आस्था और श्रद्धा के धर्मपथ पहलगाम में कैसे उपजा आतंक? देखें 'कहानी'
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00:00मस्कार, स्वागत है आपका आप देख रहे हैं कहानी 2.0 आपके साथ हुमें नेहा बाथम
00:05आज कहानी में हम आपको लिए चलेंगे उस जगह जिसे मिनी स्विजलिन कहा जाता है
00:10लेकिन ये जगह सिर्फ खूबसूरत ही नहीं बलकि आस्था, परंपरा और परिश्रम की जिन्दा तस्वीर है
00:16आज कहानी पहलगाम की
00:18कश्मीर की वादियों में बसी वो घाटी जो परिटिकों के लिए रोमांच है और शधालों के लिए अध्यात्म का प्रवेश्टवार
00:26जहां हर नदी की कलकल में शिव का नाम गोंचता है और हर पकदंडी अमनाती गुफा तक जाती है
00:33और वही पहलगाम एक बाद फिर से सुर्ख्यों में है कहानी में आज बात उस पहलगाम की भक्ती की भी प्रकृती की भी और आतंग के साए की भी
00:44कि यहां पर शेर मुस्लिम की है उसने उसको भूली बाद करें अरे हम लोग फाजी हैं तुछ बहुत अठाइस लोगों की जान चली गई कई अभी भी घायल है
01:05इस टाइम पहली बार पूरे कश्मीर ने आवन किया है बंद
01:12यही वो लोकेशन है जहां यह हमला हुआ
01:18सबसे बड़ा बेठा था हमारे परबार
01:24प्रकार को बताना कि हमने तुम्हारे पती के साथ क्या है वर फुल्वामा से बड़ा इंसिजिटन्ट है
01:31एक जान की कीमत दस से होगी
01:38इस हमले की पीछे सीधे सीधे लश्करे तुवबा का हाथ है
01:45अब समय आ गया है कि पाकिस्तार को सबग सिखाए जाए अगर यह पाकिस्तान ने किया है तो हम उनको रज़ करते हैं
01:53हम आसंचियों की पटी खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है
02:11पहल गाम वो जगह जहां से अमरनाथ की आत्रा शुरू होती है
02:31जहां लिद्दर की लहरों में बहता है सुकूंग और जहां देवदार की छाओ में चैन की सांस दी जाती है
02:37लेकिन इस बार जो ख़बर आई उसने इन वाद्मियों की खामोशी को गोलियों की गूंग से तोड़ दिया
02:43किसने मारा कॉन मार दिया मेरे लाल को मेरे चिकर का टुकड़ा को हमसे छील लिया
03:06है मेरे लाल को हमसे चील लिया इतना अच्छा लड़का पर जैसे आप गए आप से पूछा कि वाई यह क्या है कौन हो क्या हो हिंदू है यह जैसे पूछ रहे थे तो फिर वह उसको देखके वो टार्गेट कर रहे थे पूछ के टार्गेट किया गया है बाइसाब का निभ
03:36एक शांद पहलगाम को देहलाने की कोशिश हुई एक आतंग की हमले के सरी
03:57पाकिस्तान के साथ की जाए उनके तो भी इसका बदला लिया जाएगा अभी साधी वी तीन की चार गिन पहले रिसेप्शन थी सारी गली में खुशी का महौल था इस जानकरी मिली के बगा अतंग वादियों नहीं को पूच के गोली मार दिया गोली वारी में शुबंबया को �
04:27इस हमले में ना सिर्फ इनसानी जान को निशाना बनाया बल्कि उस समन और भरोसी को भी जिसे यहां के लोगों ने सालों की मेहनत से कमाया था
04:57परेशानी के हालत में हूं तो कितना नुक्सान हैं अंदाजा नहीं कितना नुक्सान हुआ यह सब के लिए नुक्सान है पहले इनसानी जाने चले गई इनका बड़ा दुख है हमें हम खुद परेशान हैं हमें समझ में ने आ रहा है हम कहां पे हमारे गैस्ट भी परेशान
