एकलव्य और उनका गुरु द्रोणाचार्य का कथा वैदिक साहित्य में एक महत्वपूर्ण प्रसंग है। यहां हम जानेंगे कि श्री कृष्ण ने एकलव्य का वध क्यों किया और इसके पीछे क्या कारण थे। इस वीडियो में हम धार्मिक कथा के इस रहस्य को खोजेंगे और जानेंगे कि क्या सत्य और धर्म की रक्षा के लिए श्री कृष्ण ने यह कदम उठाया था।
00:00पांच वर्ष की आयू से ही एकलव्य की रुची अस्त्रशस्त्र में थी।
00:04युवा होने पर एकलव्य धनूरविध्या की उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था।
00:10उस समय धनूरविध्या में गुरु द्रोन की ख्याती थी, पर वे केवल विशेश वर्ग को ही शिक्षा देते थे।
00:17पिता हिरन्य धनू को समझा बुजाकर, एकलव्य आचार्य द्रोन से शिक्षा लेने के लिए उनके पास पहुंचा, पर द्रोन ने दुधकार कर उसे आश्रम से भगा दिया।
00:27एकलव्य हार मानने वालों में से न था। वह बिना शस्त्र शिक्षा प्राप्त किये घर वापस लोटना नहीं चाहता था। इसलिए उसने वन में आचार्य द्रोन की एक प्रतिमा बनाई और धनूर विध्या का अभ्यास करने लगा। शीगरही उसने धनूर विध्या में
00:57साधना में बाधा पढ़ रही थी इसलिए उसने अपने बाणों से कुट्टे का मुँख बंद कर दिया। एकलव्य ने इस कोशल से बाण चलाये थे कि कुट्टे को किसी प्रकार की चोट नहीं लगी। कुट्टा द्रोन के पास भागा। गुरु द्रोन और शिष्य ऐसी
01:27तुमने यह धनुर विद्या किस से सीखी। इस पर उसने द्रोन की मिट्टी की बनी प्रतिमा की ओर इशारा किया।
01:33द्रोन ने एकलव्य से गुरु दक्षिना में एकलव्य के दाए हाथ का अगूंथा मांग लिया।
01:39एकलव्य ने साधना पूर्ण कोशल से बिना अंगूथे के धनुर विद्या में पुन दक्षिता प्राप्त कर ली।
01:46पिता की मृत्यू के बाद वह श्रंगबेर राज्य का शासक बना और अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार करने लगा।
01:52वह जरासंध की सेना की तरफ से मथुरा पर आक्रमन कर कृष्ण की सेना का सफाया करने लगा।
01:59सेना में हाहाकार मचने के बाद श्री कृष्ण जब स्वयम उससे लडाई करने पहुंचे, तो उससे सिर्फ चार अंगुलियों के सहारे धनुश बान चलाते हुए देखा, तो उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ।
02:11चुंकि वह मानवों के नरसंहार में लगा हुआ था, इसलिए कृष्ण को एक लव्य का संहार करना पड़ा। एक लव्य अकेले ही सैकिद्धों यादव वंशी योध्धाओं को रोकने में सक्षम था। इसी युध में कृष्ण ने चल से एक लव्य का वध किया था। उस
02:41ने अर्जुन से स्पश्ट कहा था कि तुम्हारे प्रेम में मैंने क्या-क्या नहीं किया है। तुम संसार के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाओं। इसके लिए मैंने द्रोणाचार्य का वध करवाया, महापराक्रमी करण को कमजोर किया और न चाहते हुए भी तुम्हा