पूरा वीडियो: वेश्यावृत्ति का मूल कारण || आचार्य प्रशांत (2024)
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00:00अतीत में जो विशाले रहे हैं वो सिर्फ देह की कामना पूरी करने की जगे नहीं रहे हैं
00:06वो कलाओं के भी केंद्र रहे हैं
00:08अब घर की नारी को तो आपने गाना औगारा और नाचना मना कर दिया था
00:11तो नाचने गाने का बहुत सारा काम वो ऐसी ही जगों पर होता रहा है जिनको हम विशाले बोलते हैं
00:18बहुत सारी कलाएं उन्हीं लोगों ने बचा के रखी है
00:21आप जिस चीज को विश्याओं के साथ जोड़ते हैं उदाहरण के लिए एक शब्द मुझरा
00:25मुझरा एक कला है विश्याओं के बदावलती बची है
00:28तो जो पुरुष विश्याले जाते रहें अतीत में उसका एक करण ये भी रहा है
00:32कि घर की नारी को तो आपने बना दिया बिलकुल उबला हुआ आलू
00:36उसको ठीक से बात करना भी नहीं आता वो पढ़ी लिखी भी नहीं है
00:39उससे कहीं स्यादा चतुर, दक्ष, निपोण, कला संपन होती थी विश्याओं
00:44तो कुछ पुरुष विश्याले सिर्फ इंटेलेक्चुल कंपनी के लिए भी जाते थे
00:48कि कहीं कोई ऐसी महिला तो मिल जिस्ते दो ढंकी बाते करी जा सके
00:51विश्यावरित्ती बस उतनी ही नहीं है जितनी विश्यालेयों में देखी जाती है
00:55और विश्यावरित्ती कोई ऐसी भी चीज नहीं है जो सिर्फ महिलाओं में पाई जाती है
00:58पुरुष भी सब विश्याई है, जो पैसे के लिए बिक गया, वो इस्तरी होगी पुरुषो, विश्याई, इसका तो अन्त यही है, यह बोध साहित्य है, इसको आगे बढ़ाया जाए, तो इंसान जानवर से थोड़ा आगे बढ़े, नहीं तो नाम का इंसान, अभीतर से ज