- 5/15/2025
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00:01एक छोटे से गाव में एक मचली व्यापारी था जिसका नाम रामू था वह बहुत लाल्ची था और सोचता था कि वह सबसे ज्यादा पैसे कमाएगा
00:21रामू ने कई सारी मचलियों को खरीदा और बेचने की व्यवस्था कि जिससे उसमें बहुत अधिक मुनाफ़ा होना था
00:32रामू जानता था कि लोगों को जो मचलियां सबसे अधिक पसंद आती हैं उन्हें ज्यादा पैसे में बेचता था
00:45इसलिए वह लोगों से मचलियों का भेतर कीमत मांगता था और सड़े हुए मचलियों को भी महंगे दाम में बेचता था
00:54वह लोगों से ज्यादा पैसे कमाने के लिए अपने गंदे उपायों का इस्तमाल करता था
01:01एक दिन रामू ने अपनी दुकान में जोडीदारियों की बजाए उबली हुई मचलियों की बिक्री करने का निर्णय लिया
01:09वहां लोगों को बताता था कि उबली हुई मच्छियां सेहत के लिए बहुत अधिक फाइदे मंद होती है
01:22और इसलिए वहां उन्हें ज्यादा मूल्य में बेचेगा
01:25लोग उसकी बातों में आ गए और वहां अपने उबली हुई मच्छियों की बिक्री शुरू हो गई और लोग इसमें रूची लेने लगे
01:35लेकिन उन्हें यहां नहीं पता था कि रामू अपनी दुकान में सच में उबली हुई मच्छियों की बिक्री नहीं कर रहा था
01:43वह सच में साबुन और पानी के इस्तमाल से मचलियों को उबलता था और उन्हें उबली मचलियों के रूप में बेच रहा था
01:57इस तरह रामों के उपायों से लोग अस्वस्थ होने लगे और इस वज़ा से उनकी डिमांड में कमी आने लगी
02:06इसके बावजूद रामों अधिक पैसे कमाने के लिए और अधिक दलाली करने लगा
02:13एक दिन उसके दुकान में एक ग्रामेन महिला आई और उससे मचलियों की खरीद करने के बाद रामों ने उसको ज्यादा मूले में मचलियां बेची
02:28लेकिन महिला ने उसे धोका देते हुए उसकी धोका धरी का रायजगार बताते हुए उसे फसा दिया
02:37रामों धमकी देने लगा लेकिन महिला उसके सामने नहीं धरी
02:42महिला ने अपनी बात अंग्रेजी में बताई जिससे रामू को समझ में नहीं आया और वहाँ उसे छोड़ दिया
02:51रामू अब ठक गया था
02:53उसने एक बार फिर सोचा कि वहाँ उबली हुई मचलियों को बेच कर पैसे कमा रहा है
03:00लेकिन अस्वस्थ लोगों की वजह से वहाँ एक अपमानत व्यक्ती बन गया है
03:06उसने फिर से सोचा कि उसकी दुकान में उबली हुई मचलियों को बेचने से भैतर होगा कि वहाँ अच्छी गुर्वत्ता की मचलियां लेकर अपनी दुकान में बेचे
03:17रामू ने अपनी दुकान को बदल दिया और अब वहाँ उच्छ गुर्वत्ता की मचलियां बेचता था
03:25लोग अब उसकी दुकान से मचलियां नहीं खरीदने लगे और उसकी दुकान में कोई नहीं आने लगे
03:32रामू ने जो उपाय किया था उससे उसे अधिक दुकान से लोग दूर भागते थे
