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  • 4/30/2025
"मीठे बच्चे- यह मुरली तुम्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल ज्ञान के प्रकाश में ले जाने के लिए है। इसे सुनो, समझो और अपने जीवन में धारण करो!" – शिव बाबा

यह सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि परमात्मा के श्रीमुख से निकला अमृत है, जो आत्मा को शक्तिशाली बनाता है। मुरली वह मार्गदर्शक है जो हमें पुराने संस्कारों से मुक्त कर नई सतयुगी दुनिया का अधिकारी बनाती है। यह हमें सच्ची शांति, अटल सुख और निर्विकारी जीवन की ओर ले जाती है।
✨ मुरली सुनें, मनन करें और इसे अपने जीवन में धारण करें! ✨
🌸 ओम शांति! 🌸

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आज की मुरली
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आज की मुरली मधुबन

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Transcript
00:00मुरली अमरित की धारा है धारा जो देती दुखों से किनारा
00:11ओम शान्ती
00:26आए सुनते हैं
00:28एक मई दोहजार पच्छीस
00:30दिन ब्रस्पतिवार की साकार मुरली
00:33शुबाबा कहते हैं
00:35मिठे बच्चे
00:36तुम बेहत के बाप से बेहत का वर्सा लेने आये हो
00:40यहां हत की कोई बात नहीं
00:43तुम बड़े उमंग से बाप को याद करो
00:45तो पुरानी दुनिया भूल जाएगी
00:47प्रश्न
00:49कौन सी एक बात
00:51तुम्हें बार बार अपने से घोट कर पकी करनी चाहिए
00:55उत्तर
00:56हम आत्मा है
00:58हम परमात्मा बाप से वर्सा ले रहे है
01:01आत्मा है बच्चे
01:03परमात्मा है बाप
01:05अभी बच्चे और बाप का मेला हुआ है
01:09यह बात
01:10बार बार घोड़ घोड़ कर पक्की करो
01:13जितना आत्म अभिमानी बनते जाएंगे
01:16देह अभिमान मिट जाएगा
01:18गीत जो पिया के साथ है
01:22ओम शान्ती
01:24बच्चे जानते हैं कि हम बाबा के साथ बैठे हुए है
01:29यह है बड़ेते बड़ा बाबा, सबका बाबा है
01:33बाबा आया हुआ है
01:35बाब से क्या मिलता है, यह तो सवाल ही नहीं उठता
01:38बाब से मिलता ही है वर्सा
01:41यह है सबका बेहद का बाब
01:43जिससे बेहद का सुख, बेहद की प्रॉपटी मिलती है
01:47वह है हद की मिलकियत
01:50कोई के पास 1000, कोई के पास 5000 होगी
01:54कोई के पास 10, 20, 50 करोड अरब होंगे
01:57अब वह तो सब हैं लौकिक बाबाएं और हद के बच्चे
02:01यहाँ तुम बच्चे समझते हो, हम बेहद के बाप पास आए हैं
02:06बेहद की प्रॉपटी लेने
02:07दिल में आश तो रहती है न
02:10सिवाए स्कूल के और सत्संग आदी में कोई आश नहीं रहती
02:15कहेंगे शान्ती मिले, वह तो मिल नहीं सकती
02:18यहां तुम बच्चे समझते हो, हम आए हैं, विश्व नई दुनिया का मालिक बनने
02:24नहीं तो यहां क्यों आएं, बच्चे कितनी वृद्धी को पाते रहते हैं
02:29कहते हैं बाबा, हम तो विश्व का मालिक बनने आए हैं, हद की कोई बात ही नहीं
02:35बाबा आपसे हम बेहत स्वर्ग का वर्सा लेने आए हैं, कल्प कल्प हम बाप से वर्सा लेते हैं
