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  • 5/2/2025
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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Transcript
00:00मुरली अमरित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती आये सुनते हैं
00:28तीन मई दो हजार पच्चीस दिन शनिवार की साकार मुरली
00:33शिव बाबा कहते हैं मीठे बच्चे
00:37अपने को राश्तिलक देने के लायक बनाओ
00:41जितना पढ़ाई पढ़ेंगे श्रीमत पर चलेंगे तो राश्तिलक मिल जाएगा
00:46प्रश्न
00:48किस स्मृति में रहो तो रावन पने की स्मृति विस्मृत हो जाएगी
00:54उत्तर
00:55सदा स्मृति रहे की हम स्त्री पुरुष नहीं हम आत्मा है
01:01हम बड़े बाबा अर्थाद शिव बाबा से छोटे बाबा अर्थाद ब्रह्मा द्वारा वर्सा ले रहे है
01:08यह स्मृति रावन पने की स्मृति को भुला देगी
01:12जबकि स्मृति आई कि हम एक बाप के बच्चे हैं तो रावण पने की स्मृति समाप्त हो जाती है
01:19यह भी पवित्र रहने की बहुत अच्छी युक्ति है परन्तु इसमें महनत चाहिए
01:25गीत तुम्हें पाके हमने ओम शान्ती
01:31रूहानी बाप बैट रूहानी बच्चों को समझाते हैं
01:36देखो सब तिलक यहां ब्रकुटी में देते हैं
01:40इस जगह एक तो आत्मा का निवास है दूसरा फिर राजय तिलक भी यहां दिया जाता है
01:45यह आत्मा की निशानी तो है ही
01:47अब आत्मा को बाप का वर्सा चाहिए
01:50स्वर्ग का
01:52विश्व का राज्य तिलक चाहिए
01:54सूर्यवन्शी चंद्रवन्शी
01:56महाराजा महारानी बनने के लिए पढ़ते है
01:59यह पढ़ना गोया अपने लिए
02:02अपने को राज दिलक देना है
02:04तुम यहां आए ही हो पढ़ने लिए
02:06आत्मा जो यहां निवास करती है
02:09वह कहती है बाबा हम आपसे
02:12विश्व का स्वराज अवश्य प्राप्त करेंगे
02:15अपने लिए हर एक को अपना पुरुशार्थ करना है
02:18कहते हैं बाबा हम ऐसे सपूद बन कर दिखेंगे
02:23आप हमारी चलन को देखते रहना कि कैसे चलते है
02:27आप भी जान सकते हो हम अपने को राज दिलक देने लाइक बने है या नही
02:32तुम बच्चों को बाब का सपूद बन कर दिखाना है
02:37बाबा, हम आपका नाम जरूर बाला करेंगे
02:41हम आपके मददगार सो अपने मददगार बन भारत पर अपना राज्य करेंगे
02:45भारत वासी कहते हैं ना हमारा राज्य है
02:49परन्तु उन विचारों को पता नहीं है कि
02:53अभी हम विशे वैतरणी नदी में पड़े है
02:55हम आत्मा का राज्य तो है नहीं
02:57अभी तो आत्मा उल्टी लट्डी पड़ी है
03:00खाने को भी नहीं मिलता है
03:02जब ऐसी हालत होती है तब बाबा कहते है
03:06अब तो हमारे बच्चों को खाने लिए भी नहीं मिलता है
03:09अब हम जाकर इन्नों को राज्योग सिख लाओं
03:11तो बाप आते हैं राजयोक सिखाने
03:14बिहद के बाप को याद करते है
03:17वह है ही नई दुनिया रचने वाला
03:19बाप पतित पावन भी है ग्यान सागर भी है
03:23ये सिवाए तुम्हारे और कोई की बुद्धी में नहीं है
03:26ये सिर्फ तुम बच्चे जानते हो
03:28बरोबर हमारा बाबा ज्यान का सागर सुक का सागर है
03:32ये महिमा पक्की याद कर लो भूलो नहीं
03:36बाप की महिमा है न वह बाप पुनरजन मरहित है
03:39कृष्ण की महिमा बिलकुल न्यारी है
03:43प्राइम मिनिस्टर प्रेसिडेंट की महिमा तो अलग-अलग होती है न
03:47बाप कहते हैं मुझे भी इस ड्रामा में उंच्ते उंच पार्ट मिला हुआ है
03:52ड्रामा में एक्टर्स को मालूम होना चाहिए न कि यह बेहद का ड्रामा है
