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  • 4/17/2025
The Horse and The Donkey is a timeless moral story that teaches the importance of helping others. When a donkey carrying a heavy load asks a horse for help, the horse refuses. But soon, the horse learns a valuable lesson about kindness and teamwork when the burden becomes his own.

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Transcript
00:00एक वक्त का किस्सा है कि दर्या के किनारे पुरानी जोपड़ी में एक धोबी रहता था जिसके पास एक घोड़ा और गधा था
00:11आज का दिन बहुत लंबा गुजरा मैं कितना ठक गया हूँ
00:18तुम कैसे इतना ठक गय हो मैं हूँ जिसे सारा बोज उठाना पड़ता है तुम तो बस मालिक को ही उठाते हो
00:26चलो भी अब रोना धोना बंद करो और सो जाओ शब्बा खेर
00:32जो गधे ने कहा था वो सही था
00:36हर सुबह धोबी धुले हुए कपड़े पास के गाउं में उठा कर ले जाता
00:40और वापस लाता धुलाई के कपड़े धोने के लिए
00:43क्योंकि उसी दूर जाना होता तो वो खुद घोड़े पर सवार होता
00:49और कपड़ों का सारा वजन वो गधे पर लात देता
00:52पिचारे कधे को सच बुच बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता
00:57कोई धुलाई के कपड़े हैं जनाब
01:11ओ अच्छा है तुम आ गए
01:14मेरा भाई कल अपनी बीवी और बच्चों के साथ आया है
01:18और बहुत से गंदे कपड़े पड़े हैं जिन्हें धोना है
01:21कोई मसला नहीं है जनाब मैं कल तक सब धो दूँगा
01:30शुक्रिया
01:31क्या आज कोई धुलाई के कपड़े हैं महतरमा
01:39आ हैंडरी मेरे नाती पोते चुट्टियों के लिए आए हैं
01:44वो पूरा दिन खेलते हैं और अपने कपड़े इतने गंदे कर लेते हैं
01:49मुझे कहना ही पड़ेगा कि तुम्हें बहुत से कपड़े धोने पड़ेंगे
01:54कोई मसला नहीं है महतरमा मैं कल तक सब कर दूँगा
02:01कोई धुलाई के कपड़े हैं मैडम
02:07मैंने कल थोड़ी सफाई की थी और मेरे पर्दों को अच्छे से दोनी की जरूरत है
02:15क्या महरबानी करके कल तक ये सब कर लोगी
02:18कोई मसला नहीं है मैडम मैं कल तक ये सब कर दूँगा
02:24और इस तरह धूबी दरवाजे दर दरवाजे जाता रहा उस दिन के लिए धुलाई के कपड़े कठे करता हुआ
02:30ऐसा लग रहा था जैसे हर एक के पास या तो महमान आए हैं या पार्टी हो रही है या साफ सफाई हो रही है
02:37उसने वो पूरा बोज बिचारे गधे पर लाग दिया
02:41आज तो बहुत ज्यादा गठलिया है
02:45मुझे पता नहीं कि मैं इने कैसे संभाल कर रखूं बिचारे जानवर की पीट पर
02:49मुझे गधे के साथ साथ चलना पड़ेगा उन पर नजर रखते हुए
02:53मैं नहीं चाहता कि उनमें से कुछ रास्ते में गिर जाए
02:56तो बजाए अपने घोडे पर सवार होने की धोबी गधे के साथ साथ चलने लगा
03:02पेचारा गधा बामुश्किल चल पाता
03:05उसका बोज इतना वजनी था कि उसे लगता था कि शायद वो गिर जाएगा
03:10गर्मी बढ़ने लगी और धोबी ठक गया था
