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  • 5/4/2025
Step into a magical world where dreams come alive and anything is possible. Fairy tales are timeless stories filled with wonder, adventure, and heartwarming lessons. From enchanted forests and talking animals to brave heroes, clever heroines, and mysterious creatures, each tale carries a spark of magic that stirs the imagination and touches the heart. Whether it’s a story of courage, kindness, love, or transformation, fairy tales take us on journeys beyond the ordinary and remind us that magic lives in the most unexpected places.

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00:00एक काउं में एक अराशीमा नाम का मचेरा रहता था वो बहुत मेहनती था और मचलियां पकड़कर अपना पेट पालता था एक दिन वो जंगल से गुजर रहा था तो उसने देखा कि एक कच्छवा जिसको एक मगरमच खाने की कोशिश कर रहा है
00:20अराशीमा ने कच्छवे की मदद की और पत्थर मार कर मगरमच को भगा दिया अराशीमा कच्छवे के पास गया और नर्मी से कच्छवे की पीट पर हाथ फेरा और प्यार से कहा हाई बिचारा लो अब तुम महफूस हो
00:35खुश किसमती से मैं यहां से गुजर रहा था और मैंने तुम्हें बचा लिया अब मैं तुम्हें तुम्हारे घर यानी समंदर में वापस छोड़ दूँगा दुबारा किसी के हाथ ता आना क्योंकि अगली बार शायद तुम्हें बचाने वाला कोई नहो
00:50यह कहते हुए और शीमा तेजी से साहिल की तरफ बढ़ा वो पत्थर उपर चलता हुआ समंदर के करीब पहुचा और नर्मी से कच्छवे को पानी में छोड़ दिया
01:01उसने कुछ लम्हों के लिए देखा कि किस तरहां वो कच्छवा लहरों में गाइब हो गया और फिर वो खुद भी घर की तरफ चल पड़ा क्योंकि वो ठक चुका था और सूरच पुरूप हो चुका था
01:14अगली सुब हमेशा की तरहां और अशीमा अपनी कश्टी लेकर मचलियां पकड़ने समंदर में चला गया
01:21मौसम बहुत खुशगवार था आसमान और समंदर दोनों नीले और धुनली धूप में नहाय हुए थे
01:29और अशीमा खौबों में खोया हुआ अपनी कश्टी को धीरे धीरे पानी में आगे बढ़ाने लगा और जाल डाल दिया
01:38अचानक उसकी ख्यालात की दुट गई जब उसने अपना नाम सुना और अशीमा और अशीमा ये आवाज घंटी की तरहां साफ और मौसम गर्मा की हवा की तरहां नर्म थी जो समंदर की वसतों में गुंज रही थी
01:53और अशीमा चौक कर खड़ा हो गया और चारो तरफ देखने लगा ये आवाज कहां से आई और अशीमा हैरत और तजस्स में डूब गया कि ये किसने इतनी साफ आवाज में उसका नाम पकारा उसने चारो तरफ नजरे दोड़ाई और फिर अचानक देखा कि एक कच्छवा
02:23कच्छवे ने सर हिलाया और अदब से कहा जी हाँ ये मैं ही था कल आपकी महरबानी की बदौलत मेरी जान बच गई और मैं आज आपका शुक्रियादा करने आया हूँ और अशीमा ने मुस्कुराते हुए कहा आओ कश्टी में आजाओ कच्छवे ने कश्टी में चड़ने क
02:53और जवाब दिया नहीं मैं सालह साल से समंदर में मच्छियां पकड़ रहा हूँ और मैंने कई बार समंदर के बाच्छा के महल के बारे में सुना है लेकिन कभी अपनी आखों से नहीं देखा अगर वह वाकई मौजूद है तो यकीनन बहुत दूर होगा
