऐसे बच्चों पर
07:19तो कुर्बान जाऊं
07:20घंटे बाद फिर कोई न कोई बात में
07:23बिगड़ पड़ते
07:24क्रोध आया, सारी की कमाई
07:26खत्म हो गई
07:27अभी अभी कमाई
07:29अभी अभी गहटा हो जाता
07:31सारा मदार यात पर ही है
07:33ग्यान तो बड़ा सहज है
07:35छोटा बच्चा भी समझा ले
07:38परन्तु मैं जो हूँ
07:39जैसा हूँ
07:40यथार्थ रीती जाने
07:42अपने को आत्मा समझे
07:44इस रीती छोटे बच्चे
07:46थोड़े ही याद कर सकेंगे
07:48मनुष्यों को मरने समय
07:50कहा जाता है भगवान को याद करो
07:52परन्तु याद करना सके
07:54क्योंकि यथार्थ कोई भी जानते नहीं है
07:57कोई भी वापिस जा नहीं सकते
08:00नविकर्म विनाश होते हैं
08:03परंपरा से रिशिमुनी आदि सब कहते आए
08:05कि रच्टा और रच्णा को हम नहीं जानते
08:08वह तो फिर भी सतोगुनी थे
08:11आज के तमोप्रधान बुद्धी फिर कैसे जान सकते
08:15बाप कहते हैं
08:18यह लक्ष्मी नारायन भी नहीं जानते
08:20राजा रानी ही नहीं जानते
08:22तो फिर प्रजा कैसे जानेंगी
08:24कोई भी नहीं जानते
08:26अभी सिर्फ तुम बच्चे ही जानते हो
08:29तुम्हारे में भी कोई है
08:30जो यथार्थ रीती जानते है
08:32कहते हैं बाबा घड़ी घड़ी भूल जाते है
08:35बाप कहते हैं
08:37कहा भी जाओ, सिर्फ बाप को याद करो, बड़ी भारी कमाई है, तुम 21 जन्मों के लिए निरोगी बनते हो, ऐसे बाप को अंतरमुख हो याद करना चाहिए न, परन्तु माया भुला कर तूफान में ला देती है, इसमें अंतरमुख हो विचार सागर मन्थन करना है,
08:55विचार सागर मन्थन करने की बाद भी अभी की है, यह है पुरुशोत्तम बनने का संगम युग, यह भी वंडर है, तुम बच्चों ने देखा है, एकी घर में तुम कहते हो, हम संगम युगी हैं, और हाफ पार्टनर वा बच्चा अदिकल युगी है, कितना फर्क है, बड�
09:25प्रैक्टिकल में महनत करनी है, याद की ही महनत है, एक ही घर में एक हंस्तो दूसरा बगुला, फिर कोई बड़े फर्स क्लास होते हैं, कभी विकार का खयाल भी नहीं आता है, साथ में रहते भी पवित्र रहते हैं, हिम्मत दिखाते हैं, तो उन्हें कितना उंच पद मिले
09:55खयाल ना आए, बाप हर प्रकार से राय देते रहते हैं, तुम जानते हो, श्री श्री की मत से हम श्री लक्ष्मी, श्री नारायन बनते हैं, श्री माना ही श्रेष्ट, सत्युग में है नंबर वन श्रेष्ट, त्रेता में दो डिगरी कम हो जाती है, यह घ्यान तुम बच्
10:25कोई कोई बच्चे बाप के सामने बैठे भी जुटका खाते, उबासी देते रहते, उनको फिर पिछाडी में जाकर बैठना चाहिए, यह इश्वरिय सभा है बच्चों की, परन्तु कई ब्राह्मनियां ऐसे ऐसे को भी ले आती है, यू तो बाप से धन मिलता है, एक एक वर्
10:55जाते हैं, यह चीची दुनिया है, तुम्हारा है बेहत का वैरागी, बाप कहते हैं, इस दुनिया में तुम जो कुछ देखते हो, वह कल होगा नहीं, मंदिरो आदी का नाम निशान ही नहीं रहेगा, वहां स्वर्ग में उन्हों को पुरानी चीज़ देखने की दरकार नह