03:14आज तो बहुत गर्मी है और ये सब पैलल चलना मुझे ठका रहा है
03:20और वो भी ऐसे दिन जब हमारे पास इतना धेर काम पड़ा है
03:25पर हमें कुछ दिर रुख कर आराम करना पड़ेगा
03:40अरे घोडे
03:44क्या बात है
03:47आज मेरा बोज इतना भारी है कि मुझे लगता है कि मेरी पीट तूट जाएगी
03:51महरबानी करके इसे उठाने में मेरी मदद करो
03:56आज तो मालिक भी तुम पर सवार नहीं है
03:59महरबानी करके मेरा कुछ बोज बाट लो
04:01बिल्कुल भी नहीं
04:04मेरा काम है मालिक को उठाना
04:06तुम्हारा काम है बोज उठाना
04:09बस बात बिल्कुल साफ है
04:31मेरा पेचारा दोस्त
04:36मुझे बहुत अफसोस है दोस्त
04:38मुझे तुम पर कभी इतना ज्यादा बोज नहीं लातना चाहिए
04:41मैंने इसमें से कुछ घोड़े पर क्यों नहीं लाता
04:43मुझे मुआफ करना
04:45मुझे यकीन है कि तुम समझते हो कि
05:12आज हमें इस भले बूढ़े गधे को आराम देना चाहिए
05:15मेरे साथ सही हुआ है दोस्त
05:18अगर मैं पहले खुदगर्ज ना होता
05:20तो हमने ये बोज बांट लिया होता
05:23और मुझे इसका आधा ही उठाना पड़ता
05:25पर क्योंकि मैं इतना नीच था
05:27मुझे इसकी सजा मिली कि मुझे ये सब अकेले ही उठाना पड़ेगा
05:32तो आप देखें ये हमीशा बहतर होता है कि हम बोज बांट लिए
05:36अपने दोस्तों की मदद करें और एक साथ मिल कर काम करें
05:40इस तरह किसी पर भी ज्यादा बोज नहीं पड़ता
05:44और सब कुछ हो जाता है माकुल वक्त पर और हसी खुशी
05:48एक काहिल गधा
05:54एक दफा का जिक्र है एक ताजिर था जो एक छोटे सी गाओं में रहता था
06:00वो पैसों की खातिर मुख्तलिफ अश्या की तिजारत किया करता था
06:04उस ताजिर के पास एक गधा था
06:06वो गधे पर अपने समान की बोरियां लाता और उसको बाजार ले जाता फरोग्त करने के लिए
06:12वो ताजिर अपने गधे की बहुत अच्छे से देखबाल करता था
06:16क्योंकि उसको इस बात का एहसास था कि गधा उसके तिजारती कारोबार के लिए बहुत एहम है
06:23ताजिर गधे को बहुत साफ सुत्रा रखता और सेहत मंद रखता था
06:28वो उसको खाने के लिए सेहत मंद खाना खिलाता
06:32गधा जवान और ताकतवर था
06:34वो कई सारी अश्या की बोरियां अपनी पीट पर लाता और अपने मालिक के साथ हर रोज बाजार जाता था
06:41पर वो बहुत ही काहिल था उसको खाना खाना सोना यहां मागूमना बेहत पसंद था
06:46फिर से बाजार जाना है काश मेरे मालिक किसे दिन चुट्टी क्यों नहीं मराते
06:53मुझे चुट्टिया बहुत पसंद है
06:55ओफ, होसकता है कि उनको छुट्यों की जरूरत ना हो, पर मुझे तो छुट्यों की जरूरत है
07:01गधा इस बात को समझने से कासिर था कि ताजे के लिए रोज बाजार जाकर अश्या फरोग करना इंतिहाई जरूरी है
07:08अगर ताजर रोज बाजार ना गया तो फिर उसके पास पैसा कहां से आएगा
07:14और अगर पैसे नहीं आए तो फिर गदे के लिए भी खाने की गजा का इंतजाम करना मुश्किल होगा
07:20बाजार की मांग के मताबिक ताजर को हर रोज अलग-अलग अश्या की तिजारत करनी पड़ती थी