03:39रामू ये सोचता है कि व्यापार चालाकी से नहीं सही तरीके से काम करने से सफलता मिलती है
03:49त्वारेश्वर नामक गाउ में मस्तान नामके तसाई रहता था
03:54उस गाउ में बखरे का मांच सिर्फ मस्तान के दुकान में मिलता था
04:01इतना ही नहीं हर शुबकार्य और दावत के लिए मस्तान के ही दुकान से मांच लाया जाता था
04:08ऐसे एक दिन उस गाउं के जमनदार का सेवक मस्तान के दुकान को आता है
04:16हेल मस्तान, कल जमंदार के महल में एक बड़ी दावत रखी जा रहा है
04:22उस दावत को बहुत बड़े लोग और अमीर लोग आने वाले हैं
04:27सो लोगों के लिए खाना बनवा रहे हैं
04:29उसके लिए तुम्हें 15 किलो मांस ताजा काटके
04:33कल सुबच 6 बजे को महल लेके आना होगा
04:36पैसे तुम्हें वहीं पे मिलेंगे
04:38मस्तान सलमान के बाद को मान लेता है
04:41लेकिन उसके पास 15 किलो का मांस नहीं होता है
04:46इसलिए वो बकरी वाले के पास जाता है
04:49रमेश भया, रमेश भया
04:52दर्वाजा खट-कट आता है
04:54अरे क्या हुआ मस्तान, इस समय पे आये, बात क्या है
04:58जमंदार के घर में दावत के लिए मुझे 15 किलो मांस की जरूरत है
05:03मैंने वचन दिया कि सुबच 6 बचे उनको मांस पहुचा दूँगा
05:07समय ना होने के कारण मैं अभी तुमसे बकरी खरीदने आया
05:11आहां, तो ये है बात
05:14ठीक है, 2000 रुपए दे के बकरी ले जाओ
05:18ये क्या भाया, 1000 ही तो है
05:21अब जमंदार के लिए है तो कम से कम 2000 होगा ही न
05:25अगर तुम्हें नहीं चाहिए तो रहने दो, मैं आराम से सो जाओंगा
05:29नहीं नहीं भाया, मैंने वचन दिया है, अब पीचे नहीं हट सकता
05:34मैं दे दूंगा 2000
05:35ऐसे कहकर, 2000 दे के बकरी खरीद के घर चलते हुए सोचता है
05:43जमाई हुए पैसे एक दिन में खर्चों गए
05:46हम, कोई बात नहीं
05:49जमंदार के दावत के लिए मांस पहुचाने के बाद पैसे मिलेंगे न, अभी जल्दी से काम शुरू करके सुबह तक पहुचा देना होगा
05:57ऐसे सोचकर, मांस को साफ करके, उसके तुकड़े तुकड़े काटके, सारी रात मेहनत करके 15 किलो मांस को तयार रखता है
06:07अगले दिन सुबह, दिये हुए वचन के अनुसार, 6 बजे को जमंदार के महल पहुचता है
06:14भाया, मैं सेवक सलमान के लिए आया हूँ, क्या आपको पता है कि वो कहा है?
06:19ये सुनकर, दूसरा सेवक मस्तान को बाहर इंतजार करने के लिए कहता है
06:24वो मस्तान के हाथ से मांस लेते हुए कहता है कि सलमान को भेजेगा और उसे पैसे मिलेंगे
06:30मस्तान भी उस सेवक का बात मान कर बाहर इंतजार करता है
06:35लेकिन सेवक उसके हाथ में मांस को देख सोचता है
06:42इस 15 किलो मांस से अगर मैं एक किलो ले लू तो किस को बता चलेगा?
06:46किसी को भी नहीं बता चलेगा?