05:27पहल गाम आज एक बर फिर सुर्खियों में है लेकिन इस बार वज़ा सिर्फ इसकी खूपसूरती नहीं कुछ ऐसे सवाल है जो हवा में तैर रहे हैं
05:51आखिर आतंकियों ने पहल गाम को ही क्यों टार्गेट किया क्या पहल गाम में बढ़ता परियटन इसकी पहचान को खत्रे में डाल रहा है क्या मरनाथ यात्रा में बढ़ते शद्धालों की संख्या से आतंकी घवरा गए हैं
06:04पहल गाम को एक बार फिर डराने की कोशिश हुई थी लेकिन 24 घंटे बाद ही जवाब में गुंज़ने लगा है विश्वास का स्वर जहां गोलियों ने खामोशी को तोड़ा वही इंसानियत की आवाज में उसे फिर से जोड़ने की कोशिश की नहीं
06:20मैं उस वाग्य की पुर्ज़ोर मजबत करता हूँ और इसको मैं नहीं समझता हूँ कि ये तीस बाती साथ में का कतल है मैं समझता हूँ ये इनसानियत का कतल है
06:33हमें जखमजैने की बरदाशन नहीं करेंगे और सरकार से यही नवेतन करेंगे कि इसका जवाब पूरा दिया जाए हमारे निर्दोस जो सेलानी वहाँ पे गूमने के लिए गिये होते और कश्मीर की किनामी को बढ़ाने के लिए गिये लेकिन जो टेरिस ने पूरी एकॉन
07:03जब धरती पर जन्नत की कलबना होती है तो जहन में जो तस्वीर उभरती है वो कश्मीर की होती है और कश्मीर की इस खूपसूरत तस्वीर का सबसे शांदार हिस्सा है पहलगाम
07:33गर्मी हो या बारिश, बसंत हो या स्तरदी पहलगाम का हर मौसम में आकरशन बना रहता है
08:00गलत नहीं कहते हैं बिल्कुल सही कहते हैं
08:02पहल गाम वो जगह है जहां प्रकृती ने अपनी सबसे खूबसूरत तस्वीरों के रही है
08:25जहां नदियां गाती हैं पहाड मुस्कुराते हैं और वादियां हर आने वाले को बाहे फैला कर गले लगाती है
08:33पहल गाम का अर्थ होता है चरवाहों का गाउ
08:43कभी ये वास्तम में स्थानिय गुजरों और बकरवालों की चरगा हुआ करता था
08:48लेकिन समय के साथ ये घाटी परेटन का प्रमुह केंद्र बन गई
08:52पहलगाम जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक शान और दिल को छू लेने वाले स्टेशन है
09:08पहलगाम को कश्मीर की सबसे खूबसूर जगा माना जाता है
09:21पहलगाम यानी वैली अफ दे शेपर्ड्स या फिर चरवाहों की गाटी और ये नाम इसको इसलिए मिला
09:27क्यूंकि एक जमाने आपको सिर्फ यहां चरवाहे मिलते भेड भक्रिया मिलती
09:31यहां के मीडोज बहुत अच्छे थे जो शेपर्ड्स के लिए और इसलिए वो अपनी बेड भक्रिया लेके यहां खूमते थे
09:39फिर धीरे धीरे जब यहां की खुबसूरती का पता पूरी दुनिया को चला तो यह खाटी के परेटन मैप पे आ गया
09:46मौसम की बात करें तो बहुत सोहाना रहता है गर्मियों में जादा जो है गर्मी नहीं पढ़ती लेकिन जब आप सर्दियों के मौसम की तरफ बढ़ते हैं यानि की ऑक्टोबर से लेके मार्ज तक थंड काफी होती है और बर्फ भी यहां बहुत जादा पढ़ती है
10:02यहां की बेताब वैली, अरू वैली और चंदनवारी हर एक जगह का नाजारा सुट्जर लेंड के किसी पोस्ट कार्ड जैसा लगता है यहां के हरे भरे मैदान, फूलों की घाटियां और पहाडों से टकराते बादले इसको बिलकुल सुट्जर लेंड जैसा बना देते है
10:32बेताब वैली, फिल्म बेताब की शूटिंग के बाद मशूर हुई एक घाटी, अब एक बड़ा टूरिस्ट अट्रेक्शन बन चुकी है, अरू वैली ट्रेकिंग, कैपिंग और एडिवेंचर का फेवरेट स्पार्ट बन गई है, यहां से कोला होई ग्लेशियर और त्रा
