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  • 4/22/2025
Lord Vishnu begins to narrate the tale of Ram bhakt, Hanuman, and starts by how the Gods of the five elements and the sapthrishis in distress, had visited the abode of Lord Vishnu, with a cry for help. As Vishnu finds out that Raavan has made inappropriate use of the boon bestowed by Brahma on him, he decides to bring an end to this demon, himself. He declares that he will be taking the human form of Lord Ram. At the same time, Lord Shiva is seen chanting the name of Lord Ram. Parvati sees him curiously and enquires about this new name that she has heard for the first time. Shiva goes on to explain about Vishnu's divine plan and adds that he too will be a part of this war of good versus evil, as he will be taking the form of Ram bhakt Hanuman. How will Lord Vishnu and Shiva bring an end to the egoistic Raavan?

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Transcript
00:00सुनिये, त्रेता युक की बात है, प्रह्मा जी, देवराज इंद्र, अगनी, वाईू, आधी सारे देवता, सब्त रिशिगन और पित्वी देवी, सब मिलकर वह कुंठ लोग जा पहुंचे
00:30विश्वाधारं, गगनसतिशं, मेगवर्ण शुहांगं, लक्ष्मी कांतं, कमलनयनं, योगिरानकं नुञ्यं, वन्देशनुं भभभय,
01:00हे देवताओं के स्वावे, शर्णागतों के रक्षक, आपकी जैखो, फिक्रपालू, आपकी लीला अध्वत है, उसका भैद कोई नहीं जानता है, कोई भी उसको जानने का भी मन नहीं कर सकता है, और उसे वही जान सकता है, जिस पर आपकी गपाप्ष्ट रुदेश्ट �
01:30हम पर करबा करे पर पापों का नाश करने वाले नारायन हमारी सोदिले पर देवी पित्थी एवन समस्त देवता अपने मन वचन और कर्म से तुराई छोड़कर आपकी शरण में आए है
01:51है एविनाशी हमें दर्शन देकर हमारा उपकार करें पर पर
02:00हे भक्त वस्तल भगवान, हे आशारणों के शारण, हमारे रक्षा कीजिए प्रभू
02:20हे श्रीपते, आप ही मेरे पालक हैं, आप ही मेरे रक्षक है नाथ, आप ही के आदेश पर, मैं इस मृत्यू लोग के समस्त जीवों को आश्रे देती हूं, उनका भार उठाती हूं, सब कुछ सहन करते हुए, मैं उनका लालन पालन करती हूं, किन्तु ये राक्षस राज रा�
02:50बोर आतंग पहला रहा है, जिसे भिए वो थोड़ा बल्वान समझता है, उसे ये उन्मादी रावण, युद्धं देही युद्धं देही कहकर, युद्ध के लिए ललकारता रहता है, और जो निर्बल और शांती प्रियजीव हैं, उसे भी बिनाकारण सताता रहता है, रा�
03:20प्रित्वी पर रावन ने स्त्रीयों के अभारण और अत्याचार का अभियान चला रखा है कोई भी स्त्री कहीं भी सुरक्षित नहीं हे विशंबर उसका ये अत्याचार देख मुझे मा का रिद्य फटा जाता है मुझसे अब और सेहन नहीं होता प्रभू मुझे इस राक्�
03:50के नियमों की रक्षा करते हैं हमारे का कोई भी तत्व अपनी मर्यादा भंग नहीं करता है कि इंतु रावन हमें भी सनातन नियम तोड़ने के लिए विवश करता है और उसके भाय के आगे हम सब कुछ नहीं कर पाते है
04:20कि बात्त कि नहीं करता है।
04:47तेरा ये तु साहस अपने मेगों के द्वारा तु मुझे रोकना चाहता है
05:01अबनी पराजे भूल गया क्या
05:08कहीं तु लात दिलाओं
05:17ये आए एक बार फिर मुझे टक्राना चाहता है
05:24यदि यही इच्छा है तो आपने बदल नहीं तो मैं अभी ये सिक्षन तेरा उपचार करे देता हूँ
05:47अच्छे
05:54अच्छे
06:03बहुत अच्छे शची पती इंद्र
06:11तुमने शीग रही समझ लिया कि मेरी मित्रता मेही तेरा हित है
06:20हाहा
06:21हाहा
06:23जब जब लुफ़ मेरी है
06:27जब बल्मुबग्ट
06:32जब लुफभा
06:36यहाह meditation
06:40जब लुब लुब
06:42हाहा
06:47सूर्य देफता ते क्या कर रहे हैं आप