02:42फिर माया बिल्ली छीन लेती है, इसलिए इसको हार जीत का खेल कहा जाता है, बाब बैट बच्चों को समझाते हैं, बच्चे भी नमबरवार समझते हैं, ये कोई साधू संत नहीं है, जैसे तुमको कपड़े पड़े हैं, वैसे इनको पड़े हैं, ये तो बाबा है ना, को�
03:12और कोई समझ न सके, कह न सके कि हम बाप दादा के पास जाते हैं, वर्सा उनसे मिलता है, दादे की प्रोपर्टी के सब हगदार है, शिव बाबा के अविनाशी बच्चे आत्माए तो हो ही, फिर प्रजा पिता ब्रह्मा के बनने से उनके पोत्रे पोत्रियां हो, अभी त�
03:42शरीर का भान था, फलाने फलाने नाम वाले ही प्रोपर्टी लेते हैं, अभी तो है आत्माए परमात्मा से वर्सा लेते हैं, आत्माए हैं बच्चे, परमात्मा है बाप, बच्चे और बाप का बहुत समय के बाद मेला लगता है, एक ही बारी, भक्ती मार्ग में फिर अने
04:12तुम आत्माए ये अभी तुम समझते हो हम आत्माए अपने स्वीट साइलेंस होम में रहने वाली है
04:19अभी यहाँ पाड बजाते बजाते ठक गए है तो सन्यासी गुरु आदी के पास जाकर शान्ती मांगते है
04:26समझते है वह घर बार छोड जंगल में जाते है उनसे शान्ती मिलेगी परन्तु ऐसे है नहीं अभी तो सभी शहर में आ गये है जंगल में गुफाएं खाली पड़ी है गुरु बनकर बैठे है नहीं तो उन्हों को निवरित्ती मार्ग का ज्यान्दे पवित्रता सिखलानी है
04:56करमेंद्रियों में चंचलता होती है न अब करमेंद्रियों पर जीतपानी है जो कोई चंचलता न चले सिवाए योगबल से करमेंद्रियों का वश होना इंपॉसिबल है बाप कहते हैं करमेंद्रियों की चंचलता योगबल से ही तूटेगी योगबल की ताकत तो है न इसम
05:26यहां तुम कर्मेंद्रियों को वश कर जाते हो तो कोई भी गंदी बात वहां होती नहीं, नाम ही है स्वर्ग, उनको भूल जाने कारण लाखो वर्ष कह देते हैं, अभी तक भी मंदिर बनाते रहते हैं, अगर लाखो वर्ष हुए हो तो फिर बात ही याद नहो, यह मंदिर �
05:56करमेंद्रियां है नहीं, बाकी आत्मा में ग्यान तो सारा है ना, वही शांती का सागर, सुक का सागर है, वो लोग कहते करमेंद्रियां वश नहीं हो सकती, बाप कहते हैं योगबल से तुम करमेंद्रियों को वश करो, बाप की याद में रहो, कोई भी बेकाइदे काम करमें�
06:26में लीन तो होती नहीं बाप एक ही बार मिलते हैं जब शरीर का लोन लेते हैं तो ऐसे बाप के साथ कितना प्यार से चलना चाहिए बाबा को उचलाई न ओहो बाबा विश्व का मालिक बनाते हैं फिर यह धनमाल क्या करेंगे छोड़ो सब जैसे पागल होते हैं न सब कहने ल
06:56राजाई मिलनी है परंतु कैसे मिलेगी क्या होगा यह कुछ भी पता नहीं बस मिलना है उस खुशी में सब छोड़ दिया फिर धीरे धीरे नौलेज मिलती रहती है तुम बच्चे यहां स्कूल में आये हो एम आबजेक्ट तो है न यह है राज योग बेहत के बाप से रा�
07:26उनको श्री कृष्ण जैसा बच्चा मिले अरे वो तो बैकूंट में मिलेगा ना कृष्ण बैकूंट का है उनको तुम जुलाते हो तो उन जैसा बच्चा तो बैकूंट में ही मिलेगा ना अभी तुम बैकूंट की बादशाही लेने आये हो वहाँ जरूर प्रिंस प्रिं
07:56बाप कहते हैं तुमने बहुत भक्ती की है, धक्के खाये हैं, तुम कितना खुशी से तीर्थों आदी पर जाते हो, अमरनात पर जाते हैं, समझते हैं, शंकर ने पार्वती को अमर कथा सुनाई, अमरनात की सच्ची कथा, तुम अभी सुनते हो, यह तो बाप बैट तुमको स