03:57इनकी आयू कितनी है
03:58अगर नहीं जानते तो उनको बे समझ कहेंगे
04:02परन्तु यह कोई समझते थोड़े ही है
04:05बाप आकर कॉंट्रास्ट बतलाते हैं कि मनुष्य क्या से क्या हो जाते है
04:11अभी तुम समझ सकते हो
04:12मनुष्यों को बिल्कुल पता नहीं है कि
04:15चौरा सी जन्म कैसे लिये जाते है
04:17भारत कितना उंच था
04:19चित्र है न
04:21सोमनात मंदिर से कितना धन लूट कर ले गए
04:24कितना धन था
04:25अभी तुम बच्चे
04:27यह बेहत के बाप से मिलने आये हो
04:29बच्चे जानते हैं
04:31बाबा से राश्तिलक श्रीमत पर लेने आये हैं
04:34बाप कहते हैं
04:35पवित्र जरूर बनना पड़ेगा
04:37जन्म जन्मानतर
04:39विशे वैतरणी नदी में गोते खाकर ठके नहीं हो
04:42कहते भी हैं
04:44हम पापी है
04:45मुन निर्गुण हारे में कोई गुण ना ही
04:48तो जरूर कभी गुण थे
04:49जो अब नहीं है
04:51अभी तुम समझ गए हो
04:53हम विश्व के मालिक
04:55सर्व गुण समपन्न थे
04:57अभी कोई गुण नहीं रहा है
04:59यह भी बाप समझाते है
05:01बच्चों का रचेता
05:03है ही बाप
05:04तो बाप को ही तरस पड़ता है
05:06सभी बच्चों पर
05:07बाप कहते है
05:09मेरा भी ड्रामा में यह पाठ है
05:11कितने तमो प्रधान बन गए है
05:14जूट पाप
05:15जगडा क्या क्या लगा पड़ा है
05:18सब भारतवासी बच्चे
05:20भूल गए है कि
05:21हम कोई समय विश्व के मालिक
05:23डबल सिर्टाज थे
05:25बाप उन्हें स्मृति दिलाते है
05:27तुम विश्व के मालिक थे
05:29फिर तुम 84 जन्म लेते आये हो
05:32तुम अपने 84 जन्मों को भूल गए हो
05:35वंडर है
05:3684 के बदले
05:3884 लाक जन्म लगा दिये है
05:40फिर कल्प की आयू भी
05:42लाखो वर्ष कह देते
05:44घोर अंधियारे में है न
05:46कितनी जूट है
05:48भारत ही सचखंड था
05:50भारत ही जूटखंड है
05:51जूटखंड किसने बनाया
05:54सचखंड किसने बनाया
05:55ये किसको पता नहीं
05:57रावन को बिल्कुल ही जानते नहीं
05:59भक्त लोग
06:00रावन को जलाते हैं
06:03कोई religious आदमी हो
06:04उनको तुम बताओ
06:06कि मनुष्य ये क्या-क्या करते है
06:08सत्युग
06:10जिसको heaven, paradise कहते हो
06:13वहाँ शैतान रावन कहां से आया
06:15हैल के मनुष्य
06:17वहाँ हो कैसे सकते
06:19तो समझेंगे
06:21ये तो बरोबर भूल है
06:22तुम रामराज के चित्र पर समझा सकते हो
06:27इसमें रावन कहां से आया
06:29तुम समझाते भी हो
06:31परन्तु समझते नहीं
06:33कोई विरला निकलता है
06:34तुम कितने थोड़े हो, सो भी आगे चल देखना है, कितने ठहरते हैं
06:40तो बाबा ने समझाए, आत्मा की छोटी निशानी भी यहां ही दिखाते है
06:45बड़ी निशानी है राज तिलक, अभी बाप आया हुआ है
06:50अपने को बड़ा तिलक कैसे देना है, तुम स्वराज्य कैसे प्राप्त कर सकते हो
06:56वह रास्ता बताते है, उसका नाम रख दिया है राज योग
07:00सिखलाने वाला है बाप, श्री कृष्ण थोड़े ही बाप हो सकता
07:05वह बच्चा है, फिर राधे के साथ स्वयमवर होता है, तब एक बच्चा होगा
07:10बाकी श्री कृष्ण को इतनी रानिया आदी देदी है, यह तो जूट है ना
07:16परन्तु, यह भी ड्रामा में नूध है, ऐसी बातें फिर भी सुनेंगे
07:21अभी तुम बच्चों की बुद्धी में है, कैसे हम आत्माएं उपर से आती हैं पाट बजाने, एक शरीर छोड़, दूसरा लेती है
07:30यह तो बहुत सहज है ना, बच्चा पैदा हुआ, उनको सिखलाते हैं, यह बोलो
07:36तो सिखलाने से सीख जाता है, तुमको बाबा क्या सिखलाते हैं?