07:26कभी दाले तो कभी अनाज, कभी सबजिया मसाले तो कभी फल वगेरा
07:30ताजिर को हर रोज अपने गाउं से गदी के साथ बाजार जाते वक्त गरिया को पार करना पड़ता था
07:36और वो उस वक्त अपने गदे का खास खयाल रगता था
07:39एक दिन ताजिर के करीबी दोस्त ने उसे बताया कि बाजार में नमक की काफी मांग चली है
07:45शुक्रिया मेरे अजीज दोस्त तुमने मुझे ये खबर दी
07:50मैं बहुत जल्दे नमक फरोग करूंगा
07:53बाजार में फरोग करने के लिए जल्दी ताजिर ने बारा बोरी नमक का इंतिजाम कर दिया
08:00उसने छे बोरी नमक गदें पर लाद दिया
08:02पर जल्दी ही उसको एहसास हो गया कि ये छे बोरियां बहुत ही वजनी है
08:06गदा उनका बोज एक साथ नहीं उठा पाएगा
08:09ओ, पेचारा गदा, ये इतना बोज नहीं सह पाएगा
08:13मुझे इसका बोज कम करना होगा, ये ही बहतर है
08:18मैं गदे को इस कदर चोट नहीं पहुचाना चाहता
08:21ये कहकर उसने एक बोरी खुद की पीट पर लाद ली
08:24उसके बावजूद गदा चलने से कासर था
08:27ताजिर अपने गदे की परवाह तो करता था
08:30पर इस बात से वाकिफ था कि उसका गदा काहिल भी है
08:33लिहाजा उसने एक लकडी कदे की पीट पर मारी
08:36और उससे आगे बढ़ाने की कोशिच करने लगा
08:39ओहो अब चलो भी
08:44तुम बहुत आराम कर चुके
08:46अब इतने भी काहिल ना बनो
08:48हमें बाजार चाना बहुत जरूरी है
08:50उस दिन ताजिर ने अपनी सारी नमक की बोरियां बाजार में फरोख्त कर दी
09:02ओहो, मेरे दोस्त ने दुरुस इतिला दी थी
09:05सच में बाजार में नमक की बेहत मांग बढ़ चुकी है
09:08ताजिर ने हर रोज की तरह फिर नमक बजार में फरोग करना शुरू कर दिया
09:13वो अब नमक की बोरियों की बोरियां गदे पर लादा करता था
09:23गदे को नमक की कभी पाँच तो कभी छे बोरियां लाद कर हर रोज बजार जाना पड़ता था
09:29जिससे गधा काफी नाखुश था पर लोटते वक गधा बिलकूर खाली आता
09:34ताजिर अपना सारा नमक बजार में फरोग कर ही देता ताकि गधे को लोटते वक कोई भी बोजना उठाना पड़े
09:41ऐसे ही कुछ दिन तक सिलसला आगे बढ़ा
09:47हर रोज की तरह एक दिन ताजिर ने फिर से छे बोरियां गधे की पीट पर ला दी और बाजार के लिए निकल पड़ा
09:54जैसे ही वो दोनों दरिया पर पहुँचे उन्हें मद्दो जज़र ज्यादा नजर आया
09:58हमें बहुत ही तीरे चला होगा ताकि हम इस उचलते हुए पानी में फिसल ला जाएं
10:05पर जैसे ही उन दोनों ने आधा दरिया पार किया कि तभी अचानक गधे को बड़े से पत्थर पिठोकर लगी और वो पानी में फिसल कर उसी पत्थर पर बैठ गया
10:15ओ, नहीं, ओ
10:28बोर्या तो अब भी मेरी पीट पलदी है पर मैं इतना बोज महसूस नहीं कर रहा हूँ, ओ, वो एक जादूई दरिया है
10:43गधा इस बात से कासिर था कि दरिया में फिसलने की वज़ा से उन बोर्यों का सारा नमक पानी में घुल गया
10:53और अब उन बोर्यों में बिल्कुल भी नमक नहीं बचा, जिसकी वज़ा से गधे की पीट पर गधे को कोई भी वज़न महसूस नहीं हो रहा था, क्योंकि अब बोर्यों में नमक बचा ही नहीं था