11:02परखास कर यह जो सड़क आप देख रहे हैं, यह जो मेन मार्किट है, यहां भी बहुत सारे जो हैं फेमस हिट सीन्स मूवीज के हुए हैं, अगर आप रोटी जो की राजेश खना स्टारर एक सुपर हिट मूवी थी, वो भी पहल गाम में शूट हुई थी, उसके अलावा
11:32कश्मीरियत की असली जहलक मिलती है, यहां की लोग, उनकी मुस्कान, उनकी महमान नवाजी, सब कुछ मिलकर इस जगह को सिर्फ एक तूरिस्ट डेस्पिनेशन नहीं, एक एहसास बना देते हैं, लेकिन आतंक्यों ने इस जगह को समय समय पर सिर्फ खून से हिलाल नहीं कि
12:02एक सीजन में पहलगाम में लाखों परेटकाते हैं, हर साल अमरनाथ यात्रा के दौरान तीन से पांच लाक श्र धालू यहां से गुजरते हैं, पहलगाम में हर साल दो सो से ठाई सो करोड रुपे का टूरिस्म कारुबार होता है, लगभग सत्तर फीजदे स्थानिय परि�
12:32लेकिन सिर्फ सुन्दरता ही नहीं, पहलगाम के सामने कई चुनोतियां भी हैं, बढ़ती भीड और अतिकर्मन से परियावरण पर असर पड़ रहा है, लेकिन आज भी पहलगाम सिर्फ एक हिल स्टेक्शन नहीं, ये एक अनुभव है, एक ऐसी जगह जहां इंसान प्रकृ
13:02तो देखा आपने पहलगाम का प्राकृतिक सुन्दर है, लेकिन पहलगाम सिर्फ प्राकृतिक सुन्दर का केंदर नहीं, बलकि आध्यात्म और धर्म का गहरा संगम है, हर साल सावन के महीने में जब अर्मनात यात्रा का शंखनाद होता है, तो पहलगाम एक बार फिर जी�
13:32तो पहले तो तो बारिश भी होगी अंधी भी आएगा, तुफान भी हाएगा, दूब भी आएगी, थन्द भी होगी, सब होगा
13:52मदाबा के शेटनों में हुँ बहुत लग्की फिल करे हूँ कि करोड़ों लोग सोचते हैं लाखों लोग
14:00डिसरविशन कर वाते हुष्थ उसमें भी लोग वेटिंग में रहते हैं और नहीं हाँ पर हूँ
14:14किसी चीज़ का भी डरो
14:44पहलगाम सिर्फ हिल स्टेशन नहीं
14:54आस्था की शुरुवात भी है
14:56क्योंकि यहीं से शुरू होती है अमरनाथ यात्रा
14:59बहुत ही अच्छी पर उत्ता, बहुत ही सुन्दर पर उत्ता, बहुत ही अच्छा
15:05पहलगाम हिंदु धर्म के अन्याईयों के लिए विशेश महत्तो रखता है
15:33क्योंकि यहीं से शुरू होती है विश्व प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा
15:37अमरनाथ यात्रा सिर्फ एक भार्मिक अनुष्ठान नहीं है
15:51यह आस्था की परिक्षा, भक्ती का संगम और प्रकृती से एक संपून साख्छातकार है
15:57और इस यात्रा की शुरुवात होती है पहलगाम से
16:00सावन महिने में हजारों की संख्या में श्रद्ध धालू
16:03यहां से चंदनवारी और फिर पवित अमरनाथ गुफा की और निकलते हैं
16:07इस यात्रा का धार्मीक, सामाजीक और आर्थिक महत्र पहलगाम की पहचान को गहराई से जोड़ता है
16:14जो पहलगाम को सुर्खियों में रखती है वो है वारशिक अमरनाथ यात्रा
16:24अमरनाथ यात्रा का सबसे बड़ा बेस कैम्प नुनवन बिलकुल पहलगाम के बीचों बीच लोकेड़िड है
16:32मेरे पीछे ये कैम्प आप देख रहे हैं यही है नुन्वन बेस कैम्प और अब से तकरीबन दो महीने के बाद यहां आपको बहुत जादा रश मिलेगा क्योंकि यातरी जो है पहले यहां पहुँचते हैं और उसके बाद आगे बढ़ते हैं चंदन्वाडी बेस कैम्प की �
