00:00प्राचीन समय में च्छतीजगड को दक्षिन कौशल के नाम से जाना जाता था
00:21भगवान राम के ननिहाल से लेकर कल्चुरी वन्ष के शाशन तक च्छतीजगड की धर्ती में अनेक गाथाई लिखी गई
00:29इतिहास के पन्नों को पल्टे तो पता चलता है कि
00:33चौथी शताबदी इस्वी में राजा समुद्र गुप्त ने इस शेत्र पर कबजा किया था
00:38इसके बाद पाँचवी छटी शताबदी इस्वी तक यह सरब पुरी राजवन्ष के शाशन के अधीन रहा
00:45सरब पुरी के बाद 36 गड़ में कए अन्ने राजवन्ष जैसे राजश्री तुल्य, पांडु वन्ष, नल एवं छिंदक नागवन्ष, फणी नागवन्ष, सोम वन्ष और कल्चुरी वन्ष का शाशन रहा है
01:00कल्चुरी काल में आठवी शताब्दी से लेकर अठारवी शताब्दी के बीच तक इस शेत्र में 36 गड़ थे, जिसके अनुसार ही इस शेत्र का नाम 36 गड़ पढ़ा
01:11जिसमें रायपूर और रतनपूर राज्य के अलग-अलग गड़ थे, ये गड़ शिवनात नदी के दोनों और स्थापित किये गए थे
01:19इन 36 गड़ों में कुल 5722 गाओं, जिसमें रतनपूर राज्य में 3586 और रायपूर में 2136 गाओं थे
01:32जिनमें रतनपूर, मारो, विजयपूर, जिसमें रतनपूर राज्य में 18 गड़ थे