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  • 5/10/2025
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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आज की मुरली
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आज की मुरली मधुबन

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Transcript
00:00मुरली अम्रित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती
00:27आई सुनते हैं
00:29बारह मई दो हजार पच्चीस दिन सोमवार की साकार मुरली
00:35शिव बाबा कहते हैं मिठे बच्चे
00:39धन्धा आदी करते भी सदा अपनी गौडली स्टुडेंट लाइफ और स्टडी याद रखो
00:45स्वयम भगवान हमको पढ़ाते हैं इस नशे में रहो
00:49प्रश्न
00:51जिन बच्चों को ग्यान अमरित हजम करना आता है उनकी निशानी क्या होगी
00:58उत्तर
00:59उन्हें सदा रूहानी नशा चड़ा रहेगा और उस नशे के आधार पर सबका कल्यान करते रहेंगे
01:07कल्यान करने के सिवाए दूसरी कोई बात करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगेगा
01:13कांटों को फूल बनाने की ही सेवा में बिजी ही रहेंगे
01:17ओम शान्ती
01:19अब तुम बच्चे यहां बैठे हो और यह भी जानते हो कि अभी हम पाट धरी है
01:2584 जन्मों का चक्र पूरा किया है
01:28यह तुम बच्चों की स्मृति में आना चाहिए
01:32जानते हो कि बाबा आया हुआ है
01:34हमको फिर से राज्य प्राप्त कराने
01:37वो तमो प्रधन से सतो प्रधन बनाने
01:39यह बातें सिवाए बाब के और कोई नहीं समझाएंगे
01:43तुम जब यहाँ बैठते हो तो तुम जैसे स्कूल में बैठे हो
01:48बाहर हो तो स्कूल में नहीं हो
01:51जानते हो यह उँच ते उँच रूहानी स्कूल है
01:54रूहानी बाब बैठ पढ़ाते है
01:57पढ़ाई तो बच्चों को याद आनी चाहिए न
02:00ये भी बच्चा ठेरा
02:02इनको अत्वा सभी को सिखलाने वाला वह बाप है
02:05सब मनुष्य मातर की आत्माओं का बाप वह है
02:09वह आकर शरीर का लोन लेकर तुमको समझा रहे है
02:13रोज समझाते हैं
02:16यहां जब बैठते हो तो बुद्धी में स्मिर्थी रहनी चाहिए
02:20कि हमने 84 जन्म लिए
02:22हम विश्व के मालिक थे
02:24देवी देवता थे
02:26फिर पुनर जन्म लेते लेते आकर पट पड़े है
02:29भारत कितना सॉल्वेंट था
02:32सारी समिर्थी आई है
02:34भारत की ही कहानी है
02:37साथ साथ अपनी भी
02:38अपने को फिर भूल न जाओ
02:41हम स्वर्ग में राज्य करते थे
02:43फिर हमको 84 जन्म लेने पड़े
02:45ये सारा दिन
02:47स्मिर्थी में लाना पड़े
02:48धंधा आदी करते स्टेडी
02:50तो याद आनी चाहिए न
02:52कैसे हम विश्व के मालिक थे
02:55फिर हम नीचे उतरते आए
02:57बहुत सहज है
02:58परन्तु यह याद भी कोई को
03:01रहती नहीं है
03:02आत्मा पवित्र न होने कारण
03:05याद खिसक जाती है
03:06हमको भगवान पढ़ाते हैं
03:09यह याद खिसक जाती है
03:11हम बाबा के स्टूडेंट है
03:13बाबा कहते रहते हैं