17:02जान बन के उबरी है पहलगाम की खुबसूरती और उसके साथ साथ अमननात यात्रा
17:07लिद्धर नदी की कलकल धारा देवदारों की खुश्बू और शान्त वातावरण यह सब मिलकर पहलगाम को ना केवल परेडन बलकि आध्यात्मिक शान्ति का केंद्र बनाते हैं
17:23पहलगाम से शुरू होने वाली यात्रा हर साल लाखों शधल्वों को बुलाती है अमरनात यह कोई आम यात्रा नहीं यह बर्फ के भीतर बसे भगवान शिव के उस रूप की यात्रा है जिसे स्वेंग प्रकृति बनाती है
17:37अमरनात गुफा समुद्रतल से 3388 मीटर की उचाई परस्थित है गुफा के अंदर प्राकृतिक रूप से बनने वाला हिमलिंग शिव की उपस्थिती का प्रतीक माना जाता है
17:52माननेता है कि यहीं भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता का रहस्य सुनाय था
17:57हर साल जुलाई अगस्त में जब सावन आता है तो अमरनात यात्रा शुरू होती है
18:04पहलगाम से चंदनवारी, फिर पिस्सु टॉप, शेशनाग, पंच तरनी और अंत में अमरनात गुफा तक लगभग 48 किलोमीटर की यात्रा होती है
18:14ये सिर्फ दूरी नहीं है, ये श्रद्धा की परीक्षा है
18:17उचाई, ठंड, ऑक्सीजन की कमी इन सब चुनाकियों की बीच श्रद्धालू, हर हर महादेव के जैगोश के साथ आगे बढ़ते हैं
18:26पहलगाम में एक और बिताव वैली, अरू वैली, चूलियन लेक जैसे परेटक स्थल हैं
18:32तो वहीं अमरनात यात्रा इसे जम्मु कश्मीर की आध्यात्मिक राजधानी बना देती है
18:56यहां प्रकरती और धर्म का ऐसा संगम है जो भारत के विविध आयामों को एक साथ जोड़ता है
19:07युवा रोमांच के लिए आते हैं, बुजर्ग भक्ती के लिए और हर कोई लोटता है आध्यात्मिक त्रिप्ति के साथ
19:14लेकिन कई बार आतंकियों ने इस पहलगाम में भक्तों को भी निशाना बनाया और पहलगाम की पहचान पर दाग लगाने की कोशिश की
19:22पहलगाम को कश्मीर का सबसे सेफ टोरिजम डेस्टिनेशन माना जाता था
19:29उसकी वज़ा ये थी कि पिछले 10 से 15 साल में यहां बिलकुल अमन रहा कोई ऐसी घटना नहीं घटी जिससे जो है यहां हालात खराब हो या जो परेटन का सीजन है वो खराब हो
19:41लेकिन अचानक जो ये बहुत बड़ी वारदात हुई है इसने चीजों को जरूर बदला है और अब अगर आप यहां के लोगों की बात माने तो अभी जो वो पुराना स्टेटस है या जो पुरानी बात थी जहां परेटक यहां काफी जो है सेफ अपने को पाते थे वो फी
20:11दो अगस्त 2000 को अमरनाथ यात्रियों के पहलगाम बेस गैंप में अंधा धुंद फाइरिंग की इस हमले में 32 श्रधालू, स्थानिय दुकांदार और पोटरूं की जान गई
20:21इस बरबर आतंकी हमले में 60 से अधिक लोग घायल भी हुए, इस हमले के पीछे आतंकी संगठन लशकर ये तैवा का हाथ था, ये हमला अमरनाथ यात्रा पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा हमला है
20:36दो साल बाद ही, 2002 में पहलगाम के ननवान कैम के पास लशकर के आतंक्यों ने 6 अगस्त 2002 को ग्रेनेट फेका और बुलिवारी की, इस हमले में 9 लोगों की मौथ हुई थी
20:51ये यात्रा करोडों हिंदों के लिए आस्था का प्रतीक है, ये सिर्फ यात्रा नहीं, शद्धालों का विश्वास है, लेकिन जब उस विश्वास पर गोलियां चलती है, जब परफीले रास्तों पर खून की बूंदें गिरती हैं, तब सवाल उठते हैं, आखिर कब तक?
