00:00जान रखो कि दुनिया की जिन्दगी महस खेल और तमाशा और जीनत और आराइश और तुम्हारे आपस में फखर और सताइश और माल और आलाइश की एक दूसरे से ज्यादा तलब और खाइश है इसकी मिसाल ऐसी है जैसे बारिश कि उससे अगने वाली खेती किसानों को भरी
00:30काफिरों के लिए अजाब शदीद और मूमिनों के लिए ल्लह की तरफ से बखशिश और खुशनूदी है और दुनिया की जिन्दगी तो धोके का सामान है बंदो अपने परवर्दिगार की बखशिश की तरफ और जन्नत की तरफ लपको जिसका अर्ज आसमान और जमीन के