03:10कच्छवा बोला ओ वाकई तुमने कभी समंदरी बाच्छा का महल नहीं देखा तो तुमने दुनिया के सबसे शानदार नजारे को खो दिया है वो महल समंदर की गहराई में है लेकिन अगर तुम देखना चाते हो तो मैं ले जा सकता हूँ
03:26और अशीमा हैरत से बोला ये तो वाकई दिल्चस्ट लगता है मैं जरूर जाना चाहूंगा
03:32कच्छवा फॉरन बोला अगर तुम मेरी पीट पर सवार हो जाओ तो मैं तुम्हें अर्राम से ले जाओंगा
03:38ये सुनते ही और अशीमा च्छलांग लगा कर कच्छवे की पीट पर बैट गया
03:43कच्छवा पानी की गहराई में तेजी से गवता लगाने लगा
03:47दोनों अजीब साथी लंबे सफर पर निकले
03:51लेकिं धैरत अंगेस तोर पर अर्राशीमा ना तो ठका और ना ही उसके कपड़े पानी से भीगे
03:57बहुत देर बाद दूरुफक पर एक शानदार दर्वाजा नजर आया
04:03और उसके पीछे एक शानदार महल की छटे दिखाई देने लगी
04:07ये क्या है और अशीमा ने हैरानी से कहा
04:10कच्वा मुस्कुराते हुए बोला
04:12ये है रिंजिन महल का अजीम दर्वाजा
04:16और जिस बड़ी छट को तुम देख रहे हो
04:18वो समंदर के बादशा का महल है
04:21तो हम आखिर समंदरी बादशा की सलतनत
04:24और उसके महल तक पहुँच गए
04:26और अशीमा ने खुश हो कर कहा
04:28हाँ और क्या तुम्हे नहीं लगता
04:30के हम बहुत जल पहुँच गए
04:32कच्वे ने मुस्कुराते हुए कहा
04:34और इतने में वो दर्वाजे के करीबा पहुचे
04:37अब यहां से तुम्हें खुच चलना होगा
04:40कच्वा आगे बढ़ा
04:41और दर्वाजे की महाफिस जो के जल पर्मिया थी
04:45उनसे बोला
04:46ये उरशीमा है
04:47मैं उन्हें हमारे बाच्शा के दर्वार में लेकर आया हूँ
04:50दर्वाजे की महाफिस वारन ताजीम से जुग गई
04:54और दर्वाजा खोल दिया
04:56उसी लम्हे समंदरी बाच्शा के दर्वार के
04:59मौजज जरकान जिन में सुर्ख, ब्रेम मचली, फ्लाउंटर, सिवल, केटल फिश और दीगर दर्वारी शामल थे
05:06आगे बढ़े और नहायत इज़त और एहत्राम से जुगते हुए उरशीमा का इस्तगबाल करने लगे
05:13फिर जल परी उरशीमा के तरफ मतवज़ा हुई और कहा मेरे साथ चलो और कच्वा वही रुग गया
05:19ये सब उरशीमा के लिए एक खौब की मानिन था, वो एक आम सा माही गीर था, जिसे कभी किसी महल में जाने का तजर्वा नहीं हुआ था
05:28लेकिन फिर भी वो घबरहट के बगएर अपने मेज़वानों के साथ चल पड़ा
05:33जब वो महल के अंदर पहुचा तो एक हसीन शहजादी अपनी खादमाओं के साथ उसके इस्तगबाल के लिए खड़ी थी
05:40वो किसी आम इनसान से कही ज्यादा खुबसूरत थी
05:44और जब उसने बात की तो उसकी आवास पानी की सतह पर बिखरते मौसी की के सुर जैसी थी
05:51और अशीमा हैरत में गुम उसे देखता रहा और अलफास उसके लबो पर ना आ सके
05:58उसे याद आया कि उसे जुक कर सलाम करना चाहिए
06:02लेकिन इससे पहले कि वो जुक कर ताजीम करता
06:05शेहजादी ने उसका हाथ थाम लिया
06:07और एक खुबसूरत हौल में ले जाकर इज़त की नशस पर बिठा दिया
06:12और अशीमा मुझे बेहत खुशी है कि मैं तुम्हें अपने वालिद की सल्तनत में
06:17खुशाम दीद कह रही हो
06:19शेहजादी ने कहा
06:20कल तुमने एक कच्वे की जान बचाई थी
