लगातार एक ही फसल बुवाई से घट रहा उत्पादन, इस बार बदली परम्परा

  • 5 days ago
प्रतापगढ़. कांठल में गत वर्षों से सोयाबीन की अधिक खेती से खेतों की सेहत पर विपरित असर होने लगा है। ऐसे में कृषि विभाग और किसानों ने सोयाबीन का रकबा घटाया है। इसके स्थान पर मक्का और दलहन का रकबा बढ़ाया है। आगामी सीजन के लिए कृषि विभाग ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है। जिसमें इस वर्ष के लिए सोयाबीन का रकबा करीब दो हजार हैक्टेयर घटाया गया है। इसके स्थान पर मक्का और दलहन का रकबा बढ़ाया गया है। वहीं मूंगफली का रकबा भी बढ़ाया गया है। ऐसे में गत वर्ष की तुलना में करीब 14 हजार हैक्टेयर में बढ़ोतरी की गई है। खरीफ का कुल रकबा गत वर्ष से बढ़ाकर एक लाख 79 हजार 562 से एक लाख 93 हजार 93 हजार 350 किया गया है। गौरतलब है कि गत वर्षों से कांठल में खरीफ में व्यावसायिक फसल सोयाबीन की बुवाई काफी की गई। इससे प्रथम कुछ वर्षों में जहां उत्पादन तो बढ़ा था। वहीं गत कुछ वर्षों से लगातार एक ही फसल बुवाई करने से उत्पादन में गिरावट होती गई। अब हालात यह है कि सोयाबीन का उत्पादन आधा ही रह गया है। इसके साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति भी कम होने लगी है। हालात यह है कि अन्य फसलों का भी उत्पादन कम हो रहा है। सभी प्रकार की समस्याओं को देखते हुए कृषि विशेषज्ञ सलाह दे रहे है कि फसल चक्र अपनाएं। इसी आधार पर कृषि विभाग की ओर से अब सोयाबीन का रकबा घटाया जा रहा है। इसके स्थान पर दो वर्ष के लिए मक्का और दलहनी फसल बोने की सलाह दी जा रही है। इस वर्ष भी इसी प्रकार के लक्ष्य निर्धारित किए गए है।
इस तरह किया क्षेत्रफल में बदलाव
कृषि विभाग की ओर से खरीफ की सीजन में काफी बदलाव किया गया है। जिसमें सोयाबीन का रकबा एक लाख 26 हजार से घटाकर एक लाख 25 हजार किया गया है। मक्का का रकबा 45 हजार से बढ़ाकर 50 हजार, मूंगफली का साढ़े तीन हजार से बढ़ाकर 4 हजार हैक्टेयर किया गया है। दलहन का 12 सौ बढ़ाकर 3 हजार हैक्टेयर किया गया है। यह होता हंै फसल चक्र
फसल चक्र का मतलब होता है कि एक ही खेत में दो या दो से अधिक अलग-अलग फसलें एक के बाद एक उगाई जाती हैं। फसल चक्र की योजना में लगातार एक ही फसल को नहीं उगाई जाती है। इसके स्थान पर प्रति वर्ष फसलें बदल-बदल कर बुवाई करते है। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी नहीं होती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। इससे मिट्टी के पोषक तत्वों में वृद्धि होती है। इसके साथ ही खेत की जैव विविधता को बढ़ावा होता है। वहीं कई प्रकार के खरपतवार और कीटों में कमी होती है। जिले में खरीफ बुवाई और लक्ष्य का आंकड़ा
फसल गत 5 वर्षों का औसत 2023-24 2024-25
मक्का 35000 45.700 50000
ज्वार - 20 250
धान 54 147 5000
दलहन 3400 1300 3000
सोयाबीन 115967 126679 125000
मूंगफली 1786 3500 4000
तिल 250 97 200
कपास 737 1383 1500
अन्य 1597 1654 10500
योग 158657 179562 193350
(आंकड़े कृषि विभाग के अनुसार)