06:54अपने सम्राट से कुछ सीखिए और मेरा अनुकूल रहा कीजिए
07:04देखते नहीं आपकी किरणों के ताप से कैसे मेरा माथा जला जाता है
07:17और हाँ वो चंद्रदेव उस चंद्रदेव से काओ वाता वरण को थोड़ा शीतल कर देख जाओ
07:47हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ है ए प्रभू नावन के अत्याचारों से हमारी रक्षा का सामर्थ्या केवल आप में हैं
08:03आप समस्त जीवों की अंतरात्मा है और हम सब में जो कुछ भी शक्ति है वो आप से ही है
08:11हमा की शरण में है है है अक्षर शिग रही हमारा उधार कीजिये श्रीपती नहीं तो यह सारी व्यवस्था नश्ट हो जाएगी
08:22जगत पिता ब्रह्मा का बर्तान पाकर यह रामन मनमाना हो गया है इस समय ब्रह्मान में उसे अनुशासित करने की शक्ति किसी के पास नहीं है
08:38है है है है यह प्रफू क्या उस आतिताई से हमें कभी मुक्ति नहीं मिल पाएगी आप निराश्न हो ब्रह्मन मेरी प्रतिग्या है कि जब-जब गौमाता भिप्रजन संत समुदाय और देवताओं पर विपत्ति आएगी
09:00जब-जब अविश्वास अनाचार और अधर्म की वृत्ति होगी और धर्म की हानी होगी
09:12जब-जब भक्त मेरा उभास करेंगे मेरी भक्ति को अंध विश्वास समझेंगे
09:21और तब मैं सज्जनों की रक्षा के लिए और दुर्जनों के विनाश के लिए यग्य की वैदिक मर्यादा और धर्म की स्थापना के लिए मैं अवतार लूगा
09:36तेरी ये प्रतिज्या अटल है भगतों की रक्षा के लिए मैं अवश्य अफ्तार लूगा
09:49भगवान विश्णू की जय भगवान विश्णू की जय भगवान विश्णू की जय
10:06अब अब अब अब अब अब अब अब अब अब अब अब अब
10:25पूर्वकाल में रावन ने कठोर तपस्या की थी और प्रह्मा जी से बर्दान ले लिया था
10:34कि उसे देवता, दैत्य, गरुण, नाग, यक्ष आदी कोई भी न मार सके
10:46किन्तो उस समय उसने मनिश्यों का नाम नहीं लिया
10:51और ये तिरसकार से कहा कि मनुश्य तो उसके लिए तिनके के बराबर है
10:57अहंकार सदैव पतन का कारण होता है
11:02रावन के भी विनाश का कारण उसका अहंकार बनेगा
11:07क्योंकि शीगरी में मनुश्य रूप में अफ्तार लेकर दुराचारी रावन का वद्ध कर दूँगा
11:15वर दूँगा थे पुष्यु तम हमें क्या करना होगा आदेश दीजिए प्रभू आप सब भी प्रित्वी पर अपने अपने अंच्छों से वानर कुल और रिक्ष कुल में अफ्तार लीजिए
11:36समय आने पर रावन के विरुद्ध धर्म युद्ध में मैं आपकी सहायता लूँगा
11:43आप समस जगत के पालत हैं ये थड़नी धर आपसे ही ब्रहमान जन्म लेता है
11:58और आप ये प्रहलेकाल में इसे अपने मिलीन कर लेते हैं
12:03हे प्रफुद्ध रावन के विनाश के लिए आपका एक कटाक्षी पर्याप जाते हैं
12:10फिर भी आप हमारी सहायता जाते हैं
12:14हे प्रफुद्ध हमें आशीरवाद दीजिए कि हम आपकी लीला से मोहित होकर अंकारी न हो जाएं
12:23आपकी दिदी देवी रुक्मणी रेम में समर्पणतों करती हैं
12:47किन्तु प्रदर्शन नहीं फिर भी मेरे प्रती उनका गहन प्रेम वो कुछ अफ्सरों पर
13:01कुछ आगर हो ही जाता है
13:07क्या बात है प्रिये कुछ कहना चाहते हैं कुछ भी तो नहीं नात
13:13यह नरा अफदार मैं धर्म की स्थापना के लिए ले रहा हो प्रिये
13:24किन्तु कोई भी धर्मकारे धर्म पत्नी के बिना पूरा नहीं हो सकता
13:31आप मेरी सहचरी हैं आपको ही एदायत्व निभाना होगा
13:40इस अफदार में मैं अनाचारी राक्षसों का बत्तु करूंगा ही किन्तु यह अफदार लेने का मेरा उद्देश्य
13:50अपने जीवन चरित्र के मात्यम से सदाचार का अधर्ष प्रस्तुत करना है
13:57मनुश्यों की शिक्षा और प्रेड़ना के लिए मैं सत्य और धर्म के दो पैरों पर चलूंगा
14:08और जीवन की मर्यादाओं पर अडिग रहूंगा
14:13अडिग रहूंगा
14:16मेरा ये अवतार मर्यादाओं पुरिशोत्तम के नाम से प्रसिद्ध होगा
14:32ओम नमः शिवाए
14:38लाँ
14:41लाँ
14:44लाँ
14:48लाँ
14:52लाँ
14:55लाँ
14:58ओन्नमा शिवाय, ओन्नमा शिवाय, ओन्नमा शिवाय.