06:23और आज मैंने तुम्हें यहां इसलिए बुलवाया है
06:26कि ताके तुम्हारा शुक्रिया आदा कर सकूँ
06:28क्यूंकि वो कच्वा मैं खुद थी
06:31अगर तुम चाहो तो हमेशा के लिए
06:34यहां अब्दी जवानी की सरजमीन में रह सकते हो
06:38जहां कभी खिजान नहीं आती
06:40और जहां गम उ अलम का कोई गुजर नहीं
06:43अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी दुलहन बन सकती हूँ
06:46और हम हमेशा के लिए खुशी खुशी रह सकते है
06:50और अशीमा ने शेहजादी के दिलनशीन अलफास सुने
06:54उसके हसीन चहरे को देखा
06:56और उसके दिल में एक हैरत और खुशी की लहर दोड़ गई
07:00वो खुद से सोचने लगा
07:01क्या ये सब खुशीमा ने दिल की गहराईयों से शुक्रियादा करते हुए कहा
07:07इस हसीन सरजमीन में आपके साथ रहने के इलावा
07:11और कोई खुशी मेरे दिल में नहीं है
07:14मैंने हमेशा इस जगा के बारे में सुना था
07:17मगर आज पहली बार इसे अपनी आँखों से देख रहा हूँ
07:21यकीन ये दुनिया का सबसे शानदार मकाम है
07:24जैसे ही उसने अपनी बात मकमल की
07:27दरबार में मचलियों की एक लंबी कतार रोनमा हुई
07:30वो सब शानदार लिबास पहने हुए
07:33खामोशी और वकार के साथ अंदर दाखिल हुई
07:36एक एक करके वो नफीस मूंगे के तश्टरियों में
07:40ऐसे लजीज समंदरी पक्वान और आबी सबजियां लेकर आई
07:44जिनका तसवर भी मुम्किन न था
07:46ये शानदार जियाफत और अशीमा और उसकी दुलहन के सामने चुन्दी गई
07:52शादी की तकरीब इंतहाई जलालो शान के साथ मनाई गई
07:56और समंदरी बाच्चा की सल्तनत में खुशी का समाच चा गया
08:00जैसे ही नोबियाफता जोडे ने रिवायती शादी के जाम को तीन बार तीन घोट लेकर पिया
08:07मौसी की बजने लगी गीत गाय जाने लगे
08:10और वो मचलियां जो चांदी के छिलकों और सोने की दुमों वाली थी
08:15समंदर की लहरों से नमुदार होकर रक्स करने लगी
08:30जोट खत्म होने के बाद शैजादी ने उराशीमा से पूछा कि क्या वो महल की सेर करना चाहेगा
08:36खुशनसीब माही गीर अपनी दुलहन की रहनुमाई में समंदर के जादोई जहां में हर इसीज को देखने निकला
08:43जहां जवानी और खुशी हमाहंग चलती थी और जहां वक्त और बुढ़ापे का कोई वजूद ना था
08:50महल सुर्ख मुंगे से बना हुआ था और बेश कीमत मुटियों से आरास्ता था
08:55उसकी खुबसूरती और शान शौकत नाकाबले बयान थी
09:00मगर रोड़ाशीमा के लिए सबसे ज्यादा हैरान कुन चीज महल के गिर्द पहला हुआ बाख था
09:06यहां एक ही वक्त में चारो मौसमों के मनाजर देखे जा सकते थे
09:11जब उसने मश्रिक की जाने देखा तो चेरी और आलुब खारे के दरख पूरी बहार में खिले हुए थे
09:18और तितलियां फूलों से फूलों पर उड़ रही थी
09:21जनूब में हर तरफ सबजे की बहार थी
09:24जैसे के मौसम गर्मा अपनी आब औ ताब के साथ चाया हुआ हो
09:28दिन में जींगरों की आवाजे और रात में किरकट की सुरीली आवाजें फजा में बिकरी हुई थी
09:35मगर्ब में खरीफ के पत्तों ने आसमाने शाम की तरहां जमीन को सुनहरी और सुर्ख रोशनी से जगमगा दिया था
09:44और चमेली के खुश्बुदार पूल अपनी पूरी रानाई पर थे