03:16याद की यात्रा पर रहो
03:18बाप हमको पड़ा कर यह बना रहे है
03:21सारा दिन यह स्मृति आती रहे
03:23बाप ही स्मृति दिलाते हैं
03:26यही भारत था ना
03:27हम सो देवी देवता थे
03:30सो अब असुर बने है
03:31पहले तुम्हारी भी बुद्धी असुरी थी
03:34अब बाप ने इश्वरिय बुद्धी दी है
03:37परन्तु फिर भी कोई कोई की बुद्धी में बैठता नहीं है
03:41भूल जाते हैं
03:43बाप कितना नशा चड़ाते हैं
03:45तुम फिर से देवता बनते हो तो वह नशा रहना चाहिए न
03:49हम अपना राज्य ले रहे हैं
03:52हम अपना राज्य करेंगे
03:53कोई को तो बिलकुल नशा चड़ता नहीं है
03:56ग्यान अमरित हजम ही नहीं होता है
03:59जिनें नशा चड़ा हुआ होगा
04:01उन्हें किसका कल्यान करने के सिवाए
04:04दूसरी कोई बात करना भी अच्छा नहीं लगीगा
04:06फूल बनाने की सर्विस में ही लगे रहेंगे
04:09हम पहले फूल थे फिर माया ने कांटा बना दिया
04:13अब फिर फूल बनते हैं
04:16ऐसी ऐसी बातें अपने से करनी चाहिए
04:19इस नशे में रहे तुम किसको भी समझाएंगे
04:22तो जट कोई को तीर लगेगा
04:25भारत गार्डन ओफ अल्ला था
04:28अब पतिद बन गया है
04:30हम ही सारे विश्व के मालिक थे
04:33कितनी बड़ी बात है
04:34अभी फिर हम क्या बन गये है
04:37कितना गिर गये
04:38हमारे गिरने और चड़ने का यह नाटक है
04:42यह कहानी बाप बैट सुनाते है
04:45वह है जूठी
04:46यह है सच्ची
04:48वह सत्य नाराण की कथा सुनाते है
04:51समझते थोड़े ही है
04:53कि हम कैसे चड़े फिर कैसे गिरे है
04:56यह बाप ने सच्ची सत्य नाराण की कथा सुनाई है
05:00राजाई कैसे गवाई
05:02यह सारी है अपने उपर
05:04आत्मा को अभी मालूम पड़ा है
05:06कि हम कैसे अब बाप से राजाई ले रहे है
05:10बाप यहाँ पूछते हैं तो कहते हैं
05:13हाँ नशा है फिर बाहर जाने से कुछ भी नशा नहीं रहता
05:17बच्चे खुद समझते है
05:20भल हाथ तो उठाते हैं
05:23परन्तु चलन ऐसी है जो नशा रहना सकी
05:26फिलिंग तो आती है ना
05:29बाप बच्चों को समर्थी दिलाते है
05:32बच्चे तुमको मैंने राजाई दी थी फिर तुमने गवा दी
05:37तुम नीचे उतरते आये हो क्योंकि यह नाटक है
05:41चड़ने और उतरने का
05:43आज राजा है कल उसको उतार देते है
05:47अकबार में बहुत ऐसी ऐसी बाते पड़ती है
05:50जिसका रिस्पॉंड दिया जाए तो कुछ समझे
05:53यह नाटक है
05:55यह याद रहे तो भी सदयोखुशी रहे
05:59बुद्धी में है ना
06:01आज से पांच हजार वर्ष पहले
06:03शिव बाबा आया था
06:05आकर राजयोग सिखाया था
06:08लड़ाई लगी थी
06:09अभी यह सब राइट बाते बाप सुनाते है
06:13यह है पुरुशुत्तम युग
06:16कल युग के बाद यह पुरुशुत्तम युग आता है
06:19कल युग को पुरुशुत्तम युग नहीं कहेंगे
06:22सत्य युक को भी नहीं कहेंगे
06:25कहते हैं
06:27उनके बीच का है ये संगम युक
06:29जबकि पुरानी दुनिया से
06:31नई दुनिया बनती है
06:33नई से पुरानी होने में