15:28आप ये किसका जाप करें महादेव?
15:40राम, मेरे राम.
15:47राम, कैसी शीतलता है इस नाम में?
15:52अनादी काल से ही, यह नाम इस जगत का.
15:58सबसे सिद्ध और सरल मंत्र है.
16:02वो कैसे महादेव?
16:04ओम नमो नरायन मंत्र से विजाक्षर राख.
16:11और ओम नमो शिवाय मंत्र से विजाक्षर मां को मिला देने से.
16:20इस राम मंत्र की रशना होती है.
16:22इस अमूल ने मंत्र में भगवान विश्णू की कल्यान कारी शक्ती के साथ होती है.
16:30मेरी शक्ती का विवात है.
16:36यह मंत्र सरमंगल कारी है, मोक्ष कारी है, और सभी प्राणियों के कल्यान की राम बान वश्धी है.
16:45आपकी महिमा नेराली है, पुले लान।
16:48आप जब उग्र रूप धारन करते हैं, तो तीनों लोग कांपने लगते हैं.
16:54और जब प्रेम अगन होते हैं, तो ऐसे कि देखने वाला भी आनंद में हो जाए.
17:00जो आनंद मेरे मन में जागा है, शीग रही वैपूरे पृत्वी लोग पर छाजाएगा.
17:10वो कैसे महादेव?
17:12क्योंकि आपके जो परम रहसे में महान भाई भगवान विश्णु है ना, वे मनुष्य रूप में चन्द लेने वाले हैं.
17:22और इस मनमोहक अफ्तार में उनका नाम होगा.
17:29श्री राण
17:33वे मेरे भाई अवश्य हैं अन्दिश्व, परिंतु आपके प्रेम और समर्पन के समख,
17:43मेरा प्रेम तो कही थहर्दा ही नहीं, रिश्यो ने भी तर्त्य कहा है,
17:50शिवाय विश्ण रूपाय, शिव रूपाय विश्णवे, शिवस्त हिर्दयम विश्णू, विश्णोस्त हिर्दयम शिवा, अर्थार शिव विश्णू का रूप है, और विश्णू शिव का रूप है, शिव विश्णू के हिर्दय में वास करते हैं, और विश्णू शि
18:20भीएन को अफटार लेने की क्या वर्शकता है फिस जब जाहें तब अपने चक्र से रावन की दसों से गार सकते हैं .
18:31निश्यत ही काट सकते हैं शैल पुत्री किन्टु श्रीहरी कि प्रह्मा जी के वर्दान की अभेलना नहीं करेंगे
18:42किन्तु ब्रह्मा जी अग्वान विश्णु और मैं तीन अलग अस्तित वाविश्य है किन्तु मूल में हम तीनों एक ही हैं
18:58मवानि इस रावन ने दस सहस्त्र वर्शोतर बड़ी कठिन तपस्या कर गी इतने शुपकर्मों का संचे कर लिए कि ब्रह्मा जी को बात दे होकर उसे मन चाहा वर्दान देना ही पड़ा और तब से वह अजय होकर अत्याचारी होगी
19:23इसलिए जब तक उस पापी के पूर फुर्णियों का च्छे नहीं हो जाता है उसका बद नहीं किया जा सकता अब उसका काल निकटाता जा रहा है और शीग रही भगवान विश्नु के श्री राम का अवताद लेके उसका अंधकर डालेंगे और उनके इस कार्रे में
19:53मैं उनकी सायता करूँगा आप महेश्वाद हाँ भवानी भगवान विश्नु के इस राम अवतार के साथ साथ मेरा आंशिस वानर कूल में
20:05उत्तम वानर हनुमान बनकर जनम लेगा और अपनी भक्ती और समर्पन से प्रभु को प्रसंद करेगा और राम नाम की सिद्धी को प्रसिद्ध करेगा
20:21आप मच्र अर्फजा विराजे कांदे मुझ जने हुशादे शाले शाले आप
20:29जैरनुमान ग्यान पुझ आप जाख जै कपे सते भुडों के उचागर जै

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