07:42सिर्फ कहते हैं, बाप और वर्से को याद करो, तुम गाते भी हो, तुम मात पिता, हम बालक तेरे
07:48आत्मा गाती है ना, बरोबर सुख घनेरे मिलते हैं, तुम बच्चे जानते हो, शिव बाबा हमको पड़ा रहे हैं, इसमें परमपिता, परमात्मा विराजमान होते हैं, परंतु रत का नाम क्या है?
08:00अभी तुम जानते हो, नाम है ब्रह्मा क्योंकि ब्रह्मा द्वारा ब्रामण रचते हैं ना, पहले होते ही हैं ब्रामण छोटी, फिर देवता, पहले तो ब्रामण चाहिए इसलिए विराट रूप भी दिखाया है, तुम ब्रामण ही फिर देवता बनते हो, बाब बहुत �
08:30बाबा अर्थत ब्रह्मा द्वारा
08:32वर्सा ले रहे हैं
08:33तो रावण पने की स्मृती
08:35विस्मृत हो जाएगी
08:37यह पवित्र रहने की
08:39बहुत अच्छी युकती है
08:40बाबा के पास बहुत जुड़े आते हैं
08:43दोनों ही कहते हैं बाबा
08:45जबकि स्मृती आई है
08:47हम एक बाप के बच्चे हैं
08:49तो फिर रावण बने की स्मृती विस्मृत हो जानी चाहिए
08:52इसमें महनत चाहिए
08:54महनत विगर तो कुछ चलना सकी
08:57हम बाबा के बने हैं
08:59उनको ही याद करते है
09:00बाप भी कहते हैं
09:02मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे
09:0484 जन्मों की कहानी भी बिल्कुल सहज है
09:07बाकी मेहनत है बाप को याद करने में
09:11बाप कहते हैं कम से कम पुरुशार्थ कर 8 घंटा तो याद करो
09:15एक घड़ी आदी घड़ी
09:17क्लास में आओ तो स्मृति आएगी
09:19बाप हमको यह पढ़ाते है
09:21अभी तुम बाप के सम्मुक हो ना
09:24बाप बच्चे बच्चे कह समझाते है
09:26तुम बच्चे सुनते हो
09:28बाप कहते है
09:30Here no evil, see no evil
09:32ये भी अभी की ही बात है
09:34अभी तुम बच्चे जानते हो
09:36हम ग्यान सागर बाप के पास सम्मुक आए है
09:39ग्यान सागर बाप
09:41तुमको सारे स्रिष्टी का ज्यान सुना रहे हैं
09:45फिर कोई उठाए न उठाए
09:46वो तो उनके उपर है
09:47बाप आकर अभी हमको ज्यान दे रहे हैं
09:51हम अभी राजयोक सीखते हैं
09:53फिर कोई भी शास्त्रादी
09:55भक्ति का अंश नहीं रहेगा
09:57भक्ति मार्ग में ग्यान
09:59रिंचक मातर नहीं
10:01ग्यान मार्ग में फिर भक्ति
10:02रिंचक मातर नहीं
10:05ग्यान सागर जब आए
10:06तब वह ग्यान सुनाए
10:08उनका ग्यान है ही सद्गती के लिए
10:11सद्गती दाता है ही एक
10:13जिसको ही भगवान कहा जाता है
10:15सब एक ही पतित पावन को बुलाते हैं
10:18फिर दूसरा कोई हो कैसे सकता
10:20अभी बाप द्वारा
10:22तुम बच्चे सच्ची बातें सुन रहे हो
10:24बाप ने सुनाया
10:26बच्चे में तुमको कितना साहुकार बना कर गया था