06:48ऐसे उस कवर में से एक केजी मांस को छुपा के बाकी को देने जाता है
06:53सलमान को देखके कहता है
06:55साब मस्तान ने यह आपको देने के लिए कहा है
06:59वो पैसों के इंतजार में बाहर खड़ा है
07:02सलमान सेवक के हाथ से मांस लेके सीधा रसोई घर जाता है
07:07ये जानके कि मस्तान बाहर पैसों का इंतजार कर रहा है
07:12बावर्ची के पास जाकर सलमान कहता है
07:15सारे व्यंजन स्वादिश्ट होनी चाहिए ध्यान से पकाना
07:19ऐसे कहकर चला जाता है
07:21बावर्ची पकाते हुए
07:23है इतने मांस से अगर मैं दो केजी लेलू तो किसको शक होगा
07:28किसी घोबी नहीं होगा
07:30ऐसे सोच कर मांस को छुपा के बाकी को पकाता है
07:34दावत के व्यंजन की तयारी के लिए जिम्मधार किशन
07:38व्यंजनों का स्वात चक के
07:40कुछ सेवकों की सहायता से
07:42उन सभी में से थोड़ा थोड़ा अपने लिए ले लेता है
07:46आए हुए मैमान सारे दावत की खाना शुरू करते हैं
07:50और जल्द ही आपस में बात करना शुरू करतेते हैं
07:54ये क्या इतना अमीर और सम्मानेत आदमी अच्छा नाम है इनका
07:59मगर खाने में कमी क्यों
08:00हाँ अगर खाना कमी पढ़ना है तो ऐसी दावत की तयारी बाला क्यों करें
08:06ऐसे सारे लोग खुस पुसाते हैं
08:09ये सब सुनके जमंदार सहन नहीं कर पाते हैं
08:13दावत के खतम होने के बाल ख्रोधित होके सारे लोगों को सभावे बुलाते हैं
08:19खास करके दावत के लिए जम्मदार लोगों को और उनको सवाल करना शुरू करते हैं
08:25दावत की तयारी के लिए जम्मदार किशन से पूछते हैं
08:29दावत की जिम्मेदारी सौंपने पर तुम ये करोगे?
08:32सभी तयारी किया मैंने
08:34लेकिन व्यांजनों के लिए मात्रा पहले से ही कम पड़ गए थी प्रबू
08:38मेरा इस बात से कोई लेना देना नहीं
08:40आप बावर्ची से पूछे प्रबू
08:42ऐसे उसनी अपनी किये को छुपा कर किसी और पर इलजाम डाल देता है
08:47तब बावर्ची छुपाए हुए दो किलो मांस की बात को छुपा के
08:52कहता है कि दावत की सामगरी के लिए जिम्मेदार सल्मान के पास इसका जवाब होगा
08:59ऐसे उस बात से छुटकारा बाता है
09:02सल्मान भी औरों की तरह मांस के दिये गए 6,000 रुप्यों को मस्तान को ना देकर अपने ही पास रखके ये जानते हुए कि मस्तान पैसों का बाहर इंतिजार कर रहा है जमंदार से ये बात छुपाता है
09:17और कसाई मस्तान पैं इलजाम डाल देता है कि उसने मांस कम मातरा में दी है अभी जाके मैं इसका काम तमाम करता हूँ प्रभू ऐसे कहता है उसी सभा में मौझूद मस्तान उस इलजाम का सहन नहीं कर पाता है
09:33सभा में से जमंदार के सामने आके कहता है जमंदार साथ इस पूरे गाउं में मैं अकेले कसाई हूँ पिछले दस साल से मैं ये व्यापार कर रहा हूँ और इतने साल से आपके घर में हर कार्य और हर दावत पे मैंने खुद मांस दी है
09:50मगर कभी भी ऐसी मुसीबत नहीं आई
09:52आपके घर में दावत का नाम सुनते ही
09:56हजार के बकरी को दो हजार में बेचते हैं
09:59सुबह आके मैंने मांस को पहुचा दिया
10:02और आपके सेवक सल्मान ने मुझे
10:04मांस के पैसों के लिए सुबह से इंतजार करवाया
10:07सल्मान को मांस देने के बहाने से एक और सेवक मेरे हाथ से मांस लिया
10:13और मुझे बाहर इंतजार करने के लिए कह दिया
10:16और ये भी कहा कि वो सल्मान को बुलाएगा
10:19उसके बाद इन में से कोई भी मेरे पास नहीं आया
10:23रुप्या मेरा यकीन के जे प्रभू आप ही की दया से जी रहा हूँ
10:27मस्तान मुझे तुम्हारे बारे में पता है तुम फिकर मत करो
10:31सैनिको सलमान के कपड़े खोजो देखो अगर 6,000 रुपए मिलते हैं
10:36खोजने पर सलमान के जिब में 6,000 रुपए मिलते हैं
10:40ऐसे उन सब में से सर्मान पकड़ा जाता है और इतना ही नहीं किशन जिन सेवकों के सहायता से
10:46सभी वेंजनों से थोड़ा अपने लिए ले लेता है उनमें से एक सहायक जमन्दार को सच कह देता है
10:53बावच्ची का जूट बैग में रखे मांस कोई सेवक को मिलने पर बाहर आ जाता है
10:59और पहला सेवक जिसने एक किलो छुपा लिया उसने डर के मारे अपनी गलती मान ली
11:05तब जमंदार सभी को डंडित करते हैं
11:12और मस्तान को उसके पैसे 6000 दे देते हैं
11:16और ये भी कहते हैं कि वो मस्तान के लिए हमेशा रहेंगे
11:19तो इस कहानी का नैतिक क्या है?
