गुजरात: अहमदाबाद की सड़कों पर एक ऑटो रिक्शा ड्राइव पिछले 14 साल से हर दिन खास मिशन पर निकलते हैं. ऑटोरिक्शा चालक किरणभाई पाटनी, आवारा पशुओं को रोजाना 300 किलो रोटियां खिलाते हैं.ऑटोरिक्शा चालक और सामाजिक कार्यकर्ता किरणभाई पाटनी का कहना है कि, "कोविड से अभी तक कम से कम चार लाख 67 हजार किलो कचरे और गटर में जाने वाले खुराक को उन लोगों ने इकट्ठा करके बेजुबान जानवरों को खिलाया है. उन्होंने कहा कि, वैसे कुत्ते जिनको दो-दो, तीन-तीन दिन से खाना नहीं मिलता है, उन्हें भोजन देते हैं. उन्होंने कहा कि, कोविड के समय उन्होंने बहुत ज्यादा काम किया है.हर सुबह किरणभाई पाटनी अपने ऑटोरिक्शा में बची हुई रोटियां और खाने की दूसरी चीजे इकट्ठा करने के लिए निकल पड़ते हैं. इसे वे अहमदाबाद में आवारा और भटकने के लिए छोड़े गए पशुओं के लिए बनाए गए पुनर्वास केंद्र करुणा मंदिर में पहुंचा देते हैं.पशुओं के लिए हर दिन करीब 300 किलो बची हुई रोटियां इकट्ठा करने वाले किरणभाई बताते हैं कि वे अपने पिता और दादी के नक्शेकदम पर चलते हुए 14 साल से ये काम कर रहे हैं. किरणभाई ने बेजुबान जानवरों की सेवा करने को अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया है.किरणभाई समाज में जागरूकता बढ़ाना चाहते हैं कि बचा हुआ खाना फेंका नहीं जाना चाहिए, बल्कि उसे आवारा और छोड़े गए पशुओं को खिलाने के लिए इकट्ठा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, समाज में अवेयरनेस की जरूरत है. बचा हुआ खाना ये लोग ऐसे ही छोड़ देते हैं. वास्तव में बचे हुए खाने की इज्जत करनी चाहिए. खाना इकट्ठा करने के काम में कई और लोग भी किरणभाई के साथ जुड़ चुके हैं. उनकी ये टीम अहमदाबाद के बाजारों से 100 किलो से ज्यादा बेकार सब्जियां इकट्ठा करती है और उसे शहर के पंजरापोल इलाके में स्थित पशु आश्रय में पहुंचाया जाता है. अपनी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों से निपटने के बाद किरणभाई रोजीरोटी के लिए ऑटोरिक्शा चलाते हैं.किरणभाई बताते हैं कि उन्होंने पिछले 14 साल से एक भी दिन छुट्टी नहीं ली क्योंकि अगर वे ऐसा करेंगे तो जिन जानवरों को वे खाना खिलाते हैं वे भूखे रह जाएंगे.ये भी पढ़ें: केरल में मॉनसून आते ही इडुक्की में चेक डैम पर झरना फिर से जीवित हो उठा, देखें वीडियो
00:00We have more than 4,666,000 kg than we have been going to the store and going to the store and going to the store and going to the store and the gutter.
00:17We have used the same food for the food.
00:24This is not a food. It was special for us.
00:27It was a small amount of food.
00:30We have used the food for 2-3 days.
00:33We have been able to get there.
00:35In COVID, we have been working very much.
00:38At each morning, Kirlan Bhai Paterna up with auto-diction and food for the food for others,
00:46people come to bring up the night and the streetleri will make their own decisions and make them.
00:54It's the day we have 300 kg of the Kirlan Bhai that they need to break down,
01:04they will work for many these days.
01:06This is a work from my grandmother's four trees, which is one of my grandmothers.
01:13The grandmothers' idea was that, first of all, we don't have to eat in the morning.
01:17We have to eat the food from the house.
01:21We have to feed the vegetables and feed the vegetables.
01:25Then we have to feed the vegetables.
01:28We have to feed the vegetables from our father cycle.
01:31We have to feed the vegetables and vegetables.
01:35ॐ होई मेरे अंदर है मैंने सुरू सुरू में 20-35 किलो ने हाथ से भेगी करते थे घर-घर से लेकिन एक प्रेंड कोरोना काल से मिला है जिसने सपोट देना चालू किया जेन प्रेंड है मेरा तब से मैंने 300 kg मोर उससे भी ज्यादा kg एनिमल्स फूरूट कलेक्शन करता हूँ
02:05प्रेंड भाई समाज में जागरुकता बढाना चाहते हैं कि बचा हुआ खाना प्रेंका नहीं जाना चाहिए बलकि उसे आवारा और छोड़े गए पशुओं को खिलाने के लिए इखटा किया जाना चाहिए
02:35खाना इखटा करने के काम में कई और लोग भी किरन भाई के साथ जुड़ चुके हैं
03:01उनकी ये टीम एहमदाबाद के बाजारों से 100 किलो से ज़्यादा बेकार सबजियां एखटा करती है
03:06और उसे शेहर के पंजरा पोल इलाकी में इस्थिफ पशु आश्रे में पहुँचाए जाता है
03:11अपनी रोज मर्रा की जिम्मेदारियों से निपठने के बाद किरन भाई रोजी रोटी के लिए आटो रुक्षा चलाते हैं
03:18किरन भाई बताते हैं कि उन्होंने पिछले 14 साल से एक भी दिन छुटी नहीं ली
03:23क्योंकि अगर वे ऐसा करेंगे तो जिन जानवरों को वे खाना खिलाते हैं वे भूंके रह जाएंगे