09:48शुमाल की तरफ नजर डालते ही उराशीमा चौक उठा
09:52क्योंके पूरा मनजर यकदम बर्फ में ढखा हुआ था
09:56जमीन चांदी की चादर में लिप्टी हुई थी
09:59दरफ तरबांस बर्फ से लदे हुए थे
10:02और तालाब की सता बर्फ की मोटी तह से जमी हुई थी
10:07उराशीमा के लिए हर दिन एक नई हैरत और खुशी लेकर आता
10:11वो इतना खुश था कि सब कुछ भूल गया
10:14हत्ता के वो जमीन पर किसका बेटा था
10:17उसके वालदेन कौन थे और वो कहां से आया था
10:20ये सब यादें उससे दूर हो गई
10:22यो ही तीन दिन गुजर गए
10:24और उसे अपने पीछे छोड़े हुए घर की
10:27कोई खबर तक ना आई
10:29मगर फिर यकायक
10:30उसके जहन में एक जमाका हुआ
10:33और वो अपनी हकीकत को याद कर बैठा
10:35ओ खुदाया मैं यहां मजीद नहीं रुक सकता
10:39मेरे बुड़े माबाप मेरे घर पर
10:41मेरा इंतजार कर रही होंगे
10:43इन तीन दिनों में वो कितने परिशान हो गए होंगे
10:46मुझे फॉरण वापस जाना होगा
10:48यह सोचते ही उसने जल्दी से
10:50अपने वापसी के सफर की तयारी शुरू कर दी
10:53उराशीमा अपनी हसीन बीवी
10:55शेजादी उतोहीमे के पास गया
10:58और आजजी से जुकते वे कहा
11:00बेशक मैं आपके साथ बहुत खुश हूँ उतोहीमे
11:02लेकिन अब मुझे अलविदा कहना होगा
11:04मुझे अपने बुड़े वालदین के पास
11:07वापस जाना है
11:08ये सुनकर उतोहीमे की आँखों में आसु आ गए
11:11और वो धीमी और गमी नावाज में बोली
11:14क्या तुम यहां खुश नहीं हो उराशीमा
11:16जो तुम इतनी जल्दी मुझे छोड़ना चाहते हो
11:19किस बात की जल्दी है
11:20बस एक दिन और रुक जाओ
11:22लेकिन उराशीमा को अपने बुड़े माबाब यादा गए थे
11:26मुझे जाना ही होगा
11:28ऐसा मच समझो के मैं तुम्हें छोड़ना चाहता हूँ
11:30ऐसा नहीं है
11:31लेकिन मुझे अपने वालदین को देखना होगा
11:34बस एक दिन के लिए जाने दो
11:36मैं वादा करता हूँ के वापस आऊँगा
11:38शेहजादी ने अफसोस भरे लहजे में कहा
11:41मैं आज ही तुम्हें तुम्हें तुम्हें माबाब के पास वापस भेज दूँगी
11:45और तुम्हें रोकने के बजाए
11:47मैं तुम्हें ये निशानी देती हूँ
11:49یہ میرے اور تمہارے درمیان محبت کی علامت ہے
11:53اس سے اپنے ساتھ لے جاؤ
11:54یہ کہتے ہوئے اس نے ایک نہایت خوبصورت چمکدار ڈبا پیش کیا
11:59جس پر ریشمی دھاگے اور سرخ ریشمی جھالر بندھی ہوئی تھی
12:04اور آشیما پہلے ہی شہزادی کی بے شمار انائتوں کا مقروض تھا
12:08اس لئے اسے یہ تحفہ لینا کچھ عجیب لگا
12:11اور اس نے کہا یہ مناسب نہیں لگتا
12:14کہ میں آپ سے مزید تحفہ لوں
12:15خاص طور پر اتنی مہربانیوں کے بعد
12:18لیکن چونکہ یہ آپ کی خواہش ہے
12:20میں اسے قبول کرتا ہوں
12:22پھر اس نے پوچھا یہ ڈبا کس چیز کا ہے
12:24یہ قیمتی جواہر کا ڈبا ہے
12:26اور اس میں ایک نہایت قیمتی چیز رکھی گئی ہے
12:30لیکن یاد رکھو تمہیں اسے کبھی بھی کھولنا نہیں ہے
12:34چاہے کچھ بھی ہو جائے
12:35اگر تم نے اسے کھولا
12:37تو تم پر ایک خوفناک آفت نازل ہوگی
12:40وعدہ کرو کہ تم اسے کبھی نہیں کھولو گے
12:43اور عشیمہ نے پخت آوادہ کیا
12:45کہ وہ اس ڈبے کو کبھی نہیں کھولے گا