21:21पहल गाम इन दिनों अपने सौंदर या शांती के लिए नहीं, बलकि एक खौफनाक मनजर के लिए सुर्खियों में है, 22 अप्रेल 2025 की वो दुपे है, जिसे कोई नहीं भुला पाएगा, बैसरान गाटी में जब सेलानी प्रकृती की गोध में सुकून रून रहे थे, तब
21:51से ज़ादा डरावनी है वो कहानी जो हमारे पास पहुची, चश्मदीदों की जुबानी, वो लोग जो उस पल वहां मौजूद थे, जिन्होंने गोलियों की आवास सुनी, अपनों को खोया और मौत को सामने से देखा
22:21हम लोग वाल वाचे हैं, पती को मार दिया, करे हिंदू है, मुसल्मान, मैंने का हिंदू, मार दिया, पार दिया
22:44टाक्सी ड्राइबर ने बोला कि जल्दी आ जाए, कुछ फाइरिंग होया
22:52कलमा पढ़ना अगर आता होता, तो शायद बज्ज्जा था
22:55एक ने बोला कि मुसल्मान अलग हो जाओ और हिंदू अलग हो जाओ, जैंस को
23:01पहलगाम की पैसरन घाटी, जिससे सैलानी मिनी सुट्जर लंड तक कहते हैं
23:08वहाँ 22 अप्रेल 2025 की दोपहर, परेटक खुशियों के साथ छुट्टी मना रहे थे, लेकिन तब ही
23:19यहाँ पर अटेक हुगा है अतनवादियों का हम लोग वाल वाल वचे हैं
23:34अगर परमात मत अच्छा करेगा
23:37जरूब परसेलाब भग्मान्दी करपा से जरूर वचेंगे हम
23:45कुछी पलों में हसी खुशी का माहौल चीख पुकार में बदल गया
23:54नियकते निर्दोश सेलानियों का तावा है कि धर्म पूचकर आतंकियों ने बैसरन खाटी को खून से लाल करना शुरू करते
24:01मुस्लिम भी है उसने उसको कोली बाता और मैं अशुबम बैटके मैगी खाना जा रहती है चामदी थोड़ तोड़ तोड़ा दूर बैट थी और पापा मेरे वाश्रूम में थी उतरीन दिर में एक बंदा पीछे साया और उसने पोली साइड में रखके उससे पूचा हिं�
24:31मैं हिंदू है मुसल्मान मैंने का हिंदू मार दिया पार दिया पहली गण उसी पर चलाई उसके मार शत्तर लोगों को मार दिया क्यों मार दिया
24:45नियथे निर्दोष्ट सेलान्यों को परिवार के सामने गोली मार दिगए
24:54जब मेरे भाई को कायरोंने रुखा और बिठाय आपने गुणने के बलपर बिठाके उससे पूछा मेरे भाई से कि पहल जो हो तो उसने बला में तो इसा ही हूँ
25:08बुले तो क्या हो गया कलमा पढ़ के सुनाओं और कलमा पढ़ना अगर आता होता तो शायद बज़ जाता
25:17निहत्य निर्दोश चैलानियों का दावा है कि आतंक्यों ने कलमा पढ़ने को कहा और जो नहीं पढ़ पाया उसे वहीं धेर कर दिया
25:30कि कश्मीर तो बहुत अच्छ है हम पहल काम गये थे उतार भोड़े से जाना होता था उपर तो उपर गये थे तो दस पंदरा मिनिट में वो आतंक्वादी आगे तो म भागे और छुपे आतंक्वादी ने ढून लिया हमें तो टोटल दोई दिखे थे एक ने बोला कि मुसल्
26:00और हिंदू वाले जैंस को गोली मान के और बाद में जब वो अच्छानक से गायब हो गये चले गये तब सब बोले जो जो बच्चे हैं वो भागो नीचे तो नीचे भागो
26:16जहां दो पहर तक चहल पहल थी अचानक हुए आतंक की हमले के बाद बिलखते परिवार दिखने लगे आतंक्यों के हमले के बाद सामने आए इस वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि कैसे एक जगा बिठा कर लोगों को कूली मारती गई
26:46किसी तरह जख्मियों को सड़क तक पहुचाए गया सड़क पर एम्बुलेंस का ताता लग गया ताकि जख्मी सैलानियों की चान बचाई जा सके