11:23गलती का सजा मिलेगी ही मिलेगी
11:25इसलिए इमानदारी से जीना ही अच्छा है
11:30एक समय में एक गाह में वीरेंद्रा नामक एक बड़े आदमी रहते थे
11:35वो बुड़ा आदमी उसके बेटे रोहित, बहु सरला और पोता रोशन के साथ एक छोटे से गर में रहता था
11:43रोहित उसी गाह में खुद के व्यापार करता था
11:46उसमें चिकन रोल्स और एक रोल्स बनाकर उन्हें बेचता था
11:50और उसके द्वारा आये हुए पैसो से उसके परिवार का देख बाल करता था
11:54एक दिन वो हमेशा की तरह चिकन रोल्स बनाके बेचने लगता है
11:58चिकन रोल, चिकन रोल, करमा गरम चिकन रोल, स्वाधिश चिकन रोल, आईए बबू, आईए
12:04ऐसे जोर-जोर से चलाते हुए आते जाते लोगों को वो पुकारता था
12:08एक दिन उसके पिता उसके दुकान जाते हैं
12:11बेटा रोहित मुझे बहुत भूक लग रहा है
12:14बहु ने अब तक घर में कुछ बनाया नहीं
12:17और मैं रुक नहीं पा रहा हूँ
12:18इसलिए मैं यहां आया हूँ
12:20अगर आपको इतना भूक लग रहा है तो घर पे खाना चाहिए था
12:24अगर बहु ने कुछ बनाये नहीं तो रुक लेना था
12:26लेकिन ऐसे दुकान आ जाना क्या है
12:28आप क्या समझ रहे थे पापा
12:30आप वहां खड़े होकर मेरा समय व्रिदा मत कीजिए
12:32चलिए घर चले जाए
12:34उसके बेटे के ऐसे बात करने के कारण
12:36वो निराश होके वहां से उसके घर चले जाता है
12:39अपने बेटे और बहु को उनकी तरफ ऐसे बरताव करते हुए देख
12:43और बिल्कुल भी गौरफ से पेशाते हुए ना देख
12:46वो बूड़े आदमी बहुत बुरा मानते थे
12:48इतना हो जाने के बाद भी वो घर चोड़कर इसलिए नहीं जाते थे
12:51क्योंकि उनको बेटे पे बहुत प्यार था
12:54इसलिए वो सहते हुए वो गम में ही जी लेते थे
12:56दूसरी तरफ रोहित को उसके बेटे रोशन से बहुत प्यार था
13:00वो अपने बेटे को बहुत लाड़ करता था
13:03और जो भी उसको पसंद था वो हमेशा उसको देता था
13:06और उसका सारा खाली समय वो सिर्फ अपने बेटे से खेलते हुए बताता था
13:10एक दिन अचानक रोशन को बुखार आता है
13:13और जब रोहित को ये बात पता चलता है तो वो अपना दुकान, व्यापार, सब छोड़कर
13:18घर जाके सिर्फ उसके बेटे के ख्याल रखने में लगे रहता है
13:23वो दुकान ना जाकर सिर्फ घर पे रहके उसके बेटे का देखबाल करते हुए
13:27उसी के बारे में सोचते हुए दुख में ही बैठे रहता है
13:31उसे ऐसे दुखी देख, उसके पिता रोहित के पास जाकर ऐसे कहते है
13:34बेटा रोहित, फिकर मत करो, रोशन को बुखार आया है, वो ठीक हो जाएगा बेटा
13:40पापा, आपको क्या पता, बुखार है, कम हो जाएगा, यही कहना है आपको, जैसे आपको सब कुछ पता है
13:47ऐसे वो गुसे में उसके पिता से बात करता है
13:49हाँ, मैं तो अपने बेटे को ऐसे दुखी नहीं देख पा रहा था
13:53इसलिए उसके पास जाकर मैंने ऐसे कहा
13:56लेकिन मेरे बेटे ने मुझे कभी समझा ही नहीं
