00:00एक थी डायन जिसका नाम था गोब्री जो घने जंगल में रहा करती थी
00:06एक सो साल से मैं यहां अकेले रहती हूँ
00:11मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता
00:15अब मुझे एक साथी की जरूरत है
00:19जाती हूँ शिंगार करने और एक सुन्दर लड़की का रूप धारन करूंगी
00:28ताकि काओं वालों को तंग कर सके बड़ा मज़ा आएगा
00:34तभी वहां किसी की पैड की आवाज सुनाई देती है
00:42ऐसा लग रहा है जैसे कि कोई आ रहा है इस जंगल में
00:50चलो चलो छुप जाती हूँ चुप कर देखती हूँ कौन आता है
00:55तभी एक बहुत प्यारी और सुन्दर लड़की जंगल की तरफ आती हुई दिखती है
01:03जो कि लकरी खोजने इस जंगल में आई हुई होती है
01:12खड के चूलहा जला सके और ये सारी चीजे गोपरी डायन छिप छिप कर देख रही होती है
01:20और तभी बोलती है अरे ये तो उस बाबुलार चाय वाले की पेती है
01:28अमा वश्या के राट में इस घने जंगल में ये क्या कर दही है
01:35मुझे इससे क्या मतलब मुझे तो बस एक साथी चाहिए बस एक साथी
01:45और ये कहकर डायन बगल की एक घर में छुप जाती है और एक सुन्दर लड़की का रूप धारन कर लेती है
01:57दूसरी तरफ बाबुलार की बेती शिल्पा को जंगल में भटकते भटकते काफी देर हो जाती है
02:06पर उसके हाथ एक लखडी भी नहीं आती और वो खाले हाथ अपने घर के और बढ़ने लगती है
02:14तभी उसे बहुत तेज प्यास लग जाती है तभी उस जंगल में उसे एक छोटी सी कुटिया नजर आती है
02:23सिल्पा उसकुटिया के तरफ जाती है और बोलती है कोई है कोई है क्या कोई सुन दहा है तब ही एक बहुत संदर लड़की को बाहरात्य देख सिल्पा बोलती है
02:38मुझे प्यास लगी है क्या मुझे एक ग्लास पानी मिल सकती है
02:43हाँ हाँ मैं अभे लाई
02:46ये कहके डायन एक ग्लास में पानी लेके चादूई छड़ी से कुछ करती है
02:52और फिर वो ग्लास का पानी सिल्पा को लाखर दे देती है
02:56सिल्पा वो पानी पीते ही तुरंट गुलाब की पौधी में बदल जाती है
03:02फिर डायन अपने असली रूप में आकर बोलती है
03:07अब तू बनेगी मेरी साथी
03:13काफी दिन से अकेले जहरै के बोरो गई हूँ मैं
03:19और ये कहके वो हस्ते हस्ते वहां से चली जाती है
03:24तब ही फेड़ पे बैठा एक तूता वी सब कुछ देख रहा होता है
03:29और उस टायन के जाते ही वो तूता उस लड़की के पास यानि सिल्पा के पास आता है
03:36और आते ही कहता है
03:38एक लाब संदरी ये क्या हो गया तुम्हें
03:43देखो ना इस टायन ने मुझे क्या पना दिया
03:49मैं अब घर कैसे जाओंगे और मैं नहीं जाओंगे तो घर पे खाना कैसे बनेगा
03:55ये कहके वो जोर जोर से रूने लगती है
04:01तुम तेल से ना लगवलाप संदरी मैं कुछ करता हूं इस डायन को सबब सिखाना ही पड़ीगा
04:09तुम रुको मैं आता हूं
04:12नहीं तुम मताओ वरना तुम्हें भी ये डायन मेरी जैसा बना देगी
04:18अर नहीं तु इतना मैं सोचो मैं देख लूँगा जब दायन नहीं रहेगी तभी मैं तुम्हारे पास आऊंगा
04:27और ऐसा कहके तोता जाके एक पेड़ के उपर बैठ जाता है
04:32खुश देड़ बाद उस तोती को एक सिकारी दिखता है जो की शायद शिकार करने उस जंगल की तरफ आ रहा होता है
04:41तभी तोती को एक तरकीब सूझती है और वो उड़कर उस सिकारी के पास जाता है और उसे सारी बाते बताता है
04:51कहा है वो लड़की ले जलो मुझे उसके पास
04:54हाँ मेरे पीछे पीछे आओ
04:57ऐसा कहे कर तोता उस शिकारी को उस गुलाव सुनदरी के पास ले कर जाता है
05:03कौन हो तूँ और मैं कैसे तुम्हारा सहायदा कर सकता हूँ
05:09मैं शिल्पा हूँ
05:11मैं यहां अपने घर के चूले जलाने के लिए लखरी की खोज में आई थी
05:16और यह डायन ने मेरा ऐसा हालत कर दिया
05:20आप मुझे पहले वाले रूप में ला दीजिए
05:23लेकिन यह मैं कैसे कर सकता हूँ
05:26इस खर में जाईए जहां एक छड़ी रख्य हुई है
05:30जो की एक जातुई छड़ी है
05:33और उस छड़ी में उस डायन की प्रान बसे हुई है
05:37आप बस उस छड़ी को खोज कर उस छड़ी को तोड़ दीजे
05:42तभी वो डायन भी खतम हो जाएगी
05:44और मैं अपने पहले वाले रूप वापस पा जाओंगी
05:48शिकारी उस घर में जाकर जातुई छड़ी खोजने लगता है
05:52तभी वो डायन वहां आ रही होती है
05:56उस डायन को वहां आते देख तोटा सोचता है
05:59अगर ये अपने खर में जाके उस शिकारी को देख ले तो पका उसे भी मादा लेखी
06:06और ही सोचकर वो तोटा उस चुड़ैल के सामने आकर उससे बाचेथ करने लगता है
06:12और बिंती करने लगता है कि गुलाब सुंदरी को फिर से पहले जैसा बना दी
06:18तभी डायन बोलती है
06:20आभी तुझे भी गुलाब सुंदरी जैसा बना दूंगी तो रूख किजा
06:28और यह कहके वो अपनी घर के तरफ अपनी छड़ी लाने जाती है
06:34और देखती है एक लड़का उसका छड़ी लेके खड़ा हुआ होता है
06:38कौन हा तम? और मेरी छड़ी? दो मजे
06:43देखो उस छड़ी को कुछ मत कर रहा
06:46दो मजे मैंने कहा दो
06:49और ये कहके वो उस लड़की के तरफ बढ़ ही रही हूती है तब ही वो लड़का उस छड़ी को तोड़ देता है और छड़ी के तोड़ने के साथ साथ वो डायन वहीं पे मर जाती है और गुलाब सुन्दरी अपने पहले वाले रूप में वापस आ जाती है और फिर वो तीन