11:05ओ, मेरी सारी मेनज जाया हो गई, अब मैं क्या फरुख करूँगा, शुक्र है खुदा का कि मेरे गधे को कुछ नहीं हुआ
11:14अब बाजार जाने की कोई तुख नहीं बनती, मुझे घर वापस चले जाना चाहिए
11:19क्या, कोई बोट भी नहीं और कोई काम भी नहीं, ये तो कमाल का जादू है
11:27इस हाथसे के बाद गधे के पास पूरा दिन था, उसने उस दिन सिर्फ खूप ठूस के खाया और खूप सोया, वो उस दिन बहुत खुश था
11:40फिर अगले दिन ताजिर ने छे बोर्या नमक की अपने गदे पर ला दी और बजार के लिए निकल पड़ा
11:53कल का दिन कितना अच्छा था, आज फिर मुझे काम करना पड़ रहा है, रुको, आज भी मैं काहिली कर सकता हूँ
12:01आज भी मैं अपनी पीट पे लदे बोज को कम कर सकता हूँ, और घर वापन जा सकता हूँ, कल की तरह, वो एक चादुई धरिया है जो मेरा बोज कम कर देती है, मुझे उम्मीद है कि वो मेरी मदद सरूर करेगी
12:13ताजिर उस दिन गदे की साजिश से बिल्कुल नवाकित था, हर रोज की तरह ताजिर अपने गदे को लिए उस दरिया पर पहुँच गया, गदा ताजिर से पहले ही दरिया की तरफ बढ़ गया, इससे पहले कि ताजिर उसको रोके, गदा उसी जगा पर फिसल गया, जहा
12:43गदा बहुत खुश था यह हुई ना बाद कोई भोश नहीं और अब कोई काम नहीं यह फिर कैसे हो गया रुको ज़रा सोचता हूं क्या इस गदे ने यह चान बूच कर किया ओ काहिल चानवर मैंने इसकी इतनी देख भाल की और इसने बतले में मुझको यह सिला दिया इसे घ
13:13करने का पर ताजिर का तो कोई और ही मंचूबर था अगले दिन ताजिर ने गदे की पीट पर आठ बोरियां ला दी पर गदे ने उफ तक नहीं किया
13:23और बोरियां फर मैं बोच क्यों महसूस करूँ अब मेरे लिए बोच मसला नहीं रहा रखने दो मालिक को जित्ती भी बोरिया रखना चाहते हैं बाजार अब जाता कौन है
13:39जब वो दोनों दर्या पर पहुँचे तो ताजिर ने खामोशी से गदे पर नज़र डाले यह आई मेरी जादुई दर्या
13:49और दर्या पार कर दे पर गदा फिर वही जगा पर जाकर फिसला जहां वो हमेशा गिरता था
13:56पर इस बार ताजिर ने गदे को नहीं उठाया और गदे का बोच कम नहीं हुआ और अचानक
14:08ताजिर बहुत ही जहीन था उसे पता था कि गदा उसके साथ फिर वही चाल चलने वाला है
14:20इसलिए उसने इस बार बोरियों में नमक की जगा कपास भर दिया था
14:24जैसे ही गधा दरिया में बैठा वैसे ही कपास ने दरिया का पानी चूस लिया और गदे का वज़न बढ़ गया
14:31तुम्हें क्या लगा कि तुम मुझे यूही बेवकूप बना लोगे अब तुम आठ बोरियों का बोज उठाए बाजार भी चलोगे और घर की जानी भी लोटोगे
14:41नए यह तो बहुत ही वजनी है मेरी पीट
14:48गदे को तब एसास हो गया था कि वो जादूई दरिया नहीं है
14:53गदा उन आठ बोरियों को अपनी पीट पर लादे हुए बाजार गया भी और फिर उसी बोज के साथ घर भी वापस आया
15:00उस दिन के बाग से गदे ने कभी भी दरिया में किरने की हिमाकत नहीं की

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