13:59इसलिए वो गुसे में बात करता है हमेशा मुझसे
14:01एक समय में मैंने भी अपने बेटे का ऐसे ही खियाल रखा था
14:05लेकिन अब तो मेरा बेटा मुझसे बात भी नहीं करना चाता है
14:08ऐसे सोचते हुए वो बहुत दुकी होता है
14:11और उसके बेटे पे प्यार को अपने ही अंदर रखके वो वहां से चले जाता है
14:16अगले दिन भीरोहित के बेटे का बुकार कम नहीं होता है और इसी कारण रोहित उसके बेटे को लेकर उसके घर के बाहर बैठके उसको देखके दुखी होते रहता है
14:27ऐसे जब बाप बेटे दोनों वहाँ पे बैठे थे
14:30उनसे कुछी दूर में दीवार पे एक कववा बैटा था
14:34उसे देख विरेंद्रा ऐसे पूछता है
14:37बेटा रोहित वो दीवार पे क्या बैठा है?
14:41मुझे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा है
14:43तुम बताओगे?
14:44पापा वो कववा है
14:45बेटा शायद वो कववा नहीं है
14:49ठीक से देखो
14:50आपको तो दिखाई नहीं देता है
14:52जब मैं कह रहा हूँ कि वो कववा है
14:54तो आप मान क्यों ले लेते हो?
14:56एक और बार मत पूछेगा वो कववा ही है
14:58ऐसे उसके गुसे में जवाब देने के बावजूद
15:00उसके पिता फिर से पूछते हैं कि वो क्या है
15:03पापा आपको कितने बार पताओँ मैं
15:06वो कववा है कववा है कववा है
15:07आपने अगर एक और पार पूछा
15:09तो अच्छा नहीं रहेगा
15:10ऐसे वो और गुस्रे में जवाब देकर उठकर वहां से चले जाता है
15:14उसके बेटे को वहां से उठके चले जाते हुए तेक वो और भी दुखी होते हैं
15:19ऐसे कुछ दिन बीच जाते हैं
15:20एक दिन रोहित अपने बेटे को उठा कर खेलते हुए उसके घर के सामने रहता है और ठीक तबी उसके घर के दिवार पे कवा आता है
15:29पापा पापा वो दीवार पे क्या है बेटा उसको कववा बुलाते हैं तुम भी उसे बुला सकते हो चलो बुलाव कववे को तुम्हारे पास
15:51ऐसे वो अपने बेटे को कववे के बारे में सिखाते रहता है लेकिन उसके बेटे को कुछ भी समझना आने के कारण वो लगातार एक ही प्रशन पूछता है कि वो क्या है और उसे क्या बुलाते हैं और ऐसे बीस बार करता है इतने बार पूछने के बावजूत रोहित उसे ब
16:21और इसलिए क्योंकि उनको दिखाई भी नहीं दे रहा था लेकिन जब मेरे बेटे ने 20 बार भी पूछा तो मैंने उस पे जरा सा भी गुसा नहीं दिखाया और बहुत सब्र से उसको सब कुछ समझाया
16:32मेरे पापा ने भी मेरा इतना ही ख्याल रखा था बच्पन में लेकिन बड़े हो जाने के पाथ मैं उनका ख्याल नहीं रख रहा हूं ऐसे सोचते हुए वो बहुत दुखी होता है और ठीक तबी उसको घर के अंदर से जोर-जोर के आवासे आने लगती है मेरी बीवी किससे �
17:02बहु को ऐसे बात करते हुए चिलाते हुए देख वो कुछ नहीं कहते हैं और बस चुप-चाप बैठे रहते हैं सरला मेरे पापा बूड़े है क्या बड़ो से ऐसे ही बात किया जाता है उनका देखबाल करना हमारी जिम्मेदारी है ये मत भूलो और तुम पापा से ऐसी �
17:32अगर हम पापा से ऐसे ही बात करेंगे तो वो भला क्या सिखेगा यही ना इसलिए आज से हमें ये सब बदलना होगा तुम पापा से अच्छी तरीके से बात करोगी उनको गौर दोगी आज से हम जैसा देखबल हमारे बेटे के करते हैं वैसे ही पापा का भी करेंगे ये �
18:02बेटा तुम्हें बदलाव आ गया है बस यही काफी है इस सिंदगी के लिए मेरे बारे में ऐसा सोचकर दुखी मत हो बेटा तुम बदल गए हो मैं खुश हूँ जी पापा आएंदा मैं आपको कभी ऐसे दुख नहीं पहुचाऊंगा और आपसे कटोर तरीके में नहीं ब
18:32इसी खुशी में जीते रहते हैं और ऐसे रोयत को उसके गलती का एसास होकर उसके दुखान में चिकन रोल्स एग रोल्स बनाते हुए घर को भी संभालता है और ऐसे सभी खुश रहते हैं
19:02उन्होंने बहुत सारी स्वस्थ गायों को पाला जो अच्छा और गाढ़ा दूद देते थे
19:08ये दूद सारे गाव में बेचा जाता था
19:21कबीर सिंग खुद सब कुछ समालता था
19:24कबीर सिंग की पीडी भी महराजा के लिए काम करते आ रहे थे
19:29और इस वज़ा से चंद्रसेना उसका बहुत आदर करते थे
19:33कबीर सिंग ने भी राजा को कभी भी निराश नहीं किया
19:41सारे गाव में उसका अच्छा नाम था
19:43हर रोज कबीर सिंग खेत पर जाता था
19:48उसने बहुत लोगों को काम पे रखा गायों की देख बाल के लिए
19:52ताकि वे अच्छे से खाए और सीहत मन रहे
19:55गायों को घास चराने के लिए वो दिन में कम से कम दो बार भेजता था
20:01वो हमेशा ध्यान रखता था कि दूद साफ सुत्रा रहे
20:14दूद निकालने के बाद वो दस दूद वालों को देता था
20:22ताकि वो गाव में जाकर बेच दे
20:24दूद वाले कबीर सिंग को पैसे देते थे
20:33और कबीर जाकर चंदर सेना को
20:37चंदर सेना ने देखा कि कैसे कबीर इमानदारी से काम करता था
20:44और उस पे पूरा भरोसा रखा
20:46महराज कबीर के साथ अच्छा बरताव करते थे
20:50और कबीर राजा के बारे में भी अपने बेहनों को बताया करता था
20:55एक दिन जब कबीर घर वापस आया
20:59तो उसने अपने बेहनों को बहुत गुसे में और परिशानी में देखा
21:06क्या बात है तुम सब इतने गुसे में क्यों हो
21:10हम तीनों की उमर हो गई है शादी के लिए
21:14पर क्या फैदा शादी के लिए पैसे ही नहीं है
21:17कपड़े और गेहनों को छोड़ो
21:20हमारे पास खाने पीने के लिए पैसे काफी नहीं है
21:23मैं तुम लोगों के लिए ही इतना मेहनत करता हूँ
21:26अगर इससे भी खुश नहीं हो तो मेरी सारी मेहनती विकार हो रही है
21:31आप तो महराजा के मंत्री हो ना पर आप अपनी आमदनी किसी भी ज़रूरत मन को दे देते हो
21:38और आप दूद का कारोबार भी समाल रह रहों ना अकेले
21:41उसमें भी कोई मुनाफ़ा नहीं मिल रहा है आपको
21:44ऐसा क्यूँ शायद हमारी कोई फिकर नहीं है इसलिए
21:49तीनों बहने रोने लगी और कबीर को बहुत बुरा लगा
21:54अब तुम सब मत रो मुझे बरदाश नहीं होता
21:58अब बोलो में क्या करूँ मैं वही करूँगा