27:06तुरंत हेलिकॉप्टर से सर्च ऑपरेशन शुरू हो जाता है लेकिन तब तक लोगों की सांसे रुक चुकी थी
27:16कि इसको यह निक है जो चुटे बच्चे थी उनको भी जेंड्स को टार्गेट किया था उनके नरेंदर मोधी ती और अमिच शाह के प्रसाशन पर शाशन पर उनकी नीतियों पर मुझे पूरा विश्वास है और बहुत जल्दी एक्शन होगा
27:3422 अप्रेल को जो कुछ भी हुआ जो नरसंधार हुआ उसके निशान वो आपको आज भी यहां पर दिखाई देंगे कि किस तरीके से भेल पूरी बिखरी हुई है जो खाने के लिए टिफन लोकर आये थे
27:57लोग वो यहां पर यूँ ही फेका हुआ है कई जगा पर यहां पर खून के निशान मौजूद थे लेकिन यहां पूरी साफ सफाई हुई तो यह बैसरन घाटी से सिधे आज तेक अंडिया टुडे की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट है
28:12हम दिखा रहे हैं कि किस तरीके से जो टर्रिस्ट है जिसमें कई पाकिस्तानी आतंकवादी थे जिन्हों ने उस दिन निहत्थे सैलानियों पर यहां पर नरसंगहार किया और जो 26 लोग थे अब तक इस आतंकवादी हमले में उनकी मौथ हो चुकी है
28:34एक बर फिर कश्मीर की वादियां देश्चत गर्दों की कूलियों से थर्रा उठी हैं एक बर फिर आतंक्यों ने कश्मीर की वादियों को नफरती सोच से लहुलुहान कर दिया है
28:47कश्मीर की जिनवादियों में देश के अलग-अलग हिस्सों से सैलानी घूमने पहुँचे थे
28:53उसी वादी में देशतगर्दों ने सैलानियों का पहले धर्म पूछा और फिर मौत के घाट उतारा
29:00पहलगाम आतंग की हमले की सबसे बड़ी गवाही दिल देहला देने वाली इन तस्वीरों में कैद है
29:06इन तस्वीरों को देख कर रूह काप उठती है क्योंकि आतंग की बारत लिखने वालों ने हैवानियत की सारी हदों को पार कर दिया
29:13बहुत गौर से देहशतगर्दों की नापाक साजिश का एक-एक सच देखिये और सुनिये कि पहलगाम में मंगलवार को क्या-क्या हुआ था
29:22आतंक के दलदल से किसी तरब बचकर भागते लोगों के छूटे हुए जूटे चपल के निशानी अब भी घाटी के रास्तों में नजर आती है
29:35जो बताती है कि जान बचाना 22 अप्रेल को कितना कठीन हो चुगा था
29:40यहां से भागते हुए इन जूते चपलों को गिरे हुए आप नीचे देखिए है जो बड़े थे जो बच्चे थे सबके जूते टोपियां आपको इस पूरे हिस्से में दिख जाएंगी
29:51इस अलाके को अभी इस पर कॉमिंग उपरेशन चल रहा है लेकिन सीधे तोर पर समझे है कि इस पूरे इलाके में अभी भी उस आतंक के उस बरबादी के वो तमाम निशान आपको दिख जाएंगे
30:03इन सारी चीजों को देखकर आपका खून खौल उठेगा कि आखिर किस तरह की परिस्थितियों में मजबूर कर दिया होगा इन लोगों ने किस तरह का वो आतंक रहा होगा कैसा वो खूनी खेल कि लोग यहां से इस तरीके से अफरा तफरी में हटबडी में यहां से भागे
30:33की फीख मांगते रहे लेकिन यहां खौफ के सिवाए कुछ नहीं था
30:37देश्रतगर्द पूरी तयारी के साथ हाई दे
31:06आतंकियों का टारगेट पहले से तय था ना तो कश्मीर में सुरक्षा के पुखता दावे देश्रतगर्दों के मनसूबों पर भारी पड़े
31:13हमले को रोकना तो छोड़िये देश्रतगर्द हमले को अंजाम देते हैं
31:17सैलानियों को अपनी गोलियों का शिकार बनाते हैं और मौके से फरार हो जाते हैं.
