00:50जो चन्द लोगों ने इस मोहिम को शुरू की थी लेकिन आज वो एक बड़ा अभियान बन चुका है और उससे सैक्रों लोग जुड़े हुए हैं इनकी पहल भी अनुखी है यह अपने घर से एक बोतल पानी लेके आते हैं और पढ़ों को डालते हैं
01:03इन दिनों पूरा देश स्तूरिकी केड़नों से तप रहा है भीचन गर्मी से लोग हलकान हैं इसी बीच बिहार के गया से ऐसी तस्वीर सामने आई हैं जिसमें पान्सों से ज्यादा लोग पानी लेकर पहाडी चड़ते नजर आ रहे हैं
01:18ये लोग पानी अपने लिए नहीं बलकि पेड़ों के लिए ले जा रहे हैं ताकि पेड़ों को धड़कते सूरत से बचाया ज़ा सकें
01:26ब्रह्मा योनी पहाड की हरयाली को हरा भरा रखने के लिए कोई हातों में बोतल तो कोई कैन लेकर एक दूसरे का साथ देते हुए आगे बढ़ रहा है
01:39इनकी मेहनत का ही ये परिणाम है कि यहाँ पर 10,000 से ज़्यादा पेड़ पौदे इस वीरान पहाड़ी की शोभाब बढ़ा रहे हैं
01:46इन प्रकती प्रेमियों में ब्यापारी और डॉक्टर से लेकर रिटाइड अधिकारी श्वामिल है
01:54हम तो यहां ते आया है नौकरी करने के लिए यहां पर जॉप करते हैं लेकिन ये जो ग्यावासी हम लोग मिल करके
02:07जो नारा दिया हम लोग ने कि हम गयावाले हैं हम सुभा सेर भी करते हैं और पीड़ भी लगाते
02:14This is a fantastic planet in the world.
02:19Gaya Vasi has given a great influence that the world and the country
02:24are able to save their lives.
02:27But here they can save their lives and give their lives.
02:34Yet they are able to give their lives.
02:36People say that Gaya is in a river without a river.
02:40They are in a river, so we also have to do it.
02:42ुपुरे ब्रहम जोनी पहाड़े पेड़ लगा दिये हैं।
03:12सुच यह हुआ कि अगर पेड़ नहीं है धर्ति पर तो जीवन तो है नहीं।
03:20अगर जीवन है रखना है तो पेड़ लगाना जरूरी है।
03:24हम अपने बच्चों को बहुत कुछ देते हैं।
03:28ठीक है चाठो फ्लैट बना दिये यह कर दिये।
03:31लेकिन जब वह सांसी उल लेने के लिए उसके पास नहीं रहेगा।
03:35पीने के लिए स्वक्ष पानी नहीं रहेगा।
03:39तो क्या करेगा।
03:40आज चार सालों से लगभग मैं भी इसमें हूँ।
03:43और काफी आनंद आता है।
03:45हम लोग इसी को एक पर्व के तरह मनाते हैं।
03:48हर मौसम में हम लोग पेड़ लगाते हैं।
03:51हर चीज में जिसे साधी है।
03:54साधी का सालगिरा है, बच्चों का वर्थडे है।
03:57यह सब में पेड़ लगाते हैं।
03:59होली दिवाली सब पेड़ों के साथ मनाते हैं।
04:02वही अगर ब्रह्मयूनी पहाडी के पास्ट की बात करें
04:06तो यहां पर पहले गंदिगी का अमबाल लगा होता था।
04:09काडों से रास्ता पटा होता था।
04:11वही जो पौधे लगाए हुए हैं उनको उखाड कर फेक दिया जाता था।
04:16यह तो बहुत ही पॉजिटिव बात है यहां के लिए
04:21कि यहां की महिलाएं भी जितना जागरुक हैं
04:24कि पूरुशों से भी ज्यादा जागरुक हैं
04:27यहां जितनी महिलाएं आती हैं कुछ वेवसाई हैं
04:30कुछ प्रपेसर्स हैं कुछ ग्रहनी हैं काफी सारी
04:33लेकिन ग्रहनियां भी बहुत जागरुक हैं
04:35हर दिन एक बॉटल पानी लाना वो बिल्कुल भी नहीं भूलती अपने साथ
04:39यह एक ऐसा काम है कि सोता ही लोग जूड़ते गए आप देख रहे हैं
04:43महिलाओं का बच्चों का हम बुजुरूओं का जो अपने आपको बुजुरूग समझते ही नहीं
04:48तो यह इस काम में effortlessly लगे हुए हैं और आज हमारा प्रियावरन ग्रूप जो है उसमें सदस्यों की संख्या लगवग 500 से भी ज्यादा है
04:58प्रियावरन किसी पार्टिकूलर आदमी का responsibility नहीं है चोटा है और बड़ा हो सब को ऑक्सिजन जिरूरत है गर्मी सबको लगती है ठंडक सबको लगती है खाना सबको चाहिए जब तक हमारा प्रियावरन सुरचित नहीं रहेगा निशी तुरुप से खूद और हमारा भव
05:28लेकर उची पहाड़ी का रुक कर रहे हैं यह प्रकती प्रेमी नई युवाओं और आने वाली पीड़ी के लिए नाया आप उधारण हैं कि वो प्रकती से प्रेम करें और उन्हें अपने जीवन का एहम समाने
05:41परमजुनी पहाड से सभी लोग पौदे में पानी डालकर नीचे उतर चुके हैं और अब यह अपने अपने घरों को जा रहे हैं हम आपको पता देख इसमें जो अधिकतर लोग हैं वो टॉक्र हैं इंजिनियर हैं और समाच के हर तपके के लोग हैं जो परती दिनी यहाँ