08:26उनकी ही श्रीमत पर चलेंगे, कुछ भी पूछना हो तो बाबा से पूछ सकते हो, कहते हैं बाबा हम बोल नहीं सकते, यह तो तुम पुरुशार्थ करो, इसमें बाबा क्या कर सकते है, बाब तुम बच्चों को श्रेष्ट बनने का सहज रास्ता बताते है, एक तो करमेंद्
08:56जो इविल बात पसंद ना आये, उसे सुनो ही नहीं, देखो पती क्रोध करता है, मारता है, तो क्या करना चाहिए, जब देखो पती गुस्सा करता है, तो उन पर फूल बरसाओ, हस्ते रहो, युक्तियां तो बहुत है, कामेशू, क्रोधेशू होते हैं न, अबलाएं पु
09:26यह तुम्हारा अंतिम जन्म है, हम तुम बच्चों को शांती धम ले जाने आया हूँ, वहां, पतित आत्मा तो जाना सके, इसलिए मैं आकर सब को पावन बनाता हूँ, जिसको जो पार्ट मिला हुआ है, वह पुरा कर अब सब को वापिस जाना है, सारे जाड का राज बु
09:56बाकी, मनुष्य तो ढेर है, एक-एक के अंदर को थोड़े ही बैठ जानेंगे, मनुष्य समझते हैं, भगवान तो अंतर्यामी है, हर एक के अंदर की बात को जानते है, यह सब है अंधर श्रध्धा
10:12बाप कहते है, तुम हमको बुलाते हो, कि आकर हमको पतित से पावन बनाओ, राजयोग सिखाओ, अभी तुम राजयोग सिख रहे हो, बाप कहते है, मुझे याद करो, बाप यह मत देते हैं न, बाप की श्रिमत और गत सबसे न्यारी है, मत यानी राय, जिससे हमारी सद्ग
10:42में तो बुलाते नहीं है
10:43अभी ही कहते हैं
10:45सर्व का सद्गती दाता एक राम
10:48जब माला फिरते हैं
10:50तो फिरते फिरते जब फूल आता है
10:52तो उनको राम कह आँखों पर लगाते है
10:55जपना है एक फूल को
10:57बाकी है उनकी पवित्र रचना
11:01माला को तुम अच्छी रीती जान गए हो
11:04जो बाप के साथ सर्विस करते हैं
11:07उनकी ये माला है
11:08शिव बाबा को रच्टा नहीं कहेंगे
11:11रच्टा कहेंगे तो प्रश्न उठेगा की कब रच्टा की
11:15प्रजा पिता ब्रह्मा अभी संगम पर ही
11:18ब्राम्मनों को रच्टे है न
11:20शिव बाबा की रच्टा तो अनादी है ही
11:23सिर्फ पतित से पावन बनाने लिए
11:25बाप आते है
11:27अभी तो है पुरानी स्रिष्टी
11:30नई में रहते हैं देवताए
11:32अब शूद्रों को देवता कोन बनाए
11:35अभी तुम फिर से बनते हो
11:38जानते हो
11:39बाबा हमको शूद्र से ब्राम्मन ब्राम्मन से देवता बनाते है
11:43अभी तुम ब्राम्मन बने हो
11:45देवता बनने के लिए
11:47मनुष्य स्रिष्टी रचने वाला
11:49हो गया ब्रह्मा
11:51जो मनुष्य स्रिष्टी का हेड है
11:53बाकी, आत्माओं का अविनाशी बाप, शिव तो है ही, यह सब नई बातें तुम सुनते हो, जो बुद्धिवान है वह अच्छी रीती धरन करते है, आहिस्ते आहिस्ते तुम्हारी भी वृद्धी होती जाएगी, अभी तुम बच्चों को स्मृती आई है, हम असुल देवत
12:23के लिए, मुख्यबाद बाप कहते है, एक तो मुझे याद करो, दूसरा पवित्र बनो, स्वदर्शन चक्रधारी बनो, और आप समान बनाओ, कितना सहज है, सिर्फ याद ठहरती नहीं है, नौलिज तो बड़ी सहज है, अभी पुरानी दुनिया खत्म होनी है, फिर सत्य�
12:53इन्हों के महल लादी है, तुम कहेंगे, पुराने ते पुराने हम विश्व के माहराजा माहरानी थे, शरीर तो खत्म हो जाते है, बाकी, चित्र बनाते रहते है, अभी ये थोड़े ही किसको पता है, ये लक्षमी नारायन जो राज्य करते थे, वह कहां गए, राज्य कैस
13:23ये देवताओं की कृपा है, एक शिव की पूजा है, अव्यभिचारी भक्ती, ग्यान देने वाला तो ग्यान सागर, एक ही है, बाकी है भक्ति मार्ग, ग्यान से आधा कल्प सद्गती होती है, फिर भक्ती की दरकार नहीं रहती, ग्यान भक्ती वैराग्य, अब भक्ती से �
13:53वह खुशी रहती है
13:54कई समझते है
13:56मोक्ष पाना तो अच्छा है
13:58फिर आएंगे नहीं
14:00आत्मा बुद्बुदा है
14:01जो सागर में मिल जाता है
14:03यह सब गपोड़े हैं
14:06एक्टर तो एक्ट करेगा जरूर
14:08जो घर बैठ जाए
14:09वह कोई एक्टर थोड़े ही हुआ
14:23वर्सा पाने का
14:24तुम ड्रामा में
14:26बंधाय मान हो
14:27पुरुशार्थ जरूर करेंगे
14:29ऐसे नहीं
14:31ड्रामा में होगा तो मिलेगा
14:32फिर तो बैठ जाओ
14:34लेकिन कर्म बिगर कोई रह नहीं सकता है
14:38कर्म सन्यास हो ही नहीं सकता
14:40अच्छा
14:42मीठे मीठे सिकिल्दे बच्चो
14:44प्रतिमात पिता बाप दादा का
14:46याद प्यार और गुड मार्निंग
14:48रूहानी बाप की रूहानी बच्चो को नमस्ते
14:51हम रूहानी बच्चो की रूहानी मात पिता
14:54बाप दादा को याद प्यार
14:55गुड मॉर्निंग और नमस्ते
14:58धारणा के लिए मुख्य सारग
15:00योगबल की ताकत से
15:03अपनी करमेंद्रियों को शीतल बनाना है
15:05वश में रखना है
15:07इविल बाते न तो सुननी है न सुनानी है
15:10जो बात पसंद नहीं आती
15:13उसे एक कान से सुन दूसरे से निकाल देना है
15:16दो
15:17बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए
15:20स्वदर्शन चक्रधारी बनना है
15:22पवित्र बन आप समान बनाने की सेवा करनी है
15:26वर्दान
15:27मुर्ली के साज द्वारा
15:30माया को सरिंडर कराने वाले मुर्ली धर भव
15:33मुरलियां तो बहुत सुनी है अब ऐसे मुरली धर बनो जो माया मुरली के आगे न्योचावर सरेंडर हो जाए
15:41मुरली के राज का साज अगर सदयों बजाते रहो तो माया सदा के लिए सरेंडर हो जाएगी
15:47माया का मुख्य स्वरूप कारण के रूप में आता है
15:51जब मुरली द्वारा कारण का निवारण मिल जाएगा तो माया सदा के लिए समाप्त हो जाएगी
15:57कारण खत्म अर्थात, माया खत्म, स्लोगन
16:02अनुभवी सुवरूप बनू तो चेहरे से खुश नसीबी की जलक दिखाई देगी
16:08अव्यक्त इशारे रूहानी रोयल्टी और प्यूरिटी की पर्सनेलिटी धारण करो
16:15संगम युगी ब्राम्मन जीवन की विशेशता पवित्रता है
16:20प्रवृत्ति में रहते अपवित्रता से निवृत्त रहना
16:25स्वप्न मात्र भी अपवित्रता के संकल्प से मुक्त रहना
16:29यही विश्व को चैलेंज करने का साधन है
16:32यही आप ब्राम्मनों की रूहानी रोयल्टी और पर्सनेलिटी है
16:37ओम शान्ती
16:39संगम की बेला है सुआनी
16:45संगम की बेला है सुआनी
16:50यह समय है बड़ा वरदानी
16:53संगम की बेला है सुआनी
16:57यह समय है बड़ा वरदानी

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