31:22यानि सुरक्षा के तमाम दावें सिर्फ और सिर्फ खोकले सावित हुए.
31:47जो घटना पहलगाम में जो हुआ है उसके बार भारत सरकार ने CCS बैटक में क्या कदम उठाया क्या फैसला लिया उसका भी जानकारी दिया और फिर सरकार का आतंगवाद के खिलाफ Zero Tolerance Policy के बारे में शुरू में बताया
32:11पाकिस्तान किसी भी हाल में घाटी में शांती परदाश नहीं करने बाला है चाहे इसके लिए निहत्थे और पेखसूर परेटकों को ही क्यों निशाना बना पड़े
32:21सवाल सीधा है आखिर क्यों क्यों एक बार फिर पहलगाम आतंकियों के निशाने पर आया पिछले कुछ सालों से आतंकी गतिविदियों का फोकस लगातार सिविलिन तागिट्स की ओर पड़ रहा है
32:36लेकिन जब निशाना बनता है पहलगाम तो सवाल से सुरक्षा कर नहीं होता था एक सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक पर वार करने का क्योंकि यहीं से गुजरती है अमरनात यात्रा, यहीं उमरती है लाखोश ठ्धालों की आस्था
32:50इसलिए ये सवाल जरूरी हो जाता है कि क्या इसी आस्था को चोट पहुँचाने के लिए आतंकियों ने एक बार फिर इस पवित्र स्थान को अपना निशाना बनाया या फिर बैसरन घाटी पर हमला करना आतंकियों के लिए आसान तार्गिट था
33:04बैसरन पहलगाम का एक बड़ा सा मैदान है जो कि पहलगाम शहर के दक्षिनपूर में है और नदियों घने जंगलों और कीचर भरे इलाकों से गुजरने वाले रास्तों से पहुचा जा सकता है
33:34रास्ते का बड़ा हिस्सा गारियों के लिए नहीं कुछ ऐसे हिस्से भी हैं जहां फिसलन है और एक छोटी सी गलती परेटकों को गहरी खाई में गिरा सकती है
33:44पहलगाम से परेटक पैदल और घोड़े पर घास के मैदानों तक पहुचते हैं इसके अलावा एटीवी यानि औल टेरेन विकल के इस्तिमाल होता है
33:52पहलगाम से बैसरन तक पैदल पहुचने में लगभग एक घंटा लग सकता है
33:56रास्ते में कोई ब्रेक नहीं मिलता घास का मैदान चारू तरफ से गहरी घाटियों से घिरा है और ये सारी जानकारी आतंकियों के पास थी
34:05क्या पर कर रहे थे जिसको मिनी स्विजर लेंड करते हैं जो वहां पर क्या आपने देखा क्या सुना हम जब वहां पर पहुचे तो हम लोगो ये
34:17यह मेरे मित्र है इन्होंने का मैं जीप लाइन से जाओंगा तो मैंने उससे कहा बात कर लो उसने का 95 की उपर हम किसी को नहीं लेके जाते तो हम लोग थोड़ा जो जीप लाइन का जो है उचा वाला भाग वहां बैठे थे और जिस जो घोड़े से हम लोग गये थे वह गोड
34:47के पीछे जाके छुपा मेरा दोस्त जबीन पर सो गया था मैंने उनको का वहां से हटो आप तेजी से तब तक हमारे सामने एक लेड़ी को खतम कर चुके थे वह लोग पानी पूरी वाला जो था वहां पर भेल भेल पूरी वाला मैं उससे भेल पूरी मुश्किल से 10 मिनिट