06:35सारा चक्र लग जाता है
06:37अभी है संगम युक
06:39सत्युक में देवी देवताओं का राज्य था
06:43अब वह है नहीं
06:45बाकी अनेक धर्मा गए है
06:47यह तुम्हारी बुद्धी में रहता है
06:50बहुत है जो छे से आठ मास
06:53बारा मास पढ़कर फिर गिर पढ़ते है
06:56फेल हो पढ़ते है
06:57भल पवित्र बनते हैं
07:00परन्तु पढ़ाई नहीं करते
07:01तो फंस पढ़ते है
07:03सिर्फ पवित्रता भी काम नहीं आती
07:06ऐसे बहुत सन्यासी भी है
07:09वो सन्यास धर्म छोड़ जाए
07:11ग्रहस्ती बन जाते है
07:13शादी आदी कर लेते है
07:15तो अब बाप बच्चों को समझाते है
07:18तुम स्कूल में बैठे हो
07:20यह स्मृती में है
07:22हमने अपनी राजाई कैसे गवाई
07:24कितने जन मलिये
07:26अब फिर बाप कहते है
07:28विश्व के मालिक बनो
07:30पावन जरूर बनना है
07:32जितना जास्ती याद करेंगे
07:35उतना पवित्र होते जाएंगे
07:37क्योंकि सोने में खाद पड़ती है
07:39वह निकले कैसे
07:41तुम बच्चों की बुद्धी में है
07:44हम आत्मसतो प्रधन थी
07:4624 केरेट थी
07:48फिर गिरते गिरते ऐसी हलत हो गई है
07:50हम क्या बन गए
07:52बाप तो ऐसे नहीं कहते
07:55कि हम क्या थे
07:56तुम मनुश्य ही कहते हो
07:59हम देवता थे
08:00भारत की महिमा तो है न
08:02भारत में कौन आते हैं
08:05क्या ग्यान देते हैं
08:06ये कोई नहीं जानते
08:07ये तो पता होना चाहिए न कि
08:10लिब्रेटर कब आते हैं
08:12भारत प्राचिन गाया जाता है
08:14तो जरूर भारत में ही
08:16reincarnation होता होगा
08:18अथवा जेनती भी भारत में ही
08:20मनाते हैं
08:21जरूर फादर यहां आता है, कहते भी हैं भागी रत, तो मनुष्य शरीर में आया होगा ना, फिर घोड़े गाड़ी भी दिखाई है, कितना फर्क है, श्री कृष्ण और रत दिखाया है, मेरा किसको पता नहीं है, अभी तुम समझते हो बाबा इस रत पर आते हैं, इनको ही �
08:51किस ने दिया, बाबा नहीं बनवाया ना, अभी तुम समझते हो बाबा इस ब्रह्मा रत में आये हैं, ब्रह्मा सो विष्णू विष्णू सो ब्रह्मा, ये भी बच्चों को समझाया है, कहां 84 जन्म के बाद विष्णू सो ब्रह्मा बनते, कहां ब्रह्मा सो विष्णू ए
09:21Godfather ने स्वर्ग बनाया होगा।
09:24यह चित्र तो बड़ा First Class है,
09:26समझाने का शौक रहता है ना।
09:29बाप को भी शौक है।
09:31तुम सेंटर्स पर भी ऐसे समझाते रहते हो,
09:33यहां तो direct बाप है।
09:35बाप आत्माओं को बैट समझाते है।
09:38आत्माओं के समझाने और बाप के समझाने में फर्क तो जरूर रहता है।
09:43इसलिए यहां सम्मुक आते हैं सुनने लिए।
09:46बाप ही घड़ी-घड़ी बच्चे-बच्चे कहते हैं,
09:49भाई-भाई का इतना असर नहीं रहता जितना बाप का रहता है।
09:54यहां तुम बाप के सम्मुक बैठे हो, आत्माय और परमात्मा मिलते हैं, तो इसको मेला कहा जाता है।
10:01बाप सम्मुक बैठ समझाते हैं, तो बहुत नशा चड़ता है।
10:06समझते हैं, बेहत का बाप कहते हैं, हम उनका नहीं मानेंगे।