11:25बाप से वर्सा लेते हैं, इसलिए कोटों में कोई कहा जाता है, कोई भी बात में संशे नहीं आना चाहिए, भोग आदी की भी रस्म रिवाज है, इनसे ग्यान और याद का कोई कनेक्शन नहीं है, और कोई बात से तुम्हारा तैल लुक नहीं, सिर्फ दो बातें हैं, अल
11:55तुम मुझे याद करते हो, तुम सब मेरे आशिक हो, यह भी जानते हो बाबा कल्प कल्प आकर सब मनुष्य मात्र को दुख से छुड़ाए शान्ती और सुक देते हैं, तब बाबा ने कहा था, कि सिर्फ यह बोर्ड लिख दो, कि विश्व में शान्ती बेहत का बाप कैसे
12:25तुम बड़े से बड़ी हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी खोल सकते हो, याद से 21 जन्म लिए निरोगी और पढ़ाई से स्वर्ग की बादशाही मिल जाती है, प्रजा भी कहेगी कि हम स्वर्ग के मालिक हैं, आज मनुष्यों को लजजा आती है क्योंकि नर्कवासी है, ख�
12:55ये स्वर्ग क्या, परंतु जाता कोई भी नहीं है, नाटक जब पूरा होता है, तो सभी स्टेज पर आकर खड़े होते हैं, ये लड़ाई भी तब लगेगी जब सभी एक्टर्स यहां आ जाएंगे, फिर लोटेंगे, शिव की बरात कहते हैं न, शिव बाबा के साथ सभी
13:25श्री कृष्न कितना खूबसूरत है, कितनी उसमें कशिश है, फर्स्ट क्लाश शरीर है, ऐसे हम लेंगे, कहते हैं न, हम तो नारायन बनेंगे, ये तो सड़ी हुई छीचिक हाल है, ये हम छोड़ कर जाएंगे नई दुनिया में, ये याद करते खुशी क्यों नहीं होती,
13:55करनी एक चाहिए, धन्दा आदी भी भल करो, बाप कहते हैं, हाथों से काम करो, दिल बाप की याद में रहे, जितनी जितनी धारणा करेंगे, उतना तुम्हारे पास नॉलेज की वैल्यू होती जाएगी, नॉलेज की धारणा से तुम कितना धन्वान बनते हो, यह है रूह
14:25मीठे मीठे सी किल्दे बच्चों, प्रती मात पिता बाप दादा का याद प्यार और गुड मॉर्निंग, रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते, हम रूहानी बच्चों की रूहानी मात पिता बाप दादा को याद प्यार गुड मॉर्निंग और नमस्ते, धार
14:552. अविनाशी ग्यान रतनों का कदर रखना है. यह बहुत बड़ी कमाई है. इसमें उबासी या जुटका नहीं आना चाहिए. नामरूप की ग्रहचारी से बचने के लिए याद में रहने का पुरशार्थ करना है.
15:09वर्दान
15:39महनत नहीं लगती. बाप को सामने लाने से स्वर स्थिती में स्थित होने से कैसी भी परिस्थिती परिवर्तन हो जाती है.
15:46स्लोगन
15:48बातों का परदा बीच में आने न दो तो बाप के साथ का अनुभव होता रहेगा.
15:53अव्यक्त इशारे
15:55आत्मिक स्थिती में रहने का अभ्यास करो, अंतरमुखी बनो, किसी भी विग्न से मुक्त होने की युक्ती है, सेकंड में स्वयम का स्वरूप, अर्थात आत्मिक जोती स्वरूप, स्मृती में आ जाए, और कर्म में निमित्थ भाव का स्वरूप, इस डबल लाइट स्वर�
16:25संगम की बेला है सुहानी, संगम की बेला है सुहानी, ये समय है बड़ा वरदानी

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