35:17यहां से भागते हुए इन जूते चपलों को गिरे हुए आप नीचे देखिए है जो बड़े थे जो बच्चे थे सबके जूते टोपियां आपको इस पूरे हिस्से में दिख जाएंगी इस इलाके को अभी इस पर कोमिंग ऑपरेशन चल रहा है लेकिन सीधे तोर पर समझ
35:47परी चीजों को देख कर आपका खून खौल उठेगा कि आखिर किस तरह की परिस्थितियों में मजबूर कर दिया होगा इन लोगों ने किस तरह का वो आतंक रहा होगा कैसा वो खूनी खेल कि लोग यहां से इस तरीके से अफरा तफरी में हटबड़ी में यहां से भागे �
36:17को हमले के लिए सोच समझ कर चुना क्योंकि यहां पर छिपना और बच निकलना आसान है
36:22पूरे इलाके को देखकर आप यह भी समझे कि यहां पर कोमिंग ऑपरेशन क्यों मुश्किल है
36:27यहां जहां पर मैं हूँ यह क्लियरिंग का हिस्सा जरूर है लेकिन जैसे ही आप दूसरी तरफ नजर गुमाएंगे
36:33हालनकि वो कोमिंग ऑपरेशन से समय चल रहे हैं सुरक्षा कर्मियों को वहां पर तैनात रखा गया है
36:37लेकिन इन पेड़ों को अगर मौसन दूसरी तरफ क्यामरा करके दिखाएंगे
36:43तो इन पेड़ों को देखिए तो भले थोड़ी थोड़ी फासले पे थोड़ी दूरी पर ये पेड़ है
36:48लेकिन उचाई से भी अगर इनकी आड़ ली जाती है या इनके उसमें कोई हाइड आउट बनाया जाता है
36:55तो बहुत मुश्किल है इतने बड़े इलाके में धून निकालना
36:58बैसरन घाटी में जिन आतंक्यों ने नरसंखार को अंजाम दिया
37:03उन आतंकवादियों को पता था कि पांच किलो मीटर के रास्ते पर एक भी पुलिस पेकट मौजूर नहीं
37:09और घाटना को अंजाम देने के बाद कैसे निकलना है
37:12प्रकृति को आतंकवादि हमेशा से अपनी धाल बनाते आएं
37:1622 तारिक को भी उन ने ऐसा ही किया है
37:18और हमले के लिए जंगल से अचानक निकल कर बेकसूर लोगों को गोलियों से भून दिया
37:23जब कश्मीर के पूरी घाटी में आपको ऐसे ही चीड के पेड नजर आएंगे
37:29ये भी एक ऐसा ही जंगल है
37:30अगर आप पेड़ों की दूरी एक दूसरे से देखें तो आपको वह दूरी नजर आएगी
37:35लेकिन अगर आप आम तोर पर इसके तने को देखें तो यह काफी चोड़ा है इस पेड़ की भी चोड़ाई आप देख लीजिए और इसकी आल लेकर या फिर ऐसे हिस्सों में छुपाव लेकर या कोई कृत्रन ऐसा हाइड आउट बनाकर जो की एक प्राकृतिक लुक यहाँ
38:05अभी भी सुरक्षा कर्मी मौजूद है बैसरन का जो यह पूरा मेडो का हिस्सा है उससे पहले कि यह जो सारे जंगल है चारो तरफ के जंगल हम आपको जंगल भी दिखा रहे हैं और साथ ही वो बस्ती भी जो इससे बिलकुल लगती हुई है एक बहुत दिस्तरित इलाका ह
38:35जारी है इस सेटलाइट इमेज को देखिए इससे आपको पता चलेगा कि पहलगाम से बैसरन की घाटी तक पहुचने के लिए दुर्गम इलाके से गुजरना होता है इसके बाव जूत इस एकड़ में फैले बैसरन को देखने के लिए सेखनों परेटक रोज यहां पहुच
39:05है आज तक