10:11बाप कहते हैं, हमने तुम को स्वर्ग में भेजा था, फिर तुम 84 जन्म लेते लेते पतिद बने हो, फिर तुम पावन नहीं बनेंगे।
10:21आत्माओं को कहते हैं, कोई समझते हैं, बाबा सच कहते हैं, कोई तो जट कहते हैं, बाबा हम पवित्र क्यों नहीं बनेंगे, बाब कहते हैं, मुझे याद करो, तो तुम्हारे पाप कड़ जाएंगे, तुम सच्चा सोना बन जाएंगे, मैं सभी का पतित पावन बाप हू�
10:51जो कोई नए आजाते हैं, उनमें भी जो यहां का फूल होगा, तो उनको टच होगा, ये कहते ठीक है, जो यहां का नहीं होगा तो समझेगा नहीं, तो तुम भी समझाओ, हम आत्माओं को बाप कहते हैं, तुम पावन बनो, मनुष्य पावन बनने के लिए गंगा स्नान करते
11:21इतने पतित बन गए हो, इसलिए आत्मा याद करती है कि आकर पावन बनाओ, बाप कहते हैं, मैं कल्प कल्प आता हूँ, तुम बच्चों को कहता हूँ, ये अंतिम जन्म पवित्र बनो, ये रावन राज्य कहत्म होना है, मुख्य बाद है ही पावन बनने की, स्वर्ग में
11:51समझ मुझ बाप को याद करो, तो पावन बन जाएंगी, खाद निकल जाएगी, मन मनाभो अक्षर याद है ना, बाप निराकार है, हम आत्मा भी निराकार है, जैसे हम शरीर द्वारा सुनते है, बाप भी इस शरीर में आकर समझाते है, नहीं तो कैसे कहें कि मा में कम या�
12:21प्रजा पिता अब प्राक्टिकल में है
12:24इन द्वारा हमको बाप ऐसे कहते हैं
12:28हम बेहद के बाप की ही मानते हैं
12:31वह कहते पावन बनो
12:32पतित पना छोड़ो
12:35पुरानी देह के अभिमान को छोड़ो
12:38मुझे याद करो तो अंतमती सोग कती हो जाएगी
12:42तुम लक्ष्मी नारायन बन जाएंगे
12:45बाप से बेमुक करने वाला मुक्य अउगुण है
12:48एक दूसरे का परचिंतन करना
12:51इविल बातें सुनना और सुनाना
12:54बाप का डिरेक्शन है तुम्हें इविल बातें सुननी नहीं है
12:58इनकी बात उनको सुनाना ये
13:03धूतिपना तुम बच्चों में नहीं होना चाहिए
13:05इस समय दुनिया में सभी विप्रीद बुद्धी है ना
13:10सिवाए राम के दूसरी कोई बात सुनाना
13:13उसको धूतिपना कहा जाता है
13:15अब बाप कहते है ये धूतिपना छोड़ो
13:19तुम सभी आत्माओं को बताओ
13:21कि हे सिताये तुम एक राम से योग लगाओ
13:25तुम हो मेसेंजर
13:27ये मेसेज दो कि बाप ने कहा है मुझे याद करो
13:31बस इस बात के सिवाए बाकी सब है धूतिपना
13:36बाप सब बच्चों को कहते है
13:39धूतिपना छोड़ दो
13:41सभी सीताओं का एक राम से योग जुडवाओ
13:44तुमारा धन्दा ही यह है
13:47बस ये पैगाम देते रहू
13:50बाप आया हुआ है
13:52कहते हैं तुमको गोल्डन एज में जाना है
13:54अब इस आयन एज को छोड़ना है
13:57तुमको वनवास मिला हुआ है
14:00जंगल में बैटे हो न
14:01वन जंगल को कहा जाता है
14:04कन्या की जब शादी होती है
14:07तो वन में बैटती है
14:09फिर महल में जाती है
14:10तुम भी जंगल में बैटे हो
14:13अब ससुर घर जाना है
14:16इस पुरानी देह को छोड़ना है
14:18एक बाप को याद करो