22:11बेचोगे तो आप ज्यादा बेचपाओगे
22:14हाँ और अधिक दोट से आप ज्यादा मुनाफ़ा भी कमा सकते हो
22:18पर ये तो धोका हुआ मैं राजा के साथ ऐसा नहीं कर सकता
22:23कबीर सिंग ने ऐसा करने से मना कर दिया था
22:26और उसकी बहनों ने उसको भावो करके
22:29जैसे तैसे उससे ये काम करवा ही दिया
22:36कबीर सिंग अक्सर कमाय गए पैसे राजा को देता था
22:44और बागी के पैसे अपनी बहनों को देने लगा
22:48मुझे ऐसा करना नहीं पसंद ये आखरी बार है
22:53इसकी बाद मुझे ये सब करने के लिए नहीं बोलना
22:56कबीर की बाते सुनकर बहनों ने उसको पैसे वापस के
23:00और घर छोड़कर जाने का नाटक करने लगे
23:03कबीर के पूछने पर तीनों ने धमकी दी
23:06कि वे घर छोड़कर चली जाएंगे
23:08मजबूर होकर कबीर को उनकी बात माननी ही पड़ी
23:12कमाए गए पैसे राजा को देखकर
23:18अधिक पैसे अपनी बहनों को देनी लगा
23:22ये सिलसला कई दिनों तक चलता रहा
23:25कुछ ही समय में कबीर के बहने नए नए साडियां और गहने खरीदनी लगे
23:32और अच्छा खासा खाने भी लगे
23:35उनकी जिन्दगी ही बदल गई
23:37घर पर बैठे बिना तीनों सच धच के बाहर गुमने लगे
23:41सब के आगे दिखावा करने के लिए
23:44गाउं के सारी लोग हैरान रह गए और आपस में बाते करने लगे
23:55ये तीन भेने कबीर की कमाई को ऐसे इस्तिमाल कर रहे हैं
24:00मैंने कभी नहीं देखा किसी को ऐसा करते हुए
24:03पर कबीर सिंग के पास इतने पैसे आये कहां से
24:08सब लोग कबीर के बारे में बाते करने लगे और बाकी के मंतरी कबीर की कमाई पर इर्शा करने लगे
24:15तो इस बात पर जांश करना शुरू कर दिये
24:18जल्द उनको सच पता चल गया कि वह दूद में पानी मिला कर बेच रह था
24:2370 फीसद राजा को देकर बाकी के 30 फीसद अपने जेब में डाल रहा था
24:28खेट के कारिगरों से मंतरीों ने ये बात का पता लगाया
24:32सारे मंतरी गये राजा के पास
24:34और उनको पूरा सच बता दिया
24:38अब क्योंकि राजा को कबीर से बहुत लगाव था उनको इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ पर उनके पास और कोई रास्ता नहीं था
24:46सिवाए कबीर को दंड देने का
24:50तीनों बहने आय कैद खाने अपने भाय को देखने के लिए और उनको बहुत बुरा लगा कि उनकी ही वज़ा से उनका भाय आज जेल में बंद पड़ा है
25:00बहनों को अपनी गलती का एहसास हुआ और तीनों गए महराजा के पास और उनको सब सच बताया कि असल में ये सब उन तीनों की ही गलती है और कबीर दोशी नहीं है
25:11उन्होंने राजा से भीक मांगी कबीर को छोड़ने के लिए
25:15जब राजा न ये सब सुना तो और होने तीनों बहनों को भी कबीर के साथ कैद खाने में ही डाल दिया
25:22और कहा दंड केवल गलत करने वाले को ही नहीं
25:26गलत सोचने वाले को और गलती में हिस्सा लेने वाले को भी मिलनी चाहिए
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