12:47چاہے کچھ بھی ہو جائے
12:49پھر شہزادی سے الودہ کہہ کر
12:50وہ سمندر کے کنارے آیا
12:52جہاں شہزادی اور اس کی خادمائیں
12:55اس کے ساتھ تھیں
12:56وہاں پہنچ کر اس نے دیکھا
12:58کہ ایک بڑا کچھوہ اس کا انتظار کر رہا تھا
13:01اور عشیمہ جلدی سے کچھوے کی پیٹ پر سوار ہو گیا
13:04اور وہ اسے چمکتے سمندر کے پار
13:07مرشر کے طرف لے جانے لگا
13:09اس نے پیچھے مر کر اوتو ہیمے کو ہاتھ ہلایا
13:12یہاں تک کہ وہ نظروں سے اوجھل ہو گئی
13:15اور سمندری بادشاہ کی زمین
13:17اور اس کے شاندار محل کی چھتیں
13:19دھلکے میں کھو گئیں
13:21پھر اپنے چہرے کو بیتابی سے
13:23اپنی سرزمین کی طرف مرتے ہوئے
13:25اس نے افق پر نیلے پہاڑوں کے اُبھرنے کا انتظار کیا
13:29آخر کار کچھوہ اسے اسی بندرگاہ پر لے آیا
13:32جہاں سے وہ روانہ ہوا تھا
13:34وہ کنارے پر اترا اور اٹھ گر دیکھنے لگا
13:37جبکہ کچھوہ واپس سمندری بادشاہ کی سلطنت کی طرف روانہ ہو گیا
13:42لیکن اُراشیما پر یہ کیسا عجیب خوفتاری ہو گیا تھا
13:46وہ کیوں چاروں طرف حیرت سے دیکھ رہا تھا
13:48اور کیوں وہاں سے گزرنے والے لوگ
13:51اس کی طرف تاج جب سے دیکھ رہے تھے
13:53ساحل وہی تھا
13:54پہاڑ وہی تھے
13:56مگر وہ لوگ جو وہاں چل پھر رہے تھے
13:58ان کے چہرے بلکل اجنبی لگ رہے تھے
14:01حیران و پریشان
14:02وہ جلدی سے اپنے پرانے گھر کی طرف بڑھا
14:05مگر وہ بھی مختلف نظر آ رہا تھا
14:07اس نے بلند آواز میں پکارا
14:09ابا میں واپس آ گیا ہوں
14:12اور وہ اندر داخل ہونے ہی والا تھا
14:15کہ ایک اجنبی آدمی گھر سے باہر آیا
14:17شاید میرے والدین میرے غیر حاصر ہونے کے دوران
14:20یہاں سے کہیں اور چلے گئے ہیں
14:22اور اشیما نے دل میں سوچا
14:24اور ایک عجیب سی بیچینی اس کے دل کو گھر کرنے لگی
14:27وہ اس اجنبی سے مخاطب ہوا
14:30ماف کیجئے گا
14:31لیکن کچھ دن پہلے تک میں اسی گھر میں رہتا تھا
14:34میرا نام اورا شیما ہے
14:36کیا آپ بتا سکتے ہیں کہ میرے والدین کہاں چلے گئے
14:38آدمی کے چہرے پر حیرت کے آثار نمائی ہو گئے
14:42اس نے اورا شیما کو غور سے دیکھتے ہوئے کہا
14:44کیا تم اورا شیما ہو
14:46ہاں
14:47ماہیگیر نے جواب دیا
14:48میں اورا شیما تارو ہوں
14:50ہا ہا ہا ہا
14:52آدمی کہہ کہا لگا کر ہسا
14:54ایسی باتیں مت کرو یہ تو پرانی کہانی ہے
14:57کہ یہاں اورا شیما نام کا ایک آدمی رہتا تھا
15:00لیکن وہ تو تین سو سال پہلے کی بات ہے
15:03وہ اب کیسے زندہ ہو سکتا ہے
15:05یہ عجیب بات سن کر
15:07اورا شیما خوف زدہ ہو گیا
15:09اس نے تیزی سے کہا
15:11مجھ سے مزاق نہ کریں
15:12میں بہت الجن میں ہوں
15:13میں واقعی اورا شیما ہوں
15:15اور میں نے تین سو سال نہیں گزارے
15:17بس چار یا پانچ دن پہلے تک میں یہاں رہتا تھا
15:21مجھے سج بتائیں
15:22آدمی کا چہرہ مزید سنجیدہ ہو گیا
15:25اس نے کہا
15:26میں نہیں جانتا کہ تم کون ہو
15:27وہ سکتا ہے تم واقعی اورا شیما ہو
15:30یا شاید اس کی روح ہو
15:31جو اپنے پرانے گھر کا دورہ کرنے آئی ہو
15:34یہ کیسا مزاق ہے
15:35اورا شیما نے قصے سے کہا
15:37میں کوئی بھوت نہیں ہوں
15:38مگر آدمی اپنی بات پر قائم رہا
15:41کہ اورا شیما تو تین سو سال پہلے زندہ تھا
15:44یہی حقیقت ہے
15:45یہ بات ہمارے گاؤں کے پرانے ریکارڈز میں لکھی ہوئی ہے
15:49اورا شیما کی آنکھوں کے سامنے اندھیرہ چھا گیا
15:51کیا واقعی تین دن تین سو سال بن گئے تھے
15:55اورا شیما شدید حیرت اور پریشانی میں مبتلا ہو گیا
15:59وہ چاروں طرف دیکھتا رہا
16:01سخت الجھن میں پڑا ہوا تھا
16:03واقعی سب کچھ اس کے ذہن میں موجود یادوں سے مختلف لگ رہا تھا
16:08ایک خوفناک احساس اس پر تاری ہو گیا
16:10کہ شاید وہ آدمی سچ کہہ رہا تھا
16:13اس سے ایسا محسوس ہونے لگا
16:15جیسے وہ کسی عجیب خواب میں ہو
16:18سمندری بادشاہ کے محل میں گزارے گئے
16:21چند دن در حقیقت دن نہیں
16:22بلکہ سیکڑوں سال تھے
16:24اور اس دوران اس کے والدین کا انتقال ہو چکا تھا
16:28اس کے جاننے والے سب ختم ہو گئے تھے
16:31اور گاؤں والوں نے اس کی کہانی کو تاریخ میں لکھ دیا تھا
16:35اب یہاں ٹھہرنے کا کوئی فائدہ نہیں تھا
16:38اسے فوراں اپنی خوبصورت بیوی کے پاس
16:41سمندر پار واپس جانا تھا
16:44وہ ساحل کی طرف بڑھا
16:45اس جبے کو اپنے ہاتھ میں تھامے
16:47جو شہزادی نے اسے دیا تھا
16:50لیکن راستہ کون سا تھا
16:52وہ اکیلا کیسے جا سکتا تھا
16:54اچانک اسے یاد آیا
16:55شہزادی نے مجھے یہ ڈبا دیتے ہوئے کہا تھا
16:58کہ میں اسے کبھی نہ کھولوں
16:59کہ اس میں ایک نہایت کیمتی چیز ہے
17:02لیکن اب میرے پاس کوئی گھر نہیں رہا
17:05میں نے سب کچھ کھو دیا
17:06اور میرا دل غم سے بوجھل ہو رہا ہے
17:09ایسے وقت میں اگر بھی یہ ڈبا کھولوں
17:11تو ضرور کوئی ایسی چیز ملے گی
17:13جو میری مدد کرے گی
17:15جو مجھے میری شہزادی تک
17:16واپس جانے کا راستہ دکھائے گی
17:18اب میرے پاس کوئی اور چارہ نہیں
17:21ہاں ہاں میں اسے کھولوں گا
17:23اور یوں اس کے دل نے
17:24نافرمانی کرنے پر
17:26رضا مندی ظاہر کر دی
17:28اور اس نے خود کو قائل کر لیا
17:30کہ وہ صحیح کر رہا ہے
17:31حالانکہ وہ اپنے وعدے کو توڑا ہا تھا
17:34آہستہ سے بہت آہستہ
17:37اس نے ریشنی سرخ دوری کھولی
17:39آہستہ اور حیرت سے
17:41اس نے کینٹی ڈبے کا ڈھککن اٹھایا
17:44اور اندر کیا تھا
17:46حیرت کی بات یہ تھی
17:48کہ اس میں سے صرف ایک ننہ سا
17:51ارخوانی بادل
17:52تین نرم دھاروں میں نکل کر
17:55فضا میں بلند ہونے لگا
17:57لمحہ بھر کے لیے اس بادل نے
17:59اور اشیما کے چہرے کو
18:01ڈھاپ لیا جیسے اس کے پاس
18:03رکنے میں ہچکچا رہا ہو
18:04اور پھر وہ دیرے دیرے
18:06سمندر کی طرف بہ گیا
18:08اور اشیما جو ابھی چن لمحے پہلے
18:11ایک مضبوط خوبصورت
18:12چوبیس سالہ نوجوان تھا
18:15اچانک انتہائی بوڑا ہو گیا
18:17اس کی پیٹ جھگ گئی
18:19اس کے بال برف کی طرح
18:21سفید ہو گئے
18:22اس کا چہرہ جھریوں سے بھر گیا
18:24اور پھر وہ ساحل پر گر کر
18:27موت کی نین سو گیا
18:29اور اس کو وعدہ
18:31توڑنے کی سزا ملی
18:33موسیقی