14:20जिनकी विनाश काले पृत बुद्धी है वह तो महल में जाएंगे
14:25बाकी विपृत का है वनवास
14:28जंगल में वास है
14:30बाप तुम बच्चों को भिन्न भिन्न रीती से समझाते हैं
14:35जिस बाप से इतनी बेहत की बाद्शाही ली है
14:38उनको भूल गए हो तो वनवास में चले गए हो
14:42वनवास और गार्डनवास
14:45बाप का नाम ही है पाग्वान
14:48परन्तु जब कोई की बुद्धी में आए
14:51भारत में ही हमारा राज्य था
14:53अभी नहीं है अभी तो वनवास है
14:56फिर गार्डन में चलते हैं
14:59तुम यहां बैठे हो तो भी बुद्धी में हैं, हम बेहत के बाप से अपना राज्य ले रहे हैं, बाप कहते हैं, मेरे साथ प्रीत रखो, फिर भी भूल जाते हैं, बाप उल्लना देते हैं, तुम मुँ बाप को कहां तक भूलते रहेंगे, फिर गोल्डन एज में में कैसे �
15:29प्रीत बुद्धी होना है, सबसे फर्स्ट क्लास माशूख है, जो तुम को भी फर्स्ट क्लास बनाते हैं, कहां थर्ड क्लास में बकरियों मिसल ट्रैवल करना, कहां एर कंडिशन में, कितना फर्क है, ये सब विचार सागर मंधन करना है, तो तुम को मज़ा आएगा, ये �
15:59मीठे मीठे सिकील धे बच्चों, प्रती मात पिता बाप दादा का याद प्यार, और गुड मॉर्निंग, रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते, हम रूहानी बच्चों की रूहानी मात पिता बाप दादा को याद प्यार, गुड मॉर्निंग और नमस्ते, धा
16:29सुनानी है। एक की बात दूसरे को सुनाना पर चिंतन करना ये धूती पना है। इसे छोड़ देना है।
16:39दो, एक बाप के साथ प्रीत रखनी है। पुरानी देह का अभिमान छोड़ एक बाप की याद से स्वैम को पावन बनाना है।
16:49वर्दान, समाने की शक्ति द्वारा रौंग को भी राइट बनाने वाले विश्व परिवर्तक भव। दूसरे की गलती को देख कर स्वैम गलती नहीं करो।
17:01अगर कोई गलती करता है तो हम राइट में रहे। उसके संग के प्रभाव में ना आए। जो प्रभाव में आ जाते हैं वह अलबेले हो जाते हैं।
17:12हर एक सिर्फ ये जिम्मेवारी उठा लो कि मैं राइट के मार्क पर ही रहूंगा।
17:17अगर दूसरा रॉंग करता है तो उस समय समाने की शक्ती यूज़ करो।
17:24किसी की गलती को नोट करने के बजाए उसको सहयोग का नोट दो अर्थात सहयोग से भरपूर कर दो तो विश्व परिवर्तन का कार्य सहज ही हो जाएगा।
17:36स्लोगन
17:37निरंतर योगी बनना है तो हद के मैं और मेरे पन को बेहद में परिवर्तन करो।
17:45अव्यक्त इशारे
17:47रूहानी रॉयल्टी और प्योरिटी की पर्सनेलिटी धारन करो।
17:53वर्तमान समय के प्रमान फरिष्टेपन की संपन्न स्टेज के वो बाप समान स्टेज के समी पा रहे हो, उसी प्रमान पवित्रता की परिभाशा भी अतिसूक्ष्म होती जाती है।
18:06सिर्फ ब्रह्मचारी बनना ही पवित्रता नहीं,
18:09लेकिन ब्रह्मचारी के साथ ब्रह्मा बाप के हर कर्म रूपी कदम पर कदम रखने वाले ब्रह्मचारी बनू.
18:17ओम शान्ती
18:36ये समय है बड़ा वर्दानी

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