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  • 5/3/2025
Step into a magical world where dreams come alive and anything is possible. Fairy tales are timeless stories filled with wonder, adventure, and heartwarming lessons. From enchanted forests and talking animals to brave heroes, clever heroines, and mysterious creatures, each tale carries a spark of magic that stirs the imagination and touches the heart. Whether it’s a story of courage, kindness, love, or transformation, fairy tales take us on journeys beyond the ordinary and remind us that magic lives in the most unexpected places.

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Transcript
00:00सर्दी की रात, उम्मीद की रोशनी
00:02गाव की सुनसान गलियों में गूज रही थी
00:06अपनी कुरूरता से हर उम्मीद को जमा रही थी
00:09जमीन बर्फ से डकी हुई थी
00:11पेरों की टहनिया सुक कर तूटने के कगार पर थी
00:14और घरों में भूक और ठंड ने अपना बस सेरा बना लिया था
00:18एक छोटे जरजर मकान में एक कमजोर सी औरत
00:22एक मध्धम जलती आग के पास बैठी थी
00:24उसके हाथों में उसका बीमार बेटा अनुज ठंड से कांप रहा था
00:29मा, क्या पिताजी जल्दी आएंगे
00:32अनुज की धीमी आवाज ठंड में और भी कमजोर लग रही थी
00:35मा मीना ने अपने बच्चे को और कसकर कंबल में लपेट लिया
00:40और उसका मा था चुमते हुए बोली
00:41हाँ मेरे बेटे, तुम्हरे पिताजी बस आने ही वाले हैं
00:45तुम आँखे बंद करो और आराम करो
00:47लेकिन वा सच कैसे खहती
00:50कि राजन सुबह से काम की तलाश में निकला था और अब तक लौटा नहीं था
00:54कि उनके पास खाने को कुछ भी नहीं था
00:56कि लकडियां खत्म हो रही थी
00:59और रात होते ही ठंड और भी बेरहम होने वाली थी
01:03अचानक अनुझ को तेज खान सी आई
01:06मीना खबरा कर उसके माथे पर हाथ रखती है
01:09हे भगवान इसे तो बहुत तेज बुखार है
01:12दूसरी ओर राजन वर्फ में लर खडाता हुआ चल रहा था
01:16उसके हाथ सुन हो चुके थे
01:18चेहरा ठंड से लाल पड़ गया था
01:20लेकिन वा हार नहीं मान सकता था
01:23वा हर दर्वाजा खटखटा चुका था
01:24लेकिन हर जगा से एक ही जवाब मिला
01:26काम नहीं है
01:28आखिर में वा गाव के मुक हिया
01:31धनीराम के दर्वाजे पर पहुँचा
01:32दिल जोर जोर से धरक रहा था
01:35वा जानता था कि अगर यहां से भी मायूसी मिली
01:37तो उसका बेटा शायद यह रात न जेल पाए
01:39दर्वाजा खुला
01:40नौकर ने बेरुखी से पूछा
01:42क्या चाहिए
01:43राजन ने कामपती आवाज में कहा
01:46मालिक मुझे कोई भी काम दे दो
01:48मेरा बेटा बीमार है
01:50खर में खाने को कुछ भी नहीं है
01:52कुछ देर बाद उसकी आंखों में ठन जैसी कठोरता थी
01:56काम तो नहीं है लेकिन ये लो
01:59उसने एक छोटा सा थैला
02:02राजन के हाथ में थमा दिया
02:03जिसमें कुछ चावल और डाल थी
02:05राजन ने कामपते हाथों से खाने का थैला पकड़ा
02:08शुक्रिया मालिक
02:09फगवान आपका भला करे
02:11लिकिन अभी दवा की जरूरत थी
02:13वह भागते हुए काव के हकीम के पास पहुंचा
02:16जो लकडी की अंगीथी के पास पैठा था
02:19हकीम जी मेरे बेटे को तेज बुखार है
02:22मेरे पास पैसे नहीं है
02:24लेकिन कोई सस्ती दवा दे दीजिए
02:25हकीम ने सहानभूती से
02:28एक छोटा सा दवा का पैकेट दिया
02:31राजन ने वह दवा अपने सीने से लगाई
02:34और बर्फ से डकी गलियों में दौड बढ़ा
02:36मेरा बेटा पस थोड़ी देर और
02:38मैं आ रहा हूँ
02:39मीना ने अनुज को अपनी गोद में ले रखा था
02:42उसका चेहरा पीला पढ़ चुका था सांसें धीमी हो रही थी
02:45मा मुझे बहुत नींदा रही है
02:48मीना ने आसू पोंच कर कहा
02:50नहीं बेटा जागते रहो
02:52तुम्हारे पिता जी बस आते ही होंगे
02:54तभी दरवाजा जोर से खुला
02:58और राजन बर्फ से डखा हुआ अंदर आया
03:00मीना मैं दवा और खाना ले आया
03:03मीना ने शुकर के आंसू बहाते हुए दवा पिलाई और तुरंट चावल पकाए
03:07अनुज ने थोड़ा सा खाया
03:09उसके शरीर में कुछ कर्मी वापस आई
03:12उसकी सांसें धीरे-धीरे ठीक होने लगी
03:14राजन थककर बैठ गया
03:16मंगर उसके चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान थी
03:19हमने एक और राद जीत ली मीना
03:21अगली सुबा जब राजन घर से बाहर निकला
03:24तो उसने देखा कि सर्दी ने पूरे गांफ को जकर लिया था
03:27हर तरफ भूक, बीमारी और बेबसी थी
03:30एक बूरी औरत अपनी जोपड़ी के बाहर बैठी रो रही थी
03:34क्योंकि उसके पोते के पास खाने को कुछ नहीं था
03:37राजन का दिल काप कया
03:39अगर हमने कुछ नहीं किया तो और बच्चे भी मर जाएंगे
03:42उस रात राजन ने कुछ लोगों को बुलाया
03:45हमें एक दूसरे की मदद करनी होगी
03:48एक आदमी बोला लेकिन हमारे पास देने के लिए क्या है
03:52राजन ने दृटस्वर में कहा
03:54अगर हम अपना दुख पांटेंगे तो सब मजबूत होंगे
03:58एक औरत रादाबाई बोली मेरे पास थोड़ी डाल है मैं दे सकती हूँ
04:03एक किसान बंचलाल ने कहा मेरे पास लकडियां है मैं बाट दूँगा
04:08धीरे धीरे पूरा गाव एक्जट हो गया
04:10अगली सुबह औरतों ने मिलकर खाना पकाने की जिम्मेदारी ली
04:14मर्दों ने ठंडे घरों में लकडियां पहुंचाए
04:17ये सब देखकर काव के सरपंच धनीराम भी प्रभावित हो गये
04:22उन्होंने गर्म कंबल और अनाज बाटा
04:25अब गाव में कोई भूखा नहीं था
04:28कोई बिना कपरों के नहीं था
04:30कोई बेसहारा नहीं था
04:32गाव के बीच में एक जगा बनाई गई जिसे आशा खेंदर का नाम दिया गया
04:37राजन और मीना जो कभी अपनी जिन्दगी की लड़ाई लड़ रहे थे
04:41अब दूसरों के लिए एक उम्मीद बन चुके थे
04:43राजन ने अपनी पत्नी का हाथ पकड़ कर कहा
04:46मीना हमने गाव को बचा लिया
04:49वह मुस्कुराई
04:50नहीं राजन हमने सिर्फ इंसानियत को जिन्दा रखा है
04:53और इस तरह एक कठोर सर्दी उम्मीद की रोशनी में बदल गई