10:29पांच हजार वर्ष की बात है
10:32तुम डबल सिर्ताज थे
10:34पवित्रता का भी ताज था
10:36फिर जब रावन राज्य होता है
10:38तब तुम पुजारी बन जाते हो
10:40अब बाप पढ़ाने आये हैं
10:43तो उनकी श्रीमत पर चलना है
10:44औरों को भी समझाना है
10:46बाप कहते हैं
10:48मुझे यह शरीर लोन लेना पड़ता है
10:50महिमा सारी उस एक की ही है
10:53मैं तो उनका रत हूँ
10:55बैल नहीं हूँ
10:56बलिहारी सारी तुमहरी है
10:58बाबा तुमको सुनाते हैं
11:00मैं बीच में सुन लेता हूँ
11:01मुझ अकेले को कैसे सुनाएंगे
11:03तुमको सुनाते हैं
11:05मैं भी सुन लेता हूँ, ये भी पुरशार्थी स्टुडेंट है, तुम ही स्टुडेंट हो, ये भी पढ़ते है, बाप की याद में रहते है, कितनी खुशी में रहते है, लक्षमी नाराण को देख खुशी होती है, हम यह बनने वाले है, तुम यहाँ आए ही हो स्वर्ग के
11:35परसा लेते है, यहाँ ज्यान सागर के पास आते हैं, पानी की तो बात ही नहीं है, ये तो बाप सम्मुक समझा रहे है, तुम भी, ये देवता बनने के लिए पढ़ रहे हो, बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए, अभी हम जाते हैं अपने घर, अब जो जितना पढ�
12:05आश्चर्यवत भागनती हो, पढ़ाई को छोड़ देते हैं, माया कितनी प्रबल है, अच्छा, मीठे मीठे सिकिल्धे बच्चों, प्रति मात पिता बाप दादा का याद प्यार और गुड मॉर्निंग, रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते, हम रूहानी ब�
12:35राज्टिलक देने के लायक बनाना है, सपूत बच्चा बनकर सबूत देना है, चलन बड़ी रॉयल रखनी है, बाप का पुरा-पुरा मददगार बनना है, तो हम स्टूडेंट हैं, भगवान हमें पढ़ा रहे हैं, इस खुशी से पढ़ाई पढ़नी है, कभी भी पुर�
13:05मास्टर रश्टा भव, त्रिमूर्टी शक्तियां, अर्थात मन, बुद्धी और संसकार, यहां आप मास्टर रश्टा की रचना है, इन्हें अपने अधिकार की शक्ति से सहयोगी बनाओ, जैसे राजा स्वयम कारे नहीं करता, कराता है, करने वाले राज्य कारोबारी अल
13:35में रख, त्रिमूर्टी शक्तियों को और साकार करमेंद्रियों को सही रास्ते पर चलाओ, स्लोगन अव्यक्त पालना के वर्दान का अधिकार लेने के लिए स्पष्ट वादी बनो, अव्यक्त इशारे, रूहानी रोयल्टी और प्योरिटी की परसनालिटी धारन करो, प�
14:05साथ साथ उनके भी जो बाल बच्चे, छोटे छोटे अंश मात्र, वंश मात्र हैं, उनका भी त्याग करो तब कहेंगे, प्योरिटी की रूहानी रोयल्टी धारन की है, ओम शान्ती
14:35है सुहानी, ये समय है